सशस्त्र बलों की अकादमियों के कैडिट्स के ग्रेजुएशन के संयुक्त समारोह में सुप्रीम कमांडर के बयान की अहमियत और इसी तरह “फ़ातेहार ख़ैबर” सैन्य अभ्यास अंजाम दिए जाने के कारणों को समझने के लिए सबसे पहले कॉकसस के इलाक़े में पिछले एक साल में सामने आने वाली घटनाओं पर एक संक्षिप्त नज़र डालनी होगी। पिछले साल क़राबाख़ में आज़रबाइजान व आर्मीनिया के बीच 44 दिवसीय युद्ध के बाद रूस की मध्यस्थता से इन दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ जिसके परिणाम में आज़रबाइजान के सात शहर जो आर्मीनिया के नियंत्रण में थे, आज़ाद हो गए और तय पाया कि ख़ानकंदी शहर को केंद्र बना कर कराबाख़ में संप्रभुता का मामला भी आगे चल कर वार्ता के ज़रिए और क़ानूनों व नियमों के परिप्रेक्ष्य में हल किया जाएगा।

इस समझौते के नवें अनुच्छेद के मुताबिक़ आज़रबाइजान, नख़जवान को अपने इलाक़े से जोड़ने के लिए एक कॉरिडोर बनाने का इरादा रखता था। “ज़ंगे ज़ूर” के निर्माण का स्पष्ट मतलब, ईरान की पश्चिमोत्तरी सीमाओं पर भूराजनैतिक बदलाव लाना था। क़राबाख़ विवाद के लम्बे खिंचने और इसी तरह ईरान व आर्मीनिया की संयुक्त सीमा से गुज़रने वाले इस ट्रांज़िट मार्ग के निर्माण पर, जो बाकू को नख़जवान से जोड़ता, आज़रबाइजान और कुछ अन्य देशों के आग्रह से इन दो देशों की सीमाओं में बदलाव के बारे में एक साज़िश का इशारा मिलने लगा। युद्ध विराम के समझौते के अनुसार बाकू और येरेवान के सैनिकों को आगे नहीं बढ़ना था लेकिन पिछले महीनों में आज़रबाइजान ने विवादित इलाक़ों में बढ़त शुरू की और समझौते का उल्लंघन किया। इन मतभेदों को जारी रखते हुए जारी साल के अगस्त महीने के अंत में आज़रबाइजान के सैनिकों ने आर्मीनिया के दक्षिण से उत्तर की ओर जाने वाले राजमार्ग के एक हिस्से को बंद कर दिया जिसकी वजह से ईरान से सामान ले कर जाने वाले ट्रक, जो आर्मीनिया में दाख़िल हो चुके थे, वहीं फंस गए और इससे दोनों देशों के ज़मीनी व्यापार के रास्ते में रुकावट पैदा हो गई।

दूसरी तरफ़ इस तरह के कॉरिडोर का निर्माण, कराबाख़ के विवादों से फ़ायदा उठाने वाले कुछ देशों के ट्रांज़िट मार्ग को आर्मीनिया या ईरान की ज़मीनी सीमा से गुज़रे बिना सीधे आज़रबाइजान, कैस्पियन सी के तटों और उसके बाद मध्य एशियाई देशों तक खोल देगा। इस क़दम के नतीजे में आर्मीनिया के साथ ईरान की ज़मीनी सीमा का कोई फ़ायदा ही नहीं रह जाएगा और ईरान को उसके पश्चिमोत्तर में परिवहन के अहम अंतर्राष्ट्रीय ट्रांज़िट मार्ग से किनारे लगा दिया जाएगा। इन सारी बातों के मद्दे नज़र ईरान की पश्चिमोत्तरी सीमा पर “फ़ातेहाने ख़ैबर” सैन्य अभ्यास आयोजित किए जाने का एक उद्देश्य एडवंचरिज़्म की कोशिश करने वाली उन क्षेत्रीय और बाहरी ताक़तों को एक स्पष्ट और बुद्धिमत्तापूर्ण संदेश देना था जो इस्लामी गणतंत्र ईरान के जियो पोलिटिकल रोल को कम करने की कोशिश कर रही थीं।

आज शांतिपूर्ण माहौल में ही देशों की अर्थव्यवस्था तरक़्क़ी करके मज़बूत बन सकती है। अशांति व असुरक्षा, क्षेत्रीय देशों से पूंजी के फ़रार और आर्थिक ठहराव का कारण बनेगी। इसी लिए विभिन्न देश, अपनी आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने के लिए अलग अलग तरीक़े अपनाते हैं। क्षेत्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए एक उचित उपाय, क्षेत्रीय सेनाओं की ताक़त पर ध्यान देना और क्षेत्र से बाहर की शक्तियों पर से निर्भरता ख़त्म करना है। यह वह बात है जिसकी तरफ़ इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने भी अपने बयान में इशारा किया। उन्होंने कहाः हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि ख़ुद हमारे इलाक़े में अमरीकी सेना समेत बाहरी देशों की सेनाओं की मौजूदगी, तबाही और युद्ध भड़कने का कारण है, सभी को इस बात की कोशिश करनी चाहिए कि अपनी सेनाओं को स्वाधीन, अपने राष्ट्र पर निर्भर और पड़ोसी सेनाओं व क्षेत्र की अन्य सेनाओं के साथ सहयोग करने वाली बनाएं। इस क्षेत्र की भलाई इसी में है। हमें इस बात की इजाज़त नहीं देनी चाहिए कि ग़ैरों की सेनाएं, अपने उन राष्ट्रीय हितों को पूरा करने क लिए जिनका उनके राष्ट्रों से कोई संबंध नहीं है, हज़ारों मील दूर से आएं और इन देशों में हस्तक्षेप करें, यहां उनकी उपस्थिति हो और वे उनकी सेनाओं में हस्तक्षेप करें। क्षेत्र के इन राष्ट्रों की सेनाएं ख़ुद ही इस क्षेत्र को नियंत्रित कर सकती हैं, दूसरों को यहां आने की इजाज़त मत दीजिए। यह घटनाएं जो हमारे देश के पश्चिमोत्तर में कुछ पड़ोसी देशों में हो रही हैं, उन्हें भी इसी सोच और इसी तर्क से हल किया जाना चाहिए। अलबत्ता हमारा देश और हमारे सशस्त्र बल, बुद्धिमत्ता से काम करते हैं, सभी मामलों में हमारा तरीक़ा, बुद्धिमत्ता का ही है, बुद्धिमत्ता के साथ ताक़त। दूसरों के लिए भी बेहतर है कि वे बुद्धिमत्ता से काम करें और क्षेत्र को किसी संकट में न पड़ने दें। (3 अक्तूबर 2021)

इस बयान का ईरान के पड़ोसी देशों के लिए एक संदेश था और साथ ही युद्ध भड़काने वाले देशों के लिए भी एक संदेश था जिनकी इस क्षेत्र में बरसों से जारी उपस्थिति का तबाही और अशांति बढ़ने के अलावा कोई और नतीजा नहीं निकला है। ईरान के पड़ोसी देश अपने जनाधारित सशस्त्र बलों पर भरोसा करके और अन्य पड़ोसी देशों की सेनाओं के संपर्क में रह कर, ग़ैरों की उपस्थिति के बिना ही अपनी और क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित बना सकते हैं। हमारे देश के सुरक्षा बल हमेशा ताक़त और बुद्धिमत्ता के साथ काम करते हैं और यह बुद्धिमत्ता दूसरे देशों के लिए भी आदर्श और समस्याओं के समाधान का मार्ग होना चाहिए। अलबत्ता इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इलाक़े के कुछ देशों को संबोधित करते हुए उन्हें हमदर्दी से भरी एक नसीहत भी की और कहाः जो लोग अपने भाइयों के लिए गढ़ा खोदते हैं, वे ख़ुद पहले उस गढ़े में गिरते हैं। (3 अक्तूबर 2021)

इसी तरह आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के भाषण में क्षेत्र में हस्तक्षेप करने वाली शक्तियों के लिए भी एक मज़बूत संदेश था जिसकी बुनियाद पर ईरान कभी भी क्षेत्र में, बाहरी ताक़तों के हस्तक्षेप को सहन नहीं करेगा और इस सिलसिले में आवश्यक समय व स्थान पर उचित कार्यवाही करेगा। उन्होंने इस बारे में अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका की लम्बी उपस्थिति के तबाही फैलाने वाले नतीजों और अमरीका के रवैये पर यूरोप की चिंता की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः देश की सुरक्षा ग़ैरों के क़ब्ज़े में नहीं होनी चाहिए, यह बहुत अहम चीज़ है। आज हमारी जनता के लिए और हमारे देश के लिए यह एक सामान्य बात है कि देश की सुरक्षा अपने ही सुरक्षा बलों और इस देश के सपूतों के हाथों में है लेकिन दुनिया में हर जगह ऐसा नहीं है, यहां तक कि विकसित देशों में भी। आपने देखा कि हाल ही में यूरोप और अमरीका के बीच मनमुटाव हुआ और यूरोप वालों ने कहा कि अमरीका ने पीछे से उनकी पीठ में छुरा घोंपा है ... जो लोग दूसरों पर भरोसा करके या दूसरों पर भरोसे के भ्रम में यह सोचते हैं कि वे अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित बना सकते हैं, उन्हें जान लेना चाहिए कि जल्द ही वे इसका ख़मियाज़ा भुगतेंगे। (3 अक्तूबर 2021)

इस्लामी गणतंत्र ईरान हर उस क़दम का विरोधी है जो क्षेत्र की भूराजनैतिक स्थिति या देशों के शासन की भौगोलिक हैसियत को बदल दे। ईरान उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाले पुल के रूप में अब भी, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा, परिवहन की मौजूदा सभी राहों के खुले रहने और व्यापारिक मार्गों की सहूलतों से क्षेत्र के सभी देशों के लाभान्वित होने का समर्थक है।

“फ़ातेहान ख़ैबर” सैन्य अभ्यास का संदेश, पड़ोसी देशों की सुरक्षा का समर्थन और क्षेत्र में विदेशी शक्तियों की उपस्थिति का विरोध है और जैसा कि सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहाः इस्लामी गणतंत्र ईरान अपनी पश्चिमोत्तरी सीमाओं पर सामने आने वाली घटनाओं के बारे में ताक़त और बुद्धिमत्ता से फ़ैसला और अमल करेगा।