इस मजलिस को धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रफ़ीई ने संबोधित किया। उन्होंने अपने अनुयाइयों से इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की अपेक्षाओं के बारे में उनके कथनों व हदीसों का हवाला देते हुए कहाः सारे मामलों में सूझबूझ, मध्यमार्गी रहना यानी विलायत के रास्ते पर चलना और अति से बचना, ज़िन्दगी और समाज में पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत को बुनियाद क़रार देना, शरीअत के नियमों का पालन करना और धर्म द्वारा वाजिब किए गए कामों को अंजाम देना वे चीज़ें है जिनकी इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने अपने अनुयाइयों से अपेक्षा की है।

अज़ादारी के इस प्रोग्राम में जनाब महदी रसूली ने मर्सिया पढ़ा और इमाम रज़ा पर पड़ने वाली मुसीबतों का ज़िक्र किया।