इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की सालगिरह की पूर्व संध्या पर सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 3388 क़ैदियों की सज़ा की माफ़ी या उसमें कमी पर के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) अपने चचा, भाई और चचेरे भाई के साथ बैठे और एक बाद का अहद किया कि हम इस राह में शहीद हो जाने तक बिना डरे आगे बढ़ते रहेंगे, शहीद हो जाने तक जेहाद करते रहेंगे। इसके बाद अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) फ़रमाते हैं, मेरे यह साथी मुझसे आगे निकल गए और मैं पीछे रह गया। ख़ुदा की क़सम मैं मुंतज़िर हूं।
इस्लामी क्रांति कि कामयाबी के शुरू के दिनों में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह से एयरफ़ोर्स के कमांडरों की बैअत या वफ़ादारी के संकल्प की ऐतिहासिक घटना की सालगिरह पर, इस्लामी गणराज्य ईरान की एयरफ़ोर्स के कमांडर और जवान, आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात कर रहे हैं।
आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के चीफ़ कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की एयरफ़ोर्स और फ़ौज की एयर डिफ़ेन्स छावनी केइस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने वायु सेना के कमांडरों और जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति और बयान का जेहाद तत्कालिक ज़रूरत और बड़ा अवसर है।
सुप्रीम लीडर ने इस्लामी क्रांति की सफलता से ठीक तीन दिन पहले वायु सेना के कमांडरों और जवानों की ओर से इमाम ख़ुमैनी से अपनी वफ़दारी के एलान की घटना की सालगिरह पर 8 फ़रवरी 2022 को मुलाक़ात के लिए आने वाले वायु सेना के अफ़सरों और जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुश्मन हमला करके तथ्यों को बदलने इस्लामी शासन व्यवस्था की उपलब्धियों, सफलताओं और प्रगति पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है और इस हमले के जवाब में बयान और अभिव्यक्ति का जेहाद तत्कालिक ज़रूरत है।(1)
सुप्रीम लीडर की स्पीचः
पंद्रहवीं सदी में पूरी दुनिया में मुसलमानों और ईसाइयों के बीच एक तरह से ताक़त के लिहाज़ से बराबरी थी, यानि इन दोनों में से किसी को भी दूसरे पर ताक़त और दौलत के हिसाब से बढ़त नहीं थी। लेकिन वेस्ट में जो कुछ हुआ उसकी वजह से सोलहवीं सदी के बाद यह बराबरी ख़त्म होने लगी और ताक़त के लिहाज़ से वेस्ट, मुसलमानों से आगे बढ़ने लगा। दूर से कंट्रोल किये जाने वाले हथियारों, बंदूक़ों, तोप और इस तरह के हथियारों ने वेस्ट को मुसलमानों से ज़्यादा ताक़तवर बनाने में अहम रोल अदा किया।
हज़रत हम्ज़ा (अ.स.) वाक़ई पैग़म्बरे इस्लाम के मज़लूम सहाबी हैं। इस बड़ी हस्ती को आज तक सही तौर पर पहचाना नहीं गया। उनका नाम ज़्यादा नहीं लिया जाता। उनके बारे में बहुत ज़्यादा मालूमात नहीं है। वह वाक़ई मज़लूम हैं।
इमाम ख़ुमैनी वाक़ई बड़े फ़ौलादी इरादे वाले इंसान थे। वह इंसान थे जिसे अपनी राह की सच्चाई पर सौ प्रतिशत यक़ीन हो। जैसा कि क़ुरआन में पैग़म्बर के बारे में आया है कि रसूल उस चीज़ पर पूरा अक़ीदा व ईमान रखते हैं जो उनके परवरदिगार की तरफ़ से उन पर नाज़िल की गई है (बक़रा 285)। सच्चे और साफ़गो इंसान थे। सियासत बाज़ी से दूर थे। बड़े ज़ेहीन और दूरदर्शी इंसान थे।
इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम और उनके ज़माने के ख़लीफ़ाओं के बीच होने वाले जंग में जिसे ज़ाहिरी और निहित दोनों रूप में फ़तह मिली, वह इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम थे। उनके बारे में बात करते समय यह बिंदु हमारे मद्देनज़र रहना चाहिए।
इमाम ख़ुमैनी एक अवामी शख़्सियत थे और अवाम पर उन्हें बड़ा भरोसा था। 1962 की बात है जब इमाम ख़ुमैनी इस क़द्र मशहूर नहीं थे, उन्होंने क़ुम में अपनी एक तक़रीर में तत्कालीन सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर तुमने अपना रवैया न बदला तो क़ुम के मरुस्थल को अवाम से भर दूंगा। कुछ ही महीने गुज़रे थे कि इमाम ख़ुमैनी ने फ़ैज़िया मदरसे में निर्णायक भाषण दिया। जनता बंदूक़ों और टैंकों के मुक़ाबले में डट गई।
इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी शिक्षाओं को बयान किया। हुकूमत का अर्थ बयान किया। इंसान का अर्थ समझाया और अवाम को यह बताया कि उनके साथ क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए। जिन तथ्यों को ज़बान पर लाने की लोग हिम्मत नहीं करते थे, इमाम ख़ुमैनी ने उन तथ्यों को दबे लफ़्ज़ों में नहीं खुले आम बयान किया।
पैग़म्बरे इस्लाम के चचा और इस्लाम के महान मुजाहिद हज़रत हमज़ा पर सेमीनार का आयोजन करने वाली समिति के सदस्यों ने इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 25 जनवरी 2022 को होने वाली इस मुलाक़ात में बोलते हुए सर्वोच्च नेता ने हज़रत हम्ज़ा अलैहिस्सलाम की क़ुरबानियों और उनकी ख़ूबियों के बारे में बताया और पैग़म्बरे इस्लाम के उन सहाबियों के जीवन को प्रकाश में लाने पर ज़ोर दिया जिनके जीवन के मूल्यवान पहलुओं के बारे में शोध कार्य नहीं किया गया है। (1)
सुप्रीम लीडर की स्पीचः
इस्लामी क्रांति की सफलता की 43वीं सालगिरह और इस उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले दस दिन के देश व्यापी जश्न की शुरुआत के अवसर पर इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई बहिश्ते ज़हरा नामक क़ब्रस्तान में स्थित इमाम ख़ुमैनी के पवित्र मज़ार पर पहुंचे और नमाज़ व क़ुरआन पढ़ कर, ईरानी राष्ट्र के महान नेता को श्रद्धांजली दी।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने 28 जून 1981 की घटना के शहीदों के मज़ारों पर उपस्थित हो कर अल्लाह से उनके दर्जों की बुलंदी की दुआ की।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई इसके बाद अन्य शहीदों के क़ब्रस्तान, गुलज़ारे शोहदा गए।
हमारा इंक़ेलाब उस सरकार के ख़िलाफ़ महान अवामी इंक़ेलाब था जो एक निंदनीय सरकार की सारी बुराइयों में लिप्त थी। भ्रष्टाचारी थी, बाहरी ताक़तों की पिट्ठू थी, बग़ावत के ज़रिए थोपी गई थी और नाकारा भी थी।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक संदेश जारी करके वरिष्ठ धर्मगुरू आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज शैख़ लुत्फ़ुल्लाह साफ़ी गुलपायगानी के निधन पर शोक जताया है।
“हल अता” सूरे में अल्लाह, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा और उनके परिवार के बारे में तफ़सील से बात करता है, यह बहुत अहम बात है। वाक़ई यह एक परचम है जिसे क़ुरआने मजीद, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के घर पर लहराता है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने 30 जनवरी 2022 को देश के कुछ उद्योगपतियों और कारखानों के मालिकों से मुलाक़ात की।
इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने इंटरप्रीन्योर्ज़ और उद्योगपतियों को, अमरीका के साथ आर्थिक युद्ध में, पवित्र रक्षा के पवित्र सिपाहियों के समान बताया और इस युद्ध में हार स्वीकार करने पर आधारित अमरीकी अधिकारियों के बयानों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे मेहनती अधिकारियों को चाहिए कि वह औद्योगिक प्रगति का रोडमैप तैयार करके, उत्पादन को सही दिशा दें और उसकी निगरानी और समर्थन करके, नुक़सान को कम से कम करने और रोज़गार सृजन की रफ्तार को तेज़ करने की अपनी कोशिश जारी रखें ताकि इसका असर आम लोगों की ज़िंदगी में नज़र आए।
इस स्पीच का तरजुमा पेश हैः
उनका तज़केरा तो क़ुरआने मजीद और मोतबर हदीसों ने किया है। उनकी बहुत सी फ़ज़ीलतों को बयान किया है कि जिन्हें समझने के लिए भी हमें बहुत ज़्यादा सोचने और ग़ौर करने की ज़रूरत है। यह जो रवायत है कि जिबरईल, पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.अ.) के पास आते थे, यह रवायत सही है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेईः “किसी ने कहा था कि ‘शहीद सुलैमानी’ दुश्मनों के लिए ‘जनरल सुलैमानी’ से ज़्यादा ख़तरनाक हैं। उसने बिल्कुल सही समझा। अमरीका की हालत आप देखिए! अफ़ग़ानिस्तान से फ़रार होता है, इराक़ से बाहर निकलने का दिखावा करने पर मजबूर है। यमन और लेबनान को देखिए। शाम में भी धराशायी हो चुका है।”
1 जनवरी 2022
धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम मसऊद आली ने तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इतिहास रचने वाली तीन तरह की इबादतों के मुक़ाबले में तीन तरह के गुनाहों की व्याख्या की और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के महान किरदार का ज़िक्र किया।
इस ईद और जन्म दिन की मुबारकबाद पेश करता हूं।
यह भी इस्लाम का एक करिश्मा है कि हज़रत ज़हरा (स.अ.) इस छोटी सी ज़िंदगी में कायनात की औरतों की सरदार बन गईं। यह कैसी शक्ति और कैसी अंदरूनी ताक़त है जो इंसान को छोटी सी मुद्दत में ज्ञान, बंदगी, पाकीज़गी और आध्यात्मिक बुलंदी के महासागर में तब्दील कर देती है। यह भी इस्लाम का करिश्मा है।
इमाम ख़ामेनेई
5 जूलाई 2007
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शुभ जन्म दिवस के मौक़े पर रविवार 23 जनवरी 2022 को देश के वक्ताओं, शायरों और अहलेबैत की शान में क़सीदा पढ़ने वालों के एक ग्रुप ने आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से तेहरान में मुलाक़ात की।
हज़रता फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शुभ जन्म दिवस के मौक़े पर 23 जनवरी 2022 को देश के वक्ताओं, शायरों और अहलेबैत की शान में क़सीदा और नौहा पढ़ने वालों के एक ग्रुप ने आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से तेहरान में मुलाक़ात की।
इस मौक़े पर इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने लोगों के बीच स्पीच दी। सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच के दौरान हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.अ.) की शख़्सियत के कुछ अहम पहलुओं जैसे सामाजिक सरगर्मियां और अवाम की निःस्वार्थ सेवा की तरफ़ इशारा किया।(1)
सर्वोच्च नेता की स्पीचः
हज़रत ज़हरा पूरी रात इबादत और गिरया करती हैं। इमाम हसन अ.स. सवाल करते हैं कि आपने पूरी रात इबादत की और सिर्फ़ दूसरों के लिए दुआ की। हज़रत ज़हरा स.अ. कहती हैं कि बेटा पहले पड़ोसी फिर घर वाले।
इमाम ख़ामेनेई
15 फ़रवरी 2020
हमें यह बात हमेंशा मद्देनज़र रखनी चाहिए कि दुनिया में हमारी दुश्मनी के मोर्चे में वे दुश्मन भी हैं जो मतभेद की आग भड़काने में ख़ास महारत रखते हैं। वे “फूट डालो राज करो” के उस्ताद हैं।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
जितना मुमकिन हो हमें आपसी फूट की वजहों को कम करना चाहिए। अलबत्ता सोच, तौर तरीक़े, शैली और आदतों में फ़र्क़ पाया जाता है। मगर इन सब को एक दूसरे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल लेने की वजह नहीं बनने देना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022