ऐ परवरदिगार! ईरानी क़ौम पर अपनी मदद नाज़िल कर। ऐ पालने वाले! इस्लामी उम्मत पर अपनी मदद नाज़िल कर। ऐ परवरदिगार! इस्लामी दुनिया में फ़ितना फैलाने वालों को ज़लील, अपमानित, बदनाम और रुस्वा कर दे।
ख़ुद उनके अधिकारी बार-बार लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि बिखराव क़रीब है। हमने कहा था कि बीस साल, पच्चीस साल…लेकिन उनको तो (मिट जाने की) और भी जल्दी पड़ी है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 13 रमज़ानुल मुबारक 1444 हिरी क़मरी बराबर 4 अप्रैल 2023 को देश के उच्चाधिकारियों की एक बड़ी तादाद से मुलाक़ात में रमज़ान के महीने की अहमियत पर रौशनी डाली। आपने देश के हालात और आर्थिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने पश्चिमी देशों की तरफ़ से दुश्मनी की नीतियों का भी जायज़ा लिया। (1)
रमज़ान का महीना, दुआ का महीना है। दुआओं को मत भूलिए। रमज़ान के महीने के लिए जो दुआएं बतायी गयी हैं, वे उन नेमतों व मौक़ों में से हैं, जिनकी क़द्र करनी चाहिए। यह दुआए अबू हमज़ा सुमाली, दुआए इफ़्तेताह, दुआए जौशन कबीर और दूसरी दुआएं जो रमज़ान के महीने के दिनों, रातों और दूसरे ख़ास वक़्त के लिए बतायी गयी हैं, हक़ीक़त में अल्लाह की बड़ी नेमतों में से हैं।
इमाम ख़ामेनेई
23/02/1993
पालने वाले! हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे। हमारी नाफ़रमानियों, इसराफ़ और ज़्यादतियों को बख़्श दे। ऐ परवरदिगार! मोहम्मद व आले मोहम्मद का वास्ता, अपने वली और हुज्जत (इमाम महदी) की क़ुबूलशुदा दुआओं को हमारे शामिले हाल कर दे।
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की एक मोतबर हदीस हैः रोज़ा नरक से बचाने वाली ढाल है। रोज़े की ख़ुसूसियत, इच्छाओं पर क़ाबू पाना है। गुनाहों के मुक़ाबले में सब्र और इच्छाओं पर कंट्रोल का प्रतीक रोज़ा है। सूरए बक़रह की आयत 153 में सब्र से मुराद रोज़ा बताया गया है। रोज़ा, इच्छाओं से मुंह फेर लेने का प्रतीक है।
इमाम ख़ामेनेई
27/10/2004
जैसे ही हज़रत ख़दीजा ने अपनी पाक फ़ितरत के साथ पैग़म्बरे इस्लाम (स) को देखा कि वो उस अलग हालत में हिरा से लौटे हैं तो वो फ़ौरन मामले की सच्चाई को समझ गयीं और उनका पाकीज़ा दिल आकर्षित हो गया और वो ईमान ले आयीं। फिर वो पूरे वजूद से ईमान पर डटी रहीं।
इमाम ख़ामेनेई
ऐ परवरदिगार! मोहम्मद व आले मोहम्मद के सदक़े में हमें इस्लामी इंक़ेलाब का क़द्रदान बना। ऐ परवरदिगार! हमें हमारे फ़रीज़ों से आगाह कर और उन पर अमल करने वाला बना।
अगर हम मुसलसल अपने आप पर नज़र नहीं रख सकते और आत्म निर्माण नहीं कर सकते तो कम से कम रमज़ान के महीने को ग़नीमत समझें। रमज़ान के महीने में हालात अनुकूल होते हैं। इसमें सबसे अहम चीज़ यही रोज़ा है जो आप रखते हैं। यह अल्लाह की ओर से मिलने वाले सबसे क़ीमती मौक़ों में से एक है।
इमाम ख़ामेनेई
23/02/1993
क़ुरआन ज़िंदगी की किताब, अक़्ल व दानिश की किताब और सीख देने वाली किताब है। ज़िदगी के हर पहलू के लिए क़ुरआन में सबक़ मौजूद हैं। ज़िंदगी के लिए दर्जनों बुनियादी बिंदु क़ुरआन के हर पेज पर इंसान तलाश कर सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
23 मार्च 2023
ऐ परवरदिगार! हमें क़ुरआन की बरकतों, क़ुरआन की नेमतों और क़ुरआन के रिज़्क़ से फ़ायदा पहुंचा। हमें उन लोगों में क़रार न दे जो क़ुरआन के सिर्फ़ लफ़्ज़ सीखते हैं और उसी पर रुक जाते हैं।
रमज़ान का महीना बहुत क़ीमती मौक़ा है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने इस महीने को अल्लाह की मेहमानी का महीना क़रार दिया है। क्या ऐसा हो सकता है कि इंसान किसी दानी के दस्तरख़ान पर पहुंचे और वहाँ से ख़ाली हाथ लौट आए?
सही मानी में वह महरूम है जो रमज़ान के महीने में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी न करवा पाए।
इमाम ख़ामेनेई
27/4/1990
परवरदिगार! हम तुझे मोहम्मद व आले मोहम्मद की क़सम देते हैं, शहीदों की पाक आत्माओं और इमाम ख़ुमैनी की पाक आत्मा को मोहम्मद व आले मोहम्मद की पाक आत्माओं के साथ महशूर कर।
रमज़ान का महीना, मुबारक महीना है। रमज़ान की बरकतें, इस महीने में अल्लाह की दावत में शिरकत का इरादा रखने वाले मुसलमानों से शुरू होती हैं, दिलों से शुरू होती हैं। इस महीने की बरकतों से प्रभावित होने वाली सबसे पहली चीज़ मोमिनों, रोज़ेदारों और इस पाक महीने में दाख़िल होने वालों के मन व आत्मा हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24/12/1997
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की रौज़ए इमाम रज़ा में 21 मार्च 2023 की तक़रीर के वक़्त लोगों का इंतेज़ार व इशतियाक़ और जोश व जज़्बा देखने के क़ाबिल था
बरसों से दुश्मन का मोर्चा गला फाड़ रहा है कि हम इस्लामी गणराज्य को घुटनों पर लाना चाहते हैं, उसके मुक़ाबले में रहबरे इंक़ेलाब का कहना है कि तुम कुछ बिगाड़ नहीं सकते यह घिसी पिटी बात नहीं है, यह दृढ़ता है।
परवरदिगार! हम सबका, हमारी ज़िन्दगी का और हमारी उम्र का अंजाम नेक क़रार दे। मुझ नाचीज़ की और जो भी चाहता है, उसकी ज़िन्दगी की आख़िरी सीढ़ी शहादत क़रार दे।
पिछले बरसों की तरह इस साल भी रमज़ान मुबारक के पहले दिन आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की मौजूदगी में पवित्र कुरआन से लगाव शीर्षक के तहत कार्यक्रम आयोजित होगा।
हम #यूरोप से नाराज़ नहीं हैं। जो भी यूरोपीय देश और हुकूमत अमरीका की पालीसियों का अंधा अनुसरण न करे हम उसके साथ काम करने के लिए तैयार हैं।
इमाम ख़ामेनेई
21 मार्च 2023
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने गुरूवार की शाम को रमज़ान मुबारक के पहले दिन क़ुरआन मजीद से लगाव की आध्यात्मिक महफ़िल में हिस्सा लिया। यह महफ़िल मुल्क के कुछ प्रतिष्ठित क़ारियों, क़ुरआन के उस्तादों और क़ुरआन की शिक्षाओं को फैलाने के मैदान में काम करने वाले कार्यकर्ताओं की शिरकत से आयोजित हुयी।
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रमज़ान के मुबारक महीने के आग़ाज़ पर 23 मार्च 2023 को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित होने वाले रूहानी कार्यक्रम क़ुरआन से लगाव में हिस्सा लिया। इस मौक़े पर उन्होंने अपनी तक़रीर में क़ुरआन की तिलावत और क़ुरआन के अर्थ, व्याख्या और शिक्षाओं को समझने और समाज में फैलाने पर ज़ोर दिया। (1)
आप किस मुल्क और इंक़ेलाब से वाक़िफ़ हैं जो दुनिया के मुल्कों के शदीद हमलों के सामने बरसों डटा रहा? ईरानी क़ौम दुश्मन की साज़िशों जैसे बग़ावत, पाबंदियों और प्रचारिक हमलों के लंबे सिलसिले के सामने मज़बूती से खड़ी है।
इमाम ख़ामेनेई
13 मार्च 2023