सवालः कर्बला में अरबईन के दिन यहाँ तक कि इससे पहले और बाद में अज़ादारों की बड़ी तादाद और बहुत ज़्यादा भीड़ के मद्देनज़र क्या अरबईन की ज़ियारत कुछ दिन पहले या बाद में की जाए तो सवाब वही है जो अरबईन के दिन की ज़ियारत का है?

जवाबः इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत, चाहे जिस वक़्त भी हो, मुस्तहब है और बहुत ज़्यादा सवाब रखती है लेकिन किसी ख़ास वक़्त में ज़ियारत का सवाब उसी वक़्त से मख़सूस है, अलबत्ता इससे पहले या बाद में, यह मख़सूस सवाब हासिल करने की उम्मीद के साथ ज़ियारत करने में कोई हरज नहीं है।