08/07/2025
जंग के दिनों में ईरानी अवाम की बेमिसाल राष्ट्रीय एकता की दास्तान
03/07/2025
हुसैन बिन अली अलैहेमस्सलाम का तौर तरीक़ा, सत्य की रक्षा का है, ज़ुल्म, उद्दंडता, गुमराही और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ डट जाने का तौर तरीक़ा है...आज दुनिया को इस तौर तरीक़े की ज़रूरत है...इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का यह पैग़ाम, दुनिया की मुक्ति का पैग़ाम है। इमाम ख़ामेनेई 18 सितम्बर 2019
03/07/2025
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई पर हमले के गुस्ताख़ी भरे बयानों के ख़िलाफ़, बड़े धर्मगुरूओं ने बयान और फ़तवे जारी करके अपने स्टैंड का एलान किया है।
01/07/2025
पूरी दुनिया के लोग, 12 दिन तक ईरानी अवाम के साथ मिलकर लड़े
29/06/2025
13 जून से 24 जून तक ईरान पर ज़ायोनी शासन के हमलों में, शहीद होने वाले इस्लामी जम्हूरिया ईरान के कमांडरों की याद में हालिया वाक़यों में शहीद होने वालों को श्रद्धांजलि पेश है। शहीद कमांडर, शहीद वैज्ञानिक सचमुच हक़ीक़त में इस्लामी गणराज्य के लिए बहुत क़ीमती थे और उन्होंने सेवाएं की और आज अल्लाह की बारगाह में अपनी महान सेवाओं का बदला पा रहे होंगे इंशाअल्लाह। इमाम ख़ामेनेई 26 जून 2025
28/06/2025
नीचे ज़ायोनिस्ट रेजीम के एयर डिफ़ेंस पर इस्लामी जम्हूरिया की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की फ़तह की तफ़सील को तस्वीर के रूप में बयान किया जा रहा है।
27/06/2025
इतने शोर शराबे और इतने लंबे चौड़े दावों के बावजूद, ज़ायोनी सरकार इस्लामी गणराज्य के भीषण वार से क़रीब क़रीब ढह गयी और उसे कुचल कर रख दिया गया।   इमाम ख़ामेनेई 26 जून 2025
23/06/2025
ज़ायोनी दुश्मन ने बहुत बड़ी ग़लती की है, बहुत बड़ा अपराध किया है, जिसे दंडित किया जाना चाहिए और उसे सज़ा मिल रही है। इस वक़्त भी उसे सज़ा मिल रही है… ज़ायोनी शासन के हमले के बाद क़ौम के नाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के दूसरे पैग़ाम से 18 जून 2025
21/06/2025
हम ज़ायोनिस्टों को इस बड़े जुर्म के बाद जो उन्होंने अंजाम दिया है, बच कर नहीं जाने देंगे। यक़ीनन इस्लामी जम्हूरिया ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ इस ख़बीस ज़ायोनी दुश्मन पर भारी वार करेंगी। इमाम ख़ामेनेई 13 जून 2025
19/06/2025
"न तो थको और न ही ग़मगीन हो अगर तुम मोमिन हो तो तुम ही ग़ालिब व बरतर रहोगे।" सूरए आले इमरान, आयत-139
18/06/2025
बे नामे नामीये हैदर नबर्द आग़ाज़ मी गर्दद अली (अ.स.) बा ज़ुल्फ़ेक़ारे ख़ुद बे ख़ैबर बाज़ मी गर्दद हैदर (अ.स.) के महान नाम से जंग शुरू होगी अली अपनी ज़ुल्फ़ेक़ार के साथ ख़ैबर में लौटेंगे
17/06/2025
राष्ट्रीय मीडिया के न्यूज़ स्टूडियो पर ज़ायोनी शासन के हमले के वक़्त न्यूज़ चैनल की ऐंकर की बहादुरी और दृढ़ता का ऐतिहासिक व अमर मंज़र 16 जून 2025
17/06/2025
यक़ीनन इस्लामी जम्हूरिया ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ इस ख़बीस ज़ायोनी दुश्मन पर भारी वार करेंगी। क़ौम हमारे सपोर्ट के लिए खड़ी है, आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के समर्थन में खड़ी है, और इन्शाअल्लाह इस्लामी जम्हूरिया, ज़ायोनिस्ट रेजीम पर ग़ालिब आएगी। इमाम ख़ामेनेई 13 जून 2025
14/06/2025
ज़ायोनिस्ट रेजीम के शुक्रवार की सुबह हमले के सिलसिले में रहबर-ए-इंक़िलाब आयतुल्लाह ख़ामनेई के पैग़ाम से 13 जून 2025
14/06/2025
ज़ायोनिस्ट रेजीम ने बड़ी ग़लती कर दी, भारी भूल कर दी, हिमाक़त कर दी, जिस का ख़मियाज़ा, अल्लाह की तौफ़ीक़ से उसे तबाह कर देगा... अल्लाह की इजाज़त से इस्लामी जम्हूरिया, ज़ायोनिस्ट रेजीम पर ग़ालिब आएगी। इमाम ख़ामेनेई 13 जून 2025
13/06/2025
ज़ायोनिस्ट रेजीम के हमले के सिलसिले में रहबर-ए-इंक़िलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई के पैग़ाम से सय्यद अली ख़ामेनेई  13 जून 2025
13/06/2025
ज़ायोनिस्ट रेजीम ने आज सुबह अपने पलीद और ख़ून-आलूद हाथ से हमारे प्यारे मुल्क में एक और संगीन जुर्म अंजाम दिया और अपनी पस्त फ़ितरत को रिहाइशी इलाक़ों पर हमला कर के पहले से ज़्यादा बे-नक़ाब कर दिया। इमाम ख़ामेनेई 13 जून 2025
09/06/2025
इंसाफ़- हमारे व्यक्तिगत फ़ैसलों से शुरू होता है, इंसाफ़ हमारे व्यक्तिगत अमल, हमारे बात करने, लोगों के कामों और शख़्सियतों के बारे में हमारी राय से शुरू होता है। ((ख़बरदार) किसी क़ौम से दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न करे कि तुम इंसाफ़ न करो) (सूरए मायदा, आयत-8) अगर किसी के साथ हमारी मुख़ालेफ़त है, हम किसी से दुश्मनी भी रखते हैं, सोच व नज़रिया अलग अलग है, तब भी उसके संबंध में हम को ज़ुल्म नहीं करना चाहिए। बहुत बड़ी मुसीबत यह होगी क़ियामत के दिन कोई काफ़िर किसी शख़्स का गरेबान पकड़ ले कि जनाब! आपने मुझ पर फ़ुलां जगह ज़ुल्म किया है। हक़ीक़त में इससे ज़्यादा सख़्त बात कुछ और नहीं है या यह कि अल्लाह के दुश्मन का हमारी गर्दन पर कोई हक़ हो, हमारा गरेबान पकड़ ले और कहे कि तुमने हम पर ज़ुल्म किया है, यानी इंसाफ़ की स्थिति यह है। इमाम ख़ामेनेई 18 अप्रैल 2023
09/06/2025
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद इस सरकार के हुक्मरानों की दुष्ट प्रवृत्ति और उनकी मूर्खतापूर्ण नीति ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है और ज़ायोनियों और उनके समर्थकों से नफ़रत, पहले से ज़्यादा है। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
07/06/2025
आप सौभाग्यशाली हाजी, अल्लाह से ज़ालिम ज़ायोनियों और उनके समर्थकों पर विजय की दुआ कीजिए। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
07/06/2025
मुसलमान सरकारों को ज़ायोनी सरकार को मदद पहुंचाने वाले सारे रास्तों को बंद कर देना चाहिए और इस अपराधी को ग़ज़ा में उसकी निर्दयी करतूतों को जारी रखने से बाज़ रखना चाहिए। हज में बराअत का एलान, इस राह में एक क़दम है। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
01/06/2025
बराअत को हमने बाहर से हज में शामिल नहीं किया है। हज का हिस्सा, हज की आत्मा और हज की विशाल सभा के वास्तविक अर्थ में है।
26/05/2025
आज आप रेज़िस्टेंस के मोर्चे का एक भाग बन गए हैं और आपने अपनी सरकार के निर्दयी दबाव के बावजूद, जो खुलकर क़ाबिज़ व बेरहम ज़ायोनी सरकार का साथ दे रही है, एक शरीफ़ाना जद्दोजहद शुरू की है। अमरीकी स्टूडेंट्स के नाम इमाम ख़ामेनेई के ख़त का एक हिस्सा 25 मई 2024
24/05/2025
ट्रम्प ने कहा है कि वे शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल करना चाहते हैं। वे झूठ बोल रहे हैं। इमाम ख़ामेनेई 17 मई 2025
12/05/2025
मुस्लिम राष्ट्र इस बात की अनुमति न दें कि फ़िलीस्तीन को भुला दिया जाए। इमाम ख़ामेनेई 10 मई 2025
04/05/2025
वही साम्राज्यवादी ताकतें, जो आतंकवाद को एक जुर्म क़रार देती हैं इस ज़ालिम और अपराधी शासन के लिए आतंकवाद उनकी नज़र में जायज़ और वैध है! उसका हर काम खुला आतंकवाद है और अमरीका उसका समर्थन करता है। कई पश्चिमी सरकारें उसका साथ देती हैं, बाक़ी सब ख़ामोश तमाशाई बने हुए हैं।
02/05/2025
उनका रेज़िस्टेंस और प्रतिरोध के मोर्चे के जवानों पर बस नहीं चलता तो परिवार वालों पर टूट पड़ते हैं, बच्चों, मज़लूमों और बूढ़े लोगों की जान ले लेते हैं। मानवाधिकार के लिए शोर मचाकर दुनिया के कान के पर्दे फाड़ने वाले कहां हैं? क्या ये इंसान नहीं हैं? क्या इनके अधिकार नहीं हैं? इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 2024
30/04/2025
मैं उन महान लोगों का दिल से शुक्रगुज़ार हूं जो ज़रूरत के पल में पीड़ितों को रक्तदान करने के लिए आगे आए। सैयद अली ख़ामेनेई 27 अप्रैल 2025
16/04/2025
पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक संबंधों में विस्तार हमारी तरजीह होनी चाहिए। उन देशों के साथ आर्थिक संबंधों को आसान बनाया जाए जो एशिया के आर्थिक केन्द्र हैं, जैसे चीन, रूस और भारत। इमाम ख़ामेनेई 15 अप्रैल 2025
15/04/2025
जब हज़रत हम्ज़ा शहीद हुए तो ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम ने उन्हें नमूना बनाना चाहा। यह जो पैग़म्बरे इस्लाम ने उन्हें “शहीदों का सरदार” कहा था...यह आदर्श बनाना है और यह उस दौर के लिए ही नहीं था बल्कि हमेशा के लिए, पूरी तारीख़ के लिए और सभी मुसलमानों के लिए है। इमाम ख़ामेनेई 25 जनवरी 2025
13/04/2025
इस इलाक़े में सिर्फ़ एक ही प्रॉक्सी फ़ोर्स है और वह है ज़ालिम और भ्रष्ट ज़ायोनी शासन। इमाम ख़ामेनेई 31 मार्च 2025
13/04/2025
आज इस्लामी दुनिया का एक हिस्सा बुरी तरह घायल है; फ़िलिस्तीन घायल है... इस्लामी दुनिया को यह सब देखना चाहिए, समझना चाहिए और फ़िलिस्तीनियों के दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द समझना चाहिए और अपनी ज़िम्मेदारी महसूस करना चाहिए। इमाम ख़ामेनेई 31 मार्च 2025  
12/04/2025
मैं कहना चाहता हूं कि इस इलाक़े में सिर्फ़ एक ही प्रॉक्सी फ़ोर्स है और वह है ज़ालिम और भ्रष्ट ज़ायोनी शासन। इमाम ख़ामेनेई 31 मार्च 2025
09/04/2025
12,500 से ज़्यादा औरतें पिछले 18 महीनों में ज़ायोनी शासन के हाथों मारी जा चुकी हैं। 250000 से ज़्यादा औरतें, स्किन इंफ़ेक्शन और पाचन तंत्र में इंफ़ेक्शन सहित संक्रामक बीमारियों का शिकार हो गयी हैं।
08/04/2025
हमें याद नहीं आता कि हमने जो इतिहास देखा है और जिसके बारे में पढ़ा है, उसमें कभी सिर्फ़ दो साल के अंदर बीस हज़ार बच्चों को एक सैन्य टकराव में शहीद किया गया हो! इमाम ख़ामेनेई 31 मार्च 2025
01/04/2025
एक बार हम अल्लाह से कहें कि ऐ अल्लाह! हमे सही रास्ता दिखाता रह। अगर सही रास्ता, यही रास्ता है तो इंसान एक बार बैठकर दुआ कर दे, सौ बार या हज़ार बार दुआ मांगे और बात ख़त्म हो जाए, यह रोज़ रोज़ दोहराने की वजह क्या है? मुझे लगता है कि हर दिन दोहराने की वजह यह है कि हमेशा ऐसे रास्ते मौजूद हैं कि अगर इंसान से ग़लती हो जाए तो वह "अल्मग़ज़ूबे अलैहिम" और 'ज़ाल्लीन' की पंक्ति में चला जाए और अगर वह सही तरीक़े से समझ जाए तो वह "अनअम्ता अलैहिम" की पंक्ति में पहुंच जाएगा जो पैग़म्बरों, नेक बंदों, सिद्दीक़ीन, शहीदों और सालेहीन की पंक्ति है और ये वे लोग हैं जिन्होंने अल्लाह की नेमत को बचाए रखा। हमें अल्लाह की नेमत को बचाए रखना चाहिए और उसमें कमी नहीं आने देना चाहिए, इसलिए हम हर नमाज़ में कहते हैं कि अल्लाह हमें सीधे रास्ते की हिदायत करता रहा ताकि हम उसकी ओर से ग़ाफ़िल न हो जाएं। इमाम ख़ामेनेई 16 मई 1997
30/03/2025
अल्लाह ने पैग़म्बरों और औलिया को भी नेमत अता की है और बनी इस्राईल को भी। "मग़ज़ूबे अलैहिम" यानी जिन पर तेरा ग़ज़ब नाज़िल हुआ और 'ज़ाल्लीन' यानी गुमराह लोग भी उनमें शामिल हैं जिन्हें अल्लाह ने अपनी नेमत अता की है। यह नहीं सोचना चाहिए कि अल्लाह कुछ लोगों को नेमत देता है और कुछ को गुमराह करता है और उन पर ग़ज़ब करता है, ऐसा नहीं है। "अल्मग़ज़ूबे अलैहिम", "अनअम्ता अलैहिम" की सिफ़त है। फिर भी जिन लोगों को अल्लाह ने नेमतें दी हैं, वे दो तरह के हैं: एक वे जिन्होंने अपने कर्म से, अपनी सुस्ती से, अपनी गुमराही से नेमत को बर्बाद कर दिया। दूसरे वे हैं जिन्होंने कोशिश और शुक्र के ज़रिए नेमत को बाक़ी रखा। बनी इस्राईल भी उन लोगों में से थे जिन्हें अल्लाह ने बड़ी नेमत अता की थी और उन्हें दूसरों पर फ़ज़ीलत मिल गयी थी लेकिन वे अल्लाह के ग़ज़ब का निशाना बन गए। हमारी कसौटी और हमारा मानदंड, सीधे रास्ते पर चलने वाला वह पथिक होना चाहिए जिसे अल्लाह ने नेमत अता की हो और जो उसके ग़ज़ब का निशाना न बना हो।  इमाम ख़ामेनेई 10 जूलाई 2013  
29/03/2025
पहली ख़ुसूसियत यह है कि उन पर इनाम व एहसान किया हो। क़ुरआन में कहा गया है कि अल्लाह ने पैग़म्बरों को भी, सिद्दीक़ीन को भी, शहीदों को भी और सालेहीन को भी नेमतें दी हैं। उन्होंने सत्य के रास्ते को तलाश कर लिया, गुमराह भी नहीं हुए और अल्लाह के क्रोध का निशाना भी नहीं बने। ये वे लोग हैं जिन्हें अल्लाह ने भरपूर नेमत दी, उन पर क्रोधित नहीं हुआ और वे लोग अपनी पाक सीरत और दृढ़ता की वजह से ज़रा भी गुमराही की ओर नहीं बढ़े। इसकी सबसे बड़ी मिसाल अहलेबैत और इमाम अलैहेमुस्सलाम हैं। यही वह रास्ता है जिस पर हमें चलना चाहिए। अब अगर दुनिया में ज़्यादातर लोग दूसरी तरह की बात करते हैं, दूसरी तरह अमल करते हैं तो हमें अल्लाह की हिदायत को मानने या उसे रद्द करने के लिए अपनी अक़्ल और दीन को कसौटी बनाना चाहिए। मोमिन और मुस्लिम जगत, वह उम्मत है जो क़ुरआन मजीद से, अल्लाह की हिदायत से मानदंड हासिल करता है। यही ठोस मानदंड है।  इमाम ख़ामेनेई  10 जुलाई 2013
28/03/2025
सूरए अलहम्द में हमें सीधे रास्ते पर चलने वालों की निशानियां बतायी गयी हैं: " रास्ता उन लोगों का जिन पर तूने इनाम व एहसान किया" सिराते मुस्तक़ीम या सीधा रास्ता उन लोगों का जिन्हें तूने नेमत दी है। ज़ाहिर सी बात है कि यह नेमत खाना, पीना नहीं है, अल्लाह की ओर से मार्गदर्शन की नेमत है...अध्यात्मिक नेमत है जो सबसे बड़ी नेमत है। ये उन लोगों की राह है जिन्हें तूने नेमत अता की है, उन पर क्रोधित नहीं हुआ और वे गुमराह भी नहीं हुए। ये तीन ख़ुसूसियतें होनी चाहिएः अल्लाह ने मार्गदर्शन की नेमत दी हो, उन्होंने अपने बुरे कर्म से उस नेमत को अल्लाह के क्रोध का पात्र न बनाया हो और गुमराह भी न हुए हों। ये शर्त जिन लोगों पर पूरी उतरती है उन्हें आप अपने ज़माने में, अतीत में, इस्लाम के आरंभिक दिनों में और इतिहास में बड़ी आसानी से तलाश कर सकते हैं। इमाम ख़ामेनेई 11 जून 1997
27/03/2025
क़ुरआन मजीद के आग़ाज़ में ही सूरए अलहम्द में अल्लाह से हमारी दरख़ास्त "हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद मांगते हैं" से शुरू होती है। इस मदद तलब करने का एक बड़ा मक़सद अगली आयत में आता हैः "हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह।" मानो यह सारी तैयारी, इस इबारत के लिए हैः "हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह।" फिर सूरए अलहम्द के आख़िर तक इस सीधे रास्ते की व्याख्या की जाती है। सीधा रास्ता, अल्लाह की बंदगी का रास्ता है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है अपनी इच्छाओं को कंट्रोल करना। इस्लाम इच्छाओं को ख़त्म नहीं करता, उन्हें कंट्रोल करता है, क्योंकि ये इच्छाएं आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। इस्लाम इन इच्छाओं को लगाम लगाता है और उनका दिशा निर्देश करता है। इस्लाम यौनेच्छा को ख़त्म नहीं करता बल्कि उस पर लगाम लगाता है। धन दौलत की इच्छा को ख़त्म नहीं करता क्योंकि ये तरक़्क़ी का साधन हैं लेकिन इसे कंट्रोल करता है, यानी हिदायत करता है। इमाम ख़ामेनेई 6 मार्च 2000