इस जश्न में जिसमें 12 दिवसीय थोपी गयी जंग के शहीदों के घर वाले, समाज के अनेक तबक़े के लोग और इसी तरह विश्व इस्लामी एकता कान्फ़्रेंस के मेहमानों ने शिरकत की, विश्व अहलेबैत असेंबली की उच्च परिषद के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन अख़्तरी ने रबीउल अव्वल के महीने की विशेष घटनाओं ख़ास तौर पर पैग़म्बरे इस्लाम के पंद्रह सौवें शुभ जन्म दिवस की ओर इशारा करते हुए, पूरी कायनात के लिए रहमत हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि वआलेही वसल्लम की हस्ती से अनभिज्ञता को मौजूदा हालात में इस्लामी जगत का सबसे बड़ा मसला बताया और कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम के व्यक्तिगत और सामाजिक पहलुओं की व्याख्या, इस्लामी समाज की सबसे अहम ज़िम्मेदारियों में से एक है।

उन्होंने फ़िलिस्तीन के मसले और ग़ज़ा में ज़ायोनी सरकार के अपराधों को इस्लामी जगत का सबसे अहम मसला क़रार देते हुए कहा कि इन हालात में मुसलमानों का फ़रीज़ा, ज़ालिमों और अत्याचारियों के मुक़ाबले में डट जाना है जबकि इस्लामी सरकारों की ज़िम्मेदारी, ज़ायोनी सरकार से हर तरह के संबंधों को तोड़ लेना है।

इस जश्न में जनाब हमीद रमज़ान पूर ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम और इसी तरह हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शान में क़सीदे पढ़े।