आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार 19 जनवरी 2025 की रात में ईरान के 2 बड़े अहम जजों हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अलहाज शैख़ अली राज़ीनी और आक़ाए अलहाज शैख़ मोहम्मद मोक़ीसा की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई। न्यायपालिका के इन दोनों बहादुर जजों को शनिवार को उनके कार्यालय में शहीद कर दिया गया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेताआयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार 19 जनवरी 2025 की रात में ईरान के 2 बड़े अहम जजों हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अलहाज शैख़ अली राज़ीनी और आक़ाए अलहाज शैख़ मोहम्मद मोक़ीसा की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।
न्यायपालिका के दो बड़े अहम जजों की शहादत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक सांत्वना संदेश जारी किया है, जो इस प्रकार हैः
अमीरुल मोमेनीन की हस्ती को शिया-सुन्नी और इस्लामी मतों के बीच मतभेद की बुनियाद न बनाइये। अमीरुल मोमेनीन की हस्ती एकता का बिंदु है न कि फूट का।
इमाम ख़ामेनेई
5 नवम्बर 2004
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के ख़ुबसूरत पहलुओं में से एक, इंसाफ़ है। उनकी ज़िंदगी और बातों में इंसाफ़ इतनी अहमियत रखता है कि अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की पूरी हुकूमत पर इसका प्रभाव पड़ा है।
इमाम ख़ामेनेई
7 जनवरी 1993
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम सत्ता, हुकूमत और शासन के पूरे दौर में जो अल्लाह ने उनके अख़्तियार में दिया, समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग की चिंता में लगे रहे...ग़रीब के घर जाते हैं, यतीम बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 दिसम्बर 1992
पश्चिमी पूंजीवाद किस तरह अफ़्रीक़ा महाद्वीप में पारिवारिक सिस्टम को तबाह करने और वहाँ अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगा है। इस बारे में एक लेख पेश है।
अमीरुल मोमेनीन का राजनैतिक व्यवहार उनके आध्यात्मिक और अख़लाक़ी व्यवहार से अलग नहीं है; अमीरुल मोमेनीन की नीति में अध्यात्म और अख़लाक़ शामिल है, हक़ीक़त में उसका स्रोत हज़रत अली का अध्यात्म और उनका अख़लाक़ है।
इमाम ख़ामेनेई
11 सितम्बर 2009
कुछ लोग कहते हैं कि जनाब आप अमरीका के साथ न तो वार्ता के लिए तैयार हैं और नहीं संपर्क क़ायम करना चाहते हैं, योरोपीय देशों के साथ जबकि वे भी अमरीका की ही तरह हैं, क्या अंतर है, क्यों संपर्क बना रखा है? नहीं! फ़र्क़ है।
इंक़ेलाब से पहले अमरीका की पसंद यह थी कि ईरान उसका ग़ुलाम रहे, अमरीकी और ज़ायोनी हितों की हिफ़ाज़त करे। वे ईरान के लिए यह आरज़ू रखते थे, आज भी उनकी यही तमन्ना है। कार्टर अपनी यह आरज़ू लेकर क़ब्र में पहुंच गए और यह लोग भी अपनी यह आरज़ू क़ब्र में ले जाएंगे।
जो लोग भी सांस्कृतिक मसलों में, हेजाब के मसले वग़ैरह में फ़ैसला ले रहे हैं, उनका इस बात की ओर ध्यान रहे कि अमरीका और ज़ायोनियों के स्टैंड को अहमियत न दें, देश के हितों को मद्देनज़र रखें, इस्लामी गणराज्य के हितों को मद्देनज़र रखें।
क़ुम के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर बुधवार 8 जनवरी 2025 को हज़ारों लोगों ने तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
पहलवी दौर का ईरान, अमरीकी हितों का मज़बूत क़िला था। इस क़िले के गर्भ से इंक़ेलाब निकला और फैल गया। अमरीकी समझ नहीं पाए, अमरीकी धोखा खा गए, अमरीकी सोते रह गए, अमरीकी ग़ाफ़िल थे, अमरीका की अंदाज़े की ग़लती का मतलब यह है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेताःहम अमरीका से वार्ता क्यों नहीं करते
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने आज बुधावर की सुबह, 9 जनवरी 1978 के क़ुम के अवाम के आंदोलन की सालगिरह पर इस शहर के लोगों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने ईरानी क़ौम के संबंध में अमरीका के 46 साल से जारी ग़लत अंदाज़े और नीतियों को, क़ुम के ऐतिहासिक आंदोलन की समीक्षा में अमरीका के उसी ग़लत अंदाज़े का जारी रहने वाला एक सिलसिला बताया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 8 जनवरी 2025 की शाम को इराक़ी प्रधानमंत्री मोहम्मद शियाअ अस्सूदानी से मुलाक़ात में मुल्क के निर्माण और सुरक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा उठाए गए अच्छे क़दम की सराहना करते हुए कहा कि इराक़ जितना विकसित और जितना ज़्यादा सुरक्षित व शांतिपूर्ण होगा, इस्लामी गणराज्य ईरान के हित में उतना ही बेहतर है।
आज बुनियादी काम, हमारे प्रचारिक तंत्र का अहम काम साइबर स्पेस पर हमारे सरगर्म लोगों का बुनियादी काम यह है कि दुश्मन की ताक़त के भ्रम को चकनाचूर कर दें, जनमत पर दुश्मन के प्रचार का असर न होने दें।
क़ुम के अवाम ने 9 जनवरी 1978 को ऐतिहासिक आंदोलन किया जिसका ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी में अहम रोल रहा। इसी संबंध में 8 जनवरी 2025 को क़ुम के लोगों ने हज़ारों की तादाद में तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की और आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अहम तक़रीर की।
यहया इब्राहीम हसन सिनवार की दास्तान, सिर्फ़ एक इंसान की दास्तान नहीं है। यह नाजायज़ क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ संघर्ष, प्रतिरोध और एक लड़ाई की दास्तान है जिसका दशकों से प्रभाव न सिर्फ़ पश्चिमी एशिया के इलाक़े बल्कि दुनिया पर पड़ा है। उन्होंने हिब्रू ज़बान भी सीखी, वह अपनी क़ौम और अपनी सरज़मीन के दुश्मनों को पहचानते थे और उनके आस-पास के लोग उनका सम्मान भी करते थे।
आज अमरीका सीरिया में छावनियां बनाने में जुटा हुआ है, लेकिन यह छावनियां निश्चित तौर पर सीरिया की जवान नस्ल के पैरों तले रौंदी जाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2025
जनरल सुलैमानी ने फ़िलिस्तीनियों को ज़रूरी साज़ो-सामान मुहैया कर दिया। ऐसा काम किया कि ग़ज़ा पट्टी जैसा छोटा सा इलाक़ा भी ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में- उसके इतने दावों के बावजूद- डट जाता है। ऐसा काम किया कि फ़िलिस्तीनी डट सकें, प्रतिरोध कर सकें।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस की मजलिस के बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इमाम मुहम्मद तक़ी, इमाम अली नक़ी और इमाम हसन अस्करी अलैहेमुस्सलाम के बारे में रिसर्च और लेखन पर ताकीद की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 4 जनवरी 2025 को इमाम अली नक़ी अलैहिस्सालम के शहादत दिवस की मजलिस के अंत में संक्षिप्त ख़ेताब किया और इस बात पर ताकीद की कि इमाम मोहम्मद तक़ी, इमाम अली नक़ी और इमाम हसन अस्करी अलैहेमुस्सलाम की ज़िंदगी पर ख़ास तौर पर रिसर्च वर्क की ज़रूरत है।
सुलैमानी को उस मौक़े पर अपने फ़रीज़े का एहसास हुआ। उन्होंने उन लोगों से संपर्क करना शुरू किया, उनकी मदद की, उन्हें मुक्ति दिलायी। अलबत्ता एक बहुत अच्छा और बहुत प्रभावी क़दम उस वक़्त इराक़ के वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व की तरफ़ से उठाया गया, उसका असाधारण प्रभाव हुआ।
शहीद अलहाज क़ासिम सुलैमानी और कुछ दूसरे शहीदों के घरवालों ने बुधवार 1 जनवरी 2025 की सुबह, शहीद क़ासिम सुलैमानी की पांचवीं बरसी के उपलक्ष्य में में, तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
जो आख़िर में विजयी होगा, वह ईमान की ताक़त है और ईमान वाले हैं। लेबनान, रेज़िस्टेंस का प्रतीक है, वही विजयी होगा। यमन भी रेज़िस्टेंस का प्रतीक है, वही विजयी होगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 1 जनवरी 2025 की सुबह शहीद क़ासिम सुलैमानी की पांचवीं बरसी के मौक़े पर शहीद क़ासिम सुलैमानी और हरम की रक्षा और रेज़िस्टेंस मोर्चे के कुछ दूसरे शहीदों के घर वालों से मुलाक़ात में शहीद क़ासिम सुलैमानी की शख़्सियत और उनके चरित्र की कुछ ख़ुसूसियतों की व्याख्या करते हुए कहा कि इन ख़ुसूसियतों से सबक़ लेकर सुलैमानी मत के मुख्य लक्ष्य यानी इस्लाम और क़ुरआन को फैलाने की राह में क़दम बढ़ाना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शहीद क़ासिम सुलैमानी की पांचवी बरसी के मौक़े पर 1 जनवरी 2025 को महान कमांडरों शहीद क़ासिम सुलैमानी और शहीद अबू महदी अलमुहन्दिस के परिवारों और पिछले साल किरमान प्रांत में आतंकवादी हमले के शहीदों के घरवालों से ख़ेताब किया। (1)
राष्ट्रपति मसऊद पेज़िश्कियान ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के साथ सोमवार को हुयी अपनी बैठक के बारे में Khamenei.ir से बात करते हुए कहा कि हम मुल्क के सभी मुद्दों और मुश्किलों को हल कर सकते हैं।
सन 1920 में, ठीक उस वक़्त जब चुनाव में अमरीकी महिलाओं ने पहली बार भाग लिया, संयुक्त राज्य अमरीका में शराब बनाने, उसके परिवहन और बेचने पर रोक का क़ानून, संघीय क़ानून बन गया। अमरीकी औरतों की ओर से शराब पीने पर पाबंदी को सपोर्ट, इस तरह के पेय की लत के नुक़सान और अमरीका के पारंपरिक कल्चर के संबंध में उनकी सामाजिक सूझबूझ को दर्शाती थी। उसी साल ओलियो थामस, कमेडी फ़िल्म फ़्लीपर में शराब और सिगरेट पी रहा था और साथ ही उसे अपने पारंपरिक परिवार के ज़ुल्म का शिकार दिखाया जा रहा था। एक ही चीज़ के बारे में समाज की आम इच्छा और मीडिया की ओर से पेश की गयी छवि के बीच यह खुला विरोधाभास, उस बड़े संघर्ष का एक छोटा सा मंज़र था जो अमरीकी कल्चर में जारी था यानी सामाजिक परंपरा और पूंजीवाद की कभी न मिटने वाली भूख के बीच संघर्ष।
सीला फ़सीह, ग़ज़ा में हाल में ठंड से शहीद होने वाली नवजात शिशु है। ग़ज़ा में सिर छिपाने की जगह न होने और ईंधन की कमी की वजह से बेघर होने वालों के पास ठंडक और गर्मी से बचाव का कोई साधन नहीं है।
सीरिया की जवान नस्ल के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उसकी यूनिवर्सिटी, उसका स्कूल, उसका घर और उसकी ज़िंदगी असुरक्षित है, वह क्या करे? उसे मज़बूत इरादे के साथ उन लोगों के मुक़ाबले में, जिन्होंने इस अशांति की साज़िश रची है और जिन्होंने इस पर काम किया है, डट जाना चाहिए और इंशाअल्लाह वह उसे हराकर रहेगी।
इमाम ख़ामेनेई
22 दिसम्बर 2024