इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम दौरे बनी उमैया के आख़िरी हिस्से में सूचना संचार के विशाल नेटवर्क का नेतृत्व कर रहे थे जिसका काम आल-ए-अली (अली अलैहिस्सलाम के वंशजों) की इमामत की तबलीग़ और इमामत के विषय की दुरुस्त तसवीर पेश करना था।
इमाम ख़ामेनेई
11 जून 1979
ईरान की इस्लामी जुमहूरियत ने दुनिया को कंट्रोल करने के विस्तारवादी सिस्टम के मंसूबों पर पानी फेर दिया। वर्चस्ववादी सिस्टम का अर्थ है कि कुछ विस्तारवादी देश हों और कुछ शोषण के शिकार। ईरान की इस्लामी जुमहूरियत ने इस क्रम को उलट पलट दिया। इसीलिए उस पर टूट पड़े हैं।
इमाम ख़ामेनेई
25 मई 2022
इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शहीद धर्मगुरुओं को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित होने वाले सेमीनार के आयोजकों से मुलाक़ात में धर्मगुरुओं की शहादत की भावना और इसकी अहमियत पर रौशनी डाली। इस्लामी क्रांति के नेता की यह तक़रीर 13 जनवरी 2020 को हुई। (1)
इस्लामी क्रांति के लीडर ने बुधवार की सुबह ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के सभापति और सांसदों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने ख़ुर्रमशहर की फ़तह को एक कटु समीकरण के एक मधुर समीकरण में बदलने और राष्ट्रीय मुक्ति के व्यवहारिक होने का प्रतीक क़रार दिया और इस बदलाव के मुख्य कारकों की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः कठिन, पेचीदा और कटु हालात से गुज़रने और जीत व कामयाबी तक पहुंचने का नियम, जेहादी क्रियाकलाप, ठोस इरादा, कामों में नयापन, क़ुर्बानी, दूरदर्शिता और सबसे बढ़ कर निष्ठा और अल्लाह पर भरोसा है।
इस्लामी गणराज्य ईरान की संसद मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी के सदस्यों बुधवार 25 मई 2022 को इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। मुलाक़ात इमाम ख़ुमैनी इमामाबाड़े में हुई जिसमें सांसदों का प्रतिनिधित्व करते हुए संसद सभापति मुहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने सदन की गतिविधियों की ब्रीफ़िंग दी। इसके बाद आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने स्पीच दी।(1)
ज़ायोनी सरकार की सांसें उखड़ रही हैं लेकिन इसके बावजूद उसके अपराधों का सिलसिला जारी है और अपने हथियारों से मज़लूमों पर हमले कर रही है। औरतों, बच्चों, बूढ़ों और जवानों सब को क़त्ल कर रही है।
इमाम ख़ामेनेई
29 अप्रैल 2022
मेरे अज़ीज़ो! मेरे प्यारे बच्चो! बहुत सारे ख़ुर्रमशहर आपके सामने हैं। सामरिक जंग के मैदान में नहीं बल्कि ऐसे मैदान में जो सैनिक जंग के मैदान से ज़्यादा कठिन हैं।
इमाम ख़ामेनेई
23 मई 2016
जो नौजवान, इस्लाम की ख़िदमत की नीयत से पूरी रात जागता है, ख़ुद को ख़तरों में डालता है, संघर्ष करता है, उसके अमल की क़द्र व क़ीमत का अंदाज़ा हम नहीं लगा सकते कि कितनी है, उसका इनाम क्या है! क्या अल्लाह के अलावा किसी के बस की बात है कि उस अमल का बदला दे सके? क्या दुनिया और उसकी चमक-दमक, उस इंसान का इनाम हो सकती है जो अल्लाह के लिए उठ खड़ा हुआ है और जिसने अल्लाह के लिए ख़ुद को ख़तरे में डाला है? आप अल्लाह के लिए उठ खड़े हुए, आपने अल्लाह के लिए जेहाद किया और इन शा अल्लाह आख़िर तक अल्लाह के लिए जेहाद करते रहेंगे और इस आंदोलन को अल्लाह के लिए ही विजयी बनाएंगे। ये इलाही जज़्बा आपको, जीत के साहिल तक पहुँचाएगा।
इमाम ख़ुमैनी
17 सितम्बर 1979
फ़िलिस्तीन पर अवैध क़ब्ज़े के पूरे 70 साल के समय में ज़ायोनियों ने एक इंच ज़मीन भी बात-चीत के नतीजे में नहीं छोड़ी है। वार्ता की हैसियत क्या है? ज़ायोनी सिर्फ़ प्रतिरोध के नतीजे में पीछे हटे। पहली घटना, दक्षिणी लेबनान से पीछे हटने और फ़रार की थी। फ़िलिस्तीनियों को याद रखना चाहिए, फ़िलिस्तीनी जेहाद में शामिल संगठन याद रखें! कभी इस झांसे में न आएं कि ग़ज़्ज़ा की आज़ादी, बात-चीत के नतीजे में हुई है। बिल्कुल नहीं! वार्ता से ग़ज़्ज़ा को आज़ादी नहीं मिली। बात-चीत से कोई भी इलाक़ा आज़ाद नहीं हुआ और कभी भी इससे कोई इलाक़ा आज़ाद होने वाला नहीं है। ग़ज़्ज़ा को जिस चीज़ ने आज़ादी दिलाई, वह फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का प्रतिरोध था। ज़ायोनी पीछे हटने पर मजबूर हो गए।
इमाम ख़ामेनेई
19 अगस्त 2006
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने जनसंख्या के मैदान में काम करने वालों के नाम अपने संदेश में देश में श्रम बल को जवान बनाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।
हमारे और आपके कुछ पड़ोसी देशों के नेताओं का ज़ायोनी शासन के अधिकारियों के साथ उठना-बैठना है और वे साथ में बैठ कर कॉफ़ी पीते हैं। लेकिन इन्हीं मुल्कों के अवाम क़ुद्स दिवस पर सड़कों को अपनी भारी तादाद और ज़ायोनी विरोधी नारों से भर देते हैं। यही आज इलाक़े की सच्चाई है।
सीरिया के राष्ट्रपति से मुलाक़ात में इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर इमाम ख़ामेनेई
08/05/2022
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार 16/5/2022 की शाम को हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अलहाज सैयद अब्दुल्लाह फ़ातेमी निया के जनाज़े पर फ़ातेहा पढ़ने के साथ ही इस महान उपदेशक और वरिष्ठ धर्मगुरू की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक संदेश जारी करके धर्मगुरू व उपदेशक हुज्जतुल इस्लाम अलहाज सैयद अब्दुल्लाह फ़ातेमी निया के निधन पर शोक जताया है।
बच्चों को प्रतिरोध का महत्व मालूम होना चाहिए। प्रतिरोध करने वाली क़ौम क्या है? यानी वह क़ौम जो ग़ुडा टैक्स की मांग नहीं मानती। #प्रतिरोध देश की मुश्किलों की अकसीर है। क़ौम के अंदर सीना ज़ोरी का मुक़ाबला करने की ताक़त होनी चाहिए। यह चीज़ बचपन से हमारे वुजूद में बिठा दी जानी चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
11 मई 2022
ज़ायोनी सरकार की सांसें उखड़ रही हैं लेकिन इसके बावजूद उसके अपराधों का सिलसिला जारी है और अपने हथियारों से मज़लूमों पर हमले कर रही है। औरतों, बच्चों, बूढ़ों और जवानों सब को क़त्ल कर रही है।
इमाम ख़ामेनेई
29 अप्रैल 2022
ज़ायोनियों के क़दम जहां भी पड़ते हैं वे करप्शन फैलाते हैं और वे दूसरे देशों को किसी तरह की ताक़त और फ़ायदा नहीं पहुंचा सकते। इसलिए हम क्षेत्रीय देशों को चाहिए कि जहां तक मुमकिन हो आपसी सहयोग और समन्वय से अपने रिश्तों को मज़बूत करें।
इमाम ख़ामेनेई
11 मई 2022
अगर घर के अंदर औरत को मानसिक और नैतिक शांति हासिल हो, सुकून और चैन हासिल हो, शौहर वाक़ई बीवी के लिए ‘लिबास’ का किरदार अदा कर रहा हो और इसी तरह बीवी भी शौहर के लिए ‘लिबास’ की भूमिका निभा रही हो। दोनों के बीच उसी अंदाज़ की मुहब्बत हो जिस पर क़ुरआन ने ताकीद की है।
अगर ख़ानदान के अंदर इस क़ुरआनी उसूल पर अमल किया जा रहा हो कि उनको जितनी ज़िम्मेदारी दी गई है उसी मात्रा में उन्हें साधन और अधिकार भी मुहैया कराए जाएं तो ख़ानदान से बाहर का वातावरण और हालात महिला के लिए सहन करने योग्य होंगे। वह उन हालात का सामना कर ले जाएगी।
अगर औरत अपने आवास के अंदर, अपने असली मोर्चे के भीतर अपनी मुश्किलों को कम करने में कामयाब हो जाए तो यक़ीनन समाज के स्तर पर भी वह इसमें कामयाब होगी।
इमाम ख़ामेनेई
4 जनवरी 2012
इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर, आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने गुरुवार को क़तर के अमीर शैख़ तमीम बिन हमद आले सानी और उनके साथ आने वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में, ईरान और क़तर के बीच राजनैतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया।
मज़दूर के सिलसिले में पूंजीवादी व्यवस्था की नज़र शोषण पर आधारित है। उनके नज़दीक मज़दूर दौलत कमाने का औज़ार है। पूंजीवादी व्यवस्था की यह सोच है और वे अपनी इस सोच को छिपाते भी नहीं। आर्थिक विषयों की उनकी किताबें आप देखिए तो इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।
इमाम ख़ामेनेई
8 मई 2022
अंतर्राष्ट्रीय जंग में सीरिया को फ़तह दिलाने में कई कारण प्रभावी रहे। एक अहम वजह ख़ुद आप (जनाब बश्शार असद) का बुलंद हौसला था। इंशाअल्लाह आप इसी जज़्बे के साथ, जंग की तबाही के बाद पुनरनिर्माण का काम पूरा कीजिए क्योंकि अभी आपको बहुत बड़े काम अंजाम देने हैं।
इमाम ख़ामेनेई
8 मई 2022