01/03/2022
पैग़म्बरे इस्लाम अपनी उस अज़मत और मरतबे के बावजूद इबादत की तरफ़ से कभी ग़ाफ़िल नहीं हुए। आधी रात को दुआ और इस्तेग़फ़ार करते थे। उम्मे सलमा ने पूछा कि आपको अल्लाह इतना चाहता है फिर भी आप गिरया करते हैं? हज़रत ने फ़रमाया कि अगर मैं अल्लाह से ग़ाफ़िल हो जाऊं तो कौन सी चीज़ मुझे बचाएगी? यह हमारे लिए सबक़ है। इमाम ख़ामेनेई 27 सितम्बर 1991
01/03/2022
हमारे अज़ीम पैग़म्बर के जन्म से लेकर पैग़म्बरी के एलान तक उनकी परीक्षा के मैदान थे पाकीज़गी, अमानत, पुरुषार्थ और सच्चाई। उस ज़माने में दोस्त और दुश्मन सभी इक़रार करते थे और गवाही देते थे कि यह अज़ीम और पाकीज़ा इंसान पाकीज़गी, अमानतदारी, सच्चाई और पुरुषार्थ की जीती जागती तसवीर है। इमाम ख़ामेनेई 20 मार्च 2008
01/03/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई, पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लललाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की बेअसत यानी पैग़म्बरी के एलान के दिन के उपलक्ष्य में ईरानी राष्ट्र सहित पूरे इस्लामी जगत को लाइव संबोधित करेंगे।
01/03/2022
  पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के एलान के तारीख़ी दिन के उपलक्ष्य में आयतुल्लाह ख़ामेनेई का अहम संबोधन के महत्वपूर्ण बिंदु
01/03/2022
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी के एलान के तारीख़ी दिन पर ईरानी राष्ट्र और इस्लामी जगत को टेलिविजन के ज़रिए संबोधित किया।
01/03/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 1 मार्च 2022 रसूले ख़ुदा की पैग़म्बरी के एलान के मुबारक दिन की सालगिरह के मौक़े पर बड़ा अहम ख़िताब किया। सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में बेसत के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु बयान किए और ताज़ा हालात पर चर्चा की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीच पेश हैः
19/02/2022
मुश्किलों के हल की कुंजी दुआ, ज़िक्रे ख़ुदा और दिलों को पाकीज़ा बनाना है। रजब का महीना उन लोगों की ईद है ‎जो अपने दिलों को पाकीज़ा बनाने का इरादा रखते हैं। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎9 अप्रैल 2018
18/02/2022
इस मक़सद के लिए कि इंसान जब रमज़ान के महीने में क़दम रखे तो खुली आंखों के साथ रखे, ग़ाफ़िल न हो ‎बल्कि हमारे और आपके अंदर इसकी ज़रूरी आमादगी पैदा हो जाए, रजब और शाबान के इन महीनों का बंदोबस्त ‎किया गया है। रजब ज़्यादा से ज़्यादा नमाज़ों का महीना है। शाबान ज़्यादा से ज़्यादा दुआओं और रोज़े का महीना है। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎4 अकतूबर 2004‎
17/02/2022
तीन महीने यानी रजब, शाबान और रमज़ान पूरे साल में आत्म निर्माण के अवसर और ज़िंदगी व तक़दीर के बड़े ‎सफ़र के लिए ज़रूरी सामान और ऊर्जा हासिल करने के महीने हैं। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎13 जनवरी 1993‎
17/02/2022
दुनिया की एटमी एनर्जी की ज़रूरत दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। एक दिन हमें भी सिविलियन उद्देश्यों के लिए एटमी एनर्जी की शदीद ज़रूरत पड़ेगी। अगर अभी से हम इस फ़िक्र में नहीं रहेंगे तो कल देर हो जाएगी और हम ख़ाली हाथ होंगे।
17/02/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने तबरेज़ के अवाम के 29 बहमन 1356 हिजरी शम्सी बराबर 18 फ़रवरी सन 1978 के आंदोलन की सालगिरह के मौक़े पर गुरूवार की सुबह पूर्वी आज़बाइजान प्रांत के अवाम को वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। उन्होंने तबरेज़ के अवाम के आंदोलन को पूरी ईरानी क़ौम के आंदोलन की अहम कड़ी और इस्लामी क्रांति की कामयाबी का भूमिका क़रार दिया।
17/02/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने तबरेज़ के अवाम के 29 बहमन 1356 हिजरी शम्सी बराबर 18 फ़रवरी सन 1978 के आंदोलन की सालगिरह के मौक़े पर गुरूवार 17 फ़वरी 2022 की सुबह पूर्वी आज़बाइजान प्रांत के अवाम को वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। उन्होंने तबरेज़ के अवाम के आंदोलन को पूरी ईरानी क़ौम के आंदोलन की अहम कड़ी और इस्लामी क्रांति की कामयाबी का भूमिका क़रार दिया। स्पीच का हिंदी अनुवाद पेश है,
16/02/2022
दुआ की सिर्फ़ यह तासीर नहीं कि इंसान अपना ‎दिल अल्लाह के क़रीब कर लेता है। यह तो हासिल होता ही है इसके साथ ही उसे इल्म भी हासिल होता है। दुआ में ‎तालीम भी है और पाकीज़गी थी। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎19 जून 2009‎
16/02/2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई 18 फ़रवरी 1978 को तबरेज़ के अवाम के आंदोलन की सालगिरह पर पूर्वी आज़रबाइजान के अवाम को वीडियो कांफ़्रेंस के ज़रिए ख़िताब करेंगे। 
15/02/2022
अगर इंसान अक़्लमंद, होशियार और जागरूक हो तो इसके ‎हर लम्हे से वह चीज़ हासिल कर सकता है जिसके सामने दुनिया की सारी नेमतें मामूली हैं। यानी अल्लाह की ‎रज़ामंदी, करम, इनायत और तवज्जो हासिल कर सकता है। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎8 फ़रवरी 1991
14/02/2022
हज़रत अली (अ.स.) की शख़्सियत वह है कि अगर आप शिया हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, अगर सुन्नी हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, मुसलमान नहीं हैं तब भी अगर आप इस हस्ती से वाक़िफ़ हैं और उनकी ज़िंदगी के हालात से आगाही रखते हैं तो उनका एहतेराम करेंगे। इमाम ख़ामेनेई, 20 सितम्बर 2016
12/02/2022
इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम से हमें यह सबक़ मिलता है कि मुनाफ़िक़ और मक्कार ताक़तों का सामना हो तो हिम्मत से काम लें और उन ताक़तों का मुक़ाबला करने के लिए अवाम के अंदर बेदारी पैदा करें। इमाम जवाद अलैहिस्सलाम ने अब्बासी ख़लीफ़ा मामून के चेहरे से दिखावे और फ़रेब की नक़ाब हटाने के लिए काम किया और कामयाब हुए। इमाम ख़ामेनेई 10 अकतूबर 1980
11/02/2022
ईरानी अवाम का अल्लाहो अकबर का नारा अपना ख़ास अंदाज़ रखता है क्योंकि यह पैग़म्बर का नारा है, यह बुतों को तोड़ देने वाला अल्लाहो अकबर का नारा है, यह ताक़त व दौलत के बुतों को नाचीज़ साबित कर देने वाला नारा है, यह विश्व साम्राज्यवाद के मुक़ाबले में एक राष्ट्र की शुजाअत और बहादुरी का नारा है। इमाम ख़ामेनेई 28 अगस्त 1985
11/02/2022
बदलाव लाना दीन की सब से बड़ी ज़िम्मेदारी थी। आशूरा का पैग़ाम भी बदलाव और इन्क़ेलाब का पैग़ाम है। हमारे दौर में इस तरह के बदलाव का एक नमूना, ईरान का ‎इस्लामी इन्क़ेलाब है। इस्लामी इन्क़ेलाब के अज़ीम, रहनुमा इमाम ‎खुमैनी ने बदलाव के इस सिलसिले को आगे बढ़ाया और सिर्फ ईरान ‎को ही नहीं बल्कि पूरी इस्लामी दुनिया को बदल कर रखा दिया।
10/02/2022
  इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की सालगिरह की पूर्व संध्या पर सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 3388 क़ैदियों की सज़ा की माफ़ी या उसमें कमी पर के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
08/02/2022
अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) अपने चचा, भाई और चचेरे भाई के साथ बैठे और एक बाद का अहद किया कि हम इस राह में शहीद हो जाने तक बिना डरे आगे बढ़ते रहेंगे, शहीद हो जाने तक जेहाद करते रहेंगे। इसके बाद अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) फ़रमाते हैं, मेरे यह साथी मुझसे आगे निकल गए और मैं पीछे रह गया। ख़ुदा की क़सम मैं मुंतज़िर हूं।
08/02/2022
इस्लामी क्रांति कि कामयाबी के शुरू के दिनों में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह से एयरफ़ोर्स के कमांडरों की बैअत या वफ़ादारी के संकल्प की ऐतिहासिक घटना की सालगिरह पर, इस्लामी गणराज्य ईरान की एयरफ़ोर्स के कमांडर और जवान, आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात कर रहे हैं।
08/02/2022
इस्लामी इंक़ेलाब से संबंधित ऐतिहासिक घटना के मौक़े पर वायु सेना के कमांडरों और जवानों की इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात
08/02/2022
  इस्लामी गणराज्य ईरान की वायु सेना के कमांडरों और जवानों के बीच सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की स्पीच के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुः
08/02/2022
एयरफ़ोर्स और फ़ौज की एयर डिफ़ेन्स इकाई के कमांडरों की एक टीम की ने सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात की।
08/02/2022
आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के चीफ़ कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की एयरफ़ोर्स और फ़ौज की एयर डिफ़ेन्स छावनी केइस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने वायु सेना के कमांडरों और जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति और बयान का जेहाद तत्कालिक ज़रूरत और बड़ा अवसर है। सुप्रीम लीडर ने इस्लामी क्रांति की सफलता से ठीक तीन दिन पहले वायु सेना के कमांडरों और जवानों की ओर से इमाम ख़ुमैनी से अपनी वफ़दारी के एलान की घटना की सालगिरह पर 8 फ़रवरी 2022 को मुलाक़ात के लिए आने वाले वायु सेना के अफ़सरों और जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुश्मन हमला करके तथ्यों को बदलने इस्लामी शासन व्यवस्था की उपलब्धियों, सफलताओं और प्रगति पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है और इस हमले के जवाब में बयान और अभिव्यक्ति का जेहाद तत्कालिक ज़रूरत है।(1) सुप्रीम लीडर की स्पीचः
07/02/2022
पंद्रहवीं सदी में पूरी दुनिया में मुसलमानों और ईसाइयों के बीच एक तरह से ताक़त के लिहाज़ से बराबरी थी, यानि इन दोनों में से किसी को भी दूसरे पर ताक़त और दौलत के हिसाब से बढ़त नहीं थी। लेकिन वेस्ट में जो कुछ हुआ उसकी वजह से सोलहवीं सदी के बाद यह बराबरी ख़त्म होने लगी और ताक़त के लिहाज़ से वेस्ट, मुसलमानों से आगे बढ़ने लगा। दूर से कंट्रोल किये जाने वाले हथियारों, बंदूक़ों, तोप और इस तरह के हथियारों ने वेस्ट को मुसलमानों से ज़्यादा ताक़तवर बनाने में अहम रोल अदा किया।
07/02/2022
हज़रत हम्ज़ा (अ.स.) वाक़ई पैग़म्बरे इस्लाम के मज़लूम सहाबी हैं। इस बड़ी हस्ती को आज तक सही तौर पर पहचाना नहीं गया। उनका नाम ज़्यादा नहीं लिया जाता। उनके बारे में बहुत ज़्यादा मालूमात नहीं है। वह वाक़ई मज़लूम हैं।
05/02/2022
इमाम ख़ुमैनी वाक़ई बड़े फ़ौलादी इरादे वाले इंसान थे। वह इंसान थे जिसे अपनी राह की सच्चाई पर सौ प्रतिशत यक़ीन हो। जैसा कि क़ुरआन में पैग़म्बर के बारे में आया है कि रसूल उस चीज़ पर पूरा अक़ीदा व ईमान रखते हैं जो उनके परवरदिगार की तरफ़ से उन पर नाज़िल की गई है (बक़रा 285)। सच्चे और साफ़गो इंसान थे। सियासत बाज़ी से दूर थे। बड़े ज़ेहीन और दूरदर्शी इंसान थे।
05/02/2022
इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम और उनके ज़माने के ख़लीफ़ाओं के बीच होने वाले जंग में जिसे ज़ाहिरी और निहित दोनों रूप में फ़तह मिली, वह इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम थे। उनके बारे में बात करते समय यह बिंदु हमारे मद्देनज़र रहना चाहिए।
04/02/2022
इमाम ख़ुमैनी एक अवामी शख़्सियत थे और अवाम पर उन्हें बड़ा भरोसा था। 1962 की बात है जब इमाम ख़ुमैनी इस क़द्र मशहूर नहीं थे, उन्होंने क़ुम में अपनी एक तक़रीर में तत्कालीन सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर तुमने अपना रवैया न बदला तो क़ुम के मरुस्थल को अवाम से भर दूंगा। कुछ ही महीने गुज़रे थे कि इमाम ख़ुमैनी ने फ़ैज़िया मदरसे में निर्णायक भाषण दिया। जनता बंदूक़ों और टैंकों के मुक़ाबले में डट गई।
03/02/2022
इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी शिक्षाओं को बयान किया। हुकूमत का अर्थ बयान किया। इंसान का अर्थ समझाया और अवाम को यह बताया कि उनके साथ क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए। जिन तथ्यों को ज़बान पर लाने की लोग हिम्मत नहीं करते थे, इमाम ख़ुमैनी ने उन तथ्यों को दबे लफ़्ज़ों में नहीं खुले आम बयान किया।
03/02/2022
पैग़म्बरे इस्लाम के चचा और इस्लाम के महान मुजाहिद हज़रत हमज़ा पर सेमीनार का आयोजन करने वाली समिति के सदस्यों ने इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 25 जनवरी 2022 को होने वाली इस मुलाक़ात में बोलते हुए सर्वोच्च नेता ने हज़रत हम्ज़ा अलैहिस्सलाम की क़ुरबानियों और उनकी ख़ूबियों के बारे में बताया और पैग़म्बरे इस्लाम के उन सहाबियों के जीवन को प्रकाश में लाने पर ज़ोर दिया जिनके जीवन के मूल्यवान पहलुओं के बारे में शोध कार्य नहीं किया गया है। (1) सुप्रीम लीडर की स्पीचः
03/02/2022
रजब का महीना, रूहानी पाकीज़गी की बहार है। इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎20 अप्रैल 2016
02/02/2022
''हमारा नज़रिया यह है कि इन्क़ेलाब, पैग़म्बरे इस्लाम के मिशन की एक कड़ी है।''
02/02/2022
इस्लामी क्रांति की सफलता की 43वीं सालगिरह और इस उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले दस दिन के ‎देश व्यापी ‎जश्न की शुरुआत के अवसर पर इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ‎सैयद अली ख़ामेनेई बहिश्ते ज़हरा नामक क़ब्रस्तान में स्थित इमाम ख़ुमैनी के पवित्र मज़ार पर पहुंचे ‎और ‎नमाज़ व क़ुरआन पढ़ कर, ईरानी राष्ट्र के महान नेता को श्रद्धांजली दी।   इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने 28 जून 1981 की घटना के शहीदों के मज़ारों पर उपस्थित हो कर ‎अल्लाह से उनके दर्जों की बुलंदी ‎की दुआ की। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई इसके बाद अन्य शहीदों के क़ब्रस्तान, गुलज़ारे शोहदा गए।
02/02/2022
हमारा इंक़ेलाब उस सरकार के ख़िलाफ़ महान अवामी इंक़ेलाब था जो एक निंदनीय सरकार की सारी बुराइयों में लिप्त थी। भ्रष्टाचारी थी, बाहरी ताक़तों की पिट्ठू थी, बग़ावत के ज़रिए थोपी गई थी और नाकारा भी थी।