मिस्र, इराक़, सीरिया और ईरान के वैज्ञानिकों और विज्ञान की अहम हस्तियों के संदिग्ध एक्सिडेंट, आतंकी हमले, उनकी अजीब और घातक बीमारियां और अचानक मौतें, अमरीका व ज़ायोनी शासन की ओर से इस्लामी देशों में वैज्ञानिकों की हत्या के अनंत क्रिमनल एजेंडे में बदल चुकी हैं। सवाल यह है कि इसका मक़सद क्या है?
जिन लोगों ने सुलैमानी को शहीद किया, ट्रम्प और उनके जैसे लोग, वह इतिहास में दफ़्न हो जाएंगे, लेकिन सुलैमानी अमर हैं। उनके दुश्मन विलुप्त हो जाएंगे, अलबत्ता इंशाअल्लाह दुनिया में ख़मियाज़ा भुगतने के बाद।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर इमाम ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। 9 जनवरी का दिन 1978 में होने वाले क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह है।
हर साल 19 दय 1356 हिजरी शमसी बराबर 9 जनवरी 1978 के आंदोलन की बरसी पर तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में क़ुम के हज़ारों लोग सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात करते थे, जो इस साल कोरोना वायरस की वजह से मेडिकल प्रोटोकॉल के मद्देनज़र वर्चुअल रूप में हो रही है।
क़ुम में 19 दय 1356 हिजरी शमसी बराबर 9 जनवरी 1978 के आंदोलन की बरसी पर सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हज़रत मासूमा के रौज़े में एकत्रित लोगों को वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित किया।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। इस मौक़े पर सुप्रीम लीडर की स्पीच टीवी व रेडियो चैनलों से लाइव टेलीकास्ट हुयी।
19 देय 1356 बराबर 9 जनवरी 1978 क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन की आज सालगिरह है।
ख़ुद हमारे इस ज़माने में भी हमारे इन्हीं शहीद, शहीद सुलैमानी की शहादत सच में एक तारीख़ी और अजीब घटना बन गई।
तेहरान में शव यात्रा, किरमान में शव यात्रा, तबरेज़ में शव यात्रा और अनेक शहरों में शव यात्रा। मशहद में शवयात्रा, इराक़ में वह वैभूवपूर्ण शव यात्रा और अगर यह प्रोग्राम होता कि इस शहीद के पवित्र शव को सीरिया व लेबनान ले जाया जाए तो वहां भी यही होता, अगर पाकिस्तान ले जाते तो वहां भी यही घटना घटती।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। 19 देय 1356 बराबर 9 जनवरी 1978 क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन का दिन है।
सुप्रीम लीडर ने 9 जनवरी 2022 के अपने भाषण में ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं की याद को बाक़ी रखना ज़रूरी बताया जिसमें आने वाली नस्लों के लिए गहरे संदेश छिपे हुए हैं। उन्होंने अपने भाषण में बड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर प्रकाश डाला।
ईरान की पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स ने फ़िलहाल एक जवाबी वार किया और अमरीकी छावनी को अपने मिसाइलों से तबाह कर दिया, ज़ालिम और अहंकारी हुकूमत की अकड़ और इज़्ज़त मिट्टी में मिला दी जबकि उसको दी जाने वाली असली सज़ा इलाक़े से उसकी बेदख़ली है।
इमाम ख़ामेनेई
17 जनवरी 2020
देश भर में इंतेक़ाम की जो मांग जनता की ओर से की गई, यह आवाज़ हक़ीक़त में उन मीज़ाइलों का ईंधन बनी जिन्होंने अमरीकी छावनी को तहस-नहस कर दिया। यह उसकी इज़्ज़त पर चोट थी, अमरीका की दहशत पर चोट थी, इस चोट की भरपाई किसी भी चीज़ से नहीं की जा सकती।
इमाम ख़ामेनेई
17 जनवरी 2020
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.अ.) के शहादत दिवस की मजलिस गुरुवार की रात तेहरान की इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में हुई। मजलिस में इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई शामिल हुई। जबकि कोविड प्रोटोकोल की वजह से श्रद्धालुओं की आम शिरकत नहीं हुई।
जब भी जंग में हमें कठिन हालात का सामना होता था, तब हमारा सहारा सिर्फ हज़रत ज़हरा होती थीं। हम बीबी ज़हरा से मदद मांगते थे। मैंने उनकी ताक़त, उनकी मामता जंग के मैदान में देखी!
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में अज़ादारी की आख़री मजलिस शुक्रवार की रात तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की शिरकत से आयोजित हुई।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शहादत दिवस पर 250 गुमनाम शहीदों की शवयात्रा निकली। इसी संदर्भ में इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने एक संदेश जारी किया।
हरान की इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा (स.अ.) की शहादत की शब की मजलिस बुधवार की रात हुई जिसमें इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।
ईरान वासियों को गर्व करना चाहिए कि उनके बीच एक इंसान एक दूरदराज़ के गांव से उठता है, संघर्ष करता है आत्म निर्माण करता है और पूरे इस्लामी जगत का चैंपियन और जगमगाता चेहरा बन जाता है।
इमाम ख़ामेनेई
16 दिसम्बर 2020
जनरल क़ासिम सुलैमानी 3 जनवरी 2020 को इराक़ के बग़दाद एयरपोर्ट के परिसर में अमरीका के आतंकी हमले में अपने क़रीबी साथी और इराक़ के महान मुजाहिद अबू महदी अलमुहंदिस और कुछ दूसरे साथियों के साथ शहीद हो गए। इस शहादत के बाद ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने जो सांत्वना संदेश जारी किया वह जनरल सुलैमानी के जीवन कुछ पहलुओं का आईना है।
इस्लामी दुनिया में उनके नाम और ज़िक्र का बढ़ता असर साबित करता है कि प्रिय सुलैमानी हक़ीक़त में इस्लामी दुनिया की सतह की हस्ती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
मैं हमेशा दिल से और ज़बान से उनकी तारीफ़ करता था लेकिन उन्होंने जो हालात पैदा कर दिए और मुल्क बल्कि पूरे इलाक़े के लिए जिस तरह की स्थिति उत्पन्न की उसे देखकर अब मैं उनको नमन करता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
सरदार क़ासिम सुलैमानी, इस अज़ीज़ के ख़ून की बरकत से प्रतिरोधक मोर्चा दो साल पहले की तुलना में आज ज़्यादा सक्रिय और ज़्यादा आशावर्धक हो चुका है।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
सरदार सुलैमानी के जुलूस-ए-जनाज़ा में करोड़ों ईरानी आवाम की शिरकत से साबित हुआ कि शहीद सुलैमानी वास्तविक राष्ट्रीय शख़्सियत थे और हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के दफ़्तर से एक एलान जारी हुआ है कि तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के ख़ास दिनों 'अय्यामे फ़ातेमिया' की मजलिसों का प्रोग्राम आयोजित होगा लेकिन इसमें लोग सर्वजनिक रूप से शामिल नहीं हो सकेंगे। मजलिसों में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई मौजूद रहेंगे और प्रोग्रामों को टीवी चैनलों से प्रसारित किया जाएगा।
उनके एक शहीद दोस्त के नवासे का ऑप्रेशन होने वाला था, शहीद अस्पताल पहुंच गए और जब तक ऑप्रेशन पूरा नहीं हो गया, वे वहीं मौजूद रहे। उस बच्चे की मां ने कहा कि जनाब ऑप्रेशन पूरा हो गया, अब आप चले जाइये, जाकर अपने काम निपटाइये। उन्होंने कहाः नहीं, तुम्हारे पिता यानी इस बच्चे के नाना मेरी जगह जा कर शहीद हुए हैं, अब मैं उनकी जगह यहां खड़ा रहूंगा। वे तब तक वहां खड़े रहे जब तक बच्चा होश में नहीं आया। जब उन्हें पूरा इत्मेनान हो गया तब वे वहां से गए।
शहीद सुलैमानी डिफ़ेंस के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 1 जनवरी 2022 की सुबह शहीद क़ासिम सुलैमानी की बर्सी के प्रोग्रामों का आयोजन करने वाली कमेटी और शहीद के परिवार के लोगों से मुलाक़ात में सच्चाई और ख़ुलूस को सुलैमानी विचारधारा का निचोड़, प्रतीक और शिनाख़्त बताया और इलाक़े के युवाओं की नज़र में शहीद सुलैमानी के एक आइडियल की हैसियत अख़तियार कर लेने का हवाला देते हुए कहा कि प्रिय क़ासिम सुलैमानी ईरान की सबसे बड़ी राष्ट्रप्रेमी और इस्लामी जगत की सबसे बड़ी उम्मत प्रेमी हस्ती थे और हैं।(1)