वेस्ट एशिया के इलाक़े में ऐसी क्या ख़ास बात है जो साम्राज्यवादी ताक़तें किसी भी क़ीमत पर उसे अपने कंट्रोल से बाहर नहीं जाने देना चाहतीं, इसके लिए उन्होंने कैसे मंसूबे बनाए और उन मंसूबों का अंजाम क्या हुआ? इन अहम सवालों का जायज़ा।
जहाँ तक माँ के हक़ की बात है तो वो ज़िन्दगी देने वाली हस्ती का हक़ है। बाप का भी असर है, लेकिन माँ से कम, माँ का असर सबसे ज़्यादा होता है। दिलों में ईमान के बीज बोने वाली माएं हैं जो बच्चे को मोमिन बनाती हैं।
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता ने कहा कि कल्चर और तबलीग़ के मैदान के लोगों को पूरी तरह इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि अल्लाह का पैग़ाम किसी भी हालत में नज़रअंदाज़ न होने पाए और इस मैदान में हंगामे, उपहास और आरोपों से घबराना नहीं चाहिए।
दुश्मन सोच रहा था कि ईरानी क़ौम, आर्थिक मुश्किलों की वजह से -जो मौजूद हैं- तख़्ता पलटने और मुल्क को तोड़ने की दुश्मन की साज़िश का साथ देगी, यह एक ग़लत अंदाज़ा था।
औरत इस्लामी माहौल में तरक़्क़ी करती है और उसकी औरत होने की पहचान बाक़ी रहती है। औरत होना औरत के लिए फ़ख़्र की बात है। यह औरत के लिए फ़ख़्र की बात नहीं है कि हम उसे ज़नाना माहौल, ज़नाना ख़ुसूसियतों और ज़नाना अख़लाक़ से दूर कर दें और गृहस्थी को, बच्चों की परवरिश को, शौहर का ख़्याल रखने को उसके लिए शर्म की बात समझें।
इमाम ख़ामेनेई
12 सितम्बर 2018
वो समझ रहे थे कि अमरीका के किसी पिट्ठू के पेट्रो डालर से इस्लामिक रिपब्लिक के इरादे को तोड़ा जा सकता है। यह उनकी भूल थी। इस्लामी जुमहूरिया का इरादा दुश्मन की ताक़त के सभी तत्वों से ज़्यादा मज़बूत साबित हुआ।
बसीज या स्वयंसेवी बल इस्लामी जुम्हूरिया का ऐसा अज़ीम सगंठन है जिसने अवाम की ख़िदमत, मुल्क की हिफ़ाज़त और सभी विभागों की तरक़्क़ी में बेमिसाल किरदार निभाया है।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के मुबारक जन्मदिन के मौक़े पर मुल्क के दीनी ख़तीबों, शायरों और मद्दाहों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 12 जनवरी 2023 को होने वाली इस मुलाक़ात में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों से अक़ीदत रखने वाले शायरों, ख़तीबों और मद्दाहों की अहमियत और उनकी कला के महत्व पर प्रकाश डाला और कुछ निर्देश दिए। (1)
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तक़रीर का अनुवाद पेश हैः
हाल ही में एक दस्तावेज़ पब्लिश हुयी जो मुझे भेजी गई। यह दस्तावेज़ कहती है कि कार्टर ने दिसम्बर 1979 में सीआईए को हुक्म दिया कि इस्लामी जुम्हूरिया ईरान का तख़्ता उलट दो। यानी इंक़ेलाब के शुरू में ही उनका यह इरादा था। दिलचस्प बात यह है कि कैसे तख़्ता उलट दो? कहा गया कि प्रोपैगंडे के ज़रिए।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2023
जब हमारे पास पाकीज़ा डिफ़ेंस के ज़माने जैसे नौजवान हों तो नतीजा यक़ीनी प्रगति के रूप में निकलता है। यानी दुनिया की सारी ताक़तें लामबंद हो गईं कि ईरान के टुकड़े कर देना है, मगर मुल्क की एक बालिश्त ज़मीन भी न ले सकीं। यह मामूली चीज़ है? यह छोटी कामयाबी है?
वह अपने सभी संसाधनों को इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि इस मुबारक वजूद को, इस्लामी जुम्हूरिया को, इस इन्क़ेलाब को हरा सकें, लेकिन नहीं हरा सके। अल्लाह हमारा मौला है। जिसे भी यक़ीन नहीं है वह इन चालीस बरसों पर एक नज़र डाले।
सवालः अगर कोई शख़्स ख़त या मैसेज के आग़ाज़ में सलाम लिखे और उसके बाद मसला पूछे, क्या उसके सलाम का जवाब देना वाजिब है?
जवाबः आमने सामने मुलाक़ात या टेलीफ़ोन पर बात के अलावा, मैसेज या इस तरह की शक्ल में किए गए सलाम का जवाब वाजिब नहीं है।
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 9 जनवरी 1978 को क़ुम के अवाम के तारीख़ी विद्रोह की सालगिरह पर इस शहर के अवाम से सोमवार की सुबह तेहरान में मुलाक़ात की। उन्होंने क़ुम के अवाम के 9 जनवरी 1978 के तारीख़ी विद्रोह की ओर इशारा करते हुए, इसे तारीख़ का रुख़ बदल देने वाली घटनाओं में क़रार दिया और इसकी याद को बाक़ी रखने पर ताकीद की।
इन लोगों ने इन सेंटरों को निशाना बनाया कि इन्हें बंद कर दें ताकि इल्म हासिल न किया जा सके। सेक्युरिटी न रहे, इल्म हासिल न हो सके। ये लोग कमज़ोर पहलुओं को ख़त्म नहीं करना चाहते थे, ये, मज़बूत कामों को ख़त्म करना चाहते थे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 9 जनवरी 2023 को क़ुम के अवाम से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात 9 जनवरी 1978 के क़ुम के अवाम के तारीख़ी विद्रोह की सालगिरह की मुनासेबत से इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में अंजाम पायी। इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में रहबरे इंक़ेलाबे इस्लामी ने इस तारीख़ी दिन की व्याख्या की और देश के हालात और दुश्मनों की साज़िशों का जायज़ा लिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की स्पीच का अनुवाद पेश हैः
आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने एक हुक्म जारी कर ब्रिगेडियर जनरल अहमद रज़ा रादान को इस्लामी जुम्हूरिया का पुलिस चीफ़ नियुक्त किया।
दुश्मन का एक हथकंडा यह है कि वह कहीं कोई काम बहुत शोर व ग़ुल के साथ शुरू करता है, ताकि सबका ध्यान उस तरफ़ मुड़ जाए, फिर अस्ली काम जो वह अंजाम देना चाहता है, किसी दूसरी जगह अंजाम देता है।
आप अपने इल्म और स्पेशलाइज़ेशन के ज़रिए, समाजी, सियासी और काम के मैदानों में अपनी सेवा के ज़रिए, माँ के किरदार को जो सबसे पाक और अच्छा रोल है, अपने ज़िम्मे लेकर, बच्चों की तरबियत और परवरिश करके, अपनी आगे की ज़िन्दगी में मुल्क के भविष्य और इन्क़ेलाब की सबसे बड़ी ख़िदमत कर सकती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
23 सितम्बर 1986
ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने महिलाओं के बारे में पश्चिम के पाखंडी दावेदारों के मुक़ाबले में इस्लामी गणराज्य ईरान का स्टैंड बयान करते हुए कहा कि हम पश्चिमी दुनिया से जवाब तलब करने की पोज़ीशन में हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम की बेटी हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शुभ जन्म दिन के क़रीब सोशल, कल्चरल और एजुकेशनल जैसे अनेक क्षेत्रों में सक्रिय विद्वान महिलाओं के समूह को संबोधित किया। 4 जनवरी 2023 को होने वाली इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपनी तक़रीर में महिलाओं के बारे में इस्लाम का दृष्टिकोण बयान किया और पश्चिमी कल्चर की तरफ़ से महिलाओं के साथ की जाने वाली ज़्यादती का जायज़ा लिया। (1)
शहीद सुलैमानी बड़े ज़ेहीन इंसान थे। इस्लामिक रेज़िस्टेंस फ़्रंट के ख़िलाफ़ एक बज़ाहिर मसलकी रुजहान रखने वाली तहरीक के अस्तित्व में आने का अंदाज़ा उन्होंने लगा लिया था। मुझसे उन्होंने कहा था कि जो कुछ मैं इस्लामी दुनिया में देख रहा हूं उसके मुताबिक़ एक नई तहरीक शुरू हो गयी है। कुछ ही समय बाद दाइश ने सर उभारा।
इमाम ख़ामेनेई
16 दिसम्बर 2020
फ़ौजी संगठनों में ट्रेनिंग पाने और ऊंचे ओहदों तक पहुंचने वाले ज़्यादातर लोगों के पास, जो इस माहौल में पहुंचने से पहले जो भी नज़रिया और मेज़ाज रखते हों, फ़ौजी संगठन और माहौल में ख़ुद को ढालने के लिए अपने रवैये और नज़िरये को बदलने के अलावा कोई चारा नहीं होता।