पहलवी हुकूमत ने अमरीका की ग़ुलामी में उस ज़माने में संसद से क़ानून पास करवा दिया कि अमरीकी सलाहकारों को ईरान में अदालती और सेक्युरिटी इम्युनिटी हासिल रहेगी। इसका नाम कैपीचुलेशन है। ख़ुद अमरीकियों की नज़र में बक़ौल उनके तीसरी दुनिया के मुल्कों के साथ उनका रिश्ता राजा और प्रजा का रिश्ता है। इन मुल्कों में वो ख़ुद को हर चीज़ का मालिक समझते हैं। तेल, गैस, मुनाफ़ा, पैसा सब कुछ हड़प लेते हैं और क़ौमों की बुरी तरह तौहीन करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
3 नवम्बर 2010
मुबाहेला वह मौक़ा है जब पैग़म्बरे इस्लाम अपने सबसे चहेते लोगों को मैदान में लेकर आते हैं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम भी हक़ीक़त बयान करने के लिए अपने प्यारों को मैदान में ले आते हैं।
ईरान का स्टैंड सीरिया पर फ़ौजी कार्यवाही का विरोध और उसकी रोकथाम पर ताकीद है। सीरिया के तअल्लुक़ से एक और अहम मसला पूर्वी फ़ुरात के उपजाऊ और तेल संपन्न इलाक़े पर अमरीकियों का क़ब्ज़ा है और उन्हें इस इलाक़े से बेदख़ल करके इस मसले को हल किया जाना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
19 जुलाई 2022
सीरिया के उत्तरी इलाक़ों पर हमला सीरिया, तुर्की और पूरे इलाक़े के लिए नुक़सानदेह और आतंकियों के लिए फ़ायदेमंद होगा और यह कार्यवाही हुई तो सीरिया की तरफ़ से अपेक्षित राजनैतिक प्रक्रिया भी अमली जामा नहीं पहन सकेगी।
इमाम ख़ामेनेई
19 जुलाई 2022
कायनात में और आलमे इंसानियत में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की ज़बान से निकले ये जुमले आज तक गूंज रहे हैं: ऐ दुनिया के जलवो! ऐ दुनिया की कशिश! ऐ वो ख़्वाहिशो! जो बड़े मज़बूत इंसानों को भी अपने जाल में फंसा लेती हैं, जाओ जाकर अली के अलावा किसी और को धोखा देने की कोशिश करो। अली इन चीज़ों से कहीं ज़्यादा बुलंद और मज़बूत है।
इमाम ख़ामेनेई
30 जनवरी 1991
वेबसाइट KHAMENEI.IR मस्जिदे गौहरशाद में जुलाई 1935 में हिजाब पर पाबंदी लगाने के शाही फ़रमान के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों के क़त्लेआम की बरसी के मौक़े पर रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की एक स्पीच के कुछ हिस्से पेश कर रही है।