एलिट वह है जो अपनी सलाहियत की क़द्र करता है। ग़फ़लत में डालना साम्राज्यवादी ताक़तों का हथियार। अंग्रेज़ों ने भारत का उद्योग तबाह कर दिया। ग़फ़लत छा जाए तो क़ौम आसानी से लुट जाती है। आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स पर ख़ास ताकीद।
प्यारे नौजवानो! ग़ैर मामूली दिमाग़ अल्लाह की नेमत है। अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करना चाहिए। सूरए नह्ल में है कि अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करो अगर तुम उसी की इबादत करते हो।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई 17 नवम्बर 2021
जो चीज़ ग़ैर मामूली सलाहियत वाले लोगों को एलिट बनाती है वह सिर्फ़ मानसिक क्षमता नहीं है। बहुत से लोगों के पास सलाहियत है, मानसिक क्षमता है, लेकिन यह बर्बाद हो जाती है। जो चीज़ एलिट को एलिट बनाती है वह मानसिक क़ाबिलियित के अलावा इस सच्चाई और इस नेमत की क़द्र को समझना है।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने स्वयं सेवी फ़ोर्स (बसीज) सप्ताह के उपलक्ष्य में एक संदेश में कहा है कि देश की सभी समस्याओं का हल, ऊंचे हौसले, अक़्लमंदी, सही सोच और अल्लाह पर भरोसे से मुमकिन है।
अफ़्रीक़ा में महान सभत्यताएं थीं जो अपनी क्षमताओं के बारे में ग़फ़लत बरतने की वजह से उस साफ़्ट वार की भेंट चढ़ गईं जो विस्तारवादी ताक़तों ने उन पर थोपीं। नेहरू ने अपनी किताब में भारत के बारे में इसी चीज़ का उल्लेख किया है।
इमाम ख़ामेनेई
Nov 17, 2021
वैज्ञानिक प्रगति की हमारी रफ़तार ऐसी होनी चाहिए कि तक़रीबन पचास साल में ईरान दुनिया में ज्ञान-विज्ञान का सेंटर बन जाए और लोगों को आधुनिक ज्ञान के लिए फ़ारसी सीखने की ज़रूरत पड़े। दुनिया में किसी ज़माने में यही स्थिति थी जो दोबारा भी बन सकती है।
इमाम ख़ामेनेई
Nov 17, 2021
भविष्य में दुनिया के मैनेजमेंट में आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेन्स का बहुत अहम रोल होगा। इस विषय पर तवज्जो और गहरा चिंतन किया जाना चाहिए। हमें इतनी मेहनत करनी चाहिए कि इस मैदान में हमारा देश दुनिया में फ़्रंटलाइन के दस देशों में अपनी जगह बनाए।
इमाम ख़ामेनेई
Nov 17, 2021
विस्तारवादी ताक़तों की साफ़्ट जंग का एक पहलू यह होता है कि वह राष्ट्रों को उनकी क्षमता से ग़ाफ़िल रखें। या उनकी ऐसी दुर्गत कर दें कि वे ख़ुद ही अपनी क्षमताओं को नकारने लगें। जब किसी राष्ट्र पर अपनी क्षमताओं के बारे में ग़फ़लत छा जाती है तो उसको लूटना आसान हो जाता है।
इमाम ख़ामेनेई
Nov 17, 2021
जवान साइन्टिस्ट व प्रतिभाशाली लोगों के (एलिट) ग्रुप ने 17 नवंबर 2021 को सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की।
17 नवम्बर को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने देश के युवा वैज्ञानिकों व असाधारण प्रतिभाशाली लोगों के एक समूह को संबोधित किया।(1)
तक़रीर का अनुवाद पेश हैः
क़ुम, हज़रत फ़ातेमा मासूमा अलैहस्सलाम का पवित्र मज़ार और हरम है, वह महान हस्ती जिनके पवित्र मज़ार के क़रीब से पहली बार यह उफनता हुआ सोता उबला और इसकी बरकतें पूरी दुनिया ख़ास कर इस्लामी जगत तक पहुंचीं। इमाम ख़ामेनेई, 5 अक्तूबर 2000
आयतुल्लाह ख़ामेनेईः “हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम उसी सामर्रा शहर में जो दरअस्ल एक छावनी के समान था, अपने व्यापक प्रचारिक व ज्ञान संबंधी नेटवर्क के ज़रिए पूरी इस्लामी दुनिया से संपर्क स्थापित करने में कामयाब हुए। सिर्फ़ यह नहीं था कि आप नमाज़, रोज़ा या तहारत और नजासत के मसलों का जवाब देते थे। वह एक इमाम की हैसियत से उस अंदाज़ में जो इस्लाम के मद्देनज़र है अपना पक्ष रखते थे और आम जन से मुख़ातिब होते थे।”
इमाम ख़ामेनेई
10 मई 2003
जिस वक़्त 13 आबान बराबर 4 नवंबर 1979 की घटना घटी, हम ईरान में नहीं थे। हम और जनाब रफ़सन्जानी साहब हज के लिए पवित्र नगर मक्का में थे। मुझे याद है कि एक रात हम मक्के में हज संस्था के प्रतिनिधि कार्यालय में छत पर बैठे या लेटे हुए थे। हम सोना चाहते थे। ईरान में रात के 12 बजे का रेडियो बुलेटिन सुन रहे थे कि रेडियो से यह ख़बर सुनी कि इमाम ख़ुमैनी की गाइडलाइन पर अमल करने वाले स्टूडेंट्स ने अमरीका के (जासूसी के अड्डे में बदल चुके) दूतावास को अपने कंट्रोल में ले लिया है।
बीसवीं सदी अमरीकी ख़्वाबों की दुनिया है, अमरीकियों का दावा था कि दुनिया उनकी उंगली पर नाचती है। इसी दावे के साथ ही 1991 में पूर्व सोवियत संघ के विघटन और दुनिया के एक ध्रुवीय हो जाने के बाद, भूतपूर्त अमरीकी राष्ट्रपति बुश सीनियर ने दुनिया में पुराना वर्ल्ड आर्डर ख़त्म होने की बात कही और बुद्धिजीवियों व राजनैतिक टीकाकारों ने भी अमरीकी चौधराहट और अमरीकी सदी के आग़ाज़ की भविष्यवाणी कर दी। सबने कहा कि अब दुनिया पर अमरीकी जीवन शैली और अमरीकी मूल्य छा जाएंगे।
शहीदों को श्रद्धाजलि देने के कार्यक्रम को मामूली काम नहीं समझना चाहिए। वाक़ई यह बड़ा नेक काम है। यह एक फ़र्ज़ है जो अभी अदा नहीं हुआ है। अभी तो शुरुआत है। यह काम जारी रहेंगे और उन्हें जारी रहना ही चाहिए।
शहीद चुने हुए लोग हैं, शहीद वे हैं जिन्हें महान अल्लाह चुनता है, शहादत चोटी है, हम में से बहुत से हैं जो उस चोटी पर पहुंचने की आरज़ू रखते हैं, तो हमें उस चोटी के दामन में रास्ता ढूंढना होगा उस रास्ते पर चलना होगा ताकि चोटी तक पहुंच सकें।
शहीद चुने हुए लोग हैं, शहीद वे हैं जिन्हें महान परवरदिगार चुनता है। शहीदों ने सही रास्ते को चुना और अल्लाह ने भी उन्हें मक़सद तक पहुंचने के लिए चुना। शहीदों की क़ीमत को भौतिक हिसाब से आंका नहीं जा सकता।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
शहीद दुनिया के सबसे बड़े व्यापार में कामयाब हैं। हे ईमान वालो, क्या तुम्हे ऐसा व्यापार दिखाएं जो तुम्हे दर्दनाक अज़ाब से बचाए? अल्लाह और उसके पैग़म्बर पर ईमान लाओ और अपनी जान-माल से अल्लाह की राह में जेहाद करो, अगर जानते हो तो यह तुम्हारे लिए बेहतर है। (सूरए सफ़ आयत 10 व 11)
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
मुसलमानों की एकता निश्चित क़ुरआनी कर्तव्य है। मुसलमानों की एकता टैक्टिकल चीज़ नहीं कि कोई सोचे कि ख़ास हालात के कारण हम एकजुट हो जाएं। नहीं! यह सैद्धांतिक विषय है। मुसलमानों का आपसी सहयोग ज़रूरी है। मुसलमान एकजुट रहेंगे तो एक दूसरे की मदद करेंगे और सब ताक़तवर बनेंगे।
इमाम ख़ामेनई
24 अक्तूबर 2021
जंजान के शहीदों की याद मनाने वाली कमेटी के सदस्यों और कुछ शहीदों के घरवालों ने इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 16 अक्तूबर को मुलाक़ात की।
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनई ने 16 अक्तूबर 2021 को ज़ंजान प्रांत के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित सेमीनार की आयोजक कमेटी और कुछ शहीदों के परिजनों से मुलाक़ात की। इस अवसर पर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने संक्षिप्त भाषण दिया जो गुरुवार 28 अक्तूबर 2021 को सेमीनार के उदघाटन कार्यक्रम में जारी किया गया। (1)
इस्लाम, समावेशी दीन है। इसकी समग्रता का हक़ अदा करना चाहिए। भौतिकवादी राजनैतिक ताक़तों की ज़िद है कि इस्लाम, व्यक्तिगत अमल और दिल की आस्था तक सीमित रहे। क़ुरआन, सैकड़ों आयतों में इसका खंडन करता है। इस्लाम की गतिविधियों का दायरा सामाजिक, राजनैतिक और वैश्विक विषयों तक फैला हुआ है।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
कुछ इस्लामी सरकारों ने अतिग्रहणकारी ज़ालिम ज़ायोनी शासन से संबंध क़ायम करके बड़ा पाप किया है। उन्हें वापस लौटना और ग़लती की भरपाई करना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
पैग़म्बरे इस्लाम और हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर इस्लामी एकता सम्मेलन के मेहमानों और देश के उच्चाधिकारियों से आयतुल्लाह ख़ामेनई की मुलाक़ात
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और उनके छठे उत्तराधिकारी इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की पैदाइश के मुबारक दिन पर तीनों पालिकाओं के चीफ़, इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों की एक टीम और पैंतीसवी अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी एकता कॉन्फ़्रेंस में भाग लेने वाले मेहमानों ने रविवार को आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
24 अक्तूबर 2021 को इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने इस मुलाक़ात में पैग़म्बरे इस्लाम की पैदाइश की मुबारकबाद दी और इस शुभ जन्म दिन को पूरी इंसानियत की ज़िन्दगी में नए दौर का आग़ाज़ बताया।
सर्वोच्च नेता के भाषण का हिंदी अनुवाद पेश हैः
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और उनके छठे उत्तराधिकारी इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की पैदाइश के मुबारक दिन पर तीनों पालिकाओं के चीफ़, इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों और पैंतीसवी अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी एकता कॉन्फ़्रेंस में भाग लेने वाले मेहमानों ने रविवार को आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
आयतुल्लाहिल उज़मा खामेनेईः पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की महान हस्ती, पैग़म्बरों और ख़ुदा के प्यारे बंदों की सूची में सबसे ऊपर है और हम मुसलमानों के लिए उनका अनुसरण अनिवार्य है। (12 मई 2000)
इस्लामी एकता सप्ताह के अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम हुसैन महदी हुसैनीः
एकता सप्ताह ने सामराज्वाद के मंसूबों पर पानी फेर दिया। जब क़ुरआन एक है, कलेमा एक है, काबा एक है और नबी एक हैं तो इसी को बुनियाद बनाकर सब को जमा हो जाना चाहिए।