प्रोपेगंडों और अफ़वाहों के ज़रिए दुश्मन क्या चाहता है?  उसका लक्ष्य यह है कि मुसलमानों यहाँ तक कि ग़ैर मुस्लिम जगत में इस्लामी इंक़ेलाब की जो अज़ीम छवि बन गयी है, उसे ख़राब कर दे। सभी मीडिया और न्यूज़ एजेंसियों की झूठी और ग़लत ख़बरों का मंशा यही है। दुश्मन बदला लेना चाहते हैं। इस इंक़ेलाब और इस क़ौम ने उन बड़े हितों को जो ईरान में अमरीका और ब्रिटेन की साम्राज्यवादी हुकूमतों के थे, ख़त्म कर दिए। ज़ाहिर है वो अपना हक़ समझती हैं कि इस क़ौम से बदला लें। मसला यह है कि वो (साम्राज्यवादी सरकारें) ईरानी क़ौम की दुश्मन हैं, दुश्मन! ऐसे में कुछ लोग आते हैं और अपने ख़याल में अक़्लमंदी की बात करते हुए हमसे कहते हैं: “बुद्धिमानी से सोचिए!” अरे यह कैसी बात है? हमारे दुश्मनों ने इंक़ेलाब से चोट खायी है, वो उसी वक़्त राज़ी होंगे जब यह इंक़ेलाब रास्ते से हट जाए और उनसे कहा जाए कि आप चोर हज़रात ईरान तशरीफ़ लाइये! तभी ये लोग राज़ी होंगे, वो इससे कम पर राज़ी नहीं होंगे।

इमाम ख़ामेनेई

3/02/1995