न्यायपालिका प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन एजेई ने अपने ख़त में आम अदालतों और इंक़ेलाबी अदालतों, फ़ौजी अदालतों और सरकारी विभागों से उन सज़ा पाने वालों की सज़ा को माफ़ करने और उसमें कमी की दरख़ास्त की जिन्हें बुधवार 10 सितम्बर 2025 से सज़ा मिलना तय था।

सुरक्षा से ज़ुड़े अपराधों में सज़ा पाने वालों की माफ़ी या सज़ा में कमी के लिए न्यायपालिक प्रमुख के ख़त में आया है कि इन लोगों को सज़ा सुनाए जाने के फ़ैसले के वक़्त से कम से कम 5 साल गुज़र चुके हों और किसी वजह से अब तक सज़ा पर अमल न हो पाया हो, इस शर्त के साथ कि सज़ा पाने वाले ने फ़ैसला सुनाए जाने के बाद से मुल्क के हितों के ख़िलाफ़ किसी तरह का क़दम न उठाया हो, सुरक्षा के ख़िलाफ़ कोई काम न किया हो और राष्ट्रीय एकता के ख़िलाफ़ किसी तरह की हरकत न की हो।

न्यायपालिक प्रमुख के ख़त के मुताबिक़, लाइलाज बीमारियों या जिन बीमारियों का इलाज मुश्किल है, उनसे पीड़ित लोग भी माफ़ी या सज़ा में कमी के मुस्तहक़ हो सकते हैं इस शर्त के साथ कि उनकी बीमारी की मेडिकल कमीशन ने पुष्टि की हो।

सशस्त्र चोरी, माल के मालिक को चोरी के दौरान यात्नाएं देना या वे चोर जिन्हें अदालत से सज़ा सुनायी गयी है, मादक पदार्थ और नशे की गोलियों से संबंधित अपराध, बंदूक़ पिस्तौल और गोलाबारूद का लेनदेन या उनकी तस्करी, आंतरिक और विदेशी सुरक्षा के ख़िलाफ़ अपराध, दुश्मन सरकारों के लिए जासूसी और सहयोग तथा आतंकवादी गुटों में सदस्यता, मानव तस्करी, किसी पर तेज़ाब फेंकने, नक़ली नोट बनाने और खोटा सिक्का ढालने, आर्थिक सिस्टम में रुकावट पैदा करने में सहयोग और शराब की तस्करी वे अपराध हैं जिनकी सज़ा माफ़ करने से अपवाद रखा गया है।