अल्लाह ने इस्लामी व्यवस्था के तहत और क़ुरआन व इस्लाम की छाया में, ईरानी राष्ट्र के लिए मदद निश्चित कर दी है कि ईरानी राष्ट्र निश्चित रूप से विजयी होगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार 16 जुलाई 2025 को न्यायपालिका के प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारियों और पूरे देश की उच्च अदालतों के प्रमुख न्यायाधीशों से मुलाक़ात में हाल में थोपे गए युद्ध में ईरानी राष्ट्र के महान कारनामे की सराहना करते हुए हमलावरों के अनुमानों व षड्यंत्रों की विफलता पर ज़ोर दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 16 जूलाई 2025 को न्यायपालिका के प्रमुख और अधिकारियों से मुलाक़ात में इस विभाग की अहमियत और ज़िम्मेदारियों के बारे में बात की। उन्होंने ज़ायोनी सरकार के अग्रेशन और उसके बाद ईरान की ऐतिहासिक जवाबी कार्यवाही के पहलुओं पर रौशनी डाली।
दस घंटे से भी कम वक़्त में शहीद कमांडरों की रैंक के कमांडर नियुक्त किए जाते हैं और सफल आप्रेशन भी उसी सीमित वक़्त में शुरू हो जाते हैं। यह ख़ुसूसियत, सुप्रीम कमांडर की प्रशासनिक सलाहियत की नुमायां मिसाल है। अलबत्ता यह चीज़ सिर्फ़ बहादुरी से हासिल नहीं हुयी है बल्कि मामलों पर उनकी भरपूर पकड़ और उसमें उनका मूल किरदार है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ज़ायोनी सरकार के हमले के बाद, टीवी से प्रसारित अपने तीसरे संदेश में इस जंग में फ़तह पर ईरान की महान क़ौम को मुबारकबाद पेश करते हुए कहा थाः "इतने शोर-शराबे, इतने दावों के बावजूद, ज़ायोनी शासन इस्लामी गणराज्य के वार से क़रीब क़रीब ढह गया और कुचल दिया गया। यह बात कि इस्लामी गणराज्य की ओर से ऐसे वार मुमकिन है इस शसान पर हों उनके मन में, उनके ख़याल में नहीं आती थी, जबकि ऐसा हुआ। अल्लाह का शुक्रगुज़ार हूं कि उसने हमारी आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की मदद की, जो उनके कई परतों वाले विकसित डिफ़ेंस को भेद सकीं और उनके बहुत से नगरीय और सैन्य इलाक़ों को अपने मीज़ाइलों की बौछार से अपने मज़बूत आधुनिक हथियारों से मिट्टी में मिला दिया। यह अल्लाह की बड़ी नेमतों में से एक है।"
ज़ायोनी खाना बाँटने के नाम पर एक केंद्र बनाते हैं। लोग वहाँ खाना लेने के लिए भीड़ लगा लेते हैं। जितने लोगों को ये पहले बम से मारते थे, अब एक मशीनगन से उससे दस गुना ज़्यादा लोगों को ख़त्म कर देते हैं! लोगों को मारने में ज़्यादा ख़र्च आ रहा था, इस लिए उसे सस्ता कर दिया। अमरीका पूरी तरह इस जुर्म में शामिल है।
इमाम ख़ामेनेई
4 जून 2025
ज़ायोनी फ़ौजी उन माँओं पर फ़ायरिंग कर रहे हैं जो खाने की लाइनों में अपने भूखे बच्चों के लिए खाना लेने की कोशिश कर रही हैं। यह तो जंग नहीं है, यह एक क़ौम का सुनियोजित जातीय सफ़ाया है।
ज़हरा शाफ़ेई, रिसर्च स्कॉलर
बग़दाद से काबुल तक और अब तेहरान के संबंध में, साम्राज्यवाद की शैतानी साज़िशों में कोई बदलाव नहीं आया हैः उस सरकार की छवि को शैतानी दिखाया जाता है जो साम्राज्यवाद की दुश्मन है, उन लोगों को इंसानियत के दायरे से बाहर दिखाया जाता है जो पश्चिम की साम्राज्यवादी नीतियों के मुक़ाबले में डट गए हैं।
उस रात उनका आना असमान्य घटना थी। शुरू के दो तीन मिनट सभी लोग हतप्रभ और एक ख़ास हालत में थे। एक बहुत ही आध्यात्मिक और क़ीमती माहौल था जिसका हम सभी पर प्रभाव पड़ा।
बैत हानून का नाम, ज़ायोनियों के लिए कुछ कड़वी यादें लिए हुए है। यह एक ऐसा इलाक़ा है जिसने रेज़िस्टेंस के मुजाहिदों की बहादुरी से ज़ायोनी शासन की अपराधी फ़ौज की धौंस को बार बार मिट्टी में मिलाया है। ज़ायोनी मीडिया ने इस आप्रेशन को, रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का 7 अक्तूबर के बाद का सबसे जटिल और बड़ा आप्रेशन क़रार दिया है।
जो भी अमरीका और कुछ दूसरे मुल्कों में मानवाधिकार के सपोर्ट के दावों के झूठे होने को आँखों से देखना चाहता है, वह स्रेब्रेनिका के वाक़यों को देखे। जो भी सुरक्षा परिषद की अयोग्यता को देखना चाहे, जो क़ौमों की सुरक्षा के नाम पर वजूद में आयी है, वह स्रेब्रेनिका को देखे।
इमाम ख़ामेनेई
12 जूलाई 1995
ईरानी, हमेशा आशूरा के संदेश से प्रेरित रहे हैं। यह घटना सिर्फ़ एक ऐतिहासिक वाक़या नहीं, बल्कि न्याय और सच्चाई के लिए संघर्ष और अत्याचार के ख़िलाफ़ डट जाने का प्रतीक है। ईरानियों के लिए, आशूरा सच और झूठ के बीच अनंत लड़ाई का एक शक्तिशाली प्रतीक है जो आज भी जारी है।
इस्लामी गणराज्य ईरान के ख़िलाफ़ ज़ायोनी सरकार के हमले के जवाब में ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने गावयाम टेक्नॉलोजी पार्क को बड़ी सटीकता से मीज़ाइलों का निशाना बनाया। ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने 20 जून को इस सेंटर पर ज़बरदस्त हमला किया और ज़ायोनी सरकार की वॉर मशीन पर भारी वार किया।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में 7 जूलाई 2025 की रात, इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शहादत के मौक़े पर आख़िरी मजलिस आयोजित हुयी, जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
आज हमें इस बात की ज़रूरत है कि दुनिया को इमाम हुसैन इबने अली से परिचित कराएं। इस्लामी जगत को हुसैन इबने अली अलैहिस्सलाम का सबक़ यह है कि सत्य के लिए, इंसाफ़ के लिए, इंसाफ़ क़ायम करने के लिए, ज़ुल्म के मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और अपना सब कुछ मैदान में ले आना चाहिए।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की याद में शामे ग़रीबाँ की मजलिस तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 6 जुलाई 2025 को आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मोहर्रम की दसवीं रात की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मोहर्रम की दसवीं रात की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में गुरूवार की रात को मोहर्रम की आठवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार की रात को मोहर्रम की नवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार की रात को मोहर्रम की नवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
हर साल की तरह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में बुधवार की रात को मोहर्रम की सातवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी।
हुसैन बिन अली अलैहेमस्सलाम का तौर तरीक़ा, सत्य की रक्षा का है, ज़ुल्म, उद्दंडता, गुमराही और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ डट जाने का तौर तरीक़ा है...आज दुनिया को इस तौर तरीक़े की ज़रूरत है...इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का यह पैग़ाम, दुनिया की मुक्ति का पैग़ाम है।
इमाम ख़ामेनेई
18 सितम्बर 2019
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई पर हमले के गुस्ताख़ी भरे बयानों के ख़िलाफ़, बड़े धर्मगुरूओं ने बयान और फ़तवे जारी करके अपने स्टैंड का एलान किया है।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में गुरूवार की रात को मोहर्रम की आठवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
किसी भी तर्क के मुताबिक़ यह बात स्वीकार्य नहीं है कि किसी क़ौम से कहा जाए कि वह सरेंडर कर दे, ईरानी क़ौम से यह कहना कि समर्पण कर दो, अक़्लमंदी की बात नहीं है।
हर साल की तरह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में बुधवार की रात को मोहर्रम की सातवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी।
फ़िलिस्तीन के मक़बूज़ा इलाक़ों पर ईरान की ओर से पहली बार मीज़ाईल बरसाए जाने के कुछ ही दिन के अंदर ज़ायोनी शासन के कमज़ोर होने की निशानियां ज़ाहिर हो गयीं।
13 जून से 24 जून तक ईरान पर ज़ायोनी शासन के हमलों में, शहीद होने वाले इस्लामी जम्हूरिया ईरान के कमांडरों की याद में
हालिया वाक़यों में शहीद होने वालों को श्रद्धांजलि पेश है। शहीद कमांडर, शहीद वैज्ञानिक सचमुच हक़ीक़त में इस्लामी गणराज्य के लिए बहुत क़ीमती थे और उन्होंने सेवाएं की और आज अल्लाह की बारगाह में अपनी महान सेवाओं का बदला पा रहे होंगे इंशाअल्लाह।
इमाम ख़ामेनेई
26 जून 2025
अमरीकी सरकार सीधे तौर पर जंग में कूद पड़ी क्योंकि उसे लगा कि अगर वह नहीं कूदी तो ज़ायोनिस्ट रेजीम पूरी तरह मिट जाएगी। जंग में कूदी ताकि उसे बचाए लेकिन इस जंग से उसे कुछ हासिल नहीं हुआ।
इस्लामी गणराज्य ने अमरीका को बहुत ज़ोरदार थप्पड़ लगाया। क्षेत्र में अमरीका की बड़ी अहम छावनियों में से एक अल-उदैद बेस पर हमला किया और उसे नुक़सान पहुंचाया।
ईरानी क़ौम ने इस वाक़ए में अपनी महानता का अपनी अज़ीम शख़्सियत का परिचय दिया और यह दर्शा दिया कि ज़रूरत पड़ने पर इस क़ौम से एक सुर सुनाई देगा और बेहम्दिल्लाह ऐसा हुआ।