पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस 17 रबीउल अव्वल के उपलक्ष्य में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अदालतों से सज़ा पाने वालों में से कुछ लोगों की सज़ा माफ़ करने और उसमें कमी करने के न्यायपालिका प्रमुख के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।
मेरे ख़याल में हमारी कूटनीति की एक अहम दिशा यह होनी चाहिए कि हमें सरकारों पर बल देना चाहिए, ताकीद करना चाहिए कि वे ज़ायोनी सरकार से अपने संबंध ख़त्म कर लें। पहले चरण में व्यापारिक संबंध, बाद के चरण में अपने राजनैतिक संबंध ख़त्म कर लें।
पैग़म्बरे इस्लाम सभी प्रकार की भलाइयों के शिक्षक, न्याय, मानवता, आत्मज्ञान, भाईचारे के शिक्षक और इतिहास के अंत तक इंसान के हमेशा बाक़ी रहने वाले उत्थान और तरक़्क़ी के शिक्षक हैं।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई 2004
ज़ायोनी सरकार के जुर्म पर एतेराज़ करन वाले मुल्कों से इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का ख़ेताबः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रविवार 7 सितम्बर 2025 की शाम को राष्ट्रपति मसऊद पेज़ेश्कियान और उनके मंत्रीमंडल के सदस्यों से मुलाक़ात में मलऊन ज़ायोनी सरकार के अनगिनत अपराधों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगरचे ये जुर्म अमरीका जैसी ताक़त के सपोर्ट से अंजाम पा रहे हैं लेकिन इस स्थिति से निमटने का रास्ता बंद नहीं है और इन अपराधों पर एतेराज़ करने वाले मुल्कों ख़ास तौर पर इस्लामी मुल्कों को ज़ायोनी सरकार से अपने व्यापारिक और यहाँ तक कि राजनैतिक संबंध भी पूरी तरह तोड़ लेना चाहिए और उसे अलग थलग कर देना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने 7 सितम्बर 2025 को राष्ट्रपति और उनके मंत्रीमंडल के सदस्यों से मुलाक़ात में देश के मुद्दों और मुख्य नीतियों पर बात की। (1)
वह चाहता है कि ईरान, अमरीका के अधीन रहे। ईरानी क़ौम, इस बड़े अपमान से बहुत दुखी होती है और उन लोगों और उस शख़्स के मुक़ाबले में जो ईरानी क़ौम से यह ग़लत अपेक्षा रखता है, पूरी ताक़त से डट जाएगी।
बच्चों के हत्यारे ज़ायोनी शासन के सैनिकों ने 29 जनवरी 2024 को ग़ज़ा पट्टी के तल अलहवा मोहल्ले में एक कार पर, जिसमें 6 साल की फ़िलिस्तीनी बच्ची हिंद रजब मौजूद थी, 335 गोलियां फ़ायर कीं और उसे क़त्ल कर दिया।
हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाह अलैहा के ज़िक्र के बिना इस्लाम के उदय के बारे में बात करना एक अधूरी बात है क्योंकि वे इस महान धर्म की संस्थापकों में से हैं। हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाह अलैहा सिर्फ़ पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही वसल्लम की बीवी या पहली मुसलमान महिला नहीं थीं बल्कि वे इस्लाम की पहली मददगार, उसकी सबसे बड़ी सपोर्टर, पैग़म्बरे इस्लाम का भावनात्मक सहारा और अल्लाह के पैग़म्बर की आत्मिक व आध्यात्मिक साथी थीं। इन सबके बावजूद जैसा कि इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बल देकर कहा है कि इतिहास में उनकी महान शख़्सियत के संबंध में लापरवाही बरती गयी है और उसे नज़रअंदाज़ किया गया है।(1)
वॉलिबाल के अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में ईरान की अंडर-21 टीम की शानदार जीत और विश्व चैंपियन बनने पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने एक बधाई संदेश जारी करके ईरानी राष्ट्र के सपूतों की सराहना की। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का संदेश इस प्रकार हैः
इस्लामी गणराज्य ईरान, दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े पीड़ितों में से एक है। इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी से लेकर अब तक 17000 से ज़्यादा ईरानियों को आतंकवाद का निशाना बनाया जा चुका है जिनमें आम लोग भीं हैं जिन्हें मुनाफ़िक़ीन (एम के ओ) के आंतकवादियों ने सिर्फ़ धार्मिक रूप अपनाने की बुनियाद पर सड़कों पर गोलियों से भून दिया और जनरल क़ासिम सुलैमानी जैसे कमांडर भी जिन्हें अमरीकी राष्ट्रपति के सीधे हुक्म पर शहीद किया गया। ईरान के ख़िलाफ़ आतंकवाद मुख़्तलिफ़ रूप में सामने आया हैः चरमपंथी आतंकवाद, जो धार्मिक शिक्षा की ग़लत समझ का नतीजा था और "फ़ुर्क़ान" जैसे गिरोहों में ज़ाहिर हुआ और फ़ील्ड मार्शल मोहम्मद वली क़रनी और आयतुल्लाह मुर्तज़ा मुतह्हरी जैसी महान हस्तियों की शहादत का सबब बना। इसी तरह सरकारी आतंकवाद जो अमरीका और इस्राईल की सरकारों की ओर से अंजाम पाया कि जिसमें सिर्फ़ इसी 12 दिवसीय जंग में 1000 से ज़्यादी ईरानी शहीद हुए हैं।
हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन सैयद अली अकबर अबूतुराबी फ़र्द की जीवनी पर आधारित किताब "पासयाद पेसरे ख़ाक" पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के रिव्यू का लोकार्पण हुआ। यह किताब जनाब मोहम्मद क़ुबादी ने लिखी है। इस किताब पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई के रिव्यू का लोकार्पण हुज्जुतुल इस्लाम सैयद अली अकबर अबूतुराबी फ़र्द को श्रद्धांजलि पेश करने के प्रोग्राम में हुआ। यह प्रोग्राम 29 अगस्त 2025 की शाम को क़ज़वीन में आयोजित हुआ।
लेखकः माएदा ज़मान फ़श्मी, पत्रकार और शोधकर्ता
"ग़ैस, तुम अपनी माँ का दिल व जान हो। मैं चाहती हूं कि तुम मुझसे वादा करो कि मेरे लिए रोओगे नहीं ताकि मैं ख़ुश रहूं, मेरा सिर फ़ख़्र से ऊंचा करो, समझदार व्यक्ति बनो और अपनी तमाम सलाहियत को इस्तेमाल करो और एक सफल व्यापारी बनो। मेरे प्यारे मुझे भूल न जाना, मेरे प्यारे मैंने तुम्हे ख़ुश रखने और तुम्हारे सुकून के लिए जो मुमकिन था किया, सभी कठिनाइयों को तुम्हारे लिए बर्दाश्त किया। जब बड़े होना और शादी करना और तुम बेटी के बाप बनो तो उसका नाम "मरयम" रखना मेरे नाम पर। तुम मेरे प्यारे, मेरा दिल, मेरा सहारा, मेरी जान और मेरे बेटे हो, मेरे लिए फ़ख़्र का सबब हो और तुम्हारे होने से मैं हमेशा ख़ुश रहती हूं।
मैं तुम्हें वसीयत करती हूं कि तुम्हारी नमाज़ न छूटे, मेरे बेटे नमाज़ नमाज़।
तुम्हारी माँ मरयम।"
इन वाक़यों से दुश्मन जिस नतीजे तक पहुंचा वह यह है कि ईरान को जंग से, सैन्य हमले से झुकाया नहीं जा सकता। सिस्टम और मुल्क की रक्षा और दुश्मन के मुक़ाबले में दृढ़ता को लेकर आज अवाम में एकता है। यह एकता उनके हमले को रोकने वाली है। वे इसे ख़त्म करना चाहते हैं। इस ओर से सावधान रहिए।
आज हमारा दुश्मन, यानी ज़ायोनी सरकार दुनिया की सबसे ज़्यादा घृणित सरकार है। दुनिया की क़ौमें भी ज़ायोनी सरकार से बेज़ार हैं, उससे नफ़रत करती हैं। सरकारें भी ज़ायोनी सरकार की निंदा करती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24 अगस्त 2025
अली लारीजानी, सचिव, ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
आज यमन के बहादुर अवाम जो काम कर रहे हैं, सही है...हम हर उस काम के लिए जो इस्लामी गणराज्य के लिए मुमकिन होगा, हर काम जो मुमकिन होगा, पूरी तरह तैयार हैं।
जहाँ तक मुझे जानकारी है, जनाब अलबरादई के ज़माने से और उनके बाद की पीढ़ी जो इन साहब (राफ़ाएल ग्रोसी) तक पहुंची वाक़ई आईएईए कभी भी आज के जितनी विध्वंसक स्थिति में नहीं थी! यानी ये लोग थोड़ा बहुत तो तार्किक व्यवहार करते थे; इस शख़्स ने मानो ज़ायोनी दुश्मन और अमरीका को ब्लैंक चेक दे दिया हो; यानी इस जंग में उसने आग में घी का काम किया था।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मेहरबान इमाम, इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर रविवार 24 अगस्त 2025 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस में शिरकत की और इस मजलिस में समाज के विभिन्न वर्गों के बड़ी तादाद में आए लोगों से मुलाक़ात में, आठवें इमाम की शहादत पर सांत्वना पेश की और उन्हें ईरानियों के लिए नेमतों का स्रोत बताया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मेहरबान इमाम, इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर रविवार 24 अगस्त 2025 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस में शिरकत की और इस मजलिस में समाज के विभिन्न वर्गों के बड़ी तादाद में आए लोगों से मुलाक़ात में, आठवें इमाम की शहादत पर सांत्वना पेश की और उन्हें ईरानियों के लिए नेमतों का स्रोत बताया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने 24 अगस्त 2025 को हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस की सभा से ख़िताब करते हुए आठवें इमाम की ज़िंदगी में घटने वाले कुछ वाक़यों का ज़िक्र किया और साथ ही अहम राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बात की। (1)
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की वेबसाइट Khamenei.ir ने ज़ायोनी सरकार की ओर से थोपी गयी 12 दिवसीय जंग की समीक्षा के तहत इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सलाहकार, राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव और इस परिषद में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के प्रतिनिधि डॉक्टर अली लारीजानी से एक इंटरव्यू में तफ़सील से बात की है। इस इंटरव्यू में ज़ायोनी सरकार के साथ संघर्ष विराम के दौरान सामने आने वाले वाक़यों, इन दिनों इस्लामी गणराज्य के सामने मौजूद चुनौतियों और उन्हें कंट्रोल करने के तरीक़ों पर बात हुयी।
अगर आज आप फ़िलिस्तीन में तकलीफ़ उठा रहे हैं तो जान लेना चाहिए कि यह तकलीफ़, पैग़म्बर की पाकीज़ा रूह को भी तकलीफ़ पहुंचाती है, हमारे पैग़म्बर इस तरह के हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम एक चलते फिरते डॉक्टर की तरह काम करते थे। डॉक्टर अपनी क्लिनिक में बैठते हैं ताकि लोग उनके पास आएं जबकि पैग़म्बर बैठे नहीं रहते थे कि लोग उनके पास आएं बल्कि वे ख़ुद लोगों के पास जाते थे।
इमाम ख़ामेनेई
12 जनवरी 2005
विश्व स्तर पर एक घटना की याद
22 अगस्त 1969 को ज़ायोनियों ने महा-अपराध किया और मुसलमानों के पहले क़िब्ले अल-अक़्सा मस्जिद को आग लगा दी। अल-अक़्सा मस्जिद को आग लगाने की घटना में, मस्जिद की छत क़रीब 200 वर्गमीटर तक ध्वस्त हो गयी, मस्जिद का गुंबद पाँच बिन्दुओं पर जल गया, क़रीब 800 साल पुराने इतिहास वाला क़ीमती मिंबर और दूसरी चीज़ें मिट गयीं।
ज़ायोनी अपने लक्ष्यों से पीछे नहीं हटे हैं। उन्होंने "नील से फ़ुरात तक" के अपने घोषित लक्ष्य को वापस नहीं लिया है। उनका इरादा आज भी यही है कि वे नील से फ़ुरात तक के इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लें!
हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन मोहम्मदी गुलपायगानी ने आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तरफ़ से क़ुम में आयतुल्लाह नूरी हमदानी की ख़ैरियत पूछी और उनके स्वास्थय के बारे में जानकारी ली।
"सन 1948 का युद्ध अभी ख़त्म नहीं हुआ है। यह, उन युद्ध श्रृंखलाओं का सिर्फ़ एक चरण है जिनमें शामिल होने के लिए इस्राईल को पूरी तरह तैयार रहना चाहिए ताकि वह हर दिशा में अपनी सीमाओं को फैला सके।" इस वाक्य से, जो ज़ायोनी सेना के जनरल स्टाफ़ से संबंधित दस्तावेज़ों का एक हिस्सा है, पता चलता है कि "ग्रेटर इस्राईल" के सपने को पूरा करने के लिए "भूमि और सीमा विस्तार" कोई अस्थायी नीति नहीं बल्कि ज़ायोनी सरकार की एक बुनियादी रणनीति है; यह रणनीति क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की स्थापना के समय से ही हमेशा उसके एजेंडे में शामिल रही है।(1)
इमाम ख़ामेनेई ने 31 मार्च 2025 को कहा था कि प्रमुख हस्तियों की हत्या ज़ायोनी शासन का रोज़मर्रा के कामों में से एक है और अमरीका और कुछ पश्चिमी सरकारें इन अपराधों का समर्थन करती हैं। इसी संबंध में, ऐसी कुछ अहम हस्तियों का परिचय कराया जा रहा है जो इस सरकारी आतंकवाद का शिकार बनी हैं।
अगर इस्लामी मुल्कों की सलाहियतें, एक साथ जमा हो जाएं, अगर ये सलाहियतें एक दूसरे से जुड़ जाएं, तो इस्लामी जगत दिखा देगी की अल्लाह की इज़्ज़त क्या होती है। वे भव्य इस्लामी सभ्यता, दुनिया के सभी समाजों के सामने पेश कर देंगी। हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए और अर्बईन का यह मार्च इस लक्ष्य को हासिल करने का बेहतरीन साधन बन सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
18 सितम्बर 2019
अरबईने हुसैनी की मुनासेबत से गुरुवार 14 अगस्त 2025 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में छात्र अन्जुमनों की एक मजलिस हुई जिस में देश की अनेक यूनिवर्सिटियों के हज़ारों स्टूडेंट्स ने शिरकत की। सबसे पहले ज़ियारते अरबईन पढ़ी गई और फिर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रहीम शरफ़ी ने इलाही सुन्नतों की बुनियाद पर नुसरते इलाही हासिल करने की राहों पर रौशनी डाली। इसके बाद जनाब मीसम मुतीई ने हज़रत ज़ैनबे कुबरा सलामुल्लाह अलैहा और असीराने कर्बला के मसाएब बयान किए और नौहा पढ़ा।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारनामे का मक़सद यह था कि वह हक़ बात और हक़ की राह को लागू करें और उन सभी ताक़तों के मुक़ाबले में डट जाएं, जो इस राह के ख़िलाफ़ आपस में मिल गयी थीं।
24/09/1985
आज इस्लामी जगत ताक़त की एक मिसाल को देख रहा है और वह अर्बईन मार्च है। अर्बईन मार्च इस्लाम की ताक़त है, सत्य की ताक़त है, इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की ताक़त है।