सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने योरोप में स्टूडेंट्स की इस्लामी यूनियन की 56वीं बैठक के नाम एक मैसेज जारी किया जिसमें आपने हालिया राजनैतिक व सैन्य हालात की ओर इशारा करते हुए धड़ेबंदी को पहचानने, सही स्डैंट अपनाने और सत्य के मोर्चे के हित में हालात को मोड़ने में रोल निभाने की तैयारी पर ताकीद की।
इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 12 मार्च 2022 को असेंबली ऑफ़ एक्सपर्ट्स के मेंबरों के बीच बड़ा अहम ख़िताब किया। सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में ताज़ा हालात की चर्चा की। (1)
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीच पेश हैः
विशेषज्ञ परिषद की नवीं औपचारिक बैठक ख़त्म होने पर इस परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों ने आज तेहरान में सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
आज दुनिया में माडर्न जाहेलियत, भेदभाव, ज़ुल्म और संकट को जन्म देने की तसवीर अमरीका है। दरअस्ल अमरीकी सरकार संकटजनक और संकटजीवी सरकार है जो दुनिया भर में तरह तरह के संकटों से अपनी आजीविका हासिल करती है। #यूक्रेन इसी सियासत की भेंट चढ़ गया।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
अमरीका माफ़ियाई सरकार है। सियासी माफ़िया, आर्थिक माफ़िया वग़ैरा के हाथ में बागडोर है जो राष्ट्रपतियों को सत्ता में लाते हैं। वे दुनिया में संकट पैदा करते हैं ताकि ज़्यादा फ़ायदा हासिल करें: दाइश का मसला, यूक्रेन संकट। वे सीरिया का तेल चुराते हैं, अफ़ग़ान अवाम का पैसा चोरी करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
सरकारों का सबसे बड़ा सहारा अवाम हैं। यह यूक्रेन संकट का दूसरा बड़ा सबक़ है। अगर #यूक्रेन के अवाम मैदान में उतर पड़ते तो यूक्रेन की सरकार की यह हालत न होती। अवाम मैदान में नहीं उतरे क्योंकि सरकार से संतुष्ट नहीं थे।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की पैदाइश का दिन अज़ीम दिन है। तीन शाबान की महानता को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की महानता की एक झलक के तौर पर देखने की ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई
12 जून 2013
अमरीका ने #यूक्रेन को इस हालत में पहुंचाया है। अमरीका ने इस मुल्क के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करके, रंगीन विद्रोह करवाकर, एक सरकार को हटाने और दूसरी को सत्ता में लाने का सिलसिला शुरू करके यूक्रेन की यह हालत कर दी।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
यूक्रेन के हालात से दो सबक़ मिलते हैं: जो सरकारें अमरीका और यूरोप से मदद की आस लगाए बैठी हैं जान लें कि यह मदद फ़रेब है हक़ीक़त नहीं। आज #यूक्रेन कल #अफ़ग़ानिस्तान। दोनों मुल्कों के राष्ट्रपतियों ने कहा कि हमने अमरीका और पश्चिम पर भरोसा किया और उन्होंने हमें बेसहारा छोड़ दिया।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
#यूक्रेन में ईरान युद्ध विराम का तरफ़दार है। हम चाहते हैं कि वहां जंग ख़त्म हो जाए लेकिन किसी भी संकट का हल तभी मुमकिन है जब उसकी जड़ों को पहिचान लिया जाए। यूक्रेन संकट की जड़ अमरीका की संकटजनक नीतिया हैं और यूक्रेन इन्हीं नीतियों की भेंट चढ़ गया।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरान में प्राकृतिक संसाधन सप्ताह व वृक्षारोपण दिवस पर रविवार 6 मार्च 2022 को 2 पौधे लगाए।
इस अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए इस्लामी क्रांति के लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने वृक्षारोपण को इंक़ेलाबी और दीनी काम बताया और कहा कि “पेड़ों की देखभाल और रक्षा भी बहुत अहम काम है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।”
सुप्रीम लीडर ने 3 शाबान की तारीख़ के उपलक्ष्य में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जन्म दिन की मुबारकबाद पेश की।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीच:
जो शख़्स रईसाना ज़िंदगी बसर करता है और उसका जीवन गुज़ारने का तरीक़ा रईसाना है वह ग़रीबों के समर्थन के नारे को क़ुबूल नहीं कर सकता। इंक़ेलाब का नारा कमज़ोरों और ग़रीब तबक़ों की हिमायत का नारा है। जो लोग आरामदेह ज़िंदगी की फ़िक्र में हैं वे इस नारे के वफ़ादार नहीं हो सकते।
इमाम ख़ामेनेई
17 फ़रवरी 2022
यह जो आप देखते हैं कि साम्राज्यवादी ताक़तें इस अंदाज़ से इंक़ेलाब और ईरान की इंक़ेलाबी क़ौम के ख़िलाफ़ लामबंद हैं तो इसकी वजह यह है कि इंक़ेलाब ज़िंदा है। अगर इंक़ेलाब न होता तो उन्हें ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ इतनी घटिया और शैतानी हरकतें करने की ज़रूरत न होती। इंक़ेलाब के ज़िंदा होने का क्या मतलब है? इसका मतलब है मुल्क की नई नस्लों का इंक़ेलाब के लक्ष्यों और उद्देश्यों से दिली लगाव।
इमाम ख़ामेनेई
17 फ़रवरी 2022
वह पुलिस जिसने तौहीन की है, ख़ुद आकर माफ़ी मांगने पर और इस तस्वीर को शहर में कई जगहों पर दोबारा लगाने की लोगों की मांग मानने पर मजबूर हो जाती है। यह
मॉडल, आकर्षक है।
इमाम ख़ामेनेई
17 फ़रवरी 2022
हालांकि पैग़म्बरे इस्लाम की एक रूहानी हैबत थी, उनकी मौजूदगी में लोगों पर रोब छाया रहता था लेकिन पैग़म्बर लोगों के साथ बड़ी मुहब्बत और अख़लाक़ से पेश आते थे। जब वो लोगों के बीच बैठते थे तो पहचाने नहीं जाते थे कि वो लोगों के पैग़म्बर, कमांडर और सरदार हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 सितम्बर 1991
इल्म, ताक़त है साइंस सच में ताक़त और वर्चस्व है। यह जो मश्हूर शेर है “जो इल्म वाला होगा वह ताक़तवर होगा” वह बिल्कुल सही है। ताक़तवर होगा जो आलिम होगा। साइंस किसी भी मुल्क के लिए ताक़त है, यह मुल्क को ताक़तवर बनाती है। हमने साइंस के बहुत से मैदानों में ऐसी तरक्क़ी की है जिसके बारे में हम इन्क़ेलाब के शुरु में सोच भी नहीं सकते थे।
इमाम ख़ामेनेई
17 फ़रवरी 2022
रसूले ख़ुदा (स.अ.) की अज़ीम शख़्सियत सारे पैग़म्बरों में सब से महान है और हम मुसलमानों को पैग़म्बरे इस्लाम के अनुसरण का हुक्म दिया गया है। कहा गया हैः “और तुम लोगों के लिए अल्लाह के रसूल बेहतरीन नमूना थे।” (सूरा अहज़ाब आयत 21) हमें पैग़म्बर के नक़्शे क़दम पर चलना चाहिए। केवल चंद रकअत नमाज़ों की अदायगी में नहीं बल्कि अपने किरदार में, अपनी गुफ़तगू में, अपने रहन सहन में और अपने लेनदेन में भी हमें उन्हीं का अनुसरण करना चाहिए। इसलिए हमें उनकी शिनाख़्त हासिल करनी चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
12 मई 2000
पैग़म्बरे इस्लाम अपनी उस अज़मत और मरतबे के बावजूद इबादत की तरफ़ से कभी ग़ाफ़िल नहीं हुए। आधी रात को दुआ और इस्तेग़फ़ार करते थे। उम्मे सलमा ने पूछा कि आपको अल्लाह इतना चाहता है फिर भी आप गिरया करते हैं? हज़रत ने फ़रमाया कि अगर मैं अल्लाह से ग़ाफ़िल हो जाऊं तो कौन सी चीज़ मुझे बचाएगी? यह हमारे लिए सबक़ है।
इमाम ख़ामेनेई
27 सितम्बर 1991
हमारे अज़ीम पैग़म्बर के जन्म से लेकर पैग़म्बरी के एलान तक उनकी परीक्षा के मैदान थे पाकीज़गी, अमानत, पुरुषार्थ और सच्चाई। उस ज़माने में दोस्त और दुश्मन सभी इक़रार करते थे और गवाही देते थे कि यह अज़ीम और पाकीज़ा इंसान पाकीज़गी, अमानतदारी, सच्चाई और पुरुषार्थ की जीती जागती तसवीर है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2008
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई, पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लललाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की बेअसत यानी पैग़म्बरी के एलान के दिन के उपलक्ष्य में ईरानी राष्ट्र सहित पूरे इस्लामी जगत को लाइव संबोधित करेंगे।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी के एलान के तारीख़ी दिन पर ईरानी राष्ट्र और इस्लामी जगत को टेलिविजन के ज़रिए संबोधित किया।
इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 1 मार्च 2022 रसूले ख़ुदा की पैग़म्बरी के एलान के मुबारक दिन की सालगिरह के मौक़े पर बड़ा अहम ख़िताब किया। सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में बेसत के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु बयान किए और ताज़ा हालात पर चर्चा की।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीच पेश हैः
मुश्किलों के हल की कुंजी दुआ, ज़िक्रे ख़ुदा और दिलों को पाकीज़ा बनाना है। रजब का महीना उन लोगों की ईद है जो अपने दिलों को पाकीज़ा बनाने का इरादा रखते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
9 अप्रैल 2018
इस मक़सद के लिए कि इंसान जब रमज़ान के महीने में क़दम रखे तो खुली आंखों के साथ रखे, ग़ाफ़िल न हो बल्कि हमारे और आपके अंदर इसकी ज़रूरी आमादगी पैदा हो जाए, रजब और शाबान के इन महीनों का बंदोबस्त किया गया है। रजब ज़्यादा से ज़्यादा नमाज़ों का महीना है। शाबान ज़्यादा से ज़्यादा दुआओं और रोज़े का महीना है।
इमाम ख़ामेनेई
4 अकतूबर 2004
तीन महीने यानी रजब, शाबान और रमज़ान पूरे साल में आत्म निर्माण के अवसर और ज़िंदगी व तक़दीर के बड़े सफ़र के लिए ज़रूरी सामान और ऊर्जा हासिल करने के महीने हैं।
इमाम ख़ामेनेई
13 जनवरी 1993
दुनिया की एटमी एनर्जी की ज़रूरत दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। एक दिन हमें भी सिविलियन उद्देश्यों के लिए एटमी एनर्जी की शदीद ज़रूरत पड़ेगी। अगर अभी से हम इस फ़िक्र में नहीं रहेंगे तो कल देर हो जाएगी और हम ख़ाली हाथ होंगे।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने तबरेज़ के अवाम के 29 बहमन 1356 हिजरी शम्सी बराबर 18 फ़रवरी सन 1978 के आंदोलन की सालगिरह के मौक़े पर गुरूवार की सुबह पूर्वी आज़बाइजान प्रांत के अवाम को वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। उन्होंने तबरेज़ के अवाम के आंदोलन को पूरी ईरानी क़ौम के आंदोलन की अहम कड़ी और इस्लामी क्रांति की कामयाबी का भूमिका क़रार दिया।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने तबरेज़ के अवाम के 29 बहमन 1356 हिजरी शम्सी बराबर 18 फ़रवरी सन 1978 के आंदोलन की सालगिरह के मौक़े पर गुरूवार 17 फ़वरी 2022 की सुबह पूर्वी आज़बाइजान प्रांत के अवाम को वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। उन्होंने तबरेज़ के अवाम के आंदोलन को पूरी ईरानी क़ौम के आंदोलन की अहम कड़ी और इस्लामी क्रांति की कामयाबी का भूमिका क़रार दिया।
स्पीच का हिंदी अनुवाद पेश है,
दुआ की सिर्फ़ यह तासीर नहीं कि इंसान अपना दिल अल्लाह के क़रीब कर लेता है। यह तो हासिल होता ही है इसके साथ ही उसे इल्म भी हासिल होता है। दुआ में तालीम भी है और पाकीज़गी थी।
इमाम ख़ामेनेई
19 जून 2009
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई 18 फ़रवरी 1978 को तबरेज़ के अवाम के आंदोलन की सालगिरह पर पूर्वी आज़रबाइजान के अवाम को वीडियो कांफ़्रेंस के ज़रिए ख़िताब करेंगे।