इंसाफ़- हमारे व्यक्तिगत फ़ैसलों से शुरू होता है, इंसाफ़ हमारे व्यक्तिगत अमल, हमारे बात करने, लोगों के कामों और शख़्सियतों के बारे में हमारी राय से शुरू होता है। ((ख़बरदार) किसी क़ौम से दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न करे कि तुम इंसाफ़ न करो) (सूरए मायदा, आयत-8) अगर किसी के साथ हमारी मुख़ालेफ़त है, हम किसी से दुश्मनी भी रखते हैं, सोच व नज़रिया अलग अलग है, तब भी उसके संबंध में हम को ज़ुल्म नहीं करना चाहिए। बहुत बड़ी मुसीबत यह होगी क़ियामत के दिन कोई काफ़िर किसी शख़्स का गरेबान पकड़ ले कि जनाब! आपने मुझ पर फ़ुलां जगह ज़ुल्म किया है। हक़ीक़त में इससे ज़्यादा सख़्त बात कुछ और नहीं है या यह कि अल्लाह के दुश्मन का हमारी गर्दन पर कोई हक़ हो, हमारा गरेबान पकड़ ले और कहे कि तुमने हम पर ज़ुल्म किया है, यानी इंसाफ़ की स्थिति यह है।
इमाम ख़ामेनेई
18 अप्रैल 2023
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद इस सरकार के हुक्मरानों की दुष्ट प्रवृत्ति और उनकी मूर्खतापूर्ण नीति ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है और ज़ायोनियों और उनके समर्थकों से नफ़रत, पहले से ज़्यादा है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
अमरीका, ज़ायोनी सरकार के अपराधों में निश्चित तौर पर भागीदार है, इस इलाक़े में और दूसरे इस्लामी क्षेत्रों में अमरीका के संपर्क में रहने वाले लोग, मज़लूम के सपोर्ट के सिलसिले में क़ुरआन मजीद कीआवाज़ सुनें और अमरीका की साम्राज्यवादी सरकार को इस ज़ालेमाना व्यवहार को रोकने के लिए मजबूर करें।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
मुसलमान सरकारों को ज़ायोनी सरकार को मदद पहुंचाने वाले सारे रास्तों को बंद कर देना चाहिए और इस अपराधी को ग़ज़ा में उसकी निर्दयी करतूतों को जारी रखने से बाज़ रखना चाहिए। हज में बराअत का एलान, इस राह में एक क़दम है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने हर साल की तरह इस साल भी सम्मानीय हाजियों के नाम एक पैग़ाम जारी करके, इस्लामी जगत के अहम मुद्दों की ओर उन्हें ध्यान दिलाया है।
हैरत होती है कि इंसान कितना पस्त, दुष्ट, निर्दयी और शैतान हो जाए कि ऐसी करतूत करे। अलबत्ता इस अपराध में अमरीका भी भागीदार है। यही वजह है कि हमने कहा है, बारंबार कहा है और हम इसरार कर रहे हैं कि अमरीका इस इलाक़े से निकल जाए।
रमिये जमरात (कंकड़ियाँ मारना) यानी शैतान को मारो, जहां भी हो, जिस शक्ल में भी हो, जहाँ भी शैतान मिले, उसे कुचल दो। शैतान को कुचल दो, शैतान को पहचानो और मार दो।
इमाम ख़ामेनेई
4 मई 2025
फ़िलिस्तीन पर क़ाबिज़ अपराधी ज़ायोनी गैंग ने नाक़ाबिले यक़ीन दरिंदगी, अभूतपूर्व निर्दयता और दुष्टता के साथ ग़ज़ा की त्रासदी को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया है कि जिस पर यक़ीन नहीं आता... इस मानव त्रासदी को रोकने के लिए किसे डटना चाहिए?
इस बात में शक नहीं कि सबसे पहले यह इस्लामी हुकूमतों का फ़रीज़ा है और फिर क़ौमों का जो अपनी सरकारों से इस फ़रीज़े को अंजाम देने का मुतालेबा करें।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
30 मई 2025
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार 4 जून 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार पर उनकी छत्तीसवीं बरसी के प्रोग्राम में शिरकत की और अहम ख़िताब किया।
इस्लामी क्रांति के नेता ने आज बुधवार 4 जून 2025 को इमाम ख़ुमैनी की 36वीं बरसी के मौक़े पर, उनके मज़ार पर तक़रीर में, उन्हें इस्लामी गणराज्य की शक्तिशाली, मज़बूत और विकसित हो रही व्यवस्था का महान निर्माता बताया।
ज़ायोनी सरकार पर भरोसे से कोई भी सरकार सुरक्षित नहीं रह पाएगी। ज़ायोनी शासन अल्लाह के अटल फ़ैसले की वजह से बिखर रहा है और इंशाअल्लाह इसमें ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा।
दुश्मनों ने एनरिचमेंट को ही निशाना बनाया है। अगर एनरिचमेंट की सलाहियत न हो तो न्युक्लियर इंडस्ट्री बेकार है, क्योंकि फिर हमें अपने प्लांट्स के ईंधन के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 4 जून 2025 को इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की 36वीं बरसी की सभा से ख़िताब में इस्लामी इंक़ेलाब के वास्तुकार की शख़्सियत पर चर्चा की। आपने ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के हालात और ईरान के न्युक्लियर मसले के संबंध में अहम बिन्दु बयान किए। (1)
ईरान के संसद सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तक़रीरों और तहरीरों के हिफ़ाज़त व प्रसार कार्यालय की ओर से सोमवार को, काराकास में वेनेज़ोएला के अधिकारियों को "इतिहास की सही दिशा में" नामक मेडल दिया।
सफ़ा व मरवा के बीच सई (तेज़ क़दमों से चलना) एक इबादत है, लेकिन इसका एक गहरा प्रतीकात्मक संदेश है। (यानी) ज़िंदगी की मुश्किलों के पहाड़ों के बीच लगातार आगे बढ़ते रहिए, कोशिश करते रहिए।
तवाफ़ आपको यह सबक़ देता है: ज़िंदगी का अस्ली सबक़ तौहीद है। और यह सबक़ सिर्फ़ मोमिनों के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए हैः और लोगों में हज का एलान कर दीजिए। (सूरए हज, आयत-27)
यदि कोई अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाए तो उसका नुक़सान और हानि दोगुनी होती है। उसी तरह अल्लाह की तरफ़ से सज़ा भी दोगुनी होती है।
इमाम ख़ामेनेई
28 मई 2025
एक साल पहले, इस्लामी क्रांति के नेता ने अमरीकी छात्रों के नाम एक पत्र लिखकर उनसे कहा था कि वे ग़ज़ा में हो रहे खुले अपराधों पर चुप न रहें। हालांकि, फ़िलिस्तीन के समर्थन की सराहना से अलग हट कर, यह ख़त अमरीकी समाज की स्थिति के गहन विश्लेषण पर आधारित था, जिसमें कहा गया था कि "आप छात्र इतिहास की सही दिशा में खड़े हैं और इतिहास इस पर गर्व करेगा।"
ये सारे इबादती काम जो हज में हैं, इनमें से हर एक का एक सांकेतिक पहलू है। किसी न किसी इंसानी पहलू की तरफ़ इशारा है। जैसे शैतान को कंकड़ियाँ मारना (यानी) शैतान को मारो, जहां भी हो, जिस शक्ल में भी हो, जहाँ भी शैतान मिले, उसे कुचल दो! शैतान को कुचल दो।
इस्लामी क्रांति के नेता ने 28 मई 2025 की दोपहर को गृह मंत्री और प्रांतों के गवर्नरों से मुलाक़ात में इस बात पर ज़ोर देते हुए कि प्रांतों का प्रबंधन पूरी तरह गवर्नरों के हाथ में है, कहा कि सेवा के लिए देश का माहौल अनुकूल है और लोगों के बीच जाना चाहिए, उनकी सभाओं में शामिल होना चाहिए, उनकी बातों को, चाहे वे कड़वी ही क्यों न हों, सुनना चाहिए और उन्हें ज़रूरी स्पष्टीकरण देना चाहिए।
लोगों से गर्मजोशी से मिलिए। जनता के बीच जाइए। उनकी सभाओं में जाइए, उनकी बातें सुनिए, कभी-कभी वे कड़वी बातें करते हैं, सहनशीलता दिखाइए। इसके लिए अभ्यास की ज़रूरत है।
एहराम ख़ुदा के सामने नम्रता दिखाने का एक तरीक़ा है। ज़िंदगी के अलग-अलग कपड़ों, गहनों और सजावटों को कपड़े के एक टुकड़े से बदल देना। यह काम हज में मौजूद दुनिया का सबसे अमीर और सबसे ग़रीब इंसान दोनों एक ही तरह से करेंगे, उनमें कोई फ़र्क़ नहीं। क़ानून यही है: ख़ुदा के सामने सब इंसानों को बराबर कर देना।
आज आप रेज़िस्टेंस के मोर्चे का एक भाग बन गए हैं और आपने अपनी सरकार के निर्दयी दबाव के बावजूद, जो खुलकर क़ाबिज़ व बेरहम ज़ायोनी सरकार का साथ दे रही है, एक शरीफ़ाना जद्दोजहद शुरू की है।
अमरीकी स्टूडेंट्स के नाम इमाम ख़ामेनेई के ख़त का एक हिस्सा
25 मई 2024
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने आज सोमवार 26 मई 2025 की शाम अपने साथ आए प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मुलाक़ात में इस्लामी क्रांति के नेता:
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार 26 मई 2025 की शाम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में इस्लामी जगत में पाकिस्तान की विशेष पोज़ीशन की तरफ़ इशारा करते हुए, ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के अपराधों को रुकवाने के लिए ईरान व पाकिस्तान की साझा व प्रभावी गतिविधियों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
अमरीका के राष्ट्रपति कुछ अरब देशों को एक मॉडल का प्रस्ताव देते हैं, निश्चित रूप से यह मॉडल पूरी तरह नाकाम हो चुका है। इलाक़े के लोगों के मज़बूत इरादे से अमरीका को यहाँ से जाना ही पड़ेगा और वो जाएगा।
यह कि राष्ट्रपति शहीद रईसी संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में क़ुरआन हाथ में उठाएं या शहीद सुलैमानी की तस्वीर अपने हाथ में लें, यह राष्ट्र के लिए गौरव है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मई 2025
शहीद राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी और सेवा के शहीदों नाम से प्रसिद्ध उनके साथ शहीद हुए उनके अन्य सहकर्मियों की पहली बरसी का कार्यक्रम आज मंगलवार की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की स्पीच के साथ आयोजित होगा।
राष्ट्रपति बनने के बाद शहीद रईसी ने जो पहला इंटरव्यू दिया था, उसमें पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या आप अमरीका से वार्ता करेंगे? उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा: "नहीं"। उन्होंने कहा: "नहीं", बिना किसी हिचकिचाहट के और उन्होंने वार्ता नहीं की।
आज मंगलवार 20 मई 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में शहीद राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी और सेवा के शहीदों की पहली बरसी का कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें इन शहीदों के अलावा कुछ अन्य शहीदों के परिजनों ने भाग लिया।