जवाहर लाल नेहरू ने लिखा कि ग़रीबी भी उन्हीं की देन है। ऐसे बहुत से ग़रीब देश जिनकी जनता ग़रीबी में जीवन बिता रही है और अपने प्राकृतिक स्रोतों से लाभ नहीं उठा सकती, उनकी ग़रीबी का पाप भी इन्हीं के सिर है।
चालीस दिन के आंदोलन से अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम ने उस दौर में तूफ़ान बरपा कर दिया। उस ज़माने में इस आंदोलन ने कूफ़े में तौवाबीन को खड़ा कर दिया, मदीना को बदल कर रख दिया, शाम को उलट दिया। वह हालत हुई कि सुफ़ियानी हुकूमत ही ख़त्म हो गई।
इमाम ख़ामेनई
Oct 13, 2019
चर्चिल ने भारत की त्रासदी और भुखमरी से मरने वालों की तस्वीरें देखकर मज़ाक़ उड़ाते हुए कहाः अगर यह तस्वीरें सही हैं, तो गांधी अभी तक क्यों नहीं मरा?
गांधी ने एक मुट्ठी नमक उठाया और कहाः इस नमक के साथ ब्रिटिश साम्राज्य के मुक़ाबले में खड़ा हूं, आओ ताक़त पर सत्य की फ़तह के लिए मिलकर संघर्ष करें।
आयतुल्लाह ख़ामेनईः हाल ही में -कुछ महीने पहले- मुझे उस तुर्कमन (सुन्नी) महिला के परिवार का पत्र मिला जो मिना की घटना में शहीद हो गई थीं, उनके परिवार ने लिखा कि वह शायद इसी सफ़र में या इससे पहले वाले सफ़र में, मक्का गईं और वहां उन्होंने किसी को गवाह बनाया कि वह मेरी तरफ़ से हज कर रही हैं।
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने अफ़ग़ानिस्तान के क़ुन्दूज़ प्रांत में एक मस्जिद में हुए भीषण धमाके के मुजरिमों को सज़ा दिए जाने और ऐसी घटनाओं रोक-थाम की मांग की।
नार्वे में वर्ल्ड ग्रीको रोमन रेसलिंग चैंपियनशिप में ईरान की टीम की शानदार कामयाबी पर इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बधाई दी है। उन्होंने अपने बधाई संदेश में पहलवानों और उनके कोच का शुक्रिया अदा किया।
क़ुन्दूज़ इलाक़े की मस्जिद में धमाके में नमाज़ियों की मौत की घटना ने हमें ग़मज़दा कर दिया। पड़ोसी बंधु देश अफ़ग़ानिस्तान के अधिकारियों से वाक़ई अपेक्षा है कि वह इस भयानक-अपराध के ख़ंख़ार दोषियों को सज़ा देंगें और आवश्यक उपायों के ज़रिए इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाएंगे।
इमाम ख़ामेनेई
9 अक्तूबर 2021
सभी फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पुलिस फ़ोर्स सप्ताह के अवसर पर एक संदेश जारी किया जिसमें इस फ़ोर्स को देश की सुरक्षा का एक स्तंभ क़रार दिया है। उन्होंने कोरोना से निपटने समेत लोगों की सेवा करने वाले विभागों को पुलिस की मदद की सराहना करते हुए इस फ़ोर्स में सेवा और कर्तव्य अंजाम देने का स्तर बढ़ाने पर बल दिया।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई का संदेश इस तरह हैः
पैग़म्बरे इस्लाम के वंशज और आठवें इमाम हज़रत अली रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी पर तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में गुरुवार 7 अक्तूबर की सुबह मजलिस आयोजित हुई जिसमें इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।
दर्जनों देशों से लोग अरबईन मार्च में हिस्सा लेते हैं और इराक़ियों के मेहमान बनते हैं। हमारी कोशिश यह होना चाहिए कि मुस्लिम भाइयों के रिश्ते इस पैदल ज़ियारत की मदद से और भी मज़बूत हों। इराक़ियों और ग़ैर इराक़ियों का रिश्ता, शिया सुन्नी का रिश्ता, अरब, फ़ार्स, तुर्क और कुर्द जातियों का रिश्ता, यह रिश्ते ख़ुश नसीबी की गैरेंटी हैं। यह रिश्ते अल्लाह की रहमत की निशानी हैं। दुश्मन की कोशिश फूट डालने की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया और अल्लाह के करम से वह आगे भी सफल नहीं होगा। यह रिश्ता और संपर्क जिस चीज़ ने पैदा किया है वह अल्लाह पर ईमान है, पैग़म्बर और उनके ख़ानदान से मुहब्बत है, इमाम हुसैन से मुहब्बत है।
इमाम ख़ामेनई
Sept 18, 2019
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई, पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के निधन और उनके बड़े नवासे इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी की मजलिस में शामिल हुए। अज़ादारी का यह प्रोग्राम मंगलवार 5 अक्तूबर को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित हुआ।
अगर हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को आशूर के दौर और चेहलुम के दौर में बांटें तो हमें आशूर को इमाम हुसैन की क़ुरबानी का दिन मानना चाहिए और अरबईन या चेहलुम को इमाम हुसैन की विचारधारा के प्रचार और प्रतिरोध की शुरुआत मानना चाहिए।
इमाम ख़ामेनई
Dec 28, 1980
ईरान की सैन्य अकादमियों के कैडिट्स के ग्रेजुएशन का साझा समारोह रविवार 3 अक्तूबर 2021 को आयोजित हुआ जिसे सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर ने वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित किया।
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के कैडिट कालेजों के स्टूडेंट्स के कम्बाइंड स्टडी सेशन को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए ख़िताब किया। उन्होंने इस वर्चुअल मुलाक़ात में कहाः “जो लोग दूसरों के सहारे अपनी सुरक्षा हासिल करने के भ्रम में हैं, जान लें कि जल्द ही इसका तमांचा खाएंगे।”
अरबईन के पैदल मार्च से इस्लाम को ताक़त मिलती है। यह हक़ की ताक़त है। यह इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की ताक़त है जिसकी वजह से दसियों लाख ज़ायरीन कर्बला की ओर, इमाम हुसैन की ओर जो प्रतिष्ठा, क़ुरबानी और शहादत की आख़िरी मंज़िल पर हैं, चल पड़ते हैं।
इमाम ख़ामेनई
Oct 13, 2019
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने राष्ट्रीय प्रसारण विभाग आईआरआईबी के प्रमुख के तौर पर डॉक्टर पैमान जिबिल्ली की नियुक्ति के आदेश पत्र में इस विभाग की प्राथमिकताओं पर ज़ोर दिया है।
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की शहादत के चालीसवें दिन के उपलक्ष्य में तेहरान यूनिवर्सिटी में एक मजलिस (शोक सभा) आयोजित हुई जिसमें इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े से वीडियो लिंक के माध्यम से भाग लिया।
पवित्र प्रतिरक्षा के शहीदों और मुजाहेदीन की निष्ठापूर्ण क़ुरबानियां ईरानी जनता के लिए विजय और सफलता का उपहार लेकर आईं और उनके ख़ून से इतिहास में इस्लामी गणराज्य की सत्यता दर्ज हो गई।
यह मुजाहेदीन का बड़ा सबक़ हैः जहां निष्ठापूर्ण संघर्ष होगा विजय और सरबुलंदी मिलेगी।
इमाम ख़ामेनई
टोकियो ओलम्पिक और पैरालिम्पिक 2020 में शामिल इस्लामी गणराज्य ईरान के कारवां में मेडल हासिल करने वाले खिलाड़ियों व चैम्पियनों ने 18 सितम्बर 2021 को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरानी नौसेना के 75वें बेड़े की विशाल एटलांटिक महासागर में ऐतिहासिक मिशन से शानदार वापसी पर, बेड़े के कमांडर और एक एक कर्मचारी की कोशिशों को सराहा।
अगर आशूर क़ुरबानी के ज़रिए जेहाद का चरम बिंदु है तो यह चालीस दिन बयान के ज़रिए जेहाद का चरम बिंदु हैं।
पैग़म्बर के ख़ानदान के आंदोलन ने कर्बला की घटना को अमर कर दिया। यह बयान उस क़ुरबानी को मुकम्मल करने वाली कड़ी है।
इमाम ख़ामेनई
Sept 27, 2021
सरकार सप्ताह और पूर्व राष्ट्रपति शहीद मुहम्मद अली रजाई व पूर्व प्रधानमंत्री शहीद मुहम्मद जवाद बाहुनर की हत्या की बरसी के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति रईसी और मंत्रीमंडल के सदस्यों ने देश की 13वीं सरकार का काम शुरू होने के आरंभिक दिनों में 28 अगस्त 2021 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने देश के कुछ अहम मामलों व अफ़ग़ानिस्तान की ताज़ा स्थिति पर बात की।
कर्बला की सरज़मीन पर भाई हुसैन की लाश के पास पहुंच कर हज़रत ज़ैनब ने पैग़म्बरे इस्लाम से दर्द भरे लहजे में कहा यह आपका हुसैन है जो ख़ून में लथपथ ज़मीन पर पड़ा है।
इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने 23 जुलाई 2021 को सुबह कोविड-19 के ईरानी टीके की दूसरी डोज़ लगवायी। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कोविड-19 के ईरानी टीके “कोवो ईरान बर्कत” का पहला टीका 25 जून 2021 के लगवाया था।
मुबाहेला वह मौक़ा है जब पैग़म्बरे इस्लाम अपने सबसे चहेते लोगों को मैदान में लेकर आते हैं। यही सूरत मुहर्रम में अमली शक्ल में पेश आई। यानी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम भी हक़ीक़त बयान करने और पूरे इतिहास में हक़ को ज़ाहिर करने के लिए अपने प्यारों को मैदान में ले आते हैं।
इमाम ख़ामेनई
Dec 13, 2009
ईरान में 13वें राष्ट्रपति चुनाव के जनादेश की पुष्टि का प्रोग्राम मंगलवार 3 अगस्त को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता और देश के कुछ उच्चाधिकारियों की उपस्थिति में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित हुआ और निर्वाचित राष्ट्रपति को वरिष्ठ नेता ने राष्ट्रपति पद पर नियुक्त किया।
अल्लामा अमीनी मरहूम ने ग़दीर की रिवायत को 110 सहाबियों के हवाले से बयान किया है।... इसके अलावा ख़ुद हज़रत अली अलैहिस्सलाम की बहसें भी बहुत अहम हैं। जैसे सिफ़्फीन में अमीरुल मोमेनीन अपने असहाब के सामने ख़ुतबा देते हैं और ग़दीर की घटना बयान करते हैं।
ग़दीर के दिन ख़लीफ़ा मंसूब करने की घटना उसूल के निर्धारण की घटना है, क़ायदे के निर्धारण की घटना है। इस्लाम में एक उसूल तय पाया। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपनी उम्र के आख़िरी महीनों में, इस उसूल को पेश किया। वह उसूल क्या है? इमामत का उसूल, विलायत का उसूल। इंसानी समाज में प्राचीन समय से हुकूमतें थीं। इंसान ने अनेक तरह के शासन का अनुभव किया है। इस्लाम इस तरह की सरकार को, इस तरह के ताक़त के मकरज़ को नहीं मानता, इमामत को मानता है। यह इस्लाम का नियम व दस्तूर है। ग़दीर की घटना इसी को बयान करती है।
आपका मन हज़रत अली के इश्क़ में डूबा हुआ है। अल्लाह उन पर अपनी कृपा की बारिश करे। यही शौक़, यही इश्क़, यही प्रेम और ध्यान इन्शा अल्लाह हमें उस सिम्त ले जाने का ज़रिया बने जो हमारे मौला के मद्देनज़र है।
इन्शा अल्लाह ख़ुदा वंदे आलम इस बड़ी ईद और मौला हज़रत अली अलैहिस्सलाम के ज़िक्र की बर्कत से आपके दिल को हमेशा अपने करम से और अपनी शांति से रौशन रखे और यह तौफ़ीक़ दे कि इस मौक़े और इस जैसे दूसरे अवसरों से हम इन्शा अल्लाह सही अर्थ में फ़ैज़ हासिल कर सकें।