इमाम ख़ुमैनी ने तीन बड़े महान व ऐतिहासिक काम किए...एक मुल्क ईरान की सतह पर कि इस्लामी इंक़ेलाब को वजूद दिया, एक इस्लामी जगत की सतह पर कि इस्लामी जागरुकता का आंदोलन शुरू किया और एक विश्व स्तर पर अध्यात्म के माहौल को दुनिया में ज़िन्दा किया।
इमाम ख़ामेनेई
आज इस्लामी जगत, इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी से पहले के दौर और इमाम ख़ुमैनी के ज़माने से पहले की तुलना में ज़्यादा सरगर्म, ज़्यादा तैयार और ज़्यादा पुरजोश है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रविवार की सुबह इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की चौंतीसवीं बरसी पर, उनके रौज़े में ईरान के क़द्रदान और वफ़ादार अवाम की शानदार सभा को ख़ेताब करते हुए इमाम ख़ुमैनी को मुल्क के इतिहास की सबसे अज़मी हस्तियों में से एक क़रार दिया।
इमाम ख़ुमैनी तीन सतह पर बदलाव लाए। मुल्क की सतह पर उन्होंने, ग़ैरों की नज़रे करम का इंतेज़ार करने वाली क़ौम को, सब कुछ करने की सलाहियत रखने वाली क़ौम में बदल दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी जम्हूरिया के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की चौंतीसवीं बरसी अक़ीदत व एहतेराम से मनाई गई। 4 जून 2023 को इस मुनासेबत से आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी के रौज़े में अक़ीदतमंदों, देश के उच्चाधिकारियों और विदेशी मेहमानों की सभा को संबोधित करते हुए इमाम ख़ुमैनी को ईरान की पूरी तारीख़ की सबसे अज़ीम हस्ती क़रार दिया। (1)
ओमान के सुल्तान से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने दो तरफ़ा तअल्लुक़ात, इलाक़ाई मुल्कों से सहयोग की ईरान की पालीसियों और इस्लामी दुनिया की एकता व समन्वय जैसे विषयों पर रौशनी डाली।
हमारी सरज़मीं पर इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का रौज़ा स्थित होने और मुल्क के कोने कोने और अवाम के दिलों में उनकी रूहानी मौजूदगी की बरकतें नुमायां हैं। आठवें इमाम अलैहिस्सलाम हमारी क़ौम की रूहानी, फ़िक्री और दुनियावी नेमतों का मरकज़ हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ईरान के सब्ज़वार और नीशापुर के शहीदों पर कान्फ़्रेंस की आयोजक कमेटी के सदस्यों से मुलाक़ात में दोनों शहरों के अतीत और शहीद व शहादत के विषय पर अहम बिंदु बयान किए।
इमाम रज़ा अलैहिस्सलामः जो किसी ऐसी सभा में बैठे जहां हम अहलेबैत का ज़िक्र हो रहा हो, उसका दिल उस दिन मुर्दा नहीं होगा जिस दिन दिल मुर्दा हो जाएंगे।
बेहारुल अनवार जिल्द 49 पेज 90
सब्ज़वार और नीशापुर के शहीदों पर कान्फ़्रेंस की आयोजक कमेटी के सदस्यों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 30 मई 2023 को होने वाली इस मुलाक़ात में दोनों शहरों के शानदार अतीत और ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों में सराहनीय योगदान का ज़िक्र किया। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने शहीद और शहादत के विषय पर अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार की सुबह ओमान के सुल्तान हैसम बिन तारिक़ आले सईद और उनके प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में ईरान और ओमान के संबंधों को लंबे समय से जारी मज़बूत बुनियादों पर आधारित अच्छे संबंध बताते हुए कहा कि हमारा यह मानना है कि सभी विभागों में दोनों मुल्कों के संबंधों में विस्तार दोनों पक्षों के फ़ायदे में है।
भेदभाव को ख़त्म करने की इस्लाम की ज़बान दरअस्ल अमल की ज़बान है, कहाँ? हज में। काले हैं, गोरे हैं, दुनिया के फ़ुलां क्षेत्र से आए हैं, फ़ुलां तहज़ीब के हैं, फ़ुलां तारीख़ के हैं, सब एक साथ बिना किसी भेदभाव के, एक साथ हैं, कोई भेदभाव नहीं है। ये हज के राज़ हैं, इन्हें मारेफ़त के साथ अंजाम देना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2023
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ग्यारहवीं संसद के स्पीकर और दूसरे सदस्यों से मुलाक़ात में संसद को कुल मिलाकर एक इंक़ेलाबी, जवान, मेहनती संसद क़रार दिया जिसने मुल्क के मुद्दों के हल के लिए बड़े अच्छे क़ानून बनाए हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 24 मई 2023 को सांसदों से मुलाक़ात में तक़रीर करते हुए विधायिका की अहमियत, ज़िम्मेदारियों, कार्यशैली सहित अनेक विषयों पर बात की। उन्होंने विधायी प्रक्रिया के बारे में बड़े अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला और कुछ अनुशंसाएं कीं। (1)
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने देश के अधिकारियों से रमज़ान मुबारक की अपनी मुलाक़ात में, अमरीका के पतन की हालत की ओर इशारा करते हुए कहाः “मैंने कहा कि हमारे मुक़ाबले में मौजूद मोर्चा कमज़ोर हो रहा है जिसकी मिसालें मैं अभी पेश करुंगा। विश्व स्तर पर हमारा सबसे बड़ा विरोधी अमरीका ही तो है। ओबामा का अमरीका, बुश के अमरीका की तुलना में कमज़ोर था, ट्रम्प का अमरीका, ओबामा के अमरीका से कमज़ोर था, इन साहब (बाइडेन) का अमरीका, ट्रम्प के अमरीका से ज़्यादा कमज़ोर है।” (4/4/2023)
इस्लाम नस्लों के बीच समानता का अमली तौर पर पैग़ाम देता है। हज में काले भी हैं, गोरे भी हैं। दुनिया के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों, दुनिया की मुख़्तलिफ़ तहज़ीबों और अलग अलग ऐतिहासिक बैक ग्राउंड के लोग सब एक दूसरे के साथ होते हैं। यह हज के अहम रहस्यों में से है।
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2023
अगर आप ने एक दिन देखा कि, अल्लाह वह दिन कभी न लाए, कोई हज पर जाने वाला नहीं है, तो आप पर वाजिब है कि हज के लिए जाएं, चाहे इससे पहले आप दस बार हज कर चुके हों। इस घर, इस असली व बुनियादी केन्द्र को कभी भी ख़ाली नहीं रहना चाहिए। "लोगों को सहारा देने वाली बुनियाद" यह इबारत बहुत अहम है।
दिलचस्प बात यह है कि क़ुम शहर की पैदाइश भी एक जेहादी ऐक्शन का नतीजा है जो बसीरत के साथ अंजाम दिया गया। यानी अशअरियों का ख़ानदान जब यहां आया और इस इलाक़े में बस गया तो अस्ल में उसने अहले बैत अलैहेमुस्सलाम की शिक्षाओं को फैलाने के लिए एक कल्चरल अभियान चलाया था। अशअरियों ने इससे पहले कि वे क़ुम आएं, जंग के मैदान में जेहादी कारनामे भी अंजाम दिए थे। अशअरियों के बुज़ुर्ग जनाब ज़ैद बिन अली (अलैहिस्सलाम) के नेतृत्व में जेहाद किया था। यही वजह थी कि हज्जाज बिन यूसुफ़ उनका दुश्मन हो गया और ये लोग यहां आने पर मजबूर हुए। उन्होंने अपनी कोशिशों से, अपनी बसीरत से, अपने इल्म से इस इलाक़े को इल्म का केन्द्र बनाया और यही चीज़ इस बात का कारण बनी कि हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा जब इस इलाक़े में पहुंचीं तो आपने क़ुम आने की इच्छा ज़ाहिर की। यहां उन्हीं अशअरियों के बुज़ुर्गों की वजह से लोग गए, उनका स्वागत किया,हज़रत मासूमए (क़ुम) को इस शहर में ले आए और यह आध्यात्मिक जगह उस दिन से इस महान हस्ती की वफ़ात के बाद से ही क़ुम शहर में रौशनी बिखेर रही है। क़ुम के लोगों ने जिनकी वजह से वह महा सांस्कृतिक आंदोलन वजूद में आया था, उसी दिन से इस शहर में अहले बैत अलैहेमुस्सलाम की शिक्षाओं को फैलाने का केन्द्र क़ायम किया और सैकड़ों विद्वानों, धर्मगुरुओं, मोहद्दिसों, मोफ़स्सिरों और इस्लाम व क़ुरआन के प्रचारकों को इस्लामी जगत के पूरब व पश्चिम में रवाना किया। क़ुम से ही ख़ुरासान के इलाक़े, इराक़ और सीरिया के विभिन्न हिस्सों में इल्म फैला। पहले दिन से क़ुम वालों की बसीरत इस सतह की है, क्योंकि क़ुम की पैदाइश ही जेहाद और बसीरत की बुनियाद पर हुई है।
इमाम ख़ामेनेई
19 अक्तूबर 2010
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने संविधान के आर्टिकल 176 के तहत एक फ़रमान जारी करके जनरल अली अकबर अहमदियान को नेश्नल सेक्युरिटी की सुप्रीम काउंसिल में अपना नुमाइंदा नियुक्त किया।
फ़रमान इस तरह हैः
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने एक फ़रमान जारी करके जनाब अली शमख़ानी को इस्लामी व्यवस्था हित समीक्षक काउंसिल (Expediency Discernment Council) का सदस्य और रहबरे इंक़ेलाब का सियासी सलाहकार नियुक्त किया।
फ़रमान इस तरह हैः
मेरी ताकीद है कि अलग अलग एज ग्रुप के बच्चों के लिए जहाँ तक मुमकिन हो किताबें तैयार करें और इस सिलसिले में हमें ग़ैरों की किताबों की ज़रूरत न पड़े। ताकि हम इंशाअल्लाह अपनी दिशा और अपने मक़सद के साथ किताबें अपने बच्चों को दे सकें।