आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ईदुल अज़हा और ईदे ग़दीरे ख़ुम के मौक़े पर न्यायपालिका प्रमुख के उस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी जिसमें अदालत से सज़ा पाने वालों में से कुछ लोगों की सज़ाओं को माफ़ या कम करने की बात कही गयी थी।
संविधान की धारा 110 के ग्यारहवें अनुच्छेद के मुताबिक़ हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन मोहसिनी एजेई ने इंक़ेलाबी अदालतों, फ़ौजी अदालतों और सरकारी विभागीय अदालतों से सज़ा पाने वाले 1705 लोगों की सज़ाओं को माफ़ करने या कम करने का प्रस्ताव रखा था।