इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरान की नौसेना के फ़्लोटीला 86 के वैश्विक मिशन की कामयाबी के बाद क्रू मेम्बर्ज़ और उनके परिवारों से मुलाक़ात में लगभग आठ महीने में दुनिया का चक्कर लगाने में कामयाब होने वाले फ़्लोटीला 86 की तारीफ़ की। 6 अगस्त 2023 की इस तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने समुद्र, समुद्री रास्तों और दूसरे कई विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला। (1)
ईरान की 5800 किलोमीटर की तटवर्ती पट्टी है जिसमें 4900 किलोमीटर मुल्क के दक्षिणी हिस्से में है जो आज़ाद समुद्री क्षेत्र से जुड़ी है। दुनिया से संपर्क के लिए ईरान को किसी भी मुल्क की इजाज़त की ज़रूरत नहीं है।
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम (उन पर हमारी जानें क़ुर्बान) की नज़रे करम की बरकत से इस साल का मोहर्रम अक़ीदत के जोश से भरा रहा। वह काम जो अल्लाह के लिए किया जाता है, जिसका मक़सद पाक होता है, अल्लाह उसमें मदद करता है।
फ़्लोटीला 86 के स्टाफ़ के हर सदस्य का दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करता हूं जिसने बड़ा मिशन पूरा किया और धरती का चक्कर लगाया। इसी तरह आपके परिवारों का भी शुक्रगुज़ार हूं। जो काम आपने किया वो बड़ा गौरव है। यह कारनामा मुल्क की नौसेना के इतिहास में पहले कभी नहीं अंजाम पाया।
इमाम ख़ामेनेई
6 अगस्त 2023
350 लोगों की टीम 65 हज़ार किलोमीटर का फ़ासला तय करके दुनिया का चक्कर लगाए, आठ महीने पानी पर रहे, यह बड़े कारनामे हैं जिन की मिसाल दुनिया में बहुत कम है। आपने तीन महासागरों को पार किया और कामयाबी के साथ वतन लौटे।
इमाम ख़ामेनेई
6 अगस्त 2023
फ़्लोटीला 86 का ज़मीन का चक्कर काटना सुरक्षा क़ायम करने वाला अमल था। दूर दराज़ के इलाक़ों, प्रशांत महासागर और एटलांटिक महासागर के दूर के इलाक़ों में आपकी मौजूदगी मुल्क की सुरक्षा में मददगार साबित हुई।
इमाम ख़ामेनेई
6 अगस्त 2023
मैं शहीदों के घरवालों से जब मिलता हूं तो अकसर कहता हूं कि अल्लाह आपका साया इस क़ौम के सर पर बाक़ी रखे। हमने जो कुछ हासिल किया है वह इन्हीं बलिदानों की देन है।
क़रीब आठ महीने समुद्र के सफ़र में ईरानी फ़्लोटिला ने 65000 किलोमीटर की दूरी तय करके पूरी दुनिया का चक्कर लगाया। इस मिशन में जहाँ कुछ कड़वाहट थीं तो वहीं बहुत से मनमोहक लम्हे भी थे।
मातमी अंजुमनें, मोहब्बते अहलेबैत के मरकज़ कि इर्द-गिर्द जमा हो जाने वाली इकाई का नाम है। अंजुमनों की बुनियाद हमारे इमामों के ज़माने में रखी गई।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की रहनुमा रिसर्च
इस्लामी गणराज्य ईरान की नौसेना के फ़्लोटिला-86 के कमाडंर, कर्मीदल (क्रू) और उनके घरवालों ने रविवार की सुबह तेहारान में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
ईरानी नौसेना के फ़्लोटिला-86 ने आठ महीने में 65000 किलोमीटर की दूरी तय की और पूरी दुनिया का चक्कर लगाया। दुनिया की गिनी चुनी नौसेनाएं ही यह कारनामा कर सकती हैं।
स्वीडन में क़ुरआन मजीद का अनादर तल्ख़, साज़िश से भरी एक ख़तरनाक घटना है। इस जुर्म को अंजाम देने वाले को सबसे कठोर सज़ा दिए जाने पर सभी ओलमा-ए-इस्लाम एकमत हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22/07/2023
8 मुहर्रम 1445 हिजरी क़मरी में तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस बरपा हुई जिसमें रहबरे इन्क़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई भी शरीक हुए। इस मौक़े पर हुज्जतुल इस्लाम वलमुसलेमीन मसऊद आली ने हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की शख़्सियत, उनकी सूझबूझ और वक़्त की पहचान के बारे में बात की। KHAMENEI.IR वेब साइट की तरफ़ से उनकी इस तक़रीर का सारांश पेश किया जा रहा है।
सात मुहर्रम 1445 हिजरी की रात तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस हुई जिसमें रहबरे इन्क़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई भी शरीक हुए। इस मौक़े पर हुज्तुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन हाज अली अकबरी ने नौजवानों के लिए इस्लामी सतह की परवरिश के नमूने के तौर पर हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के अलग-अलग पहलुओं पर रौशनी डाली। इस तक़रीर का सारांश KHAMENEI.IR की हिंदी वेबसाइट पर पेश किया जा रहा है।
इमाम हुसैन (अ) के दुश्मनों का लक्ष्य यह था कि इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम की यादगारों को ज़मीन से मिटा दें। उन्हें हार हुयी क्योंकि ऐसा नहीं हो सका। इमाम हुसैन (अ) का मक़सद यह था कि इस्लाम के दुश्मनों की इस साज़िश को, जिन्होंने हर जगह को अपने रंग में रंग लिया था या रंगना चाहते थे, नाकाम बना दिया जाए।
क़ुरआन ने पूरी इंसानियत को ख़िताब किया है। क़ुरआन का दावा है कि वह पूरी इंसानियत को सही रास्ता और ज़िंदगी गुज़ारने की सही डगर दिखाना चाहता है जो उसे सही मंज़िल तक पहुंचाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
14 अप्रैल 2022
बड़ी हस्तियों के सही रास्ते से हटने की शुरुआत
हक़ के समर्थक ख़वास की लड़खड़ाहट का दौर पैग़म्बर के इंतेक़ाल के लगभग सात आठ साल बाद शुरू होता है। वही महान सहाबी जिनके नाम मशहूर हैं, तल्हा, ज़ुबैर, साद इब्ने अबी वक़्क़ास वग़ैरा, इस्लामी दुनिया के सबसे बड़े पूंजीपति बन गए। उनमें से एक की मौत के बाद उसके छोड़े हुए सोने को उसके वारिसों में बांटने के लिए पहले उसे एक बड़ी सोने की ईंट में बदला गया और फिर कुल्हाड़ी से तोड़ कर टुकड़ों में बांटा गया।
स्वीडन में क़ुरआन मजीद का अनादर, साज़िश से भरी एक ख़तरनाक कटु घटना है। इस जुर्म को अंजाम देने वाले को सबसे कठोर सज़ा दिए जाने पर सभी ओलमा-ए-इस्लाम एकमत हैं।
नफ़रत से भरी इस नई हरकत का लक्ष्य यह है कि ईसाई समाज में इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ लड़ाई, अवाम के स्तर तक फैल जाए।
क़ुरआन का चमकता सूरज दिन ब दिन ज़्यादा बड़े क्षितिज पर निकल कर ज़्यादा चमकेगा।
इमाम ख़ामेनेई
बड़ी हस्तियों की भूमिका का जायज़ा
अठारह हज़ार लोग हज़रत मुस्लिम के हाथ पर बैअत करते हैं। फिर ये लोग हज़रत मुस्लिम को छोड़कर अपने घरों को लौट जाते हैं। बाद में जब इब्ने ज़ियाद के सैनिक, हज़रत मुस्लिम को गिरफ़्तार करने के लिए तौआ के घर को घेर लेते हैं तो यही लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं और हज़रत मुस्लिम के ख़िलाफ़ लड़ने लगते हैं।
तेहरान का इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़ा, शबे आशूर की मजलिस में विख्यात नौहा ख़्वां महदी रसूली का नौहा
(या इमामे ज़माना आपके परचम का सुर्ख़ रंग इंशाअल्लाह इस कायनात पर छा जाएगा)
दुश्मन, हुसैन इबने अली के जिस्म को घेरे हुए हैं और उनमें से हर कोई वार कर रहा है। जब हज़रत ज़ैनब क़त्लगाह पहुंचीं और उस पाक जिस्म को करबला की ज़मीन पर गिरा हुआ पाया तो अपने हाथों को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जिस्म के नीचे रखा और उनकी आवाज़ बुलंद हुयी ऐ अल्लाह! पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की इस क़ुरबानी को क़ुबूल कर।
क़ुरआन की शान में बेअदबी पर भारी आक्रोश, बग़दाद से स्वेडन के राजदूत को निकाला गया, ईरान ने भी कड़ा रुख़ अपनाया, आयतुल्लाह सीस्तानी ने एतेराज़ किया, जामेअतुल अज़हर ने भी रिएक्शन दिखाया। वही हुआ जिसका ज़िक्र आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने पैग़ाम में किया।
एक ग्यारह साल का बच्चा था, यह बच्चा जब समझ गया कि उसका चचा जंग के मैदान में ज़मीन पर गिरा हुआ है वह बड़ी तेज़ी से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़रीब पहुंचा। इब्ने ज़्याद के एक वहशी व बेरहम सिपाही ने तलवार खींच रखी थी कि वह इमाम हुसैन के घायल जिस्म पर वार करे, उसने अपने छोटे छोटे हाथों को बेअख़्तियार तलवार के सामने कर दिया लेकिन उस दरिंदे ने इसके बावजूद अपनी तलवार नहीं रोकी और वार कर दिया, बच्चे के हाथ कट गए।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मंगलवार को सातवीं मोहर्रम की रात में मजलिस आयोजित हुयी। मजलिसों का यह सिलसिला सोमवार की रात को शुरू हुआ और आज दूसरी मजलिस आयोजित हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई शरीक हुए।
ऐसा क्या हुआ कि इस्लामी उम्मत, जो इस्लामी नियमों और कुरआन की आयतों की बारीकियों पर इतना ध्यान देती थी, इतने स्पष्ट मामले में इस तरह ग़फ़लत का शिकार हो गई कि इतनी बड़ी त्रासदी सामने आ गई?