रमज़ान की अलविदाई दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन (अ.स.) कहते हैं कि तूने इस दरवाज़े को खोला है हमारे लिए ताकि हम उससे गुज़र कर तेरी रहमत की तरफ़ बढ़ें और तेरी रहमतों और बख़्शिश से फ़ायदा उठाएं। यह दरवाज़ा तौबा का दरवाज़ा है। ख़ुदा की मग़फेरत की तरफ़ एक खिड़की है। अगर ख़ुदा अपने बंदों के लिए तौबा का दरवाज़ा नहीं खोलता तो हम गुनहगारों की हालत बहुत ख़राब होती।
पूरी दुनिया के मुस्लिम भाईयों और बहनों को सलाम! इस्लामी दुनिया के सभी नौजवानों को सलाम! सलाम हो, फ़िलिस्तीन के बहादुर और ग़ैरतमंद नौजवानों पर! सलाम हो #फ़िलिस्तीन के अवाम पर!
इमाम ख़ामेनेई
7 मई सन 2021
ज़ायोनी दुश्मन हर साल पिछले साल की तुलना में ज़्यादा कमज़ोर हुआ है। उसकी फ़ौज जो ख़ुद को नाक़ाबिले शिकस्त बताती थी, आज लेबनान में 33 दिन और ग़ज़्ज़ा में 22 दिन और 8 दिन की जंगों में शिकस्त खाकर एक ऐसी फ़ौज बन कर रह गई है जो कभी कामयाबी का मुंह नहीं देख सकती।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई सन 2021
युक्रेन के मामले में आसमान सिर पर उठा लेने वाले यूरोप और अमरीका में मानवाधिकार की रक्षा के झूठे दावेदारों ने, फ़िलिस्तीन में इतने ज़ुल्म व सितम पर अपने होंठ सी लिए हैं।
फ़िलिस्तीन मज़लूम भी है और ताक़तवर भी। मैंने कई साल पहले यही बात ईरान के सिलसिले में कही थी। आज फ़िलिस्तीन वाक़ई ताक़तवर बन चुका है। फ़िलिस्तीनी नौजवान फ़िलिस्तीन का विषय भुला दिए जाने का मौक़ा नहीं दे रहे हैं। दुश्मन के अपराधों के सामने डटकर खड़े हैं।
परवरदिगार! रमज़ान की रातें गुज़र गयीं, रमज़ान के दिन बीत गये और हमें यह भी नहीं मालूम कि इन गुज़र जाने वाली रातों और बीत जाने वाले दिनों में हम अपने वजूद को तेरी रहमतों से सजा पाए या नहीं। "अगर अब तक तक हम तुझे खुश करने में कामयाब नहीं हुए तो हमारी गुज़ारिश है कि अब हम से राज़ी हो जा।"
फ़िलिस्तीनी चाहे ग़ज़्ज़ा में हों, क़ुद्स में हों, वेस्ट बैंक के इलाक़े में हों, चाहे 1948 में ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े में लिए गए इलाक़ों में हों, चाहे कैम्पों में हों, सब एक सामाजिक इकाई हैं। उन्हें एक दूसरे से जुड़े रहने की स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए। हर इलाक़े को दूसरे इलाक़े की हिफ़ाज़त करनी चाहिए और उन पर दबाव की हालत में उन सभी संसाधनों को इस्तेमाल करना चाहिए जो उनके पास हैं।
विश्व क़ुद्स दिवस के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फ़िलिस्तीन के मसले के संबंध में अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला। 27 रमज़ान 1443 हिजरी क़मरी बराबर 29 अप्रैल 2022 को आयतुल्लाह ख़ामेनेई की यह तक़रीर टीवी चैनलों से लाइव प्रसारित की गई।
तक़रीर का अनुवादः
दुआ, ख़ुदा के सामने बंदगी की निशानी है और इसका मक़सद, इन्सान में इबादत के जज़्बे को मज़बूत करना है। ख़ुदा के सामने उसका बंदा होने का एहसास और उसकी इबादत का जज़्बा, वही चीज़ है जिसके लिए तमाम नबियों ने कोशिश की है। उनकी कोशिश रही है कि इन्सानों के अंदर इस जज़्बे को ज़िन्दा किया जाए, इन्सान की सभी ख़ूबियों और उसके सभी अच्छे कामों की जड़, अल्लाह के सामने बंदगी का एहसास है।
क़ुद्स शरीफ़ के मुद्दे पर मुसलमानों में सहयोग और समन्वय से ज़ायोनी दुश्मन और उसके समर्थक अमरीका और यूरोप घबराए हुए हैं। सेंचुरी डील की नाकामी और उसके बाद क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के साथ कुछ कमज़ोर अरब सरकारों के रिश्ते, इस दहशत से फ़रार की नाकाम कोशिश है।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई सन 2021
फ़िलिस्तीन का मसला हल करने और इस पुराने घाव को ठीक करने के लिए इस्लामी गणराज्य ईरान का सुझाव बिल्कुल साफ़, तर्कपूर्ण और विश्व जनमत के स्तर पर मान्य राजनैतिक पैमानों के मुताबिक़ है जिसे पहले भी विस्तार से पेश किया जा चुका है।
अमरीकी और अमरीका के पिट्ठुओं की नीतियों के बरख़िलाफ़ जो चाहते थे कि फ़िलिस्तीन के मुद्दे को भुला दिया जाए, दिन ब दिन फ़िलिस्तीन का मुद्दा उभरता जा रहा है।
दुनिया नए वर्ल्ड आर्डर की दहलीज़ पर खड़ी है। दो ध्रुवीय और एक ध्रुवीय व्यवस्था के मुक़ाबले में नया वर्ल्ड आर्डर। #यूक्रेन की जंग का गहराई से जायज़ा लेना चाहिए। यह जंग केवल एक देश पर हमला नहीं, इस कार्यवाही की जड़ें गहरी हैं और पेचीदा और कठिन भविष्य का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
26 अप्रैल 2022
नए संभावित वर्ल्ड आर्डर के वक़्त इस्लामी मुल्क ईरान और सभी देशों को चाहिए कि इस नए वर्ल्ड आर्डर में इस अंदाज़ से अपना वैचारिक और व्यवहारिक रोल अदा करें कि अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा की हिफ़ाज़त कर सकें। इस सिलसिले में सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी छात्रों की है।
इमाम ख़ामेनेई
26 अप्रैल 2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बल देकर कहा कि इस्लामी क्रांति ने यूनिवर्सिटी के लिए जो बड़ा काम किया वह यह था कि उसने ईरानी क़ौम को पहचान देकर यूनिवर्सिटी को उसकी पहचान दी। क्रांति से क़ौम को पहचान, आदर्श होने और स्वावलंबन का ज़ज़्बा दिया और उसके सामने क्षितिज को स्पष्ट किया।
इस साल #क़ुद्स_दिवस पिछले बर्सों से अलग है। पिछले रमज़ान और इस साल रमज़ान के महीने में फ़िलिस्तीनियों ने बड़ी क़ुरबानियां दीं और दे रहे हैं। ज़ायोनी हुकूमत भी जुर्म की हदें पार कर रही है और अमरीका व यूरोप उसकी मदद कर रहे हैं।
इमाम ख़ामेनेई
26 अप्रैल 2022
इस्लामी जुम्हूरिया ईरान में हमारे लिए फ़िलिस्तीन का मामला, एक स्ट्रैटजिक मामला नहीं बल्कि यह हमारे ईमान, दिल और अक़ीदे का मामला है। क़ुद्स डे पर और हर साल रमज़ान के आख़िरी जुमे को जिसे इमाम ख़ुमैनी ने क़ुद्स दिवस कहा है, मुल्क के सभी शहरों में लोग सड़कों पर उतरते हैं। गर्मी हो, सर्दी हो कोई फ़र्क़ नहीं, लोग सड़कों पर आकर अपना लगाव ज़ाहिर करते हैं।
दिल सिर्फ़ नमाज़, दुआओं और अल्लाह की याद से पाक होता है। अगर कोई यह समझता है कि इन चीज़ों के बिना ही वह अपने दिल को पाकीज़ा बना सकता है तो वह बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में है। आधी रातों को रोने से, ग़ौर के साथ क़ुरआन पढ़ने से , सहीफ़ए सज्जादिया की दुआएं पढ़ने से इन्सान का दिल पाकीज़ा बनता है। यह नहीं होता कि हम कहें कि जनाब जाइए अपना दिल साफ़ करके आइए फिर जो जी में आए कीजिए।
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से युनिवर्सिटियों के छात्रों और छात्र युनियनों के प्रतिनिधियों ने इमाम ख़ुमेनी इमाम बारगाह में तफ़सीली मुलाक़ात और अलग अलग विषयों पर खुलकर अपनी राय रखी। 26 अप्रैल 2022 की इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने छात्रों के सवालों के जवाब दिए, कुछ सिफ़ारिशें कीं और प्रमुख राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी नीतिगत बात पेश की।
सुप्रीम लीडर की स्पीचः
किसी मुस्लिम देश के लिए यह गर्व की बात नहीं है कि अमरीकी राष्ट्रपति खुलेआम कहे: ”हम उसे दूध देने वाली गाय समझते हैं!”अमरीका के राष्ट्रपति ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम सऊदी अरब को दूध देने वाली गाय समझते हैं। किसी हुकूमत और किसी भी राष्ट्र का इससे ज़्यादा क्या अपमान होगा?! उसका पैसा भी ले लें और फिर उसे दूध देने वाली गाय कहें और उसका अपमान करें!
इमाम ख़ामेनेई
14 अप्रैल 2018
दरअस्ल शबे क़द्र से, रोज़ेदार मोमिन अपने नये साल की शुरुआत करता है। शबे क़द्र में एक साल के लिए उसकी क़िस्मत, अल्लाह की तरफ से फ़रिश्ते लिखते हैं। इन्सान एक नये साल, नये मरहले और दरअस्ल नयी ज़िंदगी और नये जन्म का एहसास करता है। एक नये रास्ते पर चलता है और तक़वे से इस राह पर चलने में मदद लेता है।
ख़ुदा से दुआ करें कि इबादतों में आप का दिल लगे, अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगें, ख़ुदा से दुआ करें कि आप के दिल नर्म हों, आप को तौबा की तौफ़ीक़ मिले। आज की रात की क़द्र करें। बहुत अहम रात है। बहुत बड़ी रात है। इमामे ज़माना को याद करें। अल्लाह के घर के दरवाज़े पर, मस्जिदों में जाएं और इमामे ज़माना की बरकत से ख़ुदा से अपनी मुरादें पाएं। मेरे लिए भी दुआ करें।
इमाम ख़ामेनेई
21-10-2005
शबे क़द्र दरअस्ल दुआ, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने और उसे याद करने का वक़्त है। इसके साथ ही यह रात इस बात का मौक़ा भी है कि हम हज़रत अली (अ.स.) के अज़ीम मक़ाम के बारे में कुछ जान लें और सबक़ सीखें। रमज़ान के महीने की जो भी फ़ज़ीलत बयान की जाए और इस महीने में अल्लाह के बन्दों के जो भी फ़रीज़े बताए जाएं, उन सब के लिए सब से अच्छे आइडियल, हज़रत अली (अ.स.) हैं।