इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों, राजदूतों और विदेशों में मौजूद प्रतिनिधि कार्यालयों के प्रमुखों से मुलाक़ात में, सफल विदेश नीति के उसूलों व पैमानों को बयान किया।
जब हम कहते हैं वेक़ार तो इसका मतलब है ख़ुशामद की डिप्लोमेसी को नकारना। दूसरों के इशारों और बयानों से आस लगाने को नकार देना। फ़ुलां मुल्क की फ़ुलां बड़ी और पुरानी राजनैतिक हस्ती ने यह बयान दे दिया, यह राय दे दी। वेक़ार यानी हम इन चीज़ों के आसरे पर न रहें। हम अपने उसूलों पर भरोसा करें।
क़ुरआन में हज के बारे में कई आयतें हैं। एक सूरए मायदा की आयत है जिसमें अल्लाह कहता है किः "ख़ुदा ने काबा को जो एहतेराम वाला घर है लोगों की मज़बूती और कामयाबी का मरकज़ बनाया है।" मायदा 97
ख़ुदा ने काबे को समाज की बक़ा और मज़बूती का ज़रिया बनाया है। यह बहुत अहम है। यानी अगर हज का वजूद न हो और हज अंजाम न पाए तो इस्लामी उम्मत और इस्लामी समाज बिखर जाएगा।
दूसरी सूरए हज की आयत हैः "और लोगों में हज का एलान कर दो कि लोग (आपकी आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए) आपके पास आएंगे। पैदल और हर दुबली सवारी पर कि वो सवारियां दूरदराज़ से आई हुई होंगी। ताकि वो अपने फ़ायदों के लिए हाज़िर हों।" सूरए हज 27 व 28
क़ौम, उम्मते इस्लामी, अवाम, दुनिया के कोने कोने से हज के लिए आएं ताकि अपनी आंखों से अपने फ़ायदों को देखें। फ़ायदों की आमाजगाह में ख़ुद मौजूद हों।
इमाम ख़ामनेई
17 मई 2023
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हज संस्था के अधिकारियों, कर्मचारियों और कुछ हाजियों से मुलाक़ात में हज के बारे में सही नज़रिये और इस अहम फ़रीज़े के बारे में सही समझ पर बल दिया और कहा कि हज एक विश्वस्तरीय व सभ्यता से संबंधित विषय है जिसका मक़सद इस्लामी जगत का उत्थान, मुसलमानों के दिलों को एक दूसरे के क़रीब लाना और कुफ़्र, ज़ुल्म, साम्राज्यवाद, इंसानी और ग़ैर इंसानी बुतों के ख़िलाफ़ इस्लामी जगत की एकता है।
वह मक़सद इस्लामी उम्मत का इत्तेहाद है। किस के मुक़ाबले में? कुफ़्र के मुक़ाबले में, ज़ुल्म के मुक़ाबले में, इम्पेरियलिस्ट ताक़तों के मुक़ाबले में, इंसानी व ग़ैर इंसानी बुतों के मुक़ाबले में। उन तमाम चीज़ों के मुक़ाबले में जिन्हें ख़त्म करने के लिए इस्लाम आया।
हज के लिए रवानगी से पहले हज संस्था के अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और कुछ हाजियों ने रहबरे इंक़ेलाबे इस्लामी से मुलाक़ात की। 17 मई 2023 को होने वाली इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने हज में छिपे गहरे अर्थों और तालीमात और फ़ायदों पर रौशनी डाली और ज़िम्मेदारियों के सिलसिले में कुछ निर्देश दिए।
बीवी के रोल में औरत सबसे पहले तो सुकून की प्रतीक है। और उसी (की जिन्स) से उसका जोड़ा क़रार दिया ताकि (उसके साथ रहकर) सुकून हासिल करे। (सूरए आराफ़ 189) क्योंकि ज़िंदगी में उतार चढ़ाव होता है। मर्द ज़िंदगी के समंदर में कामों और थपेड़ों से रूबरू होता है। जब घर आता है तो उसे सुकून और चैन की ज़रूरत होती है। घर में यह सुकून औरत पैदा करती है।
इमाम ख़ामेनेई
4 जनवरी 2023
मुल्क का कल्चर बनाने के लिए हमेशा किताब की ज़रूरत होती है। अगरचे आज बहुत से दूसरे साधन भी आ गए हैं, जैसे सोशल मीडिया वग़ैरह है, लेकिन किताब अब भी अपनी जगह बहुत अहम और आला दर्जा रखती है।
सही अर्थों में ज़ायोनी सरकार राजनैतिक अस्थिरता में घिरी हुयी है। उनके अधिकारी बार बार चेतावनी दे रहे हैं कि बहुत जल्द बिखराव होने वाला है। उनका राष्ट्रपति कह रहा है, उनका पूर्व प्रधान मंत्री कह रहा है, उनका सुरक्षा विभाग का प्रमुख कह रहा है, उनका रक्षा मंत्री कह रहा है, वे सभी कह रहे हैं कि जल्द ही बिखर जाएंगे और हम 80 साल के नहीं हो पाएंगे। हमने कहा था, ʺतुम अगले 25 साल नहीं देख पाओगेʺ लेकिन उनको तो (मिट जाने की) और भी जल्दी पड़ी है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रविवार की सुबह 34वें तेहरान इंटरनेश्नल बुक फ़ेयर का मुआयना किया। आपने तीन घंटे इमाम ख़ुमैनी मुसल्ला में आयोजित बुक फ़ेयर में गुज़ारे।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तेहरान में 34वें इंटरनेश्नल बुक फ़ेयर में आज तीन घंटे गुज़ारे। उन्होंने मीडिया और आर्ट के मैदान में काम करने वालों को भी किताब पढ़ने की सिफ़ारिश की।
आईआरआईबी पत्रकारः सलाम अर्ज़ है, मेज़ाज कैसा है
आप आर्थिक मामलों को बहुत ज़्यादा अहमियत देने के साथ ही, पिछले बरसों की तरह इस साल भी एक व्यवहारिक क़दम के तौर पर तेहरान इंटरनैश्नल बुक फ़ेयर में तशरीफ़ लाए।
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हालिया कुछ बरसों में कुछ अरब मुल्कों के ज़ायोनी हुकूमत से समझौते करने के ख़िलाफ़ बार बार स्टैंड लिया और इसे इस्लाम और मुसलमानों से ग़द्दारी बताया।
स्कूलों में दिलचस्प प्रशैक्षिक (तरबियती) प्रोग्राम होने चाहिए। राष्ट्रीय पहचान को मज़बूत बनाना, वतन दोस्ती के जज़्बे को मज़बूत करना, राष्ट्र ध्वज को मज़बूत करना और इस्लामी तर्ज़े ज़िंदगी सिखाना सबसे महत्वपूर्ण कामों में शामिल हैं जिन्हें अंजाम दिया जाना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
2 मई 2023
काम की अहमियत से मज़दूर की अहमियत समझी जा सकती है। काम, समाज की ज़िन्दगी है, काम, लोगों की ज़िन्दगी में रीढ़ की हड्डी की तरह है, काम न हो तो कुछ भी नहीं है।
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार को मुल्क भर से बड़ी तादाद में आए टीचरों से मुलाक़ात में, टीचरों को बच्चों और नौजवान नस्ल जैसे क़ीमती हीरों को तराशने वाला, मुल्क के भविष्य का आर्किटेक्ट और मुल्क के सबसे अच्छे व प्रतिष्ठित तबक़ों में से एक बताया और शिक्षा व प्रशिक्षण के अहम सिस्टम के लिए ज़रूरी व अपरिहार्य चीज़ों की वज़ाहत करते हुए कहा कि सत्ताधारी वर्ग को टीचरों से अपनी अपेक्षाओं के साथ साथ उनके मुख़्तलिफ़ मुद्दों के सिलसिले में अपनी ज़िम्मेदारी को भी महसूस करना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शिक्षक दिवस के मौक़े पर मुल्क भर से मुलाक़ात के लिए आने वाले शिक्षकों की एक बड़ी संख्या को संबोधित किया। 2 मई 2023 को होने वाली इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने तालीम, स्कूलों-कालेजों, शिक्षकों और छात्रों के विषय पर अहम गुफ़तगू की। (1)
मुल्क की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी प्रोडक्शन है और प्रोडक्शन की रीढ़ की हड्डी मज़दूर है। हमें मज़दूर यानी इस रीढ़ की हड्डी को कमज़ोर नहीं होने देना चाहिए।
अमरीकी इराक़ के दोस्त नहीं हैं। अमरीकी किसी के दोस्त नहीं हैं, वो अपने यूरोपीय दोस्तों तक के वफ़ादार नहीं हैं। इराक़ में एक अमरीकी की मौजूदगी भी ज़्यादा है। इमाम ख़ामेनेई29 अप्रैल 2023
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता ने मज़दूरों, मज़दूर यूनियन के प्रतिनिधियों, कोआप्रेटिव्ज़, लेबर व सोशल वेल्फ़ेयर व लेबर मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाक़ात की।