उस रात उनका आना असमान्य घटना थी। शुरू के दो तीन मिनट सभी लोग हतप्रभ और एक ख़ास हालत में थे। एक बहुत ही आध्यात्मिक और क़ीमती माहौल था जिसका हम सभी पर प्रभाव पड़ा।
ज़हरा शाफ़ेई, रिसर्च स्कॉलर
बग़दाद से काबुल तक और अब तेहरान के संबंध में, साम्राज्यवाद की शैतानी साज़िशों में कोई बदलाव नहीं आया हैः उस सरकार की छवि को शैतानी दिखाया जाता है जो साम्राज्यवाद की दुश्मन है, उन लोगों को इंसानियत के दायरे से बाहर दिखाया जाता है जो पश्चिम की साम्राज्यवादी नीतियों के मुक़ाबले में डट गए हैं।
बैत हानून का नाम, ज़ायोनियों के लिए कुछ कड़वी यादें लिए हुए है। यह एक ऐसा इलाक़ा है जिसने रेज़िस्टेंस के मुजाहिदों की बहादुरी से ज़ायोनी शासन की अपराधी फ़ौज की धौंस को बार बार मिट्टी में मिलाया है। ज़ायोनी मीडिया ने इस आप्रेशन को, रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का 7 अक्तूबर के बाद का सबसे जटिल और बड़ा आप्रेशन क़रार दिया है।
जो भी अमरीका और कुछ दूसरे मुल्कों में मानवाधिकार के सपोर्ट के दावों के झूठे होने को आँखों से देखना चाहता है, वह स्रेब्रेनिका के वाक़यों को देखे। जो भी सुरक्षा परिषद की अयोग्यता को देखना चाहे, जो क़ौमों की सुरक्षा के नाम पर वजूद में आयी है, वह स्रेब्रेनिका को देखे।
इमाम ख़ामेनेई
12 जूलाई 1995
ईरानी, हमेशा आशूरा के संदेश से प्रेरित रहे हैं। यह घटना सिर्फ़ एक ऐतिहासिक वाक़या नहीं, बल्कि न्याय और सच्चाई के लिए संघर्ष और अत्याचार के ख़िलाफ़ डट जाने का प्रतीक है। ईरानियों के लिए, आशूरा सच और झूठ के बीच अनंत लड़ाई का एक शक्तिशाली प्रतीक है जो आज भी जारी है।
इस्लामी गणराज्य ईरान के ख़िलाफ़ ज़ायोनी सरकार के हमले के जवाब में ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने गावयाम टेक्नॉलोजी पार्क को बड़ी सटीकता से मीज़ाइलों का निशाना बनाया। ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने 20 जून को इस सेंटर पर ज़बरदस्त हमला किया और ज़ायोनी सरकार की वॉर मशीन पर भारी वार किया।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में 7 जूलाई 2025 की रात, इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शहादत के मौक़े पर आख़िरी मजलिस आयोजित हुयी, जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
आज हमें इस बात की ज़रूरत है कि दुनिया को इमाम हुसैन इबने अली से परिचित कराएं। इस्लामी जगत को हुसैन इबने अली अलैहिस्सलाम का सबक़ यह है कि सत्य के लिए, इंसाफ़ के लिए, इंसाफ़ क़ायम करने के लिए, ज़ुल्म के मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और अपना सब कुछ मैदान में ले आना चाहिए।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की याद में शामे ग़रीबाँ की मजलिस तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 6 जुलाई 2025 को आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मोहर्रम की दसवीं रात की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मोहर्रम की दसवीं रात की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में गुरूवार की रात को मोहर्रम की आठवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार की रात को मोहर्रम की नवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार की रात को मोहर्रम की नवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
हर साल की तरह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में बुधवार की रात को मोहर्रम की सातवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी।
हुसैन बिन अली अलैहेमस्सलाम का तौर तरीक़ा, सत्य की रक्षा का है, ज़ुल्म, उद्दंडता, गुमराही और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ डट जाने का तौर तरीक़ा है...आज दुनिया को इस तौर तरीक़े की ज़रूरत है...इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का यह पैग़ाम, दुनिया की मुक्ति का पैग़ाम है।
इमाम ख़ामेनेई
18 सितम्बर 2019
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई पर हमले के गुस्ताख़ी भरे बयानों के ख़िलाफ़, बड़े धर्मगुरूओं ने बयान और फ़तवे जारी करके अपने स्टैंड का एलान किया है।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में गुरूवार की रात को मोहर्रम की आठवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी जिसमें बड़ी तादाद में अज़ादारों ने शिरकत की।
किसी भी तर्क के मुताबिक़ यह बात स्वीकार्य नहीं है कि किसी क़ौम से कहा जाए कि वह सरेंडर कर दे, ईरानी क़ौम से यह कहना कि समर्पण कर दो, अक़्लमंदी की बात नहीं है।
हर साल की तरह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की अज़ादारी के तहत तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में बुधवार की रात को मोहर्रम की सातवीं रात की मजलिस आयोजित हुयी।
फ़िलिस्तीन के मक़बूज़ा इलाक़ों पर ईरान की ओर से पहली बार मीज़ाईल बरसाए जाने के कुछ ही दिन के अंदर ज़ायोनी शासन के कमज़ोर होने की निशानियां ज़ाहिर हो गयीं।
13 जून से 24 जून तक ईरान पर ज़ायोनी शासन के हमलों में, शहीद होने वाले इस्लामी जम्हूरिया ईरान के कमांडरों की याद में
हालिया वाक़यों में शहीद होने वालों को श्रद्धांजलि पेश है। शहीद कमांडर, शहीद वैज्ञानिक सचमुच हक़ीक़त में इस्लामी गणराज्य के लिए बहुत क़ीमती थे और उन्होंने सेवाएं की और आज अल्लाह की बारगाह में अपनी महान सेवाओं का बदला पा रहे होंगे इंशाअल्लाह।
इमाम ख़ामेनेई
26 जून 2025
अमरीकी सरकार सीधे तौर पर जंग में कूद पड़ी क्योंकि उसे लगा कि अगर वह नहीं कूदी तो ज़ायोनिस्ट रेजीम पूरी तरह मिट जाएगी। जंग में कूदी ताकि उसे बचाए लेकिन इस जंग से उसे कुछ हासिल नहीं हुआ।
इस्लामी गणराज्य ने अमरीका को बहुत ज़ोरदार थप्पड़ लगाया। क्षेत्र में अमरीका की बड़ी अहम छावनियों में से एक अल-उदैद बेस पर हमला किया और उसे नुक़सान पहुंचाया।
ईरानी क़ौम ने इस वाक़ए में अपनी महानता का अपनी अज़ीम शख़्सियत का परिचय दिया और यह दर्शा दिया कि ज़रूरत पड़ने पर इस क़ौम से एक सुर सुनाई देगा और बेहम्दिल्लाह ऐसा हुआ।
अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा, "ईरान सरेंडर हो जाए।" अस्ल बात युरेनियम संवर्धन नहीं है, ईरान के सरेंडर होने का विषय है। यह बात अमरीकी राष्ट्रपति के मुंह से छोटा मुंह बड़ी बात जैसी है।
शनिवार 28 जून 2025 को राजधानी तेहरान में दसियों लाख लोगों ने, ज़ायोनी शासन के हमलों में शहीद होने वाले कमांडरों, वैज्ञानिकों और उनके घर वालों की शव यात्रा में शिरकत की।
अमरीकी सरकार सीधे तौर पर जंग में कूद पड़ी, क्योंकि उसे लगा कि अगर वह नहीं कूदी तो ज़ायोनिस्ट रेजीम पूरी तरह मिट जाएगी। इस्लामी गणराज्य ने पलट कर अमरीका को बहुत ज़ोरदार थप्पड़ लगाया। हमारी संस्कृति और सभ्यता की धऱोहर अमरीका और उसके जैसों से सैकड़ों गुना ज़्यादा है। कोई यह अपेक्षा रखे कि ईरान किसी देश के आगे सरेंडर होगा यह एक निरर्थक बात है।
ईरान पर दुष्ट ज़ायोनी शासन के हमले और इसमें ईरानी क़ौम की कामयाबी के बाद, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने टेलिवीजन पर 26 जून 2025 को राष्ट्र को संबोधित किया जो इस प्रकार है:
इतने शोर शराबे और इतने लंबे चौड़े दावों के बावजूद,
ज़ायोनी सरकार इस्लामी गणराज्य के भीषण वार से
क़रीब क़रीब ढह गयी और उसे कुचल कर रख दिया गया।
इमाम ख़ामेनेई
26 जून 2025
"और मदद, ख़ुदावंद क़दीर व हकीम के अलावा किसी और की जानिब से नहीं है।" (सूरए आले इमरान, आयत-126) और अल्लाह ईरानी क़ौम को, सच्चाई को, हक़ को निश्चित तौर पर फ़तह देगा इंशाअल्लाह।
ज़ायोनी दुश्मन ने बहुत बड़ी ग़लती की है,
बहुत बड़ा अपराध किया है,
जिसे दंडित किया जाना चाहिए और उसे सज़ा मिल रही है।
इस वक़्त भी उसे सज़ा मिल रही है…
ज़ायोनी शासन के हमले के बाद क़ौम के नाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के दूसरे पैग़ाम से
18 जून 2025