हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की ज़िंदगी के संबंध में सटीक पहचान होनी चाहिए, उनकी ज़िंदगी को नई नज़र से देखना चाहिए, पहचानना चाहिए और सही मानी में आदर्श क़रार देना चाहिए। 19 अप्रैल 2014, उनकी शख़्सियत ठीक जवानी में सभी ग़ैरतमंद, मोमिन और मुसलमान मर्दों और औरतों यहाँ तक कि ग़ैर मुसलमानों के लिए भी जो उनके दर्जे को पहचानते हैं, आदर्श है; हमें इस महान हस्ती की ज़िंदगी से सीखना चाहिए।(13 दिसम्बर 1989)
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा शक्ल में एक इंसान, एक महिला और वह भी जवान ख़ातून हैं; लेकिन अध्यात्म में एक महान हक़ीक़त, एक पाकीज़ा चमकता नूर, अल्लाह की एक नेक कनीज़, एक आदर्श और चुनी हुयी हस्ती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16 जनवरी 1990
तीन किताबों "तबे नातमाम", "हमसफ़रे आतिशो बर्फ़" और "ख़ानुमे माह" पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के रिव्यू को रिलीज़ करने का प्रोग्राम बुधवार को, "चैंपियन का राष्ट्रीय कारनामा" शीर्षक के तहत आयोजित हुआ जिसका लक्ष्य ईरान की चैंपियन महिलाओं के योगदान को बयान करना और वास्तविक नमूनों को पहचनवाना है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की वेबसाइट Khamenei.ir ने लेबनान के लेखक और राजनैतिक टीकाकार तारिक़ तरशीशी से एक इंटरव्यू किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि ज़ायोनी अधिकारी, सन 1948 से ही पूरे फ़िलिस्तीन पर नाजायज़ क़ब्ज़े और ग्रेटर इस्राईल के गठन की कोशिश करते रहे हैं। उनका कहना है कि "टू स्टेट सोल्युशन" सिर्फ़ एक राजनैतिक वहम है और फ़िलिस्तीनी क़ौम को उसके अधिकार दिलाने और मक़बूज़ा इलाक़ों की आज़ादी का सिर्फ़ एक रास्ता है और वह है सशस्त्र रेज़िस्टेंस। इस इंटरव्यू के अहम हिस्से पेश किए जा रहे हैं।
जून 2025 में ज़ायोनी सरकार के अग्रेशन के जवाब में ईरान ने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी फ़ौज के कमांड सेंटर किरया सहित अनेक अहम ठिकानों को निशाना बनाया।
अपनी प्यारी बेटियों से, सभा में मौजूद महिलाओं से कहना चाहता हूं कि जो लोग आपके आस-पास हैं उन्हें ध्यान दिलाइये कि हेजाब को एक धार्मिक, इस्लामी, फ़ातेमी और ज़ैनबी मसला समझें।
अगर (अमरीका) ज़ायोनी शासन का सपोर्ट करना पूरी तरह छोड़ दे, यहाँ (क्षेत्र) से अपनी सैन्य छावनियों को ख़त्म कर दे, इस इलाक़े में हस्तक्षेप न करे, उस वक़्त इस मसले की समीक्षा की जा सकती है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता, जंग के मोर्चे का पल पल नेतृत्व कर रहे थे और ज़रूरी आदेश जारी कर रहे थे, यहाँ तक कि क़रीब क़रीब पूरे वक़्त वे जंग और अवाम की ज़रूरतों को पूरा करने में लगे रहे।
ईरान के मिज़ाईल उद्योग के जनक ब्रिगेडियर जनरल शहीद हसन तेहरानी मुक़द्दम, दोस्तो! हमने सीखा है कि बड़े कामों और कठिन रास्तों को इरादे, दृढ़ता और फ़ौलादी संकल्प से जीता जाता है। हमें, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बाज़ुओं की ताक़त बनना है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
पश्चिम का राजनैतिक और सुरक्षा वर्चस्व जमाने का स्वभाव है कि जिसकी जड़ें कई सदी पुरानी हैं। इस्लामी इंक़ेलाब की बुनियाद ही इस वर्चस्व को उखाड़ने के लिए पड़ी। अमरीका के मौजूदा राष्ट्रपति, दूसरे मुल्कों की स्वाधीनता के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 13 आबान मुताबिक़ 4 नवम्बर को विश्व साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर स्कूलों, विद्यालयों और यूनिवर्सिटियों के स्टूडेंट्स से 3 नवम्बर 2025 को अपने ख़ेताब में इस ऐतिहासिक दिन की अहमियत पर रौशनी डाली। उन्होंने अमरीका और इस्लामी गणराज्य के संबंधों के इतिहास और वर्तमान और भविष्य के संबंध में समीक्षात्मक बहस की।
पहलवी दौर का ईरान, ग़ुलामों की तरह पश्चिम का अनुसरण करता था। ब्रिटेन और अमरीका के दूत, आए दिन शाह के साथ बैठक करते थे और उसे निर्देश देते थे। इंक़ेलाब होने की एक वजह, पश्चिम की ओर से अपमान किया जाना था जिसे महान ईरानी राष्ट्र बर्दाश्त न कर सका।
इस्लामी क्रांति के नेता के दफ़्तर के उपप्रमुख ने वॉलीबाल के राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी मरहूम साबिर काज़ेमी के निधन पर उनके घर वालों को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का सलाम और सांत्वना संदेश पहुंचाया।
यह कान्फ़्रेंस पिछले वर्ष नवम्बर महीने में शुरू हुई थी और आज 10 नवम्बर को शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और स्कालरों व राजनीतिक विशेषज्ञों की उपस्थिति में इसका समापन समारोह आयोजित किया जा रहा है।
"आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के विचारों में हम और पश्चिम" कॉन्फ़्रेस में ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली लारीजानी:
ईरान के राष्ट्रीय प्रसारण केन्द्र आईआरआईबी के अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस हॉल में "आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के विचारों में हम और पश्चिम" शीर्षक के तहत कॉन्फ़्रेस का समापन समारोह आयोजित किया गया जिसमें बुद्धिजीवी, प्रोफ़ेसर और रिसर्च स्कॉलर्ज़ शामिल हुए।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 22 अक्तूबर 2025 को आयतुल्लाह मीरज़ा मोहम्मद हुसैन नाईनी को श्रद्धांजलि पेश करने की कान्फ़्रेंस के प्रबंधकों से मुलाक़ात में आयतुल्लाह नाईनी की इल्मी शख़्सियत के अहम पहलुओं पर रौशनी डाली।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
सैयद अली ख़ामेनेई
30 मई 2025
ईरान के संसद सभापति जनाब मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने पाकिस्तान के अपने दौरे पर इस मुल्क की सिनेट के चेयरमैन जनाब यूसुफ़ रज़ा गीलानी को "फ़िलिस्तीन पर रेफ़्रेंडम" किताब का उर्दू का नुस्ख़ा पेश किया। यह किताब फ़िलिस्तीन के मसले के हल के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बयानों पर आधारित है।
कुछ लोग पूछते हैं कि हम अमरीका के सामने झुके नहीं, क्या अमरीका के साथ कभी भी संबंध क़ायम नहीं होगा? क्या हमेशा अमरीका के मुख़ालिफ़ रहेंगे? जवाब यह है कि अमरीका की साम्राज्यवादी फ़ितरत, समर्पण के अलावा किसी चीज़ पर राज़ी नहीं होती।
इस्लामी गणराज्य और अमरीका के बीच मतभेद की वजह बुनियादी है, यह दो धाराओं के हितों का टकराव है। यह भोलापन है अगर कोई यह सोचता है कि चूंकि एक क़ौम अमरीका मुर्दाबाद का नारा लगाती है इसलिए अमरीका इस तरह दुश्मनी करता है।
मलऊन ज़ायोनी शासन की मदद और उसके साथ सहयोग और ईरान के साथ सहयोग एक साथ मुमकिन नहीं है। अगर (अमरीका) ज़ायोनी शासन का सपोर्ट करना पूरी तरह छोड़ दे, यहाँ (क्षेत्र) से अपनी सैन्य छावनियों को ख़त्म कर दे, इस इलाक़े में हस्तक्षेप न करे, उस वक़्त इस मसले की समीक्षा की जा सकती है।
अमरीकी कभी कभी कहते हैं कि "हम ईरान के साथ सहयोग करना चाहते हैं।" अगर वह ज़ायोनिस्ट सरकार की हिमायत बिल्कुल ख़त्म कर दे, अपने फ़ौजी अड्डे समेट ले, और इलाक़े में हस्तक्षेप बंद कर दे, तो फिर इस पर ग़ौर किया जा सकता है। लेकिन यह बात न तो आज के लिए है, न ही निकट भविष्य के लिए।
4 नवम्बर को हमारे नौजवान स्टूडेंट्स ने जाकर अमरीकी दूतावास को अपने कंट्रोल में ले लिया। यह दिन, इस बात में शक नहीं कि इतिहास की नज़र से मुल्क के भविष्य के लिए फ़ख़्र के क़ाबिल और क़ौम की जीत का दिन शुमार होगा। यह वह दिन है जब हमारे नौजवानों ने उस ताक़त के मुक़ाबले में हिम्मत दिखाई जिससे दुनिया के नेता डरते थे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने विश्व साम्राज्यवाद के ख़िलाफ संघर्ष के राष्ट्रीय दिवस के उलपलक्ष्य में, स्टूडेंट्स और 12 दिवसीय जंग के शहीदों के कुछ परिवार वालों से, सोमवार 3 नवम्बर 2025 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से पूरे मुल्क के टीचरों की मुलाक़ात के मौक़े पर ग़ज़ा पट्टी के स्टूडेंट्स और बहादुर टीचरों के लिए ईरानी टीचरों के दिल की गहराई से निकलने वाले जुमले। (17 मई 2025)
सामने वाले पक्ष ने धमकी दी है कि अगर तुमने वार्ता नहीं की तो ऐसा और वैसा होगा, हम बमबारी करेंगे। ऐसी वार्ता को स्वीकार करना जो धमकी के साथ जुड़ी हो, कोई सम्मानीय राष्ट्र बर्दाश्त नहीं करता, कोई भी समझदार राजनीतिज्ञ इसका समर्थन नहीं करता है।
सैयद हसन नसरुल्लाह इस्लामी दुनिया के लिए बहुत क़ीमती संपत्ति थे; सिर्फ़ शियों के लिए नहीं, सिर्फ़ लेबनान के लिए नहीं, इस्लामी दुनिया के लिए संपत्ति थे। अलबत्ता यह संपत्ति ख़त्म नहीं हुयी। यह संपत्ति बाक़ी है।
इमाम ख़ामेनेई
23 सितम्बर 2025
हिज़्बुल्लाह को कम न समझिए इस क़ीमती संपत्ति की ओर से ग़फ़लत नहीं होनी चाहिए। यह, लेबनान और ग़ैर लेबनान के लिए संपत्ति है।
इमाम ख़ामेनेई
23 सितम्बर 2025
ज़रूरी समझता हूं कि महान मुजाहिद शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत की बर्सी पर उनका ज़िक्र करूं। सैयद हसन नसरुल्लाह इस्लामी दुनिया के लिए बहुत क़ीमती संपत्ति थे सिर्फ़ शियों के लिए नहीं, सिर्फ़ लेबनान के लिए नहीं, अलबत्ता यह संपत्ति ख़त्म नहीं हुयी। यह संपत्ति बाक़ी है।
उन्होंने आकर ईरान की यूरेनियम संवर्धन के प्रतिष्ठानों पर फ़ुलाँ जगह और फ़ुलाँ जगह बमबारी कर दी। यूरेनियम संवर्धन एक साइंस है, और साइंस को मिटाया नहीं जा सकता। साइंस बमों, धमकियों या ऐसी चीज़ों से ख़त्म नहीं होती।
इमाम ख़ामेनेई
23 सितम्बर 2025
यानी हम अमरीका के वार्ता की मेज़ पर बैठें और उनके साथ होने वाली बातचीत का नतीजा वह बात हो जो उसने कही है, यह वार्ता नहीं है, यह तो मुंहज़ोरी है, ऐसे पक्ष के साथ बैठकर वार्ता कीजिए कि जिसका नतीजा आवश्वयक रूप से वही होगा जो वह चाहता है, क्या इसे वार्ता कहेंगे?
22 अगस्त 2025 को ज़ायनी सरकार के प्रधान मंत्री बिनयामिन नेतनयाहू का एक इंटरव्यू आई-24 नेटवर्क पर प्रसारित हुआ जिसमें उन्होंने साफ़ तौर पर "ग्रेटर इस्राईल" के सपने का ज़िक्र किया और उसे अपना आध्यात्मिक और ऐतिहासिक मिशन कहा।