मुहर्रम से पहले मुल्क के ओलमा और मुबल्लिग़ों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तबलीग़ की अहमियत और उसके समकालीन तक़ाज़ों पर रौशनी डाली।