14/03/2025
"व इय्याका नस्तईन" और सिर्फ़ तुझ ही से मदद चाहते हैं। किस चीज़ में तुझसे मदद चाहते हैं? इस चीज़ में कि हम सिर्फ़ तेरी ही बंदगी करें, किसी दूसरे की नहीं। अल्लाह के अलावा किसी की बंदगी न करना ज़बान से तो बहुत आसान है लेकिन अमल में यह सबसे मुश्किल कामों में है; व्यक्तिगत ज़िंदगी में भी बहुत कठिन है और सामाजिक ज़िंदगी में भी कठिन है, एक क़ौम की हैसियत से भी कठिन है और आप इसकी कठिनाइयों को देख रहे हैं कि जब इस्लामी गणराज्य ने बड़ी ताक़तों के मुक़ाबले में तौहीद का पर्चम उठा रखा है, इससे भी ज़्यादा कठिन हमारे भीतर के उस शैतान और सरकश को भगाना है, यह उससे भी ज़्यादा कठिन है। इच्छाओं और वासनाओं की तुलना में अमरीका से मुक़ाबला आसान है, इच्छाओं से लड़ना कठिन है, उस जंग की बुनियाद भी यह जंग है।   इमाम ख़ामेनेई 24 अप्रैल 1991
14/03/2025
अमरीकी राष्ट्रपति ने, इसी शख़्स ने पूरी हो चुकी, मुकम्मल हो चुकी वार्ता, दस्तख़त हो चुके समझौते को मेज़ से उठाकर फेंक दिया, फाड़ दिया। इस इंसान से किस तरह वार्ता की जा सकती है? वार्ता में इंसान को यक़ीन होना चाहिए कि सामने वाला पक्ष उस चीज़ पर अमल करेगा जिसका उसने वादा किया है हम जानते हैं कि वह अमल नहीं करेगा तो फिर किस लिए वार्ता हो?
आयतुल्लाह ख़ामेनेई:अमरीका का वार्ता का दावा, जनमत को धोखा देने के लिए है

अगर अमरीका और उसके तत्वों ने कोई मूर्खता की तो हमारी ओर से मुंहतोड़ जवाब निश्चित है

13/03/2025
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को पूरे मुल्क से हज़ारों की तादाद में आए स्टूडेंट्स  और उनके राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की।
13/03/2025
हम तेरी इबादत करते हैं; इस 'हम' के दायरे में कौन लोग हैं? उसमें एक मैं हूँ। मेरे अलावा, समाज के बाक़ी लोग हैं; 'हम' के दायरे में पूरी इंसानियत का हर शख़्स है न सिर्फ़ तौहीद को मानने वाले बल्कि वे भी हैं जो तौहीद को नहीं मानते और अल्लाह की इबादत करते हैं। जैसा कि हमने कहा कि उनकी फ़ितरत में अल्लाह की इबादत रची बसी है, उनके भीतर जिससे वे अंजान हैं, अल्लाह की इबादत करने वाला और अल्लाह का बंदा है; हालांकि उनका ध्यान इस ओर नहीं है। इससे भी ज़्यादा व्यापक दायरा हो सकता है जिसमें पूरी कायनात को शामिल माना जाए यानी पूरी कायनात अल्लाह की बंदगी का मेहराब हो। मैं और कायनात के सभी तत्व, सारे जीव-जन्तु तेरी इबादत करते हैं; यानी कायनात का हर ज़र्रा, अल्लाह की बंदगी की हालत में है, यह वह चीज़ है कि इंसान अगर इसे महसूस कर ले तो समझिए वह बंदगी के बहुत ऊंचे दर्जे पर पहुंच गया है। वह तौहीद के इस नग़मे को पूरी कायानात में सुनता है, यह एक हक़ीक़त है। मुझे उम्मीद है कि अल्लाह की बंदगी और इबादत में हम ऐसे स्थान पर पहुंच जाएं कि इस सच्चाई को महसूस कर सकें।   इमाम ख़ामेनेई 24 अप्रैल 1991
12/03/2025
इस आयत के अंतर्गत एक अहम बिन्दु यह है कि यह बंदगी, इंसान की फ़ितरत में मौजूद है; इंसान अपने स्वभाव के तक़ाज़े के तहत ताक़त के एक बिन्दु, ताक़त के एक ऐसे केन्द्र की ओर आकर्षित होता है जिसे वह अपने से श्रेष्ठ समझता है और उसके सामने समर्पित हो जाता है। यह इंसान की रूह और उसके वजूद में है। चाहे इस ओर उसका ध्यान हो या न हो। दुनिया की सारी बंदगी, अल्लाह की बंदगी है; यहाँ तक कि मूर्ति पूजने वाला भी अपने दिल में, अल्लाह को पूजता है; लेकिन जिस चीज़ की वजह से उसका यह काम ग़लत हो गया है वह उस श्रेष्ठ ताक़त की पहचान में ग़लती है। धर्मों का रोल यह है कि वे इंसान के सोए हुए ज़मीर को जगाएं, उसकी आँख खोलें और कहें कि वह श्रेष्ठ ताक़त कौन है। उस हद तक जितना इंसान का दिमाग़ उसे समझने की सलाहियत रखता है। इमाम ख़ामेनेई 24 अप्रैल 1991
12/03/2025
इंसान दुआ से, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाकर, रोज़े से ख़ुद को भूल जाने की इस ग़फ़लत से मुक्ति पा सकता है और अगर यह ग़फ़लत दूर हो जाए तो उस वक़्त इंसान को अल्लाह का सवाल याद आता है और हम ध्यान देते हैं कि अल्लाह हमसे सवाल करेगा।
12/03/2025
मुल्क के हज़ारों की तादाद में स्टूडेंट्स ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। यह सालाना मुलाक़ात हर साल रमज़ान के मुबारक महीने में होती है।   
12/03/2025
अगर दो तत्व एक आला मक़सद और दूसरे कोशिश किसी क़ौम में हों तो शख़्सियतों के न होने से नुक़सान तो होता है लेकिन मूल अभियान को कोई नुक़सान नहीं पहुंचता।  
12/03/2025
हम बैठे, कई साल बातचीत की;  इसी शख़्स ने, बातचीत पूरी होने, समझौते पर दस्तख़त होने के बाद, समझौते को मेज़ से उठाकर फेंक दिया, फाड़ दिया। ऐसे शख़्स के साथ बातचीत कैसे की जा सकती है? 
12/03/2025
11 रमज़ान 1446 मुताबिक़ 12 मार्च 2025 को मुल्क की यूनिवर्सिटियों के स्टूडेंट्स की बड़ी तादाद ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस मौक़े पर अपने ख़ेताब में स्टूडेंट्स को अपनी उम्मीद का केन्द्र क़रार दिया और उनके अहम रोल पर रौशनी डाली। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अहम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मसलों का जायज़ा लिया।(1)
11/03/2025
"इय्याका ना’बुदो" यानी अल्लाह के सामने इंसान का समर्पित होना। यह अल्लाह की बंदगी और उसकी इबादत का मानी है। अल्लाह और इंसान के बीच संबंध को बहुत से आसमानी धर्मों और इस्लाम में भी समर्पण कहा गया है। अल्लाह का बंदा होने का मतलब है अल्लाह के सामने सिर झुकाने वाला। दूसरी ओर अल्लाह सारी भलाइयों का स्रोत है तो अल्लाह का बंदा होने का मतलब परिपूर्णता, अच्छाइयों और ख़ालिस नूर का बंदा होना है। यह समर्पण अच्छा है। इंसानों का बंदा होना, इंसानों का ग़ुलाम होना, बहुत बुरी चीज़ है क्योंकि इंसान में ऐब हैं, इंसान सीमित हैं, इसलिए उनका बंदा होना इंसान के लिए ज़िल्लत है। ज़ालिम ताक़तों का बंदा होना, इंसान के लिए ज़िल्लत है, इच्छाओं का ग़ुलाम होना, इंसान के लिए ज़िल्लत व रुसवाई है। इसलिए बंदगी उन चीज़ों में से नहीं है जो हर जगह अच्छी या हर जगह बुरी हो, बल्कि कहीं पर बंदगी अच्छी हो सकती है और कहीं पर बुरी। अल्लाह का बंदा होना बहुत ही उत्कृष्ट अर्थ रखता है।  इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 1991
11/03/2025
उन्होंने अल्लाह को भुला दिया तो अल्लाह ने भी ऐसा किया कि वे अपने आप को ही भूल गए, यानी ख़ुद फ़रामोशी का शिकार हो गए। व्यक्तिगत स्तर पर इंसान के ख़ुद को भुल जाने का मतलब यह है कि इंसान अपने पैदा होने के मक़सद को भूल जाता है।
10/03/2025
दुनिया में हमारे पास मालेकाना हक़ के नाम पर एक चीज़ है। यह वास्तविक स्वामित्व नहीं है बल्कि किसी और के ज़रिए दिया गया स्वामित्व है। यहाँ तक कि हम अपने जिस्म के भी मालिक नहीं हैं। हम अपने जिस्म के कैसे मालिक हैं कि इस जिस्म में आने वाले बदलाव हमारी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ सामने आते हैं और उन्हें कंट्रोल करना हमारे बस में नहीं है? इस जिस्म में दर्द होता है, यह जिस्म मिट जाता है और इस पर हमारा कोई अख़्तियार नहीं होता। हम दुनिया में बहुत सी चीज़ों को अपनी संपत्ति समझते हैं। इस कमज़ोर से स्वामित्व पर ही इंसान फ़ख़्र करता है, क़यामत में यह थोड़ा सा स्वामित्व भी नहीं होगा। क़यामत में हमारे शरीर के अंग हमारे ख़िलाफ़ बोलेंगे और वहाँ सामने आने वाली सारी बातें इंसान के अख़्तियार के दायरे से बाहर होंगी।   इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 1991
10/03/2025
अल्लाह के भुला देने का मतलब यह है कि अल्लाह उसे अपनी रहमत और रहनुमाई के दायरे से निकाल देता है।
09/03/2025
यानी आपकी ज़िंदगी के उस हिस्से का मालिक व मुख़्तार जहाँ आपका कोई अमल नहीं है, केवल जज़ा है -दुनिया के इस छोटे से टुकड़े में आपने जो किया, उसकी जज़ा- अल्लाह है; हर चीज़ उसके अख़्तियार में है। वहाँ अब वह स्वामित्व नहीं है जो हम और आप इस दुनिया में बहुत ही ख़ामियों से भरे समझौते के दिखावटी मालिक होते हैं। इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 1991
09/03/2025
कुछ बदमाश सरकारें, वार्ता पर इसरार कर रही हैं,उनका वार्ता पर इसरार मसले के हल के लिए नहीं बल्कि हुक्म चलाने के लिए है। वार्ता करें ताकि मेज़ की दूसरी ओर जो पक्ष बैठा है उस पर अपनी इच्छा थोपें।
09/03/2025
रमज़ान का महीना ज़िक्र का महीना है, क़ुरआन का महीना है और क़ुरआन ज़िक्र की किताब है। 'ज़िक्र' का क्या मतलब है? ज़िक्र, ग़फ़लत और फ़रामोशी की ज़िद्द है।
08/03/2025
इस्लाम चाहता है कि औरत में इतनी इज़्ज़त और शान रहे कि उसे इस बात की तनिक भी परवाह न हो कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं। यानी औरत में आत्म-सम्मान ऐसा हो कि उसे इस बात की परवाह नहीं होनी चाहिए कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं देख रहा है। यह स्थिति कहाँ और यह बात कहाँ कि औरत अपना लेबास, अपना श्रंगार, अपनी चाल और अपने बातचीत के अंदाज़ को किस तरह का अपनाए कि लोग उसे देखें? ग़ौर कीजिए इन दोनों बातों में कितना अंतर है! इमाम ख़ामेनेई 26 अक्तूबर 1992
08/03/2025
एक मुसलमान की सोच का निचोड़ यह हैः सभी भलाइयों का स्रोत अल्लाह को मानना, हर चीज़ को अल्लाह का मानना, ख़ुद को भी अल्लाह का मानना, सारी सराहना, तारीफ़ और प्रशंसा को अल्लाह से विशेष मानना और सभी चीज़ को अल्लाह की कसौटी पर तौलना। यही इस्लामी सोच और इस्लामी अक़ीदे का बुनियादी उसूल और नियम है। यही चीज़ एक इंसान को बलिदानी बनाती है, यही सोच एक इंसान को अपने वजूद के दायरे की क़ैद से रिहा करती है, व्यक्तिगत निर्भरता की क़ैद से रिहा करती है, भौतिक और भौतिकवाद की ज़ंजीरों से मुक्ति दिलाती है, उसके लगाव को, भौतिकवाद के शिकार लोगों के लगाव से बहुत बुलंदी पर ले जाती है, क्योंकि वह अल्लाह का बन जाता है। यही "अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन" का मतलब है। इस्लामी सोच, जज़्बे, लक्ष्य और मक़सद की बुनियाद यही है।   इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991
08/03/2025
मुल्क के आला अधिकारियों ने 8 मार्च 2025 की शाम को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात हर साल रमज़ानुल मुबारक के महीने में होती है।
08/03/2025
अब तीन योरोपीय देश, विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं, बयान दे रहे हैं कि ईरान ने परमाणु समझौते जेसीपीओए में अपने वचन पर अमल नहीं किया! कोई उनसे यह पूछे कि आपने अमल किया?!आपने पहले दिन से अमल नहीं किया! अमरीका के निकल जाने के बाद, आपने वादे किया था कि किसी न किसी तरह भरपाई करेंगे, आप अपने वादे से फिर गए, फिर कुछ और वादा किया, उस दूसरे वादे से भी फिर गए। 
09/03/2025
मुल्क के आला अधिकारियों ने 8 मार्च 2025 की शाम को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रमज़ान मुबारक को अल्लाह की याद और क़ुरआन की तिलावत का महीना क़रार हुए कहा कि ज़िक्र, ग़फ़लत और फ़रामोशी के मुक़ाबले में है और ग़फ़लतों में ख़ुद को और अल्लाह को भूल जाना बहुत ज़्यादा नुक़सानदेह है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। 
08/03/2025
7 रमज़ानुल मुबारक 1446 हिजरी क़मरी मुताबिक़ 8 मार्च सन 2025 को मुल्क के अधिकारियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने रमज़ान के मुबारक महीने की फ़ज़ीलतों के बारे में बड़ी अहम चर्चा की और देश विदेश के मुद्दों की समीक्षा की। 
07/03/2025
"अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन" में "रब्बिल आलमीन" "अलहम्दो लिल्लाह" का सबब बता रहा है। क्यों सारी तारीफ़ें अल्लाह से विशेष हैं? क्योंकि अल्लाह "सब जहानों का परवरदिगार है"...'रब' का मतलब चलाने वाला है। किसी चीज़ का रब यानी किसी चीज़ का संचालन उसके हाथ में है, उस चीज़ को चलाना उसके हाथ में है...इसी तरह पालने वाले के मानी में, परवान चढ़ाने वाले के मानी में... इसी तरह मालिक और साहब के मानी में,...   इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991
06/03/2025
"अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन।" इसमें 'हम्द' का मतलब किसी इंसान या किसी वजूद की तारीफ़ करना किसी ऐसे अमल या ख़ूबी की वजह से जिसे उसने अपने अख़्तियार से अंजाम दिया हो। अगर किसी में कोई ख़ुसूसियत हो लेकिन वह उसके अख़्तियार से न हो तो उसके लिए हम्द शब्द इस्तेमाल नहीं होता...मिसाल के तौर पर अगर हम किसी की ख़ूबसूरती की तारीफ़ करना चाहें, तो अरबी में उसके लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन किसी शख़्स की बहादुरी के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है, किसी की दानशीलता की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है, किसी के भले काम की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है या उसकी किसी ऐसी ख़ूबी की तारीफ़ के लिए जो उसने अख़्तियार से अपने भीतर पैदा की है, हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है...अलहम्द का मतलब हर तरह की तारीफ़ अल्लाह से विशेष है। यह जुमला जो बात हमको समझाना चाहता है, यह है कि उन सभी भलाइयों, उन सभी ख़ूबसूरतियों, उन सभी चीज़ों जिनके लिए हम्द की जा सकती है, सब अल्लाह से विशेष हैं...   इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991
05/03/2025
वृक्षारोपण दिवस पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 5 मार्च 2025 की सुबह 3 पौधे लगाए।  
05/03/2025
वृक्षारोपण दिवस पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 5 मार्च 2025 की सुबह 3 पौधे लगाए।
05/03/2025
अब रहमत का रहीमी पहलू। 'रहीम' शब्द से रहमत का जो अर्थ समझा जाता है, वह दूसरी तरह की रहमत है; ख़ास तरह की रहमत है, ऐसी रहमत जो सृष्टि के एक ख़ास समूह से मख़सूस है और वह समूह मोमिनों और अल्लाह के नेक बंदों का समूह है। जब हम कहते हैं 'अर्रहीम' अल्लाह का रहीम के नाम से गुणगान करते है- तो हक़ीक़त में हम अल्लाह की ख़ास रहमत की ओर इशारा करते हैं और वह मोमिनों से मख़सूस रहमत है; वह क्या है? वह ख़ास मार्गदर्शन, गुनाहों की माफ़ी, भले कर्मों का अज्र, अल्लाह की मर्ज़ी पर राज़ी रहना है जो मोमिनों से मख़सूस है। हालांकि इस रहमत का दामन सीमित है और एक समूह से मख़सूस है लेकिन हमेशा बाक़ी रहने वाली है, यह इस दुनिया से मख़सूस नहीं है, जारी रहेगी; इस लोक से परलोक तक, बर्ज़ख़ के दौरान, (मरने के बाद और क़यामत से पहले का चरण) क़यामत तक और स्वर्ग तक। इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991
05/03/2025
पेड़ लगाना, पूंजिनिवेश है, हक़ीक़त में भविष्य के मुताबिक़ अमल है, पूंजि पैदा करना है। आप पौधा लगाकर मुनाफ़ा हासिल करते हैं। आपको नुक़सान नहीं होता।  
04/03/2025
जब हम अल्लाह का रहमान के नाम से गुणगान करते हैं तो हक़ीक़त में हम कहते हैं कि अल्लाह की रहमत सृष्टि की सभी चीज़ों को अपने दामन में समेटे हुए है; तो रहमान का मतलब सबको पहुंचने वाली रहमत है... अल्लाह की यह सर्वव्यापी रहमत क्या है? अल्लाह की रहमत सृष्टि की हर चीज़ पर फैली हुयी हैः उन्हें वजूद देने की रहमत- उन्हें पैदा किया और यह अल्लाह की ओर से हर मख़लूक़ पर रहमत है- और उनकी सामान्य तौर पर रहनुमाई करने की रहमत; "हर चीज़ को ख़िलक़त बख़्शी और रहनुमाई फ़रमाई।" (सूरए ताहा, आयत-50) अल्लाह सभी चीज़ की एक मार्ग की ओर रहनुमाई कर रहा हैः पेड़ की भी अल्लाह रहनुमाई करता है बढ़ने की ओर, कमाल (संपूर्णता) की ओर; दाने की खुलने की ओर, खाद्य पदार्थ बनने की ओर, उगने की ओर, फल देने की ओर; जानवरों की भी इसी तरह, निर्जीव चीज़ों की भी इसी तरह... इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991
03/03/2025
रहमान और रहीम दोनों शब्द रहमत से बने हैं लेकिन दो अलग आयामों से। रहमान सुपरलेटिव डिग्री है... रहमान रहमत की बहुतायत और रहमत में इज़ाफ़े को दर्शाता है;... रहीम शब्द भी रहमत से है, यह विशेष क्रियाविशेषण है जो स्थायित्व और निरंतरता को दर्शाता है... इन दो शब्दों से दो बातें समझ में आती हैं: अर्रहमान का मतलब है अल्लाह बहुत ज़्यादा रमहत का स्वामी है और उसकी रहमत का दायरा बहुत व्यापक है। अर्रहीम से हम समझते हैं कि अल्लाह की रहमत लगातार और हमेशा रहने वाली है और यह उसकी ओर से बदलने वाली नहीं है; यह रहमत कभी ख़त्म नहीं होगी। तो ये दो मानी मद्देनज़र रखिए।  इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991
03/03/2025
क़ुरआन से "उंस की महफ़िल" में क़ुरआन के क़ारियों को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की नसीहतः क़ुरआन की तिलावत के वक़्त ख़ुद को अल्लाह के सामने महसूस करें। क़ुरआन के मानी पर ध्यान देने का असर होता है।   
02/03/2025
रविवार 2 मार्च 2025 को रमज़ानुल मुबारक की पहली तारीख़ को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में क़ुरआन से उंस की महफ़िल का आयोजन हुआ जिसमें मुल्क के बड़े क़ारियों, हाफ़िज़ों और क़ुरआन के नुमायां उस्तादों ने शिरकत की। 
02/03/2025
सबसे पहले यह कि क़ुरआन के सूरे और इस्लाम में हर काम अल्लाह के नाम से क्यों शुरू होता है? अल्लाह के नाम से शुरूआत, काम और बात के संबंध और दिशा को बताती है। जब आप अल्लाह के नाम से कोई काम शुरू करते हैं तो यह समझाना चाहते हैं कि यह काम अल्लाह के लिए है।
02/03/2025
अगर क़ुरआन की सही तरीक़े से तिलावत हो और ध्यान से सुना जाए तो हर बीमारी दूर हो जाती है। क़ुरआन की अच्छे तरीक़े से तिलावत हो और हम उसे सुनें और उस पर अच्छी तरह ध्यान दें तो हमें बहुत बड़े नतीजे हासिल होंगे।
रमज़ानुल मुबारक के पहले दिन "क़ुरआन से उंस" की महफ़िल में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता 

क़ुरआन दुनिया की ताक़तों से निपटने का तरीक़ा सिखाता है

02/03/2025
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रविवार 2 मार्च 2025 को रमज़ान मुबारक के पहले दिन, तेहरान में "क़ुरआन से उंस" नामक महफ़िल में जिसमें मुल्क के बड़े क़ारियों, हाफ़िज़ों और क़ुरआन के नुमायां उस्तादों ने शिरकत की, व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर क़ुरआन की शिक्षाओं को अहम ज़रूरत बताया जो इंसान की बीमारियों का इलाज करने वाली हैं और ताकीद की कि क़ुरआनी समाज इस तरह व्यवहार करे कि अल्लाह की किताब का अध्यात्मिक सोता सभी लोगों के दिलों, विचारों और फिर नतीजे के तौर पर व्यवहार और अमल में रच बस जाए।
02/03/2025
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पहली रमज़ानुल मुबारक सन 1446 हिजरी क़मरी (मुताबिक़ 2 मार्च 2025) को "क़ुरआन से उंस" महफ़िल से ख़ेताब करते हुए तिलावत की अहमियत पर रौशनी डाली और इसे पैग़म्बरों का अमल बताया।(1)
01/03/2025
शहीद नसरुल्लाह ज़िंदा हैं हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन हबीबुल्लाह बाबाई ने जो बाक़ेरुल उलूम यूनिवर्सिटी में सभ्यता व संस्कृति अध्ययन फ़ैकल्टी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं, Khamenei.ir से इंटरव्यू में, शहीद नसरुल्लाह और शहीद सफ़ीउद्दीन के अंतिम संस्कार के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के संदेश में शहीदों के "इज़्ज़त की चोटी पर होने" और "शहीदों की रूह और उनके रास्ते की दिन ब दिन बढ़ती सरबुलंदी" के तात्पर्य की व्याख्या की।
01/03/2025
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने "आख़रीन फ़ुर्सत" नामक किताब पर रिव्यू लिखा।
01/03/2025
रहबरे इंक़ेलाब इस्लामी आयतुल्लाह ख़ामेनेई के कार्यालय के रूयते हेलाल कमीशन का एलानः आज जुमे को सूर्यास्त के वक़्त चांद नज़र नहीं आया इसलिए रविवार 2 मार्च 2025 को रमज़ानुल मुबारक महीने की पहली तारीख़ होगी।
ताज़ातरीन