पैग़म्बर की बेसत का सबसे पहला मक़सद तौहीद की दावत देना था। तौहीद सिर्फ़ फ़िक्री और फलसफ़ियाना नज़रिया नहीं बल्कि इंसानों के लिए एक जीवनशैली है। अल्लाह को पूरी ज़िंदगी में ग़ालिब रखना और इंसानी ज़िंदगी में दूसरी ताक़तों के हस्तक्षेप का रास्ता रोक देना।
इमाम ख़ामेनेई
24 सितम्बर 2003
अमीरुल मोमेनीन फ़रमाते हैं: “जब पैग़म्बर की बेसत हुई और अल्लाह ने पैग़म्बर को भेजा तो उस वक़्त दुनिया तारीकियों में डूबी हुई थी। उसका फ़रेबी रूप सामने था।” क़ुरआन के मुताबिक़ (बेसत) अल्लाह का पैग़ाम ‘वहि’ नाज़िल होने का मक़सद हैः “कि तुम्हें अंधेरे से प्रकाश में लाए।”
पैग़म्बरे इस्लाम की नबूव्वत पर नियुक्ति की मुबारक ईद, ईदे बेसत पर मुल्क के आला अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और क़ुरआन की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल लोगों ने शनिवार को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
नबी-ए-अकरम की बेसत इंसानियत को अता किया जाने वाला सबसे अज़ीम तोहफ़ा है। वजह यह है कि बेसत में इंसानियत के लिए असीम ख़ज़ाने हैं जो आख़ेरत से पहले तक इंसान की सारी दुनियावी ज़िंदगी की कामयाबी की गैरेंटी बन सकते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2023
पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत के ख़ज़ानों में से एक दृढ़ता है। दृढ़ता मंज़िल तक पहुंचने का राज़ है। आप की दुनियावी या आख़ेरत से मुतल्लिक़ जो भी मंज़िल है दृढ़ता के ज़रिए वहां तक पहुंचना मुमकिन है। इसके बग़ैर मुमकिन नहीं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2023
आज फिर एक अहम मसला फ़िलिस्तीन का है। एक क़ौम, एक मुल्क मुकम्मल तौर पर क़ब्ज़े में है वह भी आम इंसानों नहीं बल्कि वहशी, ख़बीस और शैतानी फ़ितरत के इंसानों के क़ब्ज़े में। इस्लामी हुकूमतें सिर्फ़ देख रही हैं, तमाशबीन बनी हुई हैं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2023
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 18 फ़रवरी 2023 को अपनी तक़रीर में पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत और पैग़म्बरी के एलान के विषय पर रौशनी डाली। देश के ओहदेदारों और इस्लामी देशों के राजदूतों के बीच तक़रीर करते हुए उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत को बेमिसाल ख़ज़ानों का स्रो क़रार दिया। (1)
बेसत का दिन यक़ीनन तारीख़े इंसानियत का सबसे अज़ीम दिन है। क्योंकि वो हस्ती जिससे अल्लाह ने ख़ेताब फ़रमाया और जिस के कांधों पर अज़ीम ज़िम्मेदारी रखी, तारीख़ की सबसे अज़ीम हस्ती और कायनात की सबसे अज़ीम मख़लूक़ है। इसी तरह वह ज़िम्मेदारी भी जो इस अज़ीम इंसान के कांधे पर रखी गई, यानी इंसानों को नूर की वादी में ले जाने की ज़िम्मेदारी वह भी सबसे अज़ीम ज़िम्मेदारी थी।
इमाम ख़ामेनेई
17 नवम्बर 1998
11 फ़रवरी 2023 के जुलूसों में क़ीमती और भरपूर शिरकत पर ईरानी क़ौम को सलाम करता हूं। मैं ख़ुद को इस क़ाबिल नहीं समझता कि शुक्रिया अदा करुं। इसकी क़द्रदानी तो अल्लाह ही कर सकता है। मिल्लते ईरान! अल्लाह आपकी मेहनतों की क़द्रदानी करे।
इमाम ख़ामेनेई
15 फ़रवरी 2023
इतने प्रोपैगंडे, रोज़मर्रा की मुश्किलें जिन्हें लोग पूरे वजूद से महसूस कर रहे हैं, दुश्मन के बहकावे, सर्दी, मुल्क में कुछ जगहों पर माइनस टम्प्रेचर, ये सबके सब अवाम के ईमान व मारेफ़त की गर्मी के सामने बेअसर हो गए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 18 फ़रवरी 1978 के तबरीज़ के अवाम के तारीख़ी आंदोलन की सालगिरह की मुनासेबत से तबरीज़ शहर और पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के लोगों से मुलाक़ात में इस विद्रोह की अहमियत और साथ ही इस इलाक़े के अवाम की ख़ूबियों को बयान किया। 15 फ़रवरी 2023 को होने वाली इस मुलाक़ात में रहबरे इंक़ेलाब ने देश के हालात का जायज़ा लिया। (1)
मिल्लते ईरान का अल्लाहो अकबर का नारा अपनी ख़ास आवाज़ और अंदाज़ रखता है। क्योंकि यह पैग़म्बर का नार-ए-अल्लाहो अकबर है। यह बुतों को तोड़ने वाला नार-ए-अल्लाहो अकबर है। यह ताक़त और धन दौलत के बुतों को महत्वहीन साबित करने वाला नारा है। यह विश्व साम्राज्यवाद के मुक़ाबले में एक क़ौम की शुजाअत और बहादुरी का आईना है।
इमाम ख़ामेनेई
28 अगस्त 1985
ईरानी क़ौम ने दिखा दिया कि वह प्रतिरोध करने वाली क़ौम है। यह बात हमारे दुश्मन तक अपनी समीक्षाओं में कहते हैं। वे कहते हैं कि ईरानी क़ौम से टकराया नहीं जा सकता। वह प्रतिरोध करने वाली क़ौम है, प्रतिरोध करती है, दुश्मन के सामने घुटने नहीं टेकती।
इस साल 11 फ़रवरी को इस्लामी इंक़ेलाब की सालगिरह पर इंशाअल्लाह यह स्पष्ट पैग़ाम दुश्मनों तक पहुंचे कि राष्ट्रीय एकता को ख़त्म करने की कोशिशें नाकाम रहीं, अवाम को एक दूसरे से और उन्हें हुकूमत से अलग करना मुमकिन नहीं।
इमाम ख़ामेनेई 8 फ़रवरी 2023
#सीरिया और #तुर्किए में भूकंप से प्रभावित होने वाले अपने भाइयों के लिए दुखी हूं। हताहत हो जाने वालों के लिए अल्लाह से मग़फ़ेरत और उनके सोगवारों के लिए सब्र की दुआ करता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 2023
हम सीरिया और तुर्किए में, मुसीबत में फंसे अपने भाइयों की ओर से दुखी हैं। मरने वालों के लिए हम अल्लाह से रहमत व मग़फ़ेरत और उनके सोगवारों के लिए सब्र की दुआ करते हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की सालगिरह के मौक़े और 8 फ़रवरी 1979 को एयरफ़ोर्स के कुछ कमांडरों की ओर से इमाम ख़ुमैनी की बैअत किए जाने की तारीख़ी घटना के उपलक्ष्य में आज सैकड़ों की तादाद में सेना की एयर फ़ोर्स और एयर डिफ़ेन्स इकाई के कमांडरों और जवानों ने सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
8 फ़रवरी 1979 को वायु सेना के एक दस्ते ने इमाम ख़ुमैनी की बैअत की जिसके नतीजे में इस्लामी क्रांति को नई रफ़तार मिली। इसी दिन की याद में 8 फ़रवरी सन 2023 को सेना की एयरफ़ोर्स और एयर डिफ़ेंस विभाग के कमांडरों और जवानों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात और रहबरे इंक़ेलाब ने तक़रीर की। (1)
आप बच्चियों को, अपनी प्यारी बच्चियों को मैं जो नसीहत करना चाहता हूं, वह यह है कि अल्लाह से दोस्ती कीजिए। कोशिश कीजिए कि नौजवानी के आग़ाज़ से ही मेहरबान अल्लाह की दोस्त बन जाइए।
हमारे मुल्क में साम्राज्यवादी ताक़तों यानी पहले ब्रिटेन और फिर अमरीका का सबसे अहम मोर्चा, उनकी एजेन्ट सरकश हुकूमत थी। उनके ज़रिए क़ायम होने वाली सरकश हुकूमत उनके मोर्चे का काम करती थी। इंक़ेलाब आया तो उसने इस मोर्चे को ध्वस्त कर दिया, ख़त्म कर दिया, ढा दिया।
आप प्यारी बच्चियों को यह सिफ़ारिश करना चाहता हूं कि इसी बचपन के दौर से ख़ुदा-ए-मेहरबान की दोस्त बन जाइए। अल्लाह से कैसे दोस्ती की जाती है? अल्लाह से दोस्ती का एक रास्ता यही है कि आप नमाज़ में तवज्जो रखिए कि आप अल्लाह से बात कर रही हैं।
इमाम ख़ामेनेई
3 फ़रवरी 2023
रजब के मुबारक दिनों में और हज़रत अली अलैहिस्सलाम के जन्म दिन की पूर्व संध्या पर इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार की शाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में स्कूली छात्राओं के जश्ने इबादत का प्रोग्राम आयोजित हुआ।