25/04/2022
दरअस्ल शबे क़द्र से, रोज़ेदार मोमिन अपने नये साल की शुरुआत करता है। शबे क़द्र में एक साल के लिए उसकी क़िस्मत, अल्लाह की तरफ से फ़रिश्ते लिखते हैं। इन्सान एक नये साल, नये मरहले और दरअस्ल नयी ज़िंदगी और नये जन्म का एहसास करता है। एक नये रास्ते पर चलता है और तक़वे से इस राह पर चलने में मदद लेता है।
25/04/2022
हर दुआ को क़ुबूल किया जाता है। दुआ के क़ुबूल होने का मतलब, अल्लाह की तरफ़ से हम पर नज़र और हम पर उसका ध्यान दिया जाना है। 
24/04/2022
ख़ुदा से दुआ करें कि इबादतों में आप का दिल लगे, अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगें, ख़ुदा से दुआ करें कि आप के दिल नर्म हों, आप को तौबा की तौफ़ीक़ मिले। आज की रात की क़द्र करें। बहुत अहम रात है। बहुत बड़ी रात है। इमामे ज़माना को याद करें। अल्लाह के घर के दरवाज़े पर, मस्जिदों में जाएं और इमामे ज़माना की बरकत से ख़ुदा से अपनी मुरादें पाएं। मेरे लिए भी दुआ करें। इमाम ख़ामेनेई 21-10-2005
23/04/2022
शबे क़द्र दरअस्ल दुआ, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने और उसे याद करने का वक़्त है। इसके साथ ही यह रात इस बात का मौक़ा भी है कि हम हज़रत अली (अ.स.) के अज़ीम मक़ाम के बारे में कुछ जान लें और सबक़ सीखें। रमज़ान के महीने की जो भी फ़ज़ीलत बयान की जाए और इस महीने में अल्लाह के बन्दों के जो भी फ़रीज़े बताए जाएं, उन सब के लिए सब से अच्छे आइडियल, हज़रत अली (अ.स.) हैं।
23/04/2022
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की नज़र में शहादत, ख़ुशख़बरी और शुक्र का मक़ाम है। 
23/04/2022
शबे क़द्र में इमाम ज़माना से मदद
22/04/2022
शबे क़द्र वह रात है जिसे अल्लाह ने “सलाम” कहा  है। सलाम का मतलब ख़ुदा की तरफ़ से इन्सानों को सलाम भी है और इसका एक मतलब, सलामती, सुल्ह, सुकून, लोगों में भाईचारा, दिलों और लोगों के बीच दोस्ती भी है। रूहानी लिहाज़ से, यह ऐसी रात है। शबे क़द्र की क़द्र करें और मुल्क की, अपनी, मुसलमानों और इस्लामी मुल्कों की परेशानियां दूर होने के लिए दुआ करें।
22/04/2022
इमाम ख़ामेनेईः नहजुल बलाग़ा आकर्षण की इंतेहा है। अलफ़ाज़ की ख़ूबसूरती और अर्थों का हुस्न है। इंसान दंग रह जाता है। 31 दिसम्बर 1999
21/04/2022
इन रातों में जैसा कि कल की रात थी, या आने वाले कल और 23 तारीख़ की रात होगी इन सब रातों में इस्लामी दुनिया के हर कोने में, जहां भी दीन पर अक़ीद है, लोगों के गिड़गिड़ाने की आवाज़ें सुनायी दे रही हैं, रोने की आवाज़ें, मदद मांगने की आवाज़ें सुनाई दे रही हैं लोग अपने लिए, दूसरों के लिए दुआएं कर रहे हैं। आप लोग यह दुआ भी करें कि या अल्लाह! उन सभी मोमिनों की दुआएं क़ुबूल कर जो इन रातों में दुआएं कर रहे हैं। यह भी एक दुआ होना चाहिए।
21/04/2022
शबे क़द्र में, अपने मुल्क, इस्लामी दुनिया और ज़मीन पर जो लोग हैं, उन सबकी ज़रूरतों पर ध्यान दें। उन सबके लिए शबे क़द्र में एक एक के लिए दुआ करें।
20/04/2022
शबे क़द्र में सब से अच्छा अमल, दुआ है। रातों को जागने का मक़सद भी दुआ और अल्लाह को याद करना है। दुआ, यानी अल्लाह से बात करना, अल्लाह को ख़ुद से क़रीब समझना और दिल की बातें उससे करना। दुआ या कोई मांग होती है, या अल्लाह की हम्द व प्रशंसा होती है या फिर अल्लाह से लगाव का इज़हार। यही दुआ है।
19/04/2022
ख़ुदा से क़रीब होने के लिए अस्ली काम, गुनाहों से दूर होना है। मुस्तहेब नमाज़ें और दुआएं वग़ैरा तो दूसरे नंबर पर हैं। अस्ली चीज़ यह है कि इन्सान ख़ुद को गुनाहों और ग़लत कामों से रोक ले। इसके लिए तक़वे की ज़रूरत होती है। गुनाह की वजह से हमारा दिल, दुआ और अल्लाह की तरफ़ ध्यान नहीं दे पाता। गुनाह हमें, ख़ुद को सुधारने और संवारने नहीं देता। इसलिए हमें गुनाहों से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए।
19/04/2022
इस्तेग़फ़ार के बारे में हमारी सोच सिर्फ़ यह न हो कि यह केवल व्यक्तिगत गुनाहों की माफ़ी और हमारे दिलों की पाकीज़गी के लिए है। इस्तेग़फ़ार का राष्ट्रीय स्तर के मैदानों में, सामाजिक मैदानों में गहरा असर है और यह हमें बड़ी बड़ी कामयाबियां दिलाता है।
18/04/2022
आज 1948 में अवैध क़ब्ज़े में लिए गए इलाक़ों, उसी अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के केन्द्र में फ़िलिस्तीनी नौजवान जाग चुके हैं और संघर्ष कर रहे हैं। यक़ीनन यह संघर्ष जारी रहेगा और अल्लाह के वादे के मुताबिक़ फ़तह फ़िलिस्तीनी क़ौम का मुक़द्दर बनेगी। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
18/04/2022
रमज़ान के मुबारक महीने में अपने दिलों को जितना हो सके, अल्लाह की याद से, नूरानी कर लें ताकि शबे क़द्र की पाकीज़ा रातों में जाने के लिए तैयार रहें कि जो “एक हज़ार महीनों से बेहतर हैं और जिसमें फ़रिश्ते और रूह नाज़िल होते हैं” यह वह रात है जिस में फ़रिश्ते ज़मीन को आसमान से मिला देते हैं, दिलों पर नूर की बारिश करते हैं और ज़िंदगी में ख़ुदा की रहमत व बरकत की रौशनी बिखेर देते हैं।
17/04/2022
इमाम हसन (अ.स.) की विलादत का दिन है। पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हसन का नाम रखा और यह बहुत बड़ी बात है कि ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम उन का नाम और इस मुबारक बच्चे का नाम ' हसन' रखते हैं।  यह दिन आप सब को मुबारक हो।
17/04/2022
अमरीका और उसके घटकों की नीतियों और इच्छा के विपरीत जिनकी कोशिश थी कि फ़िलिस्तीन भुला दिया जाए और दुनिया के अवाम भूल ही जाएं कि फ़िलिस्तीन नाम का कोई इलाक़ा और फ़िलिस्तीनी मिल्लत नाम की कोई क़ौम थी, फ़िलिस्तीन का मुद्दा दिन बदिन ज़्यादा उभरता जा रहा है। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
16/04/2022
ईद के दिन इमाम हसन (अ.स.) एक जगह से गुज़र रहे थे। आप ने देखा कि कुछ लोग, इस दिन की अहमियत से बेख़बर खड़े होकर खेल तमाशा कर रहे हैं और हंस रहे हैं। इमाम हसन (अ.स.) ने उन लोगों के पास खड़े होकर कहाः ख़ुदा ने रमज़ान को अपने बंदों के बीच मुक़ाबले का मैदान बनाया है। आज के दिन उन लोगों को इनाम मिलेगा जो रमज़ान के दौरान, ख़ुदा को ख़ुश करने में कामयाब रहे हैं ।
16/04/2022
#सऊदी साहेबान से एक बात वाक़ई नसीहत के तौर पर कहना है। जिस जंग के बारे में आपको यक़ीन है कि इस में फ़तह नहीं मिलने वाली उसे जारी रखने की क्या वजह है? कोई रास्ता तलाश कीजिए और इस जंग से ख़ुद को निजात दिलाइए। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
15/04/2022
इमाम हसन (अ.स.) के लिए इमाम अली (अ.स.) की वसीयत में यह कहा गया है कि ख़ुदा  ने अपने और तुम्हारे बीच कोई दूरी और कोई पर्दा नहीं रखा है। जब भी तुम उससे बात करना शुरु करते हो, जैसे ही तुम अपनी ज़रूरतें उसके सामने बयान करना शुरु करते हो वैसे ही ख़ुदा तुम्हारी आवाज़ सुनने लगता है। अल्लाह से कभी भी बात की जा सकती है।
15/04/2022
हुकूमत के ओहदेदार अपने प्रोग्रामों के सिलसिले में एटमी वार्ता के नतीजे का इंतेज़ार न करें, अपना काम जारी रखें। यह न हो कि वार्ता का नतीजा सार्थक, पचास प्रतिशत सार्थक या नकारात्मक रहे तो आपके प्रोग्रामों में रुकावट पैदा हो जाए। आप अपना काम करते रहिए। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
14/04/2022
इन रातों में सहर में, रातों में जो दुआएं हैं, शबे क़द्र की जो दुआएं हैं या फिर शबे क़द्र की ही नहीं बल्कि हर रात के लिए जो दुआएं हैं, वह बहुत अहम हैं, दुआओं में जो अहम बातें हैं वह तो अपनी जगह, लेकिन दुआ पढ़ते वक़्त इन्सान जिस तरह से गिड़गिड़ाता और अल्लाह के सामने रोता है वह खुद काफ़ी अहम चीज़ है।
14/04/2022
रोज़े की हालत में या फिर रोज़े की वजह से पैदा होने वाली नूरानियत की हालत में, रमज़ान की रातों में क़ुरआने मजीद की तिलावत, क़ुरआने मजीद से लगाव, ख़ुदा की बातें सुनने का अलग ही मज़ा है। इन हालात में तिलावत से इन्सान जो कुछ सीखता है वह आम हालात में उसके लिए मुमकिन नहीं है। इमाम ख़ामेनेई 14/09/2007
14/04/2022
कूटनीति में परमाणु मुद्दे पर तवज्जो है। वार्ताकार टीम राष्ट्रपति और सुप्रीम नेश्नल सेक्युरिटी काउंसिल को ब्योरा देती है, फ़ैसला होता और अमल किया जाता है। टीम ने अब तक दूसरे पक्ष की ग़लत मांगों का मुक़ाबला किया है और यह सिलसिला जारी रहेगा। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
13/04/2022
ईरान की इस्लामी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के शीर्ष पदाधिकारियों ने मंगलवार 12 अप्रैल 2022 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस अवसर अपने संबोधन में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने देश के सभी मसलों को हल होने के लायक़ बताते हुए इस साल के नारे के अनेक आयामों को बयान किया।
13/04/2022
#एटमी_डील के विषय में अमरीकियों ने वादा ख़िलाफ़ी की और अब इसी वादा ख़िलाफ़ी में उलझ कर रह गए हैं। इत्तेफ़ाक़ से वह बंद गली में पहुंच गए हैं। जबकि इस्लामी गणराज्य इस तरह की स्थिति में नहीं उलझा। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
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