दुश्मनों ने हमारे देश के प्यारे किशोरों और युवाओं के लिए भी बहुत से सपने देखे और चालें तैयार कीं लेकिन अल्लाह की कृपा से वे नाकाम रहे। अलबत्ता उनकी ये नाकामी, आपकी होशियार की वजह से है। इस होशियारी व जागरूकता को यूनिवर्सटियों में भी और स्कूलों में भी बढ़ाइये और इस्लामी शिक्षाओं की सही पहचान, धार्मिक ज़िम्मेदारियों और शिष्टाचार के पालन के लिए कोशिश करते रहिए। इस देश को, जो अपनी सरबुलंदी के लिए कोशिश कर रहा है और इसने ख़ुद आपके ज़माने में इतने बड़े बड़े क़दम उठाए हैं, हर लिहाज़ से एक अहम और विकसित देश में बदल दीजिए। ये काम आपका है और आपके हाथों में है और आज ही से अपने अंदर इसका मार्ग समतल करना शुरू कर दीजिए। सबसे पहली शर्त यह है कि आप अल्लाह से डरने वाले हों, सूझ-बूझ वाले हों, सोचें, विचार करें, दोस्त को पहचानें, दुश्मन को पहचानें।

इमाम ख़ामेनेई

30/10/1998