जनरल हेजाज़ी ने दिसंबर 2020 में एक बातचीत का हवाला दिया जिसमें जनरल क़ासिम सुलैमानी की शख़्सियत का एक ख़ास पहलू सामने आया जिसे आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। वह है उनकी संवाद की क़ाबिलियत।
शाह के काल में क़ुरआन और उसकी व्याख्या की क्लास में जो नौजवान आया करते थे, मैं उनसे कहा करता था कि अपनी जेब में एक क़ुरआन रखा कीजिए, जब भी वक़्त मिले या किसी काम के इंतेज़ार में रुकना हो तो एक मिनट, दो मिनट, आधा घंटे क़ुरआन खोलिए और तिलावत कीजिए ताकि इस किताब से लगाव हो जाए।
मैं कई बार इस बात का ज़िक्र कर चुका हूं कि अमरीका जो भी फ़ाइटर जेट और दूसरे साधन बेचता था, उनके बारे में यह शर्त लगाता था कि किसी भी तरह की मरम्मत और रिपेयरिंग ख़ुद अमरीकी करेंगे, हमें पुर्ज़ों को हाथ लगाने की इजाज़त नहीं थी।
इस्लामी क्रान्ति की सफलता की दूसरी सालगिरह पर ईरान की इस्लामी प्रचार की सुप्रीम काउंसिल के फ़ैसले के मुताबिक़, इस्लामी गणराज्य से दुनिया के अनेक देशों के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे गए ताकि वे दूसरे राष्ट्रों ख़ास तौर पर मुसलमानों को इस्लामी गणराज्य के नज़रिये और इस्लामी क्रांति की विशेषताओं की जानकारी दें।