इमाम ख़ुमैनी (रहमतुल्लाह अलैह) के नज़रिये को बिलकुल साफ़ अंदाज़ में जैसा कि ख़ुद उन्होंने कहा है और जिस तरह उन्होंने लिखा है, बयान किया जाना चाहिए। यही इमाम (ख़ुमैनी) की राह का मानदंड और इंक़ेलाब का सीधा रास्ता है। इनकी उनकी ख़ुशामद के लिए इमाम (ख़ुमैनी) के कुछ नज़रियों का इंकार या छिपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग इस तरह से सोचते हैं -और यह सोच ग़लत है- कि इस तरह इमाम (ख़ुमैनी) के मानने वालों की तादाद बढ़ जाएगी, वे लोग जो इमाम (ख़ुमैनी) के मुख़ालिफ़ हैं वे लोग भी इमाम के दोस्त बन जाएंगे, हमको चाहिए कि इमाम की कुछ साफ़ नीतियों को छिपाएं या उनको बयान न करें या हल्का करदें, नहीं! इमाम (ख़ुमैनी) की पहचान, उनकी शख़्सियत इन्हीं नीतियों के साथ है जैसा कि ख़ुद उन्होंने अपने साफ़ बयानों और स्पष्ट शब्दों में उनको बयान किया है। यही बातें थीं कि जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया। इमाम ख़ुमैनी के स्पष्ट नज़रियों को खुल्लम खुल्ला बयान करना चाहिए। साम्राज्यवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ उनके नज़रिये को, रूढ़ीवाद के ख़िलाफ़ उनके नज़रिये को, पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी के ख़िलाफ़ उनके नज़रिये को, मुनाफ़िक़ों और दो चेहरे रखने वालों के ख़िलाफ़ उनके स्टैंड को साफ़ तौर पर बयान करना चाहिए। वे लोग जो इस महान हस्ती से प्रभावित हुए, उन्होंने इन नज़रियों को देखा और उनको क़ुबूल किया है।

इमाम ख़ामेनेई

04/06/2010