वृक्षारोपण और पर्यावरण की हिफ़ाज़त का विषय बेहद अहम विषय है और यह केवल हमारे मुल्क का मसला नहीं है। इंशाअल्लाह अवाम के हौसले और इदारों की मदद से हर साल ‘हर ईरानी तीन पौधे’ का नारा अमली जामा पहनेगा और आइंदा चार साल में एक अरब पेड़ लगाने का काम पूरा होगा।
इमाम ख़ामेनेई
6 मार्च 2023
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार 6 मार्च की सुबह को वृक्षारोपण दिवस और प्राकृतिक संसाधन सप्ताह के उपलक्ष्य में अपने दफ़्तर के परिसर में 3 पौधे लगाए। पौधे लगाने के बाद उन्होंने वृक्षारोपण, पर्यावरण की रक्षा और कुछ दूसरे अहम विषयों पर संक्षेप में रौशनी डाली।
आज दुनिया के विकसित मुल्क, इस्लामी दुनिया में हस्तक्षेप को अपना अधिकार समझते हैं! वे ख़ुद अपने मुल्क को चलाने में लाचार हैं, अपने मुल्क के मसलों को हल नहीं कर पा रहे हैं और आकर इस्लामी मुल्कों पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं।
एक और क़ीमती ख़ज़ाना कि अफ़सोस उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, बुरा चाहने वालों के मुक़ाबले में सख़्त व सीसा पिलाई हुयी दीवार की तरह अटल होना है। इंसानी समाजों को जो नुक़सान पहुंचते हैं उनमें से एक, उनके दुश्मनों की पैठ से होती है।
“अमरीका जिस वर्ल्ड आर्डर की बात करता है वह बिखर चुका”
हालिया कुछ महीनों में सुप्रीम लीडर ने जिन अहम बातों का ज़िक्र किया उनमें एक मौजूदा वर्ल्ड आर्डर में बदलाव और एक नये वर्ल्ड आर्डर की तरफ प्रस्थान का बिंदु शामिल है। उनके मुताबिक़ इस बदलाव की सब से बड़ी बात, वेस्ट और अमरीका की ताक़त का अंत है। KHAMENEI.IR वेब साइट ने इस विषय पर रौशनी डालने और इसका जायज़ा लेने के लिए ईरान की न्यायपालिका के ह्यूमन राइट्स कमीशन के सचिव डॉक्टर जवाद लारीजानी से बात की।
रजब और शाबान ख़ुद को तैयार करने का मौक़ा है कि इंसान रमज़ान के महीने में तैयारी के साथ दाख़िल हो। सबसे पहली तैयारी है तवज्जो और दिल का मुतवज्जेह होना। अपने हर अमल के बारे में यह तसव्वुर रखना कि वह अल्लाह की नज़रों में है।
इमाम ख़ामेनेई
15 मई 2013
हम शाबान के महीने में, इबादत, तवस्सुल और मुनाजात के महीने में दाख़िल हो चुके हैं। “और जब मैं तुझ से दुआ करूं तो मेरी दुआ सुन ले, जब मैं तुझे पुकारूं तो मेरी निदा पर तवज्जहो फ़रमा।” (मुनाजाते शाबानिया) अल्लाह से मुनाजात का मौसम, इन पाकीज़ा दिलों को अज़मतों और नूर के ख़ज़ाने से जोड़ देने का मौसम। इसकी क़द्र करना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
12 जून 2013
मौजूदा वर्ल्ड आर्डर में बदलाव और एक नये वर्ल्ड आर्डर की तरफ़ प्रस्थान के बारे में KHAMENEI.IR वेब साइट ने ईरान की न्यायपालिका के ह्यूमन राइट्स कमीशन के सचिव डॉक्टर जवाद लारीजानी से बात की।
जनता द्वारा निर्वाचित वरिष्ठ धर्मगुरुओं की सभा ‘विशेषज्ञ असेंबली’ के अध्यक्ष और सदस्यों ने गुरूवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी जुम्हूरिया जब क़ायम होती है तो अपने साथ जुम्हूरियत भी लाती है, आज़ादी भी लाती है और दीन को भी साथ रखती है और दुनिया पर क़ब्ज़ा करने के लिबरल डेमोक्रेसी के ज़िम्मेदारों के मंसूबों को नाकाम कर देती है।
इमाम ख़ामेनेई
23 फ़रवरी 2023
तौहीद वही ख़ज़ाना है जिसकी क़द्र व अहमियत तक कोई भी चीज़ नहीं पहुंचती इसलिए कि अल्लाह की इबादत इंसान को दूसरों की ग़ुलामी और बंदगी से रिहाई दिलाती है।
समाज के लोगों के बीच मुहब्बत, ख़ुलूस और अपनाइयत भी बेसत के ख़ज़ानों में से एक ख़ज़ाना है। समाज में ज़िंदगी हमदर्दी और मुरव्वत की फ़ज़ा में गुज़रना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2023
बेसत का दिन और बेसत की रात, ऐसा दिन और रात है जब अल्लाह के सबसे अच्छे बंदे पैग़म्बरे इस्लाम को सृष्टि का सबसे अच्छा तोहफ़ा दिया गया जिसे बेसत की रात की ख़ास दुआ में महान जलवा कहा गया है।
पैग़म्बर की बेसत का सबसे पहला मक़सद तौहीद की दावत देना था। तौहीद सिर्फ़ फ़िक्री और फलसफ़ियाना नज़रिया नहीं बल्कि इंसानों के लिए एक जीवनशैली है। अल्लाह को पूरी ज़िंदगी में ग़ालिब रखना और इंसानी ज़िंदगी में दूसरी ताक़तों के हस्तक्षेप का रास्ता रोक देना।
इमाम ख़ामेनेई
24 सितम्बर 2003
अमीरुल मोमेनीन फ़रमाते हैं: “जब पैग़म्बर की बेसत हुई और अल्लाह ने पैग़म्बर को भेजा तो उस वक़्त दुनिया तारीकियों में डूबी हुई थी। उसका फ़रेबी रूप सामने था।” क़ुरआन के मुताबिक़ (बेसत) अल्लाह का पैग़ाम ‘वहि’ नाज़िल होने का मक़सद हैः “कि तुम्हें अंधेरे से प्रकाश में लाए।”
पैग़म्बरे इस्लाम की नबूव्वत पर नियुक्ति की मुबारक ईद, ईदे बेसत पर मुल्क के आला अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और क़ुरआन की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल लोगों ने शनिवार को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
नबी-ए-अकरम की बेसत इंसानियत को अता किया जाने वाला सबसे अज़ीम तोहफ़ा है। वजह यह है कि बेसत में इंसानियत के लिए असीम ख़ज़ाने हैं जो आख़ेरत से पहले तक इंसान की सारी दुनियावी ज़िंदगी की कामयाबी की गैरेंटी बन सकते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2023
पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत के ख़ज़ानों में से एक दृढ़ता है। दृढ़ता मंज़िल तक पहुंचने का राज़ है। आप की दुनियावी या आख़ेरत से मुतल्लिक़ जो भी मंज़िल है दृढ़ता के ज़रिए वहां तक पहुंचना मुमकिन है। इसके बग़ैर मुमकिन नहीं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2023
आज फिर एक अहम मसला फ़िलिस्तीन का है। एक क़ौम, एक मुल्क मुकम्मल तौर पर क़ब्ज़े में है वह भी आम इंसानों नहीं बल्कि वहशी, ख़बीस और शैतानी फ़ितरत के इंसानों के क़ब्ज़े में। इस्लामी हुकूमतें सिर्फ़ देख रही हैं, तमाशबीन बनी हुई हैं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2023