यूनिवर्सिटियों के 'बसीजी' (स्वयंसेवी) प्रोफ़ेसरों और 'बसीजी' प्रोफ़ेसरों के राष्ट्रीय दिवस पर उनकी सभा पर दुरूद भेजता हूं और मुजाहिद विद्वान शहीद मुस्तफ़ा चमरान और यूनिवर्सिटियों के दूसरे शहीदों को श्रृद्धांजलि पेश करता हूं।

मुल्क की यूनिवर्सिटियों के अधिकारी और संघर्षशील शिक्षकों की मुबारक छत्रछाया, अल्लाह की बड़ी नेमत और ईरानी क़ौम के गौरव और उसके भविष्य की कामयाबी की ख़ुशख़बरी है।

आपका लाभप्रद व आधुनिक इल्म चाहे वह रणनैतिक व मूल विषयों से संबंधित हो या प्रैक्टिकल मैदानों से संबंधित हो, मुल्क की फ़ौरी और यक़ीनी ज़रूरत है।

स्वयंसेवी शिक्षकों का काम, सिर्फ़ पढ़ाना नहीं बल्कि वैज्ञानिक तरक़्क़ी, ज्ञान के स्वरूप और उसकी भाषा में इनोवेशन, शिक्षा में नैतिकता व मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण का शामिल होना, नए विज्ञान को हासिल करना, इल्म की पैदावार जैसे दो अहम बातों के लिए कोशिश करना और इसी तरह की दूसरी ज़िम्मेदारियां भी शिक्षकों के कर्तव्यों में शामिल हैं और आप प्रिय स्वयंसेवी इन सभी मैदानों के ध्वजवाहक हो सकते हैं।

अल्लाह से आपके लिए कामयाबी की दुआ करता हूँ।

सैयद अली ख़ामेनेई

20 जून 2022