"दुश्मन से मुक़ाबले की भावना" का मसला, बहुत अहम है। जब एक जवान में, अपनी जवानी की समझ पैदा होती है- यानी जब वह किशोरावस्था और नौजवानी की सीमा से आगे बढ़ जाए- तो वह महसूस करता है कि मुल्क के संबंध में उस पर एक फ़रीज़ा है जिसे अंजाम दे, ऐसे लोग हैं जो इस घात में हैं कि उस के घर को, उसके मुल्क को, उसकी सांस्कृतिक और नागरिक संपत्ति, उसकी अमर विरासतों को छीन लें, तो वह उनके मुक़ाबले में डटना चाहता है; यह इंसान के अंदर मौजूद एक भावना है। इमाम ख़ामेनेई 16 दिसम्बर 2025 अलबुर्ज़ प्रांत के शहीदों पर सेमीनार के आयोजकों से मुलाक़ात में
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