अगर हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को आशूर के दौर और चेहलुम के दौर में बांटें तो हमें आशूर को ‎इमाम हुसैन की क़ुरबानी का दिन मानना चाहिए और अरबईन या चेहलुम को इमाम हुसैन की विचारधारा के प्रचार ‎और प्रतिरोध की शुरुआत मानना चाहिए। ‎ इमाम ख़ामेनई Dec 28, 1980‎