फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद, आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
इमाम ख़ामेनेई
हाजियों के नाम पैग़ाम, 30 मई 2025
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद, आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
इमाम ख़ामेनेई
हाजियों के नाम पैग़ाम, 30 मई 2025
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद, आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
शादी की रात, दुल्हन का विशेष लेबास फ़क़ीर को, निर्धन को दे देती हैं; तीन दिन तक खाना नहीं खातीं और अपनी इफ़्तारी फ़क़ीर को दे देती हैं और अवाम की मुश्किलों को दूर करती हैं।
युद्ध विराम के आग़ाज़ से अब तक क़रीब दो महीने गुज़रने के बाद भी, ग़ज़ा पट्टी में अस्पतालों और इलाज की सेवा की हालत बहुत ही संकटमय है। ज़ायोनी शासन ग़ज़ा पट्टी के अवाम की ज़रूरत के सामान और उपकरणों को पहुंचने से, रोक रहा है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
इस महान महिला की तारीख़, पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी की तारीख़ से पूरी तरह जुड़ी हुयी है,यानी पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के आग़ाज़ के कुछ ही मुद्दत बाद,इस महान हस्ती का उदय हुआ और पैग़म्बरे इस्लाम के निधन के कुछ मुद्दत बाद उनकी रेहलत हो गयी।
इमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:शबे जुमा (गुरूवार की रात) को मेरी माँ पूरी रात जागती रहीं इबादत करती रहीं,मैंने जब भी उनकी आवाज़ सुनी तो देखा कि वह दूसरों के लिए दुआ कर रही हैं सुबह मैंने कहाः माँ आपने दूसरों के लिए दुआ की,अपने लिए दुआ नहीं की?उन्होंने फ़रमायाः मेरे लाल! पहले पड़ोसी, फिर घर वाले।
अपनी प्यारी बेटियों से, सभा में मौजूद महिलाओं से कहना चाहता हूं कि जो लोग आपके आस-पास हैं उन्हें ध्यान दिलाइये कि हेजाब को एक धार्मिक, इस्लामी, फ़ातेमी और ज़ैनबी मसला समझें।
अगर (अमरीका) ज़ायोनी शासन का सपोर्ट करना पूरी तरह छोड़ दे, यहाँ (क्षेत्र) से अपनी सैन्य छावनियों को ख़त्म कर दे, इस इलाक़े में हस्तक्षेप न करे, उस वक़्त इस मसले की समीक्षा की जा सकती है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
सैयद अली ख़ामेनेई
30 मई 2025
हमें चाहिए कि रक्षा बेल्ट को, स्वाधीनता की बेल्ट को, सम्मान व प्रतिष्ठा की बेल्ट को, अफ़ग़ानिस्तान से यमन तक, ईरान से ग़ज़ा और लेबनान तक सारे इस्लामी मुल्कों में, सारी मुसलमान क़ौमों में मज़बूत बनाएं।
"और मदद, ख़ुदावंद क़दीर व हकीम के अलावा किसी और की जानिब से नहीं है।" (सूरए आले इमरान, आयत-126) और अल्लाह ईरानी क़ौम को, सच्चाई को, हक़ को निश्चित तौर पर फ़तह देगा इंशाअल्लाह।
अमरीका, ज़ायोनी सरकार के अपराधों में निश्चित तौर पर भागीदार है, इस इलाक़े में और दूसरे इस्लामी क्षेत्रों में अमरीका के संपर्क में रहने वाले लोग, मज़लूम के सपोर्ट के सिलसिले में क़ुरआन मजीद कीआवाज़ सुनें और अमरीका की साम्राज्यवादी सरकार को इस ज़ालेमाना व्यवहार को रोकने के लिए मजबूर करें।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सन 2025 के हज के पैग़ाम से
आज पूरी दुनिया के लोग निश्चित रूप से उन दुष्टताओं के विरोधी हैं, जो ज़ायोनी शासन कर रहा है। लोग इसके ख़िलाफ़ खड़े हैं। जिसके लिए जिस तरह से भी संभव है, अपने स्तर पर प्रतिरोध कर रहा है।
21 मार्च 2025
इमाम ख़ामेनेई
ईरानी क़ौम ने इस मुबारक महीने के आख़िरी जुमे को एक बड़ा कारनामा अंजाम दिया और अवाम की इस रैली से दुनिया को अनगिनत संदेश पहुंचे। जिन लोगों को हमारी क़ौम को समझने की ज़रूरत है उन्हें तेहरान और दूसरे छोटे बड़े शहरों में आप अज़ीज़ लोगों की इस शानदार रैली से बहुत से संदेश पहुंचे।
सुलैमानी को उस मौक़े पर अपने फ़रीज़े का एहसास हुआ। उन्होंने उन लोगों से संपर्क करना शुरू किया, उनकी मदद की, उन्हें मुक्ति दिलायी। अलबत्ता एक बहुत अच्छा और बहुत प्रभावी क़दम उस वक़्त इराक़ के वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व की तरफ़ से उठाया गया, उसका असाधारण प्रभाव हुआ।
वे रेज़िस्टेंस और रेज़िस्टेंस मोर्चे को सही तरीक़े से नहीं समझते। उस पर जितना भी दबाव डालें, वह उतना ही मज़बूत होता जाएगा। अल्लाह की ताक़त से रेज़िस्टेंस का दायरा अतीत की तुलना में पूरे क्षेत्र में और भी फैल जाएगा।
झूले में मौजूद बच्चे, पांच साल, छह साल के बच्चों पर, महिलाओं पर, अस्पतालों में भरती बीमारों पर, इन लोगों ने तो एक गोली भी नहीं चलायी होती है, लेकिन इन पर बम गिराए जा रहे हैं।
मैं यह कहना चाहता हूं ऐ इमाम अली बिन मूसा रज़ा यह मेरा दिल, आपका है। मैं आपसे कुछ चीज़ें मांगता हूं। लेकिन मैं ख़ुद क्या देना चाहता हूं ताकि मेरे काम की वो गिरहें खुल जाएं। वह चीज़ जो मैं आपके पास रखना चाहता हूं, वह मेरा दिल है।
हमास ने एक सरकार की हैसियत ने नहीं, एक देश की हैसियत से नहीं, एक संघर्षशील गिरोह की हैसियत से, क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार को, उसके इतने सारे संसाधनों के साथ नॉकआउट कर दिया।
ज़ायोनी कालोनियों वग़ैरह में जो लोग रह रहे हैं वो आम लोग नहीं हैं, वो हथियारों से लैस हैं। चलिए मैं मान लेता हूं कि वो आम लोग हैं! कितने आम लोग मारे गए? इससे 100 गुना ज़्यादा इस वक़्त यह क़ाबिज़ सरकार बच्चों, औरतों, बूढ़ों और जवानों को क़त्ल कर रही है जो आम नागरिक हैं।