ऐ मेरे अल्लाह! बेशक जो तेरे ज़रिए पहचाना गया वह गुमनाम नहीं रहता और जो तेरी पनाह में आया वह बे यार व मददगार नहीं होता और जिसकी ओर तूने रुख़ क़िया वह ग़ुलाम नहीं बनता।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! मुझे ऐसा दिल दे जिसका शौक़ उसे तेरे क़रीब कर दे और ऐसी ज़बान दे जिसकी सच्चाई तेरी ओर बढ़े और ऐसी निगाह दे जिसकी सच्चाई उसे तुझसे क़रीब कर दे।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ वह क़रीब जो धोखा खाए हुए शख़्स से दूरी अख़्तियार नहीं करता और ऐ वह दानशील जो उससे अज्र की उम्मीद रखने वाले को दान देने में कमी नहीं करता।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! मैं क्योंकर तेरी बारगाह से मायूस होकर ख़ाली हाथ पलटूंगा हालांकि तेरी दानशीलता पर मेरी सद्भावना यह थी कि तू मुझे निजात देकर मुझपर रहम करके पलटाएगा।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ईरानी रक्षा मंत्रालय के कुछ अधिकारियों और रक्षा उद्योग के कुछ वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और कर्मचारियों और देश के रक्षा उद्योग के शहीदों के परिजनों ने बुधवार 12 फ़रवरी 2025 की सुबह इस्लामी क्रांति के नेता से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 12 फ़रवरी 2025 की सुबह एक घंटे तक "इक़्तेदार (शक्ति) 1403" प्रदर्शनी का निरीक्षण किया, जिसमें देश के रक्षा उद्योग में वैज्ञानिकों की नवीनतम उपलब्धियों और क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 12 फ़रवरी, 2025 की सुबह ईरानी रक्षा मंत्रालय के कुछ अधिकारियों, रक्षा उद्योग के वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और कर्मचारियों से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 12 फ़रवरी 2025 को मुल्क के रक्षा उद्योग के माहिरों और वैज्ञानिकों के आविष्कारों की नुमाइश का मुआयना करने के बाद, अपने ख़ेताब में इस उद्योग की अहमियत पर रौशनी डाली और अधिकारियों को कुछ निर्देश दिए। (1)
ऐ मेरे अल्लाह! तेरे सामने मेरी मेरा माफ़ी मांगना उस शख़्स की तरह है जिसके पास माफ़ी क़ुबूल हो जाने के अलावा कोई चारा नहीं है, तो मेरी माफ़ी क़ुबूल फ़रमा ऐ सबसे ज़्यादा दानशीन जिसके सामने गुनहगार गुनाह की माफ़ी मांगते हैं।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 19 बहमन मुताबिक़ 8 फ़रवरी 1979 को इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के प्रति एयरफ़ोर्स के जवानों द्वारा आज्ञापालन का प्रण लिए जाने की ऐतिहासिक घटना की सालगिरह पर 7 फ़रवरी 2025 को एयरफ़ोर्स और एयर डिफ़ेंस फ़ोर्स के कमांडरों और जवानों से ख़ेताब किया। (1)
जल्द ही फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास की नेतृत्व परिषद के प्रमुख मोहम्मद इस्माईल दरवीश का Khamenei.ir को दिया गया ख़ुसूसी इंटरव्यू पेश किया जाएगा।
औरतों और बच्चों को क़त्ल करना फ़तह नहीं है
ग़ज़ा जंग से अगरचे इस इलाक़े के लोगों को बहुत ज़्यादा तबाही और नुक़सान का सामना हुआ लेकिन इसका नतीजा ज़ायोनी शासन की कल्पना के बिल्कुल ख़िलाफ़ रेज़िस्टेंस के हित में आया। जंग में कामयाबी सिर्फ़ मरने वालों की तादाद या तबाही के स्तर से आंकी नहीं जाती, बल्कि हर जंग का अंतिम लक्ष्य स्ट्रैटेजिक उपलब्धियों तक पहुंच होता है। ज़ायोनी शासन इस जंग में अपने घोषित लक्ष्य को न सिर्फ़ यह कि हासिल नहीं कर पाया, बल्कि बहुत से मैदानों में उसे ऐसी हार हुयी है जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं है।
ऐ मेरे अल्लाह! तूने मुझपर एहसान किया कि दुनिया में अपने किसी भी नेक बंदे पर मेरे गुनाह ज़ाहिर नहीं किए, तू मुझे क़यामत के दिन लोगों के सामने रुसवा न करना।
शाबान की विशेष मुनाजात से
अल्लाह ने क़ुरआन मजीद की इस आयत को "ख़ुदा के हुक्म से कई छोटी जमाअतें बड़ी जमाअतों पर ग़ालिब आ जाती हैं..." (सूरए बक़रह, आयत-249) आपके ज़रिए पूरी दुनिया के सामने मिसाल के तौर पर पेश किया।
औरतों और बच्चों को क़त्ल करना फ़तह नहीं है
ग़ज़ा जंग से अगरचे इस इलाक़े के लोगों को बहुत ज़्यादा तबाही और नुक़सान का सामना हुआ लेकिन इसका नतीजा ज़ायोनी शासन की कल्पना के बिल्कुल ख़िलाफ़ रेज़िस्टेंस के हित में आया। जंग में कामयाबी सिर्फ़ मरने वालों की तादाद या तबाही के स्तर से आंकी नहीं जाती, बल्कि हर जंग का अंतिम लक्ष्य स्ट्रैटेजिक उपलब्धियों तक पहुंच होता है। ज़ायोनी शासन इस जंग में अपने घोषित लक्ष्य को न सिर्फ़ यह कि हासिल नहीं कर पाया, बल्कि बहुत से मैदानों में उसे ऐसी हार हुयी है जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं है।
इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी के दिन (दहे फ़ज्र) और इसी तरह 8 फ़रवरी सन 1979 को एयरफ़ोर्स के विशेष दस्ते "हुमाफ़रान" की ओर से इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह का आज्ञापालन किए जाने की सालगिरह के मौक़े पर हर साल की तरह इस साल भी इस्लामी गणराज्य ईरान की एयरफ़ोर्स और एयर डिफ़ेंस विभाग के कमांडरों ने शुक्रवार 7 फ़रवरी 2025 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से तेहरान में मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 8 फ़रवरी सन 1979 को एयरफ़ोर्स के विशेष दस्ते "हुमाफ़रान" की ओर से इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की ‘बैअत’ (आज्ञापालन का एलान) किए जाने की घटना की सालगिरह के मौक़े पर हर साल की तरह इस साल भी इस्लामी गणराज्य ईरान की एयरफ़ोर्स और एयर डिफ़ेंस विभाग के कमांडरों और जवानों से शुक्रवार 7 फ़रवरी 2025 को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की और इस ऐतिहासिक दिन को कामयाब, आत्मनिर्भर और पहचान से समृद्ध सेना का जन्म दिवस कहा।
अमरीकी, धमकी दे रहे हैं। अगर हमें धमकी देंगे तो हम उन्हें धमकी देंगे। अगर वह इस धमकी पर अमल करेंगे तो हम भी धमकी पर अमल करेंगे। यह व्यवहार, इस्लाम से लिया गया सबक़ और इस्लाम का हुक्म है और यह हमारा फ़रीज़ा है।
इस शख़्स ने जो इस वक़्त सत्ता में है, उस समझौते को फाड़ दिया, ऐसी सरकार से वार्ता नहीं करनी चाहिए, वार्ता करना अक़्लमंदी नहीं है, समझदारी नहीं है, शराफ़तमंदाना काम नहीं है।
ऐ अल्लाह! मैं मरने के बाद तेरी नज़रे करम की ओर से कैसे निराश हूंगा जबिक ज़िंदगी में तूने सिर्फ़ नेकी के साथ मेरी सरपरस्ती की।
(शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
इक्तालीसवीं क़ुरआन अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शिरकत करने वाले क़ुरआन के हाफ़िज़ों, क़ारियों और उस्तादों ने 2 फ़रवरी 2025 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर अपने ख़ेताब में रहबरे इंक़ेलाब ने क़ुरआन के तअल्लुक़ से बड़ी अहम रूहानी गुफ़तगू की। (1)
स्पीचः
ऐ अल्लाह! मैं अपना पूरा वजूद लेकर तेरे सामने आ खड़ा हुआ हूं जबकि तेरी ज़ात पर भरोसे का साया मुझ पर छाया हुआ है, तूने वही किया जिसके योग्य तूही है और तूने मुझे माफ़ करके अपनी पनाह में ले लिया है। (शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
ऐ अल्लाह! अगर तू मुझे महरूम कर दे, तो कौन है जो मुझे रिज़्क़ देगा? अगर तूने मुझे अकेला छोड़ दिया तो कौन है जो मेरी मदद करेगा? (शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस पर कि जिन्हें क़मर बनी हाशिम कहा जाता है, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के प्रतिनिधियों की 7 टीमें तेहरान और रय शहर में, थोपी गयी जंग के दौरान अपने अंगों का नज़राना पेश करने वाले कुछ जांबाज़ सिपाहियों से मिलने उनके घर पहुंचीं और इन ज़िंदा शहीदों और उनके घर वालों की क़द्रदानी की।
अगर आपसे कहा जाता कि एक बालिश्त ज़मीन वाला ग़ज़ा अमरीका की सैन्य ताक़त जैसी एक बड़ी ताक़त से टकराने वाला है और उस पर हावी हो जाएगा तो क्या आपको यक़ीन आता?! आपको यक़ीन नहीं आता, यह नामुमकिन चीज़ों में से है। लेकिन अल्लाह के हुक्म से यह काम मुमकिन है।
क़ुरआन मजीद की इक्तालीसवीं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने वालों और क़ुरआन मजीद के कुछ हाफ़िज़ों, क़ारियों और शिक्षकों ने 2 फ़रवरी 2025 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
क़ुरआन प्रतियोगिता में भाग लेने वालों से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रविवार की सुबह इक्तालीसवीं अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले उस्तादों, क़ारियों और हाफ़िज़ों से मुलाक़ात में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस की मुबारकबाद दी और क़ुरआन के शब्द, क्रम, अर्थ, अल्लाह की परंपराओं के बयान सहित सभी चीज़ों को चमत्कार बताया।
दूसरे भी समझते हैं कि अमरीका झूठा है, लेकिन उनमें कहने की हिम्मत नहीं है। दूसरी बहुत सी क़ौमों और ईरानी क़ौम में फ़र्क़ यह है कि ईरानी क़ौम में यह कहने की हिम्मत है कि अमरीका हमलावर है, अमरीका झूठा है, अमरीका धोखेबाज़ है, अमरीका साम्राज्यवादी है और अमरीका मुर्दाबाद।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई, इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की याद में मनाए जाने वाले "दहे फ़ज्र" के मौक़े पर गुरुवार 30 जनवरी 2025 की सुबह को तेहरान के बहिश्ते ज़हरा क़ब्रिस्तान पहुंचे और वहाँ उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह और 28 जून 1981 की घटना और उसी साल 30 अगस्त को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई आतंकवादी घटना के शहीदों के मज़ार पर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि पेश की।