फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
स्वंयसेवी बल बसीज या "बसीज दिवस" के मौक़े पर तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में बुधवार 26 नवम्बर 2025 की सुबह विशेष प्रोग्राम का आयोजन हुआ, जिस में पूरे मुल्क से आए हुए हज़ारों स्वयंसेवियों ने शिरकत की।
स्वंयसेवी बल "बसीज दिवस" के मौक़े पर तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में बुधवार 26 नवम्बर 2025 की सुबह विशेष प्रोग्राम का आयोजन हुआ, जिस में पूरे मुल्क से आए हुए हज़ारों स्वयंसेवियों ने शिरकत की।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस के सिलसिले की आख़िरी मजलिस, मंगलवार 25 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, हज़ारों की तादाद में श्रद्धालुओं की शिरकत से आयोजित हुयी। यह लगातार पांचवी रात मजलिस का आयोजन था।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस के सिलसिले की आख़िरी मजलिस, मंगलवार 25 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, हज़ारों की तादाद में श्रद्धालुओं की शिरकत से आयोजित हुयी। यह लगातार पांचवी रात मजलिस का आयोजन था।
यह महान महिला एक ओर पैग़म्बरे इस्लाम की महान बेटी हैं, ऐसी बेटी कि पैग़म्बर जिसके हाथ चूमते हैं, उनके आने पर पूरी तरह खड़े हो जाते हैं, जब भी कहीं सफ़र पर जाते हैं तो सबसे आख़िरी घर जिसका वह दीदार करते हैं, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा का घर है और वहीं से वह सफ़र पर जाते हैं, जब सफ़र से लौटते हैं तो सबसे पहले जहाँ जाते और सलाम करते हैं वह हज़रत ज़हरा का घर है; ऐसी बेटी हैं वह।
इमाम ख़ामेनेई
3 फ़रवरी 2021
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस पर, सोमवार 24 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और हज़ारों की तादाद में श्रद्धालुओं की शिरकत से मजलिस का आयोजन हुआ। यह लगातार चौथी रात मजलिस का आयोजन था।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस पर, सोमवार 24 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और हज़ारों की तादाद में श्रद्धालुओं की शिरकत से मजलिस का आयोजन हुआ। यह लगातार चौथी रात मजलिस का आयोजन था।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में दूसरी मजलिस में "इस्राईल मुर्दाबाद" के गगन भेदी नारे।
हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के बारे में इंसान जितना सोचता है, इस महान हस्ती के हालात के बारे में ग़ौर करता है, उतना ही हैरत में पड़ जाता है। इंसान न सिर्फ़ इस आयाम से हैरत करता है कि किस तरह एक इंसान नौजवानी में अध्यात्मिक और भौतिक लेहाज़ से महानता के ऐसे दर्जे पर पहुंच सकता है! यह अपने आप में एक हैरत अंगेज़ हक़ीक़त है, लेकिन इस आयाम से और ज़्यादा हैरत होती है कि इस्लाम तरबियत की इतनी हैरतअंगेज़ ताक़त से इतने ऊंचे स्थान पर है कि एक जवान महिला, इतने कठिन हालात में, इस ऊंचे स्थान को हासिल कर सकती है! इस हस्ती, इस महान इंसान की अज़मत भी हैरतअंगेज़ है, उस मत की अज़मत भी हैरतअंगेज़ व आश्चर्यजनक है जिसने ऐसी महान व गरिमापूर्ण हस्ती को पैदा किया।
इमाम ख़ामेनेई
16 दिसम्बर 1992
साहस का पाठ, त्याग का पाठ, दुनिया में परहेज़गारी का पाठ, ज्ञानार्जन का पाठ और ज्ञान को श्रोताओं एवं अन्य लोगों के दिमाग़ तक पहुँचाना, एक महान शिक्षक का रोल निभाना- यह सारी इंसानियत के लिए हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के पाठ हैं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2018
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर, रविवार 23 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, तीनों पालिकाओं के प्रमुखों और हज़ारों की तादाद में श्रद्धालुओं की शिरकत से मजलिस का आयोजन हुआ।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर, रविवार 23 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, तीनों पालिकाओं के प्रमुखों और हज़ारों की तादाद में श्रद्धालुओं की शिरकत से तीसरी मजलिस का आयोजन हुआ।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में, शुक्रवार 21 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लहिल उज़मा ख़ामेनेई सहित हज़ारों की तादात में श्रद्धालुओं की शिरकत से पहली मजलिस का आयोजन हुआ।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा एक महिला हैं, इस्लामी महिलाओं में सबसे ऊंची चोटी पर मौजूद महिला यानी वह महिला जो एक रहनुमा है। मगर यही महिला जो महानताओं के लेहाज़ से पैग़म्बर होने की क़ाबिलियत रखती थीं, माँ के फ़रीज़े को अंजाम देती हैं, बीवी का रोल अदा करती हैं, घर के काम अंजाम देती हैं। आप देखिए! इन चीज़ों को समझने की ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई
19 मार्च 2017
इस महान महिला की तारीख़, पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी की तारीख़ से पूरी तरह जुड़ी हुयी है,यानी पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के आग़ाज़ के कुछ ही मुद्दत बाद,इस महान हस्ती का उदय हुआ और पैग़म्बरे इस्लाम के निधन के कुछ मुद्दत बाद उनकी रेहलत हो गयी।
इमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:शबे जुमा (गुरूवार की रात) को मेरी माँ पूरी रात जागती रहीं इबादत करती रहीं,मैंने जब भी उनकी आवाज़ सुनी तो देखा कि वह दूसरों के लिए दुआ कर रही हैं सुबह मैंने कहाः माँ आपने दूसरों के लिए दुआ की,अपने लिए दुआ नहीं की?उन्होंने फ़रमायाः मेरे लाल! पहले पड़ोसी, फिर घर वाले।
"ग्रेटर इस्राईल" अब कट्टरपंथी ज़ायोनियों के चुनावी अभियानों में केवल एक धार्मिक मान्यता या वैचारिक आकांक्षा मात्र नहीं रह गया है, बल्कि व्यवहार में यह एक भू-राजनीतिक परियोजना बन गया है। इस विचार की लालची, नाजायज़ क़ब्ज़ा करने वाली और नस्लवादी प्रवृत्ति, जिसने अरब दुनिया और इस्लामी समुदायों की सुरक्षा, संप्रभुता और क्षेत्रीय संरचना को निशाना बनाया है, ऐसी है कि अगर इसके पहलुओं को खोलकर समझाया जाए, तो ज़ायोनीवाद की प्रवृत्ति और क्षेत्र और इस्लामी जगत के भविष्य के लिए पश्चिमी सभ्यता की साज़िश को उजागर करने में यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसीलिए, ज़ायोनी शासन के नेता क्षेत्रीय नई व्यवस्था, न्यू मिडिल ईस्ट, सामान्यीकरण जैसे कानूनी, सुरक्षा के पहलूओं पर आधारित और लोकप्रिय शब्दों के साथ इस अर्थ को बदलने की कोशिश करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्ज़ ने शुक्रवार को वियना में आयोजित अपनी बैठक में योरोपीय ट्रॉयका और अमरीका की ओर से ईरान के परमाणु प्रतिष्ठान के बारे में पेश किए गए प्रस्ताव को वोटिंग के लिए पेश किया।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में, शनिवार 22 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लहिल उज़मा ख़ामेनेई सहित हज़ारों की तादात में श्रद्धालुओं की शिरकत से दूसरी मजलिस का आयोजन हुआ।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में, शनिवार 22 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लहिल उज़मा ख़ामेनेई सहित हज़ारों की तादात में श्रद्धालुओं की शिरकत से दूसरी मजलिस का आयोजन हुआ।
यह अध्यात्मिक दर्जा, यह विशाल क्षितिज, यह ऊंची चोटी पूरी कायनात की औरतों के सामने है। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा महानता की इतनी ऊंची चोटी पर हैं और पूरी दुनिया की औरतों को ख़ेताब करती हैं और उन्हें इस रास्ते पर चलने की दावत देती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16 जनवरी 1990
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में, शुक्रवार 21 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लहिल उज़मा ख़ामेनेई सहित हज़ारों की तादात में श्रद्धालुओं की शिरकत से पहली मजलिस का आयोजन हुआ।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की ज़िंदगी के संबंध में सटीक पहचान होनी चाहिए, उनकी ज़िंदगी को नई नज़र से देखना चाहिए, पहचानना चाहिए और सही मानी में आदर्श क़रार देना चाहिए। 19 अप्रैल 2014, उनकी शख़्सियत ठीक जवानी में सभी ग़ैरतमंद, मोमिन और मुसलमान मर्दों और औरतों यहाँ तक कि ग़ैर मुसलमानों के लिए भी जो उनके दर्जे को पहचानते हैं, आदर्श है; हमें इस महान हस्ती की ज़िंदगी से सीखना चाहिए।(13 दिसम्बर 1989)
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा शक्ल में एक इंसान, एक महिला और वह भी जवान ख़ातून हैं; लेकिन अध्यात्म में एक महान हक़ीक़त, एक पाकीज़ा चमकता नूर, अल्लाह की एक नेक कनीज़, एक आदर्श और चुनी हुयी हस्ती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16 जनवरी 1990
तीन किताबों "तबे नातमाम", "हमसफ़रे आतिशो बर्फ़" और "ख़ानुमे माह" पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के रिव्यू को रिलीज़ करने का प्रोग्राम बुधवार को, "चैंपियन का राष्ट्रीय कारनामा" शीर्षक के तहत आयोजित हुआ जिसका लक्ष्य ईरान की चैंपियन महिलाओं के योगदान को बयान करना और वास्तविक नमूनों को पहचनवाना है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की वेबसाइट Khamenei.ir ने लेबनान के लेखक और राजनैतिक टीकाकार तारिक़ तरशीशी से एक इंटरव्यू किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि ज़ायोनी अधिकारी, सन 1948 से ही पूरे फ़िलिस्तीन पर नाजायज़ क़ब्ज़े और ग्रेटर इस्राईल के गठन की कोशिश करते रहे हैं। उनका कहना है कि "टू स्टेट सोल्युशन" सिर्फ़ एक राजनैतिक वहम है और फ़िलिस्तीनी क़ौम को उसके अधिकार दिलाने और मक़बूज़ा इलाक़ों की आज़ादी का सिर्फ़ एक रास्ता है और वह है सशस्त्र रेज़िस्टेंस। इस इंटरव्यू के अहम हिस्से पेश किए जा रहे हैं।
जून 2025 में ज़ायोनी सरकार के अग्रेशन के जवाब में ईरान ने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी फ़ौज के कमांड सेंटर किरया सहित अनेक अहम ठिकानों को निशाना बनाया।
अपनी प्यारी बेटियों से, सभा में मौजूद महिलाओं से कहना चाहता हूं कि जो लोग आपके आस-पास हैं उन्हें ध्यान दिलाइये कि हेजाब को एक धार्मिक, इस्लामी, फ़ातेमी और ज़ैनबी मसला समझें।
अगर (अमरीका) ज़ायोनी शासन का सपोर्ट करना पूरी तरह छोड़ दे, यहाँ (क्षेत्र) से अपनी सैन्य छावनियों को ख़त्म कर दे, इस इलाक़े में हस्तक्षेप न करे, उस वक़्त इस मसले की समीक्षा की जा सकती है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता, जंग के मोर्चे का पल पल नेतृत्व कर रहे थे और ज़रूरी आदेश जारी कर रहे थे, यहाँ तक कि क़रीब क़रीब पूरे वक़्त वे जंग और अवाम की ज़रूरतों को पूरा करने में लगे रहे।
ईरान के मिज़ाईल उद्योग के जनक ब्रिगेडियर जनरल शहीद हसन तेहरानी मुक़द्दम, दोस्तो! हमने सीखा है कि बड़े कामों और कठिन रास्तों को इरादे, दृढ़ता और फ़ौलादी संकल्प से जीता जाता है। हमें, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बाज़ुओं की ताक़त बनना है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
पश्चिम का राजनैतिक और सुरक्षा वर्चस्व जमाने का स्वभाव है कि जिसकी जड़ें कई सदी पुरानी हैं। इस्लामी इंक़ेलाब की बुनियाद ही इस वर्चस्व को उखाड़ने के लिए पड़ी। अमरीका के मौजूदा राष्ट्रपति, दूसरे मुल्कों की स्वाधीनता के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 13 आबान मुताबिक़ 4 नवम्बर को विश्व साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर स्कूलों, विद्यालयों और यूनिवर्सिटियों के स्टूडेंट्स से 3 नवम्बर 2025 को अपने ख़ेताब में इस ऐतिहासिक दिन की अहमियत पर रौशनी डाली। उन्होंने अमरीका और इस्लामी गणराज्य के संबंधों के इतिहास और वर्तमान और भविष्य के संबंध में समीक्षात्मक बहस की।
पहलवी दौर का ईरान, ग़ुलामों की तरह पश्चिम का अनुसरण करता था। ब्रिटेन और अमरीका के दूत, आए दिन शाह के साथ बैठक करते थे और उसे निर्देश देते थे। इंक़ेलाब होने की एक वजह, पश्चिम की ओर से अपमान किया जाना था जिसे महान ईरानी राष्ट्र बर्दाश्त न कर सका।
इस्लामी क्रांति के नेता के दफ़्तर के उपप्रमुख ने वॉलीबाल के राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी मरहूम साबिर काज़ेमी के निधन पर उनके घर वालों को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का सलाम और सांत्वना संदेश पहुंचाया।