आप नेहरू की किताब “विश्व इतिहास की झांकियां” (Glimpses of World History) पर एक नज़र डालिए। वे अंग्रेज़ों के आने से पहले भारत की वैज्ञानिक व तकनीकी तरक़्क़ी के बारे में विस्तार से बताते हैं। मुझे, नेहरू जैसे जानकार आदमी की नज़र से इस चीज़ को पढ़ने से पहले तक इस बात की जानकारी नहीं थी। एक देश सही व उचित वैज्ञानिक रास्ते पर आगे बढ़ रहा है और आकर विज्ञान व हथियार की मदद से उस देश पर क़ब्ज़ा कर लेते हैं, बेहिसाब इंसानों की हत्या करते हैं, उसकी पूंजी के स्रोतों को तबाह कर देते हैं और अपने आपको उस पर थोप देते हैं। भारत से धन और पूंजी को बाहर ले जाते हैं और अपने देश में जा कर निवेश करते हैं, भंडार बनाते हैं, अंग्रेज़ों ने भारत से लूटे गए पैसों से अमरीका को हासिल किया।

6 अगस्त 2013

***

नेहरू अपनी डायरी में लिखते हैं कि भारत पर अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से पहले, उस ज़माने के हिसाब से भारत एक विकसित सभ्यता का मालिक था, यहां तक कि उसके पास विकसित उद्योग था, अंग्रेज़ वहां पहुंचे और उन्होंने इस बड़े देश की सत्ता अपने हाथ में ले ली और उसे पीछे पहुंचा दिया, ताकि वे ख़ुद तरक़्क़ी कर सकें। अंग्रेज़ों की छोटी और बहुत दूर रहने वाली सरकार, भारत जैसे एक बड़े देश के स्रोतों को लूट कर ताक़तवर बनी और इस देश को मिट्टी में मिला दिया, यही साम्राज्यवाद है।

5 मई 2016

***

हम भारत में अपने सभी मुसलमान भाइयों को सलाम कहते हैं और इसी तरह शिया व सुन्नी भाइयों दोनों से भारत में इस्लामी एकता की हिफ़ाज़त की सिफ़ारिश करते हैं, यह हमारे स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के बड़े लक्ष्यों में से है और हम भी इस मामले को अहमियत देते हैं। भारत में हमारे शिया भाई बहुत हैं, करोड़ों हैं, उनसे कई गुना ज़्यादा सुन्नी भाई हैं, जो हनफ़ी सुन्नी हैं, और वे सब हमसे प्यार करते हैं।

15 जुलाई 1989

***

भारत के मुसलमानों के लिए हमेशा हमारे दिल में इज़्ज़त रही और अब भी है। हम जानते हैं कि भारत के मुसलमान, एक बड़ी व मोमिन आबादी वाले और महान इस्लामी समाज का एक हिस्सा हैं। भारत के मुस्लिम समाज ने हमेशा, विभिन्न मामलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और इस्लाम का समर्थन किया है।

8 जून 1989

***

हमने फ़ारसी भाषा को कहीं पर भी थोपा नहीं है। फ़ारसी का, जो भारत में प्रचलित थी, ख़ुद भारत वासियों ने स्वागत किया, भारत की अहम हस्तियों ने ख़ुद ही फ़ारसी में शेर कहे हैं। सातवीं और आठवीं सदी हिजरी से लेकर अंग्रेज़ों के आने से पहले तक भारत में ऐसे बहुत ज़्यादा शायर थे जो फ़ारसी में शेर कहते थे, जैसे अमीर ख़ुसरो, बेदिल देहलवी और बहुत से दूसरे शायर। अल्लामा इक़बाल लाहौर में रहते थे लेकिन उनकी फ़ारसी शायरी, उनकी किसी भी दूसरी ज़बान की शायरी से ज़्यादा मशहूर है।

14 अक्तूर 2012

***

भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे प्रतिष्ठित लोग फ़ारसी भाषा में बात करते थे और जब अंग्रेज़ पहले पहल भारतीय उपमहाद्वीप में आए तो उन्होंने जो काम किए उनमें से एक यह था कि फ़ारसी ज़बान को रोक दिया, उन्होंने तरह तरह की चालों और मक्कारियों से, जिसके वह माहिर हैं, फ़ारसी ज़बान पर रोक लगा दी। अलबत्ता इस समय भी भारत में फ़ारसी है और उसके चाहने वाले हैं। भारत में ऐसे लोग हैं, जिनसे मैं वहां जा कर मिल चुका हूं, कुछ यहां आए और हम उनसे मिले, जो फ़ारसी भाषा के आशिक़ हैं।

10 दिसम्बर 2013

***

मैं कश्मीर की स्थिति से दुखी हूं, विदेश मंत्रालय के दोस्त यहां उपस्थित हैं, सच में कश्मीर की मुसलमान जनता पर ज़ुल्म हो रहा है, वास्तव में उन पर दबाव डाला जा रहा है, वहां रहने वाले शरीफ़ लोगों के बारे में भारत सरकार की तरफ़ से एक न्यायपूर्ण नीति अपनाई जानी चाहिए। अलबत्ता भारत सरकार से हमारे संबंध, अच्छे हैं लेकिन हमें उनसे यह आशा और अपेक्षा है।

21 अगस्त 2019

***