इन्होंने अपने राजनैतिक वर्चस्व के चलते बहुत से देशों को उनके अपने ज्ञान से भी लाभ नहीं उठाने दिया। आप नेहरू की किताब “विश्व इतिहास की झलकियां” (Glimpses of World History) पढ़िए।

किताब के एक हिस्से में वे भारत में अंग्रेज़ों के हस्तक्षेप व घुसपैठ का चित्रण करते हैं, विस्तार से बताते हैं। वे ऐसे आदमी हैं जो अमानतदार भी है और जानकार भी, वे कहते हैं कि भारत में जो उद्योग था, भारत में जो ज्ञान था, वह ब्रिटेन, यूरोप और पश्चिम से कम नहीं बल्कि ज़्यादा था। जब अंग्रेज़ भारत में आए तो उनकी एक साज़िश यह थी कि स्थानीय उद्योग के विकास को रोक दें। तो इसके बाद भारत का मामला यहां तक पहुंच गया कि उसके पास उस वक़्त करोड़ों लोग और बाद में दसियों करोड़ लोग ग़रीब, दरिद्र, फ़ुटपाथों पर सोने वाले और वास्तविक अर्थों में भूखे थे।

अफ़्रीक़ा के साथ भी यही किया गया, लेटिन अमरीका के बहुत से देशों के साथ भी यही किया गया। तो वर्चस्ववादी व्यवस्था, जंग तो भड़काती ही है, साथ ही ग़रीबी भी पैदा करती है।

इमाम ख़ामेनई

 09/17/2013