ईरान में होने वाले हालिया दंगों में विदेशी साज़िश और भूमिका के बारे में ईरान के इंटैलीजेंस मंत्री हुज्जतुल इस्लाम इस्माईल ख़तीब ने एक अहम इंटरव्यू दिया है जिसके कुछ हिस्से पेश हैं।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने स्कूली बच्चों से मुलाक़ात में, अमरीका के पतन और तबाही की शुरुआत का ज़िक्र करते हुए कहा था कि “दुनिया के बहुत से एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमरीका पतन और तबाही की ओर बढ़ रहा है, वह बूंद बूंद पिघल रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे हालांकि हमारा भी यही ख़्याल है लेकिन पूरी दुनिया के एक्सपर्ट्स यह बात कह रहे हैं।” इस सिलसिले में KHAMENEI.IR वेब साइट ने अमरीका और इन्टरनेशनल अफ़ेयर्स के एक्सपर्ट जनाब हमीद रज़ा ग़ुलामज़ादे का एक आर्टिकल छापा है जिसमें अमरीका के चढ़ते और ढलते सूरज का जायज़ा लिया गया है।
आप अमरीकियों ने 2009 के हंगामों में शामिल दंगाइयों का खुलकर साथ दिया। इससे पहले ओबामा ने मुझे ख़त लिखा था कि हम आप से सहयोग करना चाहते हैं, हम आपके दोस्त हैं। लेकिन जैसे ही 2009 के हंगामे शुरू हुए उन्होंने दंगाइयों का समर्थन शुरू कर दिया। इस उम्मीद पर कि शायद यह दंगे कामयाब हो जाएं और ईरानी क़ौम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दें।
इमाम ख़ामेनेई
2 नवम्बर 2022
इमाम ख़ुमैनी ने फ़रमाया कि अगर महिलाएं इस मूवमेंट में साथ न देतीं तो इंक़ेलाब कामयाब न हो पाता। अगर इंक़ेलाब के दौरान औरतों की वफ़ादारी, अलग अलग मैदानों में, जुलूसों में, चुनावों में औरतों की भागीदारी और उनके ज़ज्बात का सहारा न होता तो यक़ीनी तौर पर यह अज़ीम अवामी तहरीक यह शक्ल अख़्तियार न कर पाती और आगे न बढ़ पाती। यह इस्लाम का और इस्लामी सिस्टम का नज़रिया है।
इमाम ख़ामेनेई
20 सितम्बर 2000
हम शहीद सुलैमानी की शहादत हरगिज़ भूलेंगे नहीं। इसे वो याद रखें! इस सिलसिले में हमने एक बात कही है और उस पर क़ायम हैं। मुनासिब वक़्त पर, मुनासिब जगह इंशाअल्लाह उस पर अमल किया जाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
2 नवम्बर 2022
शीराज़ में #शाहचेराग़ का वाक़या बहुत बड़ा मुजरेमाना क़दम था। इस मासूम बच्चे का क्या गुनाह था। छह साल का बच्चा जिसने अपने मां बाप और भाई को खो दिया। उस पर ग़म का पहाड़ क्यों गिरा दिया?
इमाम ख़ामेनेई
2 नवम्बर 2022
अमरीका ने तालेबान को ख़त्म करने के लिए #अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया। फिर बीस साल बाद अफ़ग़ानिस्तान को तालेबान के हवाले करके बाहर निकल गया। इसका क्या मतलब है? यही तो अंदाज़े की ग़लती है।
इमाम ख़ामेनेई
2 नवम्बर 2022
वतन को बचाने के लिए मोर्चे पर जाने वाले मुजाहेदीन की बीवियां दुखी हुयीं और वे रोईं कि वह क्यों जंग के मैदान में नहीं जा सकतीं, उन्होंने सब्र किया और अपने घरों में बैठी रहीं और मोर्चे के पिछले हिस्से को संभाल लिया, फिर जब वह मुजाहिद शहीद हो गया तो उन्होंने शुक्र अदा किया और अपने शहीद की शहादत पर फ़ख़्र किया! यह वह चीज़ है जिससे किसी तहरीक का शोला मुसलसल जलता रहता है।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 1992
ईरान की इंटेलीजेन्स मिनिस्ट्री और पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स आईआरजीसी की इंटेलीजेन्स ने एक संयुक्त बयान जारी करके ईरान में हंगामें और दंगें करवाने की सीआईए की अगुवाई में ख़ुफ़िया एजेंसियों की साज़िशों का ब्योरा पेश किया। इस बयान का टाइटल है ईरान को वीरान करने के एजेंडे की शर्मनाक शिकस्त।
इस बयान पर बहस करते हुए मशहूर सियासी व मज़हबी रहनुमा, सांसद और नेश्नल सेक्युरिटी और फ़ारेन अफ़ेयर्ज़ के संसदीय आयोग के पूर्व प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम जनाब मुज्तबा ज़ुन्नूरी ने ईरान के चैनल 6 की एक डिबेट में बड़े महत्वपूर्ण बिंदु पेश किए और हालात का तफ़सीली जायज़ा लिया। इस गुफ़तगू के कुछ हिस्से यहां पेश किए जा रहे हैं।
कुछ साल पहले तक आधुनिक मिसाइल और ड्रोन की तस्वीरें जब पब्लिश होती थीं तो यह लोग कहते थे कि फ़ोटोशाप से बनाई गई जाली तस्वीरें हैं। आज कह रहे हैं कि ईरानी ड्रोन बड़े ख़तरनाक हैं। यह ईरानी वैज्ञानिकों का कमाल है।
इमाम ख़ामेनेई
19 अक्तूबर 2022
ईरान में अमरीका के जासूसी के अड्डे पर इमाम ख़ुमैनी के अनुयायी इंक़ेलाबी स्टूडेंट्स के दाख़िल होने से कुछ मिनट पहले ही, अमरीकी जासूसों ने दस्तावेज़ों को श्रेडरों से नष्ट किया।
शीराज़ में दाइश के आतंकी हमले में घायल होने वाला बच्चा आरतीन सेरायदारान आज आयातुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से स्टूडेंट्स की मुलाक़ात में शामिल हुआ।5 बरस का बच्चा आरतीन इस आतंकी हमले में घायल हो गया मगर अपने माँ-बाप और भाई को खो बैठा।आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस मौक़े पर सहानुभूति जताई। 26 अक्तूबर को शीराज़ शहर में हज़रत अहमद इब्ने मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम (शाहचेराग़) के पवित्र रौज़े पर आतंकवादी ग्रुप दाइश के आतंकी हमले में 15 लोग शहीद और बहुत से अन्य घायल हो गए थे।
इस्लामी जुम्हूरिया ईरान में विश्व साम्राज्यवाद से मुक़ाबले के क़ौमी दिन 13 आबान (14 नवंबर) की मुनासेबत से सैकड़ों की तादाद में स्टूडेंट्स ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने 4 नवम्बर के यादगार दिन की मुनासेबत से बुधवार 2 नवम्बर 2022 को स्टुडेंट्स के बीच अपनी तक़रीर में 4 नवम्बर की तारीख़ की अहमियत को बयान किया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मौजूदा हालात, साम्राज्यवादी ताक़तों की साज़िशों और शैलियों और न्यू वर्ल्ड आर्डर के बारे में बड़े अहम प्वाइंट ब्यान किए। 4 नवम्बर बराबर 13 आबान को ईरान में छात्र दिवस और विश्व साम्राज्यवाद से मुक़ाबले का दिन मनाया जाता है।
तक़रीर पेश हैः
हमारे साइंटिस्ट और इंटलेक्चुअल जिस मैदान में भी उतरे, उसमें उन्होंने ऐसा काम किया कि दुनिया के इल्मी व साइंसी हल्क़ों ने उनकी तारीफ़ की।यह मैं इसलिए कह रहा हूँ कि आप लोग जो मुमताज़ सलाहियत के लोग हैं, अपनी क़द्र समझें, जो लोग बाहर बैठे हुए हैं, वे आपकी क़द्र समझें, मैं तो आपका बहुत बड़ा क़द्रदान हूं, अल्लाह करे कि हम आपकी कुछ मदद कर सकें।
इमाम ख़ामेनेई
19 अक्तूबर 2022
ठीक तीन साल पहले इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लडीर ने ग़ैर मामूली सलाहियत के मालिक नौजवानों से मुलाक़ात में कहा थाः ʺमुझे यक़ीन है कि आप नौजवान इतिहास और इस तरह की चीज़ों को ज़्यादा अहमियत नहीं देते। जो कुछ हुआ है, उसका हज़ारवां हिस्सा भी आपने बातों और प्रोपैगंडों में नहीं सुना है।ʺ यह बातें, जो हमारी तारीख़ में अंग्रेज़ों के क्राइम की तस्वीर पेश करती हैं, एक मोतबर राइटर ने बयान की हैं, एक इंक़ेलाबी व साम्राज्यवाद मुख़ालिफ़ इंसान, जवाहरलाल नेहरू।
सेक्युरिटी इंस्टीट्यूशन्स और जुडीशियरी से लेकर वैचारिक और तबलीग़ी काम करने वाले लोग और अज़ीज़ अवाम तक सब उस धड़े के ख़िलाफ़ मुत्तहिद हो जाएं जो इंसानों की जानों, सलामती और मुक़द्दस जगहों को अहमियत नहीं देता और उनका अपमान करता है।
इमाम ख़ामेनेई
27 अक्तूबर 2022
मुझे जब भी कभी शहीदों के घरवालों से मुलाक़ात का शरफ़ हासिल होता है और मैं अक़ीदत से उनसे मुलाक़ात करने जाता हूं तो कुछ माँए कहती हैं कि हम रोते नहीं हैं ताकि दुश्मन हमें कमज़ोर न समझे। इन दिलों में कितनी अज़मत छिपी हुई है!?
इमाम ख़ामनेई
31 अगस्त 1999
यह हंगामे मंसूबे के साथ करवाए गए। बाहरी सरकारों को यह महसूस हो रहा है, नज़र आ रहा है कि मुल्क हर पहलू से मज़बूती की तरफ़ बढ़ रहा है और यह उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वो नहीं चाहतीं कि ऐसा हो। इस तरक़्क़ी को रोकने के लिए उन्होंने यह साज़िश रची थी।
इमाम ख़ामेनेई
3 अकतूबर 2022
कभी यह दुनिया दो बड़ी ताक़तों की मुट्ठी में थी। एक ताक़त अमरीका और दूसरी ताक़त पूर्व सोवियत युनियन। एक मसले पर यह दोनों मुत्तफ़िक़ थे और वह मसला था इस्लामी जुमहूरिया की दुश्मनी। इमाम ख़ुमैनी उनके मुक़ाबले में डट गए। झुकना गवारा न किया। साफ़ कह दियाः "न पूरब न पश्चिम" दुश्मन समझ रहे थे कि यह लक्ष्य पूरा नहीं होगा। सोच रहे थे कि इस पौधे को उखाड़ फेंकेंगे। मगर पौधा आज तनावर दरख़्त बन गया है। इसे उखाड़ फेंकने की बात सोचना उनकी हिमाक़त ही होगी।
इमाम ख़ामेनेई
14 अकतूबर 2022