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जब भी फ़िलिस्तीनी संघर्ष की शानदार तारीख़ लिखी जाएगी, 7 अक्तूबर और 14 अप्रैल का ज़िक्र बहुत बड़ा बदलाव लाने वाले लम्हों के तौर पर होगा। हालांकि अतीत में क़ाबिज़ ज़ायोनी वजूद को रेज़िस्टेंस के फ़्रंट से लगातार चुनौतियां मिल रही थीं, इन दोनों तारीख़ों में वो हुआ जो पैमाने और व्यापकता के लेहाज़ से अब तक अभूतपूर्व रहा है।
7 अक्तूबर 2023 को अलअक़्सा फ़्लड ऑप्रेशन शुरू होते ही यमन के लोगों ने मुख़्तलिफ़ तरह से फ़िलिस्तीनी अवाम का समर्थन और इस्राईल विरोधी प्रतिरोध का सपोर्ट करने का एलान किया और ज़ायोनियों के हाथों ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के क़त्ले आम के बाद वो सीधे तौर पर ज़ायोनियों के ख़िलाफ़ जंग के मैदान में उतर गए। उन्होंने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में ज़ायोनी ठिकानों पर हमला करके और इसी तरह ज़ायोनी शासन की आर्थिक नसों को काट कर, इस क़ाबिज़ शासन और उसके समर्थकों पर ज़बर्दस्त दबाव डाला।  
9 जनवरी को फ़क़ीह, क़ुरआन के व्याख्याकार और आत्मज्ञानी हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन शैख़ मोहसिन अली नजफ़ी, पाकिस्तान में इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार और अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के इल्म के प्रसार की राह में एक लंबी उम्र तक संघर्ष के बाद परलोक को सिधार गए। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने एक संदेश जारी करके इस महान धर्मगुरू के निधन पर पाकिस्तान के अवाम, ओलमा और मदरसों को सांत्वना पेश की।