बेहतरीन ख़ानदान वाले, ख़ूबरू, ताक़तवर और दिलनशीं ‎व्यक्तित्व के हज़ारों नौजवान हज़रत अली अलैहिस्सलाम के ‎पांव की धूल के बराबर भी नहीं हैं। हज़ारों आला ख़ानदान ‎की ख़ूबसूरत लड़कियां हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के क़दमों की ‎धूल के बराबर भी नहीं हैं। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा पैग़म्बरे ‎इस्लाम की बेटी थीं जो इस्लामी दुनिया के सरदार और ‎हाकिम थे। हज़रत अली भी इस्लाम के सबसे बड़े ‎सिपहसालार थे। अब ज़रा देखिए कि उनकी शादी किस ‎अंदाज़ से हुई? मेहर क्या था? दहेज क्या था? हर काम ‎अल्लाह का नाम लेकर और उसके ज़िक्र के साथ। यह हमारे ‎लिए आदर्श है। इमाम ख़ामेनेई ‎6 मई 1996‎