कोरोना वायरस की महामारी फैली तो दुनिया के कई देशों ने उसका टीका या वैकसीन बनाने के लिए रिसर्च का काम शुरू कर दिया। ईरान में भी मेडिकल साइंस के कई रिसर्च सेंटर्ज़ ने पश्चिम की कड़ी पाबंदियों के बावजूद स्वदेशी वैकसीन बनाने के लिए रिसर्च का काम शुरू कर दिया। इसके नतीजे में “कोविरान बरकत” के नाम से ईरानी वैकसीन बन चुकी है। KHAMENEI.IR ने फ़रमाने इमाम संस्था की एग्ज़ेक्यूटिव कमेटी की रिसर्च टीम के प्रमुख डॉक्टर हसन जलीली से इस संबंध में बात की है। पेश हैं इस इंटरव्यू के कुछ अहम अंश।
सवालः ईरान में वैकसीन बनाने का काम कब शुरू हुआ और वैकसीन के प्रोडक्शन में हमारा देश किस स्थान पर है?
जवाबः वैकसीन बनाने का हमारा रिकॉर्ड सौ साल पुराना है। आज जो देश वैकसीन बना रहे हैं उनमें से कुछ को यह तकनीक ईरान से मिली है। यानी ईरान ने वैकसीन बनाने में उन देशों की मदद की है। ईरान में मेडिकल साइंस हमेशा से काफ़ी विकसित रही है। इतिहास में हमारे यहां बड़े बड़े हकीम गुज़रे हैं जिनकी किताबें और दृष्टिकोण मेडिकल के क्षेत्र में आज भी विश्वसनीय माने जाते हैं।
सवालः दुनिया में वैकसीन बनाने के लिए क्या तकनीकें मौजूद हैं? ईरान वैकसीन बनाने के लिए उनमें से किस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है?
जवाबः एक पुरानी तकनीक Inactivated vaccine की है। जैसे जैसे साइंस व तकनीक के मैदान में तरक़्क़ी हुई, वैसे वैसे वैकसीन के दूसरे प्लेटफ़ार्म भी तैयार हो गए। उनमें से एक Recombinant वैकसीन है।
एक और वैकसीन, सब यूनिट वैकसीन है। उसका तरीक़ा यह है कि एंटीजिन को माइक्रो आर्गेनिज़्म के अंदर दाख़िल कर देते हैं और माइक्रो आर्गेनिज़्म को री प्रोड्यूस करते हैं। फिर एंटीजिन का प्यूरीफ़िकेशन किया जाता है, फिर एक फ़ॉर्म्यूलेशन के तहत उसे इंजेक्ट किया जाता है। ख़ुदा का शुक्र है कि इन सभी चरणों में देश काफ़ी आगे बढ़ चुका है और निजी सेक्टर की कई कंपनियों के पास वैकसीन बनाने की योग्यता आ गई है। देश में टेकनॉलोजी डेवलप हो चुकी है, पास्चर इंसटीट्यूट और राज़ी इंसटीट्यूट के पास वैकसीन बनाने की क्षमता है।
सवालः ईरान समेत दुनिया के देशों में वैकसीन बनाने के काम पर क्या अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की निगरानी रहती है?
जवाबः W.H.O. के प्रतिनिधियों की सम्मिलिति से जो ऑन लाइन सम्मेलन हुआ वह क्लिनिकल टेस्ट से पहले के चरण के समय था। हमने इस चरण की रिसर्च में हासिल होने वाले नतीजे W.H.O. के सामने रखे। W.H.O. की वेबसाइट में हमारी वैकसीन, इस वक़्त क्लिनिकल टेस्ट के चरण में है। हमने एक टीम बनाई है जिसका काम W.H.O. के सामने पेश करने के लिए संबंधित डॉक्यूमेंट्स तैयार करना है ताकि उसके इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाज़त हासिल की जाए। जहां तक यह सवाल है कि देश के अंदर वैकसीन के इस्तेमाल के लिए क्या W.H.O. की मंज़ूरी ज़रूरी है? तो उसका जवाब हैः नहीं। फ़ाइज़र, मोडरना, एस्ट्राज़ेनेका ने भी पहले देश के अंदर इस्तेमाल के लिए आवश्यक मंज़ूरी हासिल की, उसके बाद अपने डॉक्यूमेंट्स और डेटा W.H.O. के सामने पेश किए। हम इस वक़्त W.H.O. की निगरानी में ट्रीटमेंट और शैक्षिक गतिविधियां कर रहे हैं और इसके साथ ही इस संस्था के सामने पेश करने के लिए संबंधित डॉक्यूमेंट्स भी तैयार कर रहे हैं।
सवालः क्या वैकसीन के निर्यात के लिए भी कोई योजना बनाई गई है?
जवाबः जहां तक मुझे सूचना है, दुनिया के सात देशों ने हमारे सामने वैकसीन ख़रीदने की डिमांड रखी है। कुछ ने ख़त लिखा है और कुछ ने फ़ोन पर यह डिमांड रखी है। कुछ देशों ने पहले चरण में दो करोड़ डोज़ की मांग रखी है।