29/01/2025
रेज़िस्टेंस ने बहुत से ग़ैर मुस्लिमों की अंतरात्मा को झिंझोड़ दिया। इस अवधि के दौरान दुनिया भर में लगभग 30,000 ज़ायोनी विरोधी प्रदर्शन हुए हैं! लोगों की अंतरात्मा जाग गई है। इमाम ख़ामेनेई 28 जनवरी, 2025
15/01/2025
एतेकाफ़ की हालत में, नमाज़ पूरे ध्यान से पढ़ने की कोशिश कीजिए। इमाम ख़ामेनेई 8 जनवरी 2025
14/01/2025
अमीरुल मोमेनीन की हस्ती को शिया-सुन्नी और इस्लामी मतों के बीच मतभेद की बुनियाद न बनाइये। अमीरुल मोमेनीन की हस्ती एकता का बिंदु है न कि फूट का। इमाम ख़ामेनेई 5 नवम्बर 2004
14/01/2025
अमरीका ऐसे मुल्क को पसंद करता है जो पूरी तरह उसका हुक्म माने, ज़ायोनियों के हितों को पूरा करे, जिसमें तानाशाही हो... इमाम ख़ामेनेई 9 जनवरी 2025
14/01/2025
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के ख़ुबसूरत पहलुओं में से एक, इंसाफ़ है। उनकी ज़िंदगी और बातों में इंसाफ़ इतनी अहमियत रखता है कि अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की पूरी हुकूमत पर इसका प्रभाव पड़ा है।  इमाम ख़ामेनेई 7 जनवरी 1993
14/01/2025
कोई भी ख़ुद की हज़रत अली अलैहिस्सलाम से तुलना नहीं कर सकता लेकिन सभी उस चोटी की ओर बढ़ सकते हैं। अमीरुल मोमेनीन आदर्श हैं। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2001
13/01/2025
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम सत्ता, हुकूमत और शासन के पूरे दौर में जो अल्लाह ने उनके अख़्तियार में दिया, समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग की चिंता में लगे रहे...ग़रीब के घर जाते हैं, यतीम बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाते हैं। इमाम ख़ामेनेई  27 दिसम्बर 1992
12/01/2025
अमीरुल मोमेनीन का राजनैतिक व्यवहार उनके आध्यात्मिक और अख़लाक़ी व्यवहार से अलग नहीं है; अमीरुल मोमेनीन की नीति में अध्यात्म और अख़लाक़ शामिल है, हक़ीक़त में उसका स्रोत हज़रत अली का अध्यात्म और उनका अख़लाक़ है। इमाम ख़ामेनेई 11 सितम्बर 2009
11/01/2025
इंक़ेलाब से पहले अमरीका की पसंद यह थी कि ईरान उसका ग़ुलाम रहे, अमरीकी और ज़ायोनी हितों की हिफ़ाज़त करे। वे ईरान के लिए यह आरज़ू रखते थे, आज भी उनकी यही तमन्ना है। कार्टर अपनी यह आरज़ू लेकर क़ब्र में पहुंच गए और यह लोग भी अपनी यह आरज़ू क़ब्र में ले जाएंगे।
05/01/2025
आज अमरीका सीरिया में छावनियां बनाने में जुटा हुआ है, लेकिन यह छावनियां निश्चित तौर पर सीरिया की जवान नस्ल के पैरों तले रौंदी जाएगी। इमाम ख़ामेनेई 1 जनवरी 2025
04/01/2025
जनरल सुलैमानी ने फ़िलिस्तीनियों को ज़रूरी साज़ो-सामान मुहैया कर दिया। ऐसा काम किया कि ग़ज़ा पट्टी जैसा छोटा सा इलाक़ा भी ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में- उसके इतने दावों के बावजूद- डट जाता है। ऐसा काम किया कि फ़िलिस्तीनी डट सकें, प्रतिरोध कर सकें।  इमाम ख़ामेनेई 8 जनवरी 2020
04/01/2025
यमन, रेज़िस्टेंस का प्रतीक है और वही विजयी होगा। इमाम ख़ामेनेई 1 जनवरी 2025
28/12/2024
सीरिया की जवान नस्ल के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उसकी यूनिवर्सिटी, उसका स्कूल, उसका घर और उसकी ज़िंदगी असुरक्षित है, वह क्या करे? उसे मज़बूत इरादे के साथ उन लोगों के मुक़ाबले में, जिन्होंने इस अशांति की साज़िश रची है और जिन्होंने इस पर काम किया है, डट जाना चाहिए और इंशाअल्लाह वह उसे हराकर रहेगी। इमाम ख़ामेनेई 22 दिसम्बर 2024
26/12/2024
इक्तीसवीं राष्ट्रीय नमाज़ कान्फ़्रेंस के नाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के पैग़ाम में अव्वले वक़्त और पूरे ध्यान व एकाग्रता के साथ नमाज़ पढ़ने पर ताकीद की गयी है।
13/12/2024
इमाम महदी की हुकूमत का सबसे अहम नारा है, न्याय व इंसाफ़। इमाम महदी पूरी दुनिया को, किसी एक जगह को नहीं, न्याय से भर देंगे और हर जगह न्याय व इंसाफ़ क़ायम कर देंगे। इमाम महदी के बारे में जो रवायतें हैं, उनमें भी यही बात मिलती है। इसलिए इमाम महदी के ज़ाहिर होने का इंतेज़ार करने वालों की पहली अपेक्षा, पहले चरण में न्याय व इंसाफ़ क़ायम होना है। इमाम ख़ामेनेई 22/10/2002
06/12/2024
इमाम महदी का ज़ाहिर होना जिस चीज़ की ख़ुशख़बरी देता है वह एकेश्वरवादी दुनिया है जिसका निर्माण न्याय की बुनियाद पर और उन सभी सलाहियतों को इस्तेमाल करते हुए की गयी जो अल्लाह ने इंसान के वजूद में रखी हैं, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का ज़माना ऐसा ज़माना होगा। वह एकेश्वरवादी समाज का ज़माना है, सही मानी में न्याय और अध्यात्म के पूरी तरह प्रभुत्व का ज़माना है। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011
05/12/2024
मुख़्तलिफ़ मैदानों में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का जेहाद, एक आइडियल जेहाद है। इस्लाम की रक्षा में, इमामत व विलायत की रक्षा में, पैग़म्बर के सपोर्ट में, इस्लाम के सबसे बड़े सरदार की देखभाल का उनका जेहाद, एक नमूना है।    इमाम ख़ामेनेई   16 दिसम्बर 1992
04/12/2024
हज़रत ज़हरा सही मानी में एक मुजाहिद हैं, कभी न थकने वाली, संघर्ष करने वाली और कठिनाइयां बर्दाश्त करने वाली हैं।    इमाम ख़ामेनेई    13 दिसम्बर 1989
03/12/2024
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा इस्लामी औरतों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने वाली महिला हैं, यानी एक रहबर के स्तर पर हैं।     इमाम ख़ामेनेई    19 मार्च 2017  
02/12/2024
अध्यात्म व पाकीज़गी के मर्तबों को हासिल करने में औरत और मर्द में कोई अंतर नहीं है। अल्लाह मानव इतिहास में हज़रत ज़हरा जैसी महिला को पैदा करता है जो (इमाम के) एक क़ौल के मुताबिक़, "हम मख़लूक़ पर अल्लाह की हुज्जत हैं और हमारी दादी फ़ातेमा हम पर हुज्जत हैं।" फ़ातेमा ज़हरा अल्लाह की हुज्जत हैं, इमामों की इमाम हैं; क्या इससे बढ़कर कोई शख़्सियत हो सकती है?    इमाम ख़ामेनेई    1 मई 2013
01/12/2024
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा स्वर्ग की औरतों की सरदार हैं। बहादुरी का सबक़, त्याग का सबक़, दुनिया में ज़ोहद का सबक़, मारेफ़त हासिल करने का सबक़, दिलों तक मारेफ़त पहुंचाने का सबक़, इंसान के बौद्धिक लेहाज़ से परिपक्व टीचर के मक़ाम पर पहुंचना, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के सबक़ हैं।     इमाम ख़ामेनेई    18 फ़रवरी 2018  
29/11/2024
इंसान की पैदाइश और इंसानियत के लंबे इतिहास में एक हक़ीक़त पायी जाती है और वह यह है कि सत्य और असत्य के बीच संघर्ष, एक दिन सत्य के पक्ष में और असत्य के ख़िलाफ़ ख़त्म होगा और उस दिन के बाद से इंसान की वास्तवकि दुनिया और इंसान की पसंदीदा ज़िंदगी शुरू होगी जिसमें संघर्ष, जंग के मानी में नहीं है बल्कि भलाइयों में एक दूसरे से आगे निकलने के मानी में है। इमाम ख़ामेनेई 17/08/2008
25/11/2024
नेतनयाहू की गिरफ़्तारी का हुक्म काफ़ी नहीं है, नेतनयाहू और ज़ायोनी शासन के सरग़नाओं की मौत की सज़ा का हुक्म जारी होना चाहिए।    
22/11/2024
इमाम महदी अलैहिस्सलाम हमारी इलतेजा और अल्लाह की बारगाह में उन्हें सिफ़ारिश का वसीला क़रार दिए जाने की गुज़ारिश को सुनते हैं और हमारी इलतेजा को क़ुबूल भी करते हैं। हम अपने सुनने वाले से जो हमसे दूर है, अपने दिल का हाल बयान करते हैं तो इसमें कोई हरज नहीं है। अल्लाह सलाम करने वालों और पैग़ाम देने वालों का पैग़ाम और सलाम इमाम महदी तक पहुंचाता है। यह वसीला क़रार देना और यह आध्यात्मिक लगाव अच्छा और ज़रूरी काम है। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011
15/11/2024
इतिहास में बहुत से दावेदार पैदा हुए हैं। ये दावेदार किसी एक निशानी को अपने ऊपर या किसी और पर मैच कर लेते थे। यह पूरी तरह ग़लत है। कुछ बातें जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने की निशानी के तौर पर बयान की जाती हैं, निश्चित नहीं हैं। यह ऐसी बातें हैं जिनका भरोसेमंद रवायतों में ज़िक्र नहीं मिलता। कमज़ोर रवायतों में ज़िक्र ज़रूर मिलता है इसलिए उनको माना नहीं जा सकता। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011
08/11/2024
इंतेज़ार के मसले में बहुत बारीकी के साथ साइंटिफ़िक तरीक़े से काम करने की ज़रूरत है। इस सिलसिले में प्रचलित जाहेलाना बातों से सख़्ती से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि इन बातों से इमाम महदी होने का झूठा दावा करने वालों के लिए रास्ता समतल होता है।  इमाम ख़ामेनेई  09/07/2011
05/11/2024
मनहूस और दुष्ट ज़ायोनी सरकार के सिलसिले में दुनिया में एक बड़ी कोताही हो रही है। सरकारें, क़ौमें ख़ास तौर पर सरकारें, यूएन वग़ैरह जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन हक़ीक़त में ज़ायोनी शासन से मुक़ाबला करने के सिलसिले में कोताही कर रहे हैं। यह कृत्य जो ज़ायोनी शासन ने ग़ज़ा में किया और कर रहा है, जो कुछ उसने लेबनान में किया और कर रहा है, सबसे बर्बर युद्ध अपराध हैं।
04/11/2024
जंग के भी कुछ नियम व उसूल हैं, कुछ सीमाएं हैं। ऐसा नहीं है कि जब कोई किसी से जंग कर रहा है तो वह इन सभी सीमाओं को पैरों तले कुचल दे।
03/11/2024
हर चीज़ को जो कुछ भी किसी शख़्स के दिमाग़ में आए, उसे साइबर स्पेस पर नहीं डालना चाहिए, आप देखिए कि उसका असर क्या है, देखिए लोगों पर, लोगों की सोच पर, लोगों के जज़्बात पर उसका क्या असर होता है।
02/11/2024
कुछ लोग अपनी ख़बर से, अपनी टिप्पणी से, घटनाओं के संबंध में अपनी समीक्षा से लोगों में शक पैदा कर देते हैं, डर पैदा कर देते हैं, यह चीज़ अल्लाह की नज़र में अस्वीकार्य है; इस संदर्भ में क़ुरआन का स्टैंड बहुत ठोस है, क़ुरआन इस बारे में साफ़ तौर पर कहता हैः "अगर मुनाफ़ेक़ीन और वे लोग जिनके दिलों में बीमारी है और मदीना में अफ़वाहें फैलाने वाली (अपनी हरकतों से) बाज़ न आए..." (सूरए अहज़ाब, आयत-60) "मुर्जेफ़ून" यही लोग हैं। मुर्जेफ़ून यानी वे लोग जो लोगों के दिलों में बेचैनी पैदा करते हैं, डर पैदा करते हैं। अगर इन लोगों ने यह हरकतें बंद न कीं तो अल्लाह पैग़म्बर से फ़रमाता हैः "तो हम आपको उनके ख़िलाफ़ हरकत में ले आएंगे..."(सूरए अहज़ाब, आयत-60) तो हम आपको हुक्म देंगे कि आप जाकर उन्हें सज़ा दें।
01/11/2024
कुछ लोग समीक्षाओं में, मसले को अजीब तरह से देखते हुए यह सोचते हैं कि अगर हम चाहते हैं कि मुल्क, सुरक्षित रहे तो हमें बड़ी ताक़तों को नाराज़ करने वाले उपकरणों के क़रीब नहीं जाना चाहिए; मिसाल के तौर पर "क्या ज़रूरी है कि हमारे पास फ़ुलां रेंज का मीज़ाइल हो कि वे लोग संवेदनशील हो जाएं!" वे सोचते हैं कि इस तरह इस शक्ल में वे मुल्क को सुरक्षित बना सकते हैं, मतलब यह है कि अस्ल में वे यूं सोचते हैं कि अगर आप चाहते हैं कि अमन में रहें तो कमज़ोर रहिए, अपने लिए ताक़त के साधन मुहैया न कीजिए, कुछ लोग इस तरह से सोचते हैं; यह ग़लत है।
01/11/2024
इंतेज़ार की हक़ीक़त में एक और ख़ुसूसियत शामिल कर दी गयी है और वह ख़ुसूसियत यह है कि इंसान मौजूदा स्थिति को काफ़ी न समझे बल्कि दिन ब दिन उसमें इज़ाफ़ा, उन हक़ीक़तों और आत्मिक ख़ूबियों को अपने भीतर और समाज के स्तर पर लागू करने की कोशिश करे। यह इंतेज़ार की ज़रूरी शर्त है। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011
31/10/2024
आप क़ुरआन मजीद पढ़िए, सुरक्षा के विषय को अल्लाह इतना ऊपर ले आता है कि इसे मुसलमानों को बहुत बड़ी नेमत के तौर पर याद दिलाता हैः "तो उनको चाहिए कि इस घर (ख़ानए काबा) के परवरदिगार की इबादत करें। जिसने उनको भूख में खाने को दिया और ख़ौफ़ में अमन अता किया।" (सूरए क़ुरैश, आयत-3 और 4) यानी उस अल्लाह की इबादत करो जिसने तुम्हे ये बड़ी नेमतें दी हैं, उसने तुम्हें सुरक्षा दी है, तुम्हारे लिए अमन से भरी सुरक्षित ज़िंदगी गुज़ारने का अवसर मुहैया किया है।
25/10/2024
इंतेज़ार का तक़ाज़ा यह है कि इंसान ख़ुद को उसी हालत में ढाले और वही अख़लाक़ व अंदाज़ अख़्तियार करे जो उस ज़माने के लिए मुनासिब है जिसका उसे इंतेज़ार है। हमें चाहिए कि न्याय को सपोर्ट करें, ख़ुद को हक़ के सामने समर्पित रहने के लिए तैयार करें। इंतेज़ार इस तरह की हालत पैदा कर देता है।   इमाम ख़ामेनेई  09/07/2011
20/10/2024
शैख़ अहमद यासीन, फ़त्ही शक़ाक़ी, रन्तीसी और इस्माईल हनीया जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की शहादत के बाद इस मोर्चे की प्रगति में कोई रुकावट नहीं आयी तो सिनवार की शहादत से भी इंशाअल्लाह तनिक भी रुकावट नहीं आएगी।
20/10/2024
वह रेज़िस्टेंस और जेहाद का चमकता चेहरा थे जो फ़ौलादी इरादे के साथ ज़ालिम व हमलावर दुश्मन के मुक़ाबले में डटे रहे, युक्तिपूर्ण कोशिशों और बहादुरी से उसके मुंह पर तमांचा मारा, इस क्षेत्र के इतिहास में 7 अक्तूबर जैसा वार यादगार के तौर पर छोड़ा, जिसकी भरपाई नामुमकिन है।
20/10/2024
यहया सिनवार जैसा इंसान जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी क़ाबिज़ व ज़ालिम दुश्मन के ख़िलाफ़ संघर्ष में बितायी, उसके लिए शहादत के अलावा कोई अंजाम मुनासिब नहीं था।
20/10/2024
हम अल्लाह की मदद और तौफ़ीक़ से हमेशा की तरह निष्ठावान मुजाहिदों और जांबाज़ों के कांधे से कांधा मिलाए खड़े रहेंगे।
11/10/2024
इस्लाम में इमाम महदी अलैहिस्सलाम से संबंधित अक़ीदा पूरी तरह मान्य अक़ीदों में है। सभी इस्लामी मतों का यह मानना है कि अंततः दुनिया में इमाम महदी के हाथों न्याय व इंसाफ़ का राज क़ायम होगा। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011
09/10/2024
अक्तूबर 2023 से ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा में जातीय सफ़ाए की जंग में 16800 से ज़्यादा बच्चों को क़त्ल किया है। कल्पना से परे यह जुर्म, भेड़िया समान, बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार की अस्लियत है कि जिसका हल उसका विनाश और अंत है। इमाम ख़ामेनेई 23 जुलाई 2014
ताज़ातरीन