इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 31 मार्च 2025 को अपनी स्पीच में क्षेत्र से ज़ायोनी शासन को जड़ से उखाड़ दिए जाने को एक धार्मिक, नैतिक और इंसानी कर्तव्य बताया। इस इन्फ़ोग्राफ़ में इस कर्तव्य की अनिवार्यता को पेश किया गया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की नज़र में फ़िलिस्तीन के संबंध में इस्लामी जगत की ज़िम्मेदारियां
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मुल्क के आला अधिकारियों, विदेशी राजदूतों और इस्लामी एकता कान्फ़्रेंस में भाग लेने वालों से मुलाक़ात में, 21 सितम्बर 2024 को ज़ायोनी सरकार के अपराधों की ओर इशारा करते हुए इस्लामी जगत की ओर से फ़िलिस्तीनी क़ौम के प्रति मौजूदा सपोर्ट के अनेक पहलूओं का ज़िक्र किया, जिन्हें इन्फ़ोग्राफ़ में पेश किया जा रहा है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 9 जनवरी 2024 को कहाः "ज़ायोनी सरकार क़रीब 100 दिनों बाद, जबसे वो जुर्म कर रही है, अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी है। फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ज़िन्दा, ताज़ा दम और मुस्तैद है और वो सरकार थकी हुयी, लज्जित, पशेमान है और उसके माथे पर मुजरिम का ठप्पा लगा हुआ है।"
ज़ियारत क़ुबूल होने का मतलब यह है कि इमाम से मुलाक़ात का जो फ़ायदा, मुलाक़ात करने वाले को मिलता है, वह आपको हासिल हो। ज़ियारत क़ुबूल होने का मतलब यह है। इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स आईआरजीसी से 23 अगस्त सन 2003 को हुई अपनी मुलाक़ात में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियारत के आदाब या संस्कार बयान किए जो पेश किए जा रहे हैं।