शहीदों को श्रद्धाजलि देने के कार्यक्रम को मामूली काम नहीं समझना चाहिए। वाक़ई यह बड़ा नेक काम है। यह एक फ़र्ज़ है जो अभी अदा नहीं हुआ है। अभी तो शुरुआत है। यह काम जारी रहेंगे और उन्हें जारी रहना ही चाहिए।
शहीद चुने हुए लोग हैं, शहीद वे हैं जिन्हें महान अल्लाह चुनता है, शहादत चोटी है, हम में से बहुत से हैं जो उस चोटी पर पहुंचने की आरज़ू रखते हैं, तो हमें उस चोटी के दामन में रास्ता ढूंढना होगा उस रास्ते पर चलना होगा ताकि चोटी तक पहुंच सकें।
शहीद चुने हुए लोग हैं, शहीद वे हैं जिन्हें महान परवरदिगार चुनता है। शहीदों ने सही रास्ते को चुना और अल्लाह ने भी उन्हें मक़सद तक पहुंचने के लिए चुना। शहीदों की क़ीमत को भौतिक हिसाब से आंका नहीं जा सकता।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
शहीद दुनिया के सबसे बड़े व्यापार में कामयाब हैं। हे ईमान वालो, क्या तुम्हे ऐसा व्यापार दिखाएं जो तुम्हे दर्दनाक अज़ाब से बचाए? अल्लाह और उसके पैग़म्बर पर ईमान लाओ और अपनी जान-माल से अल्लाह की राह में जेहाद करो, अगर जानते हो तो यह तुम्हारे लिए बेहतर है। (सूरए सफ़ आयत 10 व 11)
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
मुसलमानों की एकता निश्चित क़ुरआनी कर्तव्य है। मुसलमानों की एकता टैक्टिकल चीज़ नहीं कि कोई सोचे कि ख़ास हालात के कारण हम एकजुट हो जाएं। नहीं! यह सैद्धांतिक विषय है। मुसलमानों का आपसी सहयोग ज़रूरी है। मुसलमान एकजुट रहेंगे तो एक दूसरे की मदद करेंगे और सब ताक़तवर बनेंगे।
इमाम ख़ामेनई
24 अक्तूबर 2021
जंजान के शहीदों की याद मनाने वाली कमेटी के सदस्यों और कुछ शहीदों के घरवालों ने इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 16 अक्तूबर को मुलाक़ात की।
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनई ने 16 अक्तूबर 2021 को ज़ंजान प्रांत के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित सेमीनार की आयोजक कमेटी और कुछ शहीदों के परिजनों से मुलाक़ात की। इस अवसर पर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने संक्षिप्त भाषण दिया जो गुरुवार 28 अक्तूबर 2021 को सेमीनार के उदघाटन कार्यक्रम में जारी किया गया। (1)
इस्लाम, समावेशी दीन है। इसकी समग्रता का हक़ अदा करना चाहिए। भौतिकवादी राजनैतिक ताक़तों की ज़िद है कि इस्लाम, व्यक्तिगत अमल और दिल की आस्था तक सीमित रहे। क़ुरआन, सैकड़ों आयतों में इसका खंडन करता है। इस्लाम की गतिविधियों का दायरा सामाजिक, राजनैतिक और वैश्विक विषयों तक फैला हुआ है।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
कुछ इस्लामी सरकारों ने अतिग्रहणकारी ज़ालिम ज़ायोनी शासन से संबंध क़ायम करके बड़ा पाप किया है। उन्हें वापस लौटना और ग़लती की भरपाई करना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021
पैग़म्बरे इस्लाम और हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर इस्लामी एकता सम्मेलन के मेहमानों और देश के उच्चाधिकारियों से आयतुल्लाह ख़ामेनई की मुलाक़ात
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और उनके छठे उत्तराधिकारी इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की पैदाइश के मुबारक दिन पर तीनों पालिकाओं के चीफ़, इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों की एक टीम और पैंतीसवी अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी एकता कॉन्फ़्रेंस में भाग लेने वाले मेहमानों ने रविवार को आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
24 अक्तूबर 2021 को इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने इस मुलाक़ात में पैग़म्बरे इस्लाम की पैदाइश की मुबारकबाद दी और इस शुभ जन्म दिन को पूरी इंसानियत की ज़िन्दगी में नए दौर का आग़ाज़ बताया।
सर्वोच्च नेता के भाषण का हिंदी अनुवाद पेश हैः
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और उनके छठे उत्तराधिकारी इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की पैदाइश के मुबारक दिन पर तीनों पालिकाओं के चीफ़, इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों और पैंतीसवी अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी एकता कॉन्फ़्रेंस में भाग लेने वाले मेहमानों ने रविवार को आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
आयतुल्लाहिल उज़मा खामेनेईः पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की महान हस्ती, पैग़म्बरों और ख़ुदा के प्यारे बंदों की सूची में सबसे ऊपर है और हम मुसलमानों के लिए उनका अनुसरण अनिवार्य है। (12 मई 2000)
इस्लामी एकता सप्ताह के अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम हुसैन महदी हुसैनीः
एकता सप्ताह ने सामराज्वाद के मंसूबों पर पानी फेर दिया। जब क़ुरआन एक है, कलेमा एक है, काबा एक है और नबी एक हैं तो इसी को बुनियाद बनाकर सब को जमा हो जाना चाहिए।
पैग़म्बरे इस्लाम और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर और एकता सप्ताह के उपलक्ष्य में इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई की वेबसाइट KHAMENEI.IR की तरफ़ से हिंदी ज़बान की वेबसाइट लांच कर दी गई।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के उपलक्ष्य में अदालतों व सशस्त्र बलों की न्यायिक संस्था से और इसी तरह विभागीय कार्यवाहियों के तहत सज़ा पाने वाले 3,458 क़ैदियों की सज़ाएं माफ़ या कम करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
आप देखिए कि इन्होंने भारत में क्या किया? चीन में क्या किया? 19वीं सदी में अंग्रेज़ों ने भारत में वह तबाही मचाई कि - मुझे विश्वास है कि आप युवा इतिहास को भी और इन चीज़ों को भी कम ही अहमियत देते हैं - जो कुछ हुआ है उसका हज़ारवां हिस्सा भी आपने प्रचारों में और बातों में नहीं सुना है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 3 अक्तूबर 2021 को इमाम हुसैन कैडिट कॉलेज में ईरानी सशस्त्र बलों की अकादमियों के कैडिट्स के ग्रेजुएशन के संयुक्त समारोह से वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधन में ईरान के पश्चिमोत्तरी पड़ोसी देशों में जारी मामलों के बारे में कुछ अहम बातों का उल्लेख किया। KHAMENEI.IR ने इस संबंध में ईरान के पूर्व कूटनयिक मोहसिन पाक आईन के लिखे हुए एक लेख के माध्यम से देश की पश्चिमोत्तरी सीमाओं पर जारी समस्याओं का जायज़ा लिया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 11 मार्च 2021 को हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी की घोषणा की वर्षगांठ के मौक़े पर टीवी पर अपने संबोधन में यमन की मज़लूम जनता पर सऊदी अरब की बमबारी और इस ग़रीब देश के आर्थिक घेराव में अमरीकी सरकार की भागीदारी का ज़िक्र किया और इस बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के रवैये की कड़ी निंदा की।
8 फ़रवरी 2021 को रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतीन के नाम इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई का संदेश, ईरान के संसद सभापति मुहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ के माध्यम से रूस के संसद सभापति और पुतीन के विशेष प्रतिनिधि के हवाले किया गया।
KHAMENEI.IR ने इस बारे में वर्तमान विदेश मंत्री और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में ईरानी स्पीकर के तत्कालीन विशेष प्रतिनिधि हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान से बातचीत का सारांश पेश कर रही है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 8 जनवरी 2021 को टीवी पर अपने एक संबोधन में परमाणु समझौते (JCPOA) के बारे में ईरान के रवैये और इस सिलसिले में अमरीका की ज़िम्मेदारियों के बारे में कहाः “परमाणु समझौते में अमरीका की वापसी पर हमारा कोई आग्रह नहीं है, बुनियादी तौर पर यह हमारी यह समस्या ही नहीं है कि अमरीका JCPOA में वापस लौटे या न लौटे। हमारी जो तर्कसंगत मांग है, वह प्रतिबंधों की समाप्ति की है जो ईरानी राष्ट्र का छीना गया हक़ है।“ ये जुमले इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के संबोधन के अंत में कहे गए और उन्होंने इसे इस्लामी गणराज्य ईरान की अंतिम बात क़रार दिया।
पैग़म्बरे इस्लाम का उठना बैठना ग़ुलामों के साथ रहता था। उनके साथ खाना खाते थे। बहुत मामूली कपड़े पहनते थे। जो खाना मौजूद होता वही खाते, किसी भी खाने को नापसंद नहीं करते थे। पूरे मानव इतिहास में यह विशेषताएं बेजोड़ हैं।
इमाम ख़ामेनई
Sept 27, 1991
अल्लाह ने पैग़म्बरे इस्लाम को ‘रहमतुल लिलआलमीन’ का लक़ब दिया। इंसानों के किसी एक गिरोह के लिए नहीं, किसी एक समूह के लिए नहीं बल्कि सारी कायनात के लिए रहमत हैं। वह सब के लिए रहमत हैं। पैग़म्बर जो पैग़ाम अल्लाह की तरफ़ से लेकर आए उसे आपने सारी इंसानियत को प्रदान किया।
इमाम ख़ामेनई
Dec 17, 2016
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की उम्र लगभग 55 साल है। 55 साल की इस उम्र में लगभग 20 साल का समय उनकी इमामत का समय है। जब हज़रत की इमामत का दौर ख़त्म हुआ और आपको शहीद कर दिया गया तो अगर आप उस वक़्त के हालात देखिए तो महसूस करेंगे कि अहले बैते रूसूल से मुहब्बत का सिलसिला इस्लामी जगत में इस व्यापकता और गहराई के साथ फैल चुका था कि ज़ालिम अब्बासी सल्तनत उस पर क़ाबू पाने में नाकाम थी। यह कारनामा इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम ने अंजाम दिया।
इमाम ख़ामेनई
Sept 17, 2013
पैग़म्बरों को उन समाजों में भेजा गया जहां अज्ञानता का अंधेरा था। पैग़म्बरों का मक़सद था अज्ञानता की व्यवस्था को ख़त्म करके तौहीद (एकेश्वरवाद) पर आधारित बराबरी की व्यवस्था स्थापित करना, ग़रीबी और घमंड को मिटाना। वह मानवीय प्रतिष्ठा बहाल करने के लिए आए।
इमाम ख़ामेनई
Dec 31, 1976
ये आंसू, एक साथ बैठना, मुसीबत का ज़िक्र, इस मोहर्रम और आशूर का हमारी जनता के जीवन पर असर पड़ता है। शिया विरोधी कुछ समाजों की नीरसता व निर्जीवता - अफ़सोस कि कुछ हुकूमतें अपनी जनता को ग़ैर शिया नहीं बल्कि शिया विरोधी बनाती हैं - ईश्वर की कृपा से हमारे समाज में नहीं है। हमारा समाज लचक, भावना, नर्मी और स्नेह व प्यार वाला समाज है।
सुप्रीम लीडर
18 मई 1995
जनरल हेजाज़ी ने दिसंबर 2020 में एक बातचीत का हवाला दिया जिसमें जनरल क़ासिम सुलैमानी की शख़्सियत का एक ख़ास पहलू सामने आया जिसे आम तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। वह है उनकी संवाद की क़ाबिलियत।
शाह के काल में क़ुरआन और उसकी व्याख्या की क्लास में जो नौजवान आया करते थे, मैं उनसे कहा करता था कि अपनी जेब में एक क़ुरआन रखा कीजिए, जब भी वक़्त मिले या किसी काम के इंतेज़ार में रुकना हो तो एक मिनट, दो मिनट, आधा घंटे क़ुरआन खोलिए और तिलावत कीजिए ताकि इस किताब से लगाव हो जाए।
मैं कई बार इस बात का ज़िक्र कर चुका हूं कि अमरीका जो भी फ़ाइटर जेट और दूसरे साधन बेचता था, उनके बारे में यह शर्त लगाता था कि किसी भी तरह की मरम्मत और रिपेयरिंग ख़ुद अमरीकी करेंगे, हमें पुर्ज़ों को हाथ लगाने की इजाज़त नहीं थी।
किताब तालीम ए अहकाम सही तरीक़े से इबादत अंजाम देने और हलाल व हराम की पहिचान के लिए आसान ज़बान में तहरीर की गई है। यह आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई के फ़तवों और फ़िक़ही विचारों पर आधारित है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई को दुनिया के जिन देशों से लगाव है उनमें हिंदुस्तान भी है। अलग अलग अवसरों पर वह भारत और वहां बसने वालों के बारे में अपने नज़रियात बयान करते रहे हैं।
इस्लामी एकता का विषय हमेशा से ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता इमाम ख़ामेनेई की चिंताओं में से एक रहा है। इस विषय को उनकी बातों और व्यवहारिक क़दमों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, यहां तक कि शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि उन्होंने मुस्लिम समाज को संबोधित करते समय एकता के विषय पर ज़ोर न दिया हो। इस लेख में “इस्लामी एकता” के विषय पर इमाम ख़ामेनेई के बयानों की गहरी समीक्षा के माध्यम से इस विषय में उनकी नीतियों व रवैये को बयान करने की कोशिश की गई है।
इस्लामी क्रान्ति की सफलता की दूसरी सालगिरह पर ईरान की इस्लामी प्रचार की सुप्रीम काउंसिल के फ़ैसले के मुताबिक़, इस्लामी गणराज्य से दुनिया के अनेक देशों के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे गए ताकि वे दूसरे राष्ट्रों ख़ास तौर पर मुसलमानों को इस्लामी गणराज्य के नज़रिये और इस्लामी क्रांति की विशेषताओं की जानकारी दें।