दूसरे भी समझते हैं कि अमरीका झूठा है, लेकिन उनमें कहने की हिम्मत नहीं है। दूसरी बहुत सी क़ौमों और ईरानी क़ौम में फ़र्क़ यह है कि ईरानी क़ौम में यह कहने की हिम्मत है कि अमरीका हमलावर है, अमरीका झूठा है, अमरीका धोखेबाज़ है, अमरीका साम्राज्यवादी है और अमरीका मुर्दाबाद।
क़ुरआन प्रतियोगिता में भाग लेने वालों से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रविवार की सुबह इक्तालीसवीं अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले उस्तादों, क़ारियों और हाफ़िज़ों से मुलाक़ात में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस की मुबारकबाद दी और क़ुरआन के शब्द, क्रम, अर्थ, अल्लाह की परंपराओं के बयान सहित सभी चीज़ों को चमत्कार बताया।
क़ुरआन मजीद की इक्तालीसवीं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने वालों और क़ुरआन मजीद के कुछ हाफ़िज़ों, क़ारियों और शिक्षकों ने 2 फ़रवरी 2025 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई, इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की याद में मनाए जाने वाले "दहे फ़ज्र" के मौक़े पर गुरुवार 30 जनवरी 2025 की सुबह को तेहरान के बहिश्ते ज़हरा क़ब्रिस्तान पहुंचे और वहाँ उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह और 28 जून 1981 की घटना और उसी साल 30 अगस्त को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई आतंकवादी घटना के शहीदों के मज़ार पर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि पेश की।
कूटनैतिक मुस्कुराहटों के पीछे इस तरह की दुश्मनियां, इस तरह के द्वेष इस तरह के घिनौने अंतर्मन छिपे हुए हैं, हम अपनी आँखें खोलें। हमें मालूम होना चाहिए कि हमारा सामना किससे है, हम किससे डील कर रहे हैं, किससे बात कर रहे हैं।
रेज़िस्टेंस ने बहुत से ग़ैर मुस्लिमों की अंतरात्मा को झिंझोड़ दिया। इस अवधि के दौरान दुनिया भर में लगभग 30,000 ज़ायोनी विरोधी प्रदर्शन हुए हैं! लोगों की अंतरात्मा जाग गई है।
इमाम ख़ामेनेई
28 जनवरी, 2025
पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी पर नियुक्ति की ईद, इदे मबअस के मौक़े पर मुल्क के आला अधिकारियों और इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और प्रतिनिधियों ने मंगलवार 28 जनवरी 2025 की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के एलान की ईद, ईदे बेसत के मौक़े पर मंगलवार 28 जनवरी 2025 की सुबह मुल्क की कार्यपालिका, विधिपालिका और न्यायपालिका के अध्यक्षों, मुल्क के आला अधिकारियों, तेहरान में नियुक्त इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और समाज के मुख़्तलिफ़ वर्ग के लोगों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
यह रेज़िस्टेंस और उसका आगे बढ़ना, इसी बेसत की एक किरण हैं। रेज़िस्टेंस जो इस्लामी ईरान से शुरू हुआ, उसने मुस्लिम क़ौमों को जागरुक किया। कुछ मुस्लिम क़ौमों को मैदान में ले आया। उसने अवाम की सतह पर मुस्लिम क़ौमों को बेदार किया और बहुत से ग़ैर मुसलमानों के ज़मीरों को भी जगा दिया। वर्चस्ववादी सिस्टम पहचाना गया, पहचनवाया गया।
बरसों से पश्चिमी जगत ने मुसलमान औरतों की ऐसी छवि पेश की है जो पश्चिमी सरकारों के वैचारिक और भूराजनैतिक लक्ष्यों से प्रभावित रही है। इस छवि के तहत मुसलमान औरतों को एक असहाय, मज़लूम और बिना पहचान वाली औरत के तौर पर पेश किया जाता है जो मर्दों के प्रभुत्व वाले सिस्टम की जेल में और धार्मिक आस्था की बेड़ियों में क़ैद है।
आज सारे सियासी व दुनियावी समीकरण दक्षिणी लेबनान के मोमिन व मुख़लिस अवाम के हाथों ध्वस्त हो गए जो क़ाबिज़ ज़ायोनी सेना को धता बताते हुए बलिदान के जज़्बे और अल्लाह के वादे पर यक़ीन के साथ जान हथेली पर रख कर मैदान में आ गए।
इमाम ख़ामेनेई
काशान प्रांत के शहीदों पर कान्फ़्रेंस के आयोजकों ने 27 जनवरी 2025 को रहबरे इंक़ेलाब से मुलाक़ात की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में तक़रीर करते हुए काशान की बेहद अहम ख़ासियतों का ज़िक्र किया और कुछ हिदायात दीं। (1)
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 22 जवनरी 2025 को निजी सेक्टर में सरगर्म उद्योगपतियों और प्रभावी लोगों से मुलाक़ात में निजी क्षेत्र की निर्णायक अहमियत पर प्रकाश डाला। साथ ही ग़ज़ा जंग और इस्लामी गणराज्य ईरान से संबंधित कुछ बिन्दु पेश किए। (1)
ज़ालिम व निर्दयी ज़ायोनी सरकार, हमास के साथ जिसे वह ख़त्म करना चाहती थी, वार्ता की मेज़ पर बैठी है।और युद्ध विराम पर अमल के लिए उसकी शर्तें मान चुकी है। यह जो हम कहते हैं कि रेज़िस्टेंस ज़िंदा है, इसका अर्थ यह है।
रीगन ने इसी ख़याल से कि ईरान कमज़ोर हो गया है, सद्दाम शासन की इतनी ज़्यादा मदद की। वह भी और दसियों दूसरे ख़याली पुलाव पकाने वाले नरक में पहुंच गए, इस्लामी सरकार दिन ब दिन आगे बढ़ती गयी।
मुल्क में प्राइवेट सेक्टर के कुछ उद्योगपतियों और सरगर्म लोगों ने बुधवार 22 जनवरी 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार को सुबह मुल्क के उद्योगपतियों और आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय लोगों से मुलाक़ात की। उन्होंने इस मुलाक़ात में ग़ज़ा में संघर्ष विराम और कामयाबी को रेज़िस्टेंस के ज़िंदा होने और ज़िंदा बाक़ी रहने की भविष्यवाणी के व्यवहारिक होने की खुली निशानी बताया।
ब्रिक्स (BRICS) के वित्तीय सिस्टम से सदस्य देशों की मुद्राओं से जो लेन-देन होना तय है, अगर उस पर गंभीरता से काम किया गया तो निश्चित तौर पर यह बहुत मदद करेगा।
"अवाम की भागीदारी से उत्पादन में छलांग" के नारे वाले मौजूदा हिजरी शम्सी साल में प्राइवेट सेक्टर की उपलब्धियों और क्षमताओं को सार्वजनिक स्तर पर पेश करने के लिए मंगलवार 21 जनवरी 2025 को "तरक़्क़ी के ध्वजवाहक" के नाम से तेहरान में एक नुमाइश का आयोजन हुआ है। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस नुमाइश का मुआयना किया।
प्राइवेट सेक्टर की उपलब्धियों और क्षमताओं की नुमाइश में इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
शहीद राज़ीनी और शहीद मुक़ीसा को अल्लाह के दुश्मनों के हाथों, अल्लाह की राह में शहीद होने का बदला मिला। जो लोग दुनिया से शहीद जाते हैं उन्हें हक़ीक़त में अल्लाह के पास से बदला मिलता है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से क़ुम के अवाम की मुलाक़ात जो बुधवार 8 जनवरी 2025 को हुयी, क़ुम के लोगों के निर्णायक आंदोलन की बरसी के उपलक्ष्य में थी। इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस आंदोलन की क़द्रदानी करने के साथ ही, नीतियों और समीक्षा का एक ख़ाका पेश किया जो रोडमैप के समान था और वाक़यात की गहरी समीक्षा का तरीक़ा बताने वाला था।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार 19 जनवरी 2025 की रात में ईरान के 2 बड़े अहम जजों हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अलहाज शैख़ अली राज़ीनी और आक़ाए अलहाज शैख़ मोहम्मद मोक़ीसा की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई। न्यायपालिका के इन दोनों बहादुर जजों को शनिवार को उनके कार्यालय में शहीद कर दिया गया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेताआयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार 19 जनवरी 2025 की रात में ईरान के 2 बड़े अहम जजों हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अलहाज शैख़ अली राज़ीनी और आक़ाए अलहाज शैख़ मोहम्मद मोक़ीसा की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।
न्यायपालिका के दो बड़े अहम जजों की शहादत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक सांत्वना संदेश जारी किया है, जो इस प्रकार हैः
अमीरुल मोमेनीन की हस्ती को शिया-सुन्नी और इस्लामी मतों के बीच मतभेद की बुनियाद न बनाइये। अमीरुल मोमेनीन की हस्ती एकता का बिंदु है न कि फूट का।
इमाम ख़ामेनेई
5 नवम्बर 2004
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के ख़ुबसूरत पहलुओं में से एक, इंसाफ़ है। उनकी ज़िंदगी और बातों में इंसाफ़ इतनी अहमियत रखता है कि अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की पूरी हुकूमत पर इसका प्रभाव पड़ा है।
इमाम ख़ामेनेई
7 जनवरी 1993
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम सत्ता, हुकूमत और शासन के पूरे दौर में जो अल्लाह ने उनके अख़्तियार में दिया, समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग की चिंता में लगे रहे...ग़रीब के घर जाते हैं, यतीम बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 दिसम्बर 1992
पश्चिमी पूंजीवाद किस तरह अफ़्रीक़ा महाद्वीप में पारिवारिक सिस्टम को तबाह करने और वहाँ अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगा है। इस बारे में एक लेख पेश है।
अमीरुल मोमेनीन का राजनैतिक व्यवहार उनके आध्यात्मिक और अख़लाक़ी व्यवहार से अलग नहीं है; अमीरुल मोमेनीन की नीति में अध्यात्म और अख़लाक़ शामिल है, हक़ीक़त में उसका स्रोत हज़रत अली का अध्यात्म और उनका अख़लाक़ है।
इमाम ख़ामेनेई
11 सितम्बर 2009
कुछ लोग कहते हैं कि जनाब आप अमरीका के साथ न तो वार्ता के लिए तैयार हैं और नहीं संपर्क क़ायम करना चाहते हैं, योरोपीय देशों के साथ जबकि वे भी अमरीका की ही तरह हैं, क्या अंतर है, क्यों संपर्क बना रखा है? नहीं! फ़र्क़ है।
इंक़ेलाब से पहले अमरीका की पसंद यह थी कि ईरान उसका ग़ुलाम रहे, अमरीकी और ज़ायोनी हितों की हिफ़ाज़त करे। वे ईरान के लिए यह आरज़ू रखते थे, आज भी उनकी यही तमन्ना है। कार्टर अपनी यह आरज़ू लेकर क़ब्र में पहुंच गए और यह लोग भी अपनी यह आरज़ू क़ब्र में ले जाएंगे।