12/02/2024
अगर मुसलमान अपनी इस्लाह कर लें और इंसानियत के सामने इस्लाम का अस्ली और वास्तविक नमूना पेश करें तो इंसानियत इस्लाम की ओर आकर्षित हो जाएगी। इमाम ख़ामेनेई 8 फ़रवरी 2024
12/02/2024
हालिया बरसों में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ओर से तथ्यों को बयान करने के जेहाद पर लगातार बल दिया जाना, इस विषय की अहमियत को दर्शाता है जो आज इस्लामी इंक़ेलाब की अहम बहसों में तबदील हो चुका है।
09/02/2024
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि पूरे इतिहास में इंसानियत के लिए दुनिया में होने वाला सबसे मुबारक और सबसे अज़ीम वाक़या नबी-ए-अकरम की बेसत है। उन्होंने कहा कि ग़ज़ा के मसले में सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि ज़ायोनी शासन को राजनैतिक, प्रचारिक, हथियारों और इस्तेमाल की चीज़ों की मदद रोक दें। क़ौमों की ज़िम्मेदारी इस बड़ी ज़िम्मेदारी को अंजाम देने के लिए सरकारों पर दबाव डालना है।
08/02/2024
ईदे बेसत (पैग़म्बर की पैग़म्बरी के एलान) के पावन मौक़े पर मुल्क के बड़े अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और क़ुरआन के अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में शामिल होने वालों ने 8 फ़रवरी की सुबह आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
08/02/2024
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने ईदे बेसत (पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के एलान) के मुबारक मौक़े पर मुल्क के बड़े अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और प्रतिनिधियों और अवाम के मुख़्तलिफ़ तबक़ों से गुरूवार 8 फ़रवरी की सुबह मुलाक़ात की।
09/02/2024
यह मुसीबत इस्लामी जगत की मुसीबत है बल्कि इससे भी बड़ी यह इन्सानियत की मुसीबत है। यह इस बात की ओर इशारा करती है कि मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर, कितना नाकारा सिस्टम है।
06/02/2024
इस्लामी दुनिया के ओलमा, बुद्धिजीवी, नेता और पत्रकार बिरादरी अवाम में मांग पैदा करें कि उनकी सरकारें ज़ायोनी सरकार पर वार करने पर मजबूर हों। हम यह नहीं कहते कि जंग शुरू कर दें, वो जंग नहीं करेंगी और कुछ के लिए शायद मुमकिन भी न हो, लेकिन आर्थिक रिश्ते तो तोड़ ही सकती हैं। इमाम ख़ामेनेई 5 फ़रवरी 2024
06/02/2024
मैंने सुना कि कुछ इस्लामी देश ज़ायोनी सरकार को हथियार दे रहे हैं, कुछ हैं जो अलग अलग रूप में आर्थिक मदद कर रहे हैं। यह अवाम का काम है कि इसे रुकवाएं। अवाम दबाव डाल सकते हैं। इमाम ख़ामेनेई 5 फ़रवरी 2024
06/02/2024
इस्लामी दुनिया के एलीट अवाम में मांग पैदा करें कि उनकी सरकारें ज़ायोनी सरकार पर वार करने पर मजबूर हों।
06/02/2024
अहम हस्तियों, ओलमा, बुद्धिजीवियों, नेताओं और पत्रकारों की ज़िम्मेदारी है कि अवामी सतह पर मुतालबा पैदा करें कि सरकारें ज़ालिम ज़ायोनी सरकार पर ज़ोरदार वार करें। इमाम ख़ामेनेई 5 फ़रवरी 2024
05/02/2024
पिछले कुछ दशकों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क़ानून की जानकार सोसायटी के सामने जो एक बड़ी चुनौती रही है वो शांति और जंग के मुख़्तलिफ़ हालात में मीडिया कर्मियों की सुरक्षा की है। अगरचे बीसवीं सदी के आरंभिक बरसों में जंग के हालात में क़ैदी रिपोर्टरों के सपोर्ट में हेग के सन 1907 के कन्वेन्शन जैसे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून बनाए गए लेकिन इस सदी के दूसरे भाग में रिपोर्टरों के काम के क़ानूनी पहलू पर ख़ास ध्यान दिया गया। इस सिलसिले में जनेवा के चार पक्षीय 1977 के पहले अडिश्नल प्रोटोकॉल का उल्लेख किया जा सकता है जिसमें रिपोर्टिंग की शब्दावली में, जिसे अडिश्नल प्रोटोकॉल में इस्तेमाल किया गया है, उन सभी लोगों को शामिल किया गया है जो मीडिया से जुड़े हुए हैं कि जिनमें रिपोर्टर, कैमरामेन, वॉइस टेक्निशियन वग़ैरह शामिल हैं। इस प्रोटोकॉल के मुताबिक़, जंग के इलाक़ों में ख़तरनाक पेशावराना काम करने वाले रिपोर्टरों की आम नागरिकों की हैसियत से हिमायत की गयी है और उन्हें वो सारे अधिकार दिए गए हैं जो आम नागरिकों को दिए जाते हैं, अलबत्ता इस शर्त के साथ कि वो कोई ऐसा काम न करें जो आम नागरिक की हैसियत से उनकी पोज़ीशन से टकराता हो। दूसरी ओर यूएनओ की सेक्युरिटी काउंसिल ने सन 2006 के प्रस्ताव नंबर 1674 और सन 2009 के प्रस्ताव नंबर 1894 को मंज़ूरी दी जिनका मक़सद झड़पों में आम नागरिकों की हिमायत है और इसी तरह उसने रिपोर्टरों और मीडिया कर्मियों की हिमायत में सन 2006 में प्रस्ताव नंबर 1738 को पास किया। सन 2015 में मंज़ूर होने वाला प्रस्ताव नंबर 2222 भी झड़प और जंग के हालात में रिपोर्टरों सहित मीडिया कर्मियों की रक्षा पर बल देता है और रिपोर्टरों के काम को जातीय सफ़ाए के बारे में सचेत करने वाला एक मेकनिज़्म बताता है। इसके बावजूद, लड़ने वाले पक्षों द्वारा रिपोर्टरों की जान की रक्षा किए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क़ानूनी संगठनों द्वारा बल दिए जाने के बरख़िलाफ़, सन 2002 से लेकर सन 2003 तक रिपोर्टरों के ख़िलाफ़ हिंसक व्यवहार अपनाया गया। इस बीच सन 2023 के आंकड़ों पर दो पहलुओं से ध्यान दिए जाने की ज़रूरत हैः पहला पहलु पिछले बरसों की तुलना में हिंसा के आंकड़े इज़ाफ़ा दिखाते हैं, जैसा कि ग़ज़ा जंग में कुछ महीनों में मारे जाने वाले मीडिया कर्मियों की तादाद सन 2002 और सन 2003 में मारे जाने वाले रिपोर्टरों से भी ज़्यादा है। दूसरा पहलू, आंकड़े के मुताबिक़ मारे गए सभी रिपोर्टर जंग के एक ही पक्ष के हाथों ही मारे गए हैं।
05/02/2024
सोमवार 5 फ़रवरी 2024 को सुबह इस्लामी इंक़ेलाब की सालगिरह के मौक़े पर अपनी पारंपरिक सालाना मुलाक़ात के तहत एयर फ़ोर्स और फ़ौज की एयर डिफ़ेन्स फ़ोर्स के कमांडर, आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मिलने इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े पहुंचे, ताकि उनकी ‘बैअत’ (आज्ञापालन के वचन) को दोहराएं।
05/02/2024
वायु सेना और आर्मी के एयर डिफ़ेंस डिपार्टमेंट के कमांडरों की इस्लामी क्रांति के नेता से मुलाक़ात, इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयतुल्लाह ख़ामेनेई का प्रवेश, क़ौमी तराना पढ़ा गया। 5 फ़रवरी 2024
05/02/2024
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार 5 फ़रवरी की सुबह एयर फ़ोर्स और फ़ौज के एयर डिफ़ेन्स विभाग के कुछ कमांडरों से मुलाक़ात में अमरीका की ओर से ज़ायोनी शासन के सपोर्ट से ग़ज़ा में मानवता को शर्मसार करने वाले ज़ुल्मों की ओर इशारा करते हुए, ज़ायोनी शासन पर निर्णायक वार किए जाने पर ताकीद की।
05/02/2024
एयरफ़ोर्स के कर्मचारियों की ओर से 8 फ़रवरी 1979 को इमाम ख़ुमैनी की ऐतिहासिक बैअत (आज्ञापलन के वचन) की सालगिरह के मौक़े पर मुल्क की एयरफ़ोर्स और फ़ौज के एयर डिफ़ेन्स विभाग के कुछ कमांडरों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 5 फ़रवरी 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस ऐतिहासिक वाक़ये की अहमियत और इस्लामी समाज के ख़वास और विशिष्ट लोगों के वर्ग की मुख्य हैसियत और ज़िम्मेदारियों पर रौशनी डाली।(1)
31/01/2024
इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की सालगिरह के मौक़े पर रहबरे इंक़ेलाब ने इमाम ख़ुमैनी और शहीदों के मज़ार पर जाकर श्रद्धांजलि पेश की
31/01/2024
इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की सालगिरह के मौक़े पर रहबरे इंक़ेलाब ने इमाम ख़ुमैनी और शहीदों के मज़ार पर जाकर श्रद्धांजलि पेश की। 30 जनवरी 2024
31/01/2024
“ग़ज़ा के संबंध में भविष्यवाणियां पूरी तरह सही साबित हो रही हैं। शुरू से ही हालात पर नज़र रखने वालों ने यहां भी और दूसरी जगहों पर भी यह भविष्यवाणी की थी कि इस मसले में फ़िलिस्तीन का रेज़िस्टेंस फ़्रंट फ़ातेह होगा। इस जंग में हार, दुष्ट व मनहूस ज़ायोनी फ़ौज की होगी। ज़ायोनी फ़ौज क़रीब 100 दिन से जारी अपराध के बाद भी अपना कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी है। उसने कहा कि हमास को ख़त्म कर देंगे, न कर सकी। उसने कहा कि ग़ज़ा के लोगों का कहीं और पलायन करा देंगे, वो न कर सकी। उसने कहा कि रेज़िस्टेंस फ़्रंट के हमले रुकवा देंगे, वो यह भी न कर सकी।” यह 9 जनवरी को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की स्पीच का एक हिस्सा है जिसमें उन्होंने ग़जा पट्टी में अपने लक्ष्य को हासिल करने में ज़ायोनी फ़ौज की नाकामी की ओर इशारा किया। अब जबकि ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी फ़ौज के हमले को 100 दिन से ज़्यादा हो गए हैं, अपने इन लक्ष्यों को हासिल करने में तेल अबीब की नाकामी पहले से कहीं ज़्यादा उजागर हो गयी है, जिन्हें हासिल करने का उसने प्रण किया था।
31/01/2024
प्राइवेट सेक्टर के प्रोडक्शन केन्द्रों ने उल्लेखनीय विकास किया है। यह बहुत अहम ख़बर है। क्यों? इसलिए कि यह प्रगति और विकास और अंजाम पाने वाले काम सब कुछ प्रतिबंधों के ज़माने में हुआ। इमाम ख़ामेनेई 30 जनवरी 2024
31/01/2024
हमने घरेलू पैदावार की क्षमताओं की जिस नुमाइश का कल मुआइना किया, वह बड़ी हैरत अंगेज़ और शानदार नुमाइश थी। मेरा ख़याल है कि इस प्रदर्शनी को ईरान की सांइसी व तकनीकी ताक़त के नमूने के तौर पर पहचनवाया जा सकता है। इमाम ख़ामेनेई 30 जनवरी 2024
30/01/2024
देश के उद्योग व प्रोडक्शन के मैदानों में सक्रिय अहम लोगों ने मंगलवार 30/1/2024 की सुबह इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
30/01/2024
रज़ब का महीना, दुआ का महीना है, तवस्सुल का महीना है। अल्लाह का शुक्र है कि चौदह मासूमों की ओर से इस महीने में जो विश्वसनीय दुआएं आयी हैं वो बहुत अच्छी और उच्च अर्थों वाली दुआएं हैं। इन्शाअल्लाह, इनसे फ़ायदा उठाया जाए।
30/01/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मंगलवार की सुबह देश के उद्योग व उत्पादन के क्षेत्रों में सरगर्म क़रीब 1000 लोगों से मुलाक़ात की। उन्होंने बड़े लक्ष्य को हासिल करने में निजी सेक्टर की प्रभावी क्षमताओं की ओर इशारा करते हुए, काम काज और कारोबार के मैदान में रुकावटों को दूर करने में सरकार के सपोर्ट और प्राइवेट सेक्टर की ओर से ज़िम्मेदारी क़ुबूल किए जाने पर बल दिया और इन्हें मुल्क के हालात को बेहतर बनाने तथा भरपूर तरक़्क़ी की राह समतल करने वाली दो बहुत अहम ज़रूरतें क़रार दिया।
30/01/2024
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 30 जनवरी 2024 को कारख़ानों के मालिकों और व्यवसियों से मुलाक़ात में आर्थिक विकास में प्राइवेट सेक्टर के योगदान के महत्व के बारे में बात की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने प्राइवेट सेक्टर और सरकार को इसी संदर्भ में कुछ निर्देश दिए।
29/01/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 17 जनवरी 2024 को मुल्क के नमाज़े जुमा के इमामों से मुलाक़ात में नमाज़े जुमा के महत्व और नमाज़े जुमा के इमामों की ज़िम्मेदारियों पर बात की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ग़ज़ा जंग और यमन की ओर से फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में उठाए गए महत्वपूर्ण क़दमों का भी ज़िक्र किया।
29/01/2024
इस्लामी क्रांति के नेता ने सोमवार 29 जनवरी की सुबह उत्पादन के मैदान में देश के विभिन्न उत्पादों की एक प्रदर्शनी का निरीक्षण किया। इस प्रदर्शनी का आयोजन इस्लामी क्रांति के नेता से देश के अहम उद्योगपतियों और व्यवसायियों की मुलाक़ात से पहले किया गया है।
29/01/2024
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित इस नुमाइश में देश की प्रोडक्शन क्षमताओं का मुआयना किया।
28/01/2024
हमारी सोचने की शक्ति की इतनी बुलंद उड़ान नहीं है, वह हिम्मत और हौसला नहीं है कि हम यह कह सकें कि ‎इस महान हस्ती की जीवनशैली हमारा आदर्श है। हमारी यह हैसियत नहीं। लेकिन बहरहाल हमारे क़दम उसी दिशा ‎में बढ़ें जिस दिशा में हज़रत ज़ैनब के क़दम बढ़े हैं। हमारा मक़सद इस्लाम का गौरव होना चाहिए, इस्लामी समाज ‎की गरिमा होना चाहिए, इंसान की प्रतिष्ठा होना चाहिए।  इमाम ख़ामेनेई ‎20 नवम्बर 2013‎
25/01/2024
इस्लामी मुल्कों के अधिकारियों की ख़राब गतिविधियों और सारी सख़्तियों के बावजूद, जैसा कि क़ुरआन में भी आया है अल्लाह मोमिन अवाम के साथ है और जहां ख़ुदा हो वहीं फ़तह होगी। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2024
24/01/2024
इस्लामी मुल्कों के अधिकारियों को जो काम करना चाहिए, वो अंजाम नहीं पाता। वो क्या है? वो ज़ायोनी शासन की जीवन की नसों को काट देना है।  
24/01/2024
#ग़ज़ा के अवाम की फ़तह यक़ीनी है। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2024
24/01/2024
अल्लाह ग़ज़ा के अवाम की फ़तह का नज़ारा भविष्य में जो ज़्यादा दूर नहीं है, दिखाएगा और मुसलमानों और उनमें सबसे ऊपर फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के अवाम के दिलों को ख़ुश कर देगा। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2024
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