ईमान की वजह से क़ुरआन की तिलावत सुनना एक ज़िम्मेदारी है और दूसरी बात ‎यह है ‎कि यह ‎ख़ुदा की रहमत के लिए तैयार होने के अर्थ में है। इमाम ख़ामेनेई
कीवर्ड्ज़