इस्लामी इंक़ेलाब के नेता व आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमाडंर ने मंगलवार को सुबह आर्मी ऑफ़ीसर युनिवर्सिटी में कैडिट्स के ग्रेजुएशन कार्यक्रम में स्पीच के दौरान इन फ़ोर्सेज़ को सुरक्षा, सम्मान और क़ौमी पहचान का क़िला बताया और फ़िलिस्तीनी जवानों के हालिया कारनामे में ज़ायोनी सरकार को पहुंचने वाली अपूरणीय क्षति की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस तबाही लाने वाले तूफ़ान के आने की वजह, फ़िलिस्तीनी क़ौम के ख़िलाफ़ क़ाबिज़ व जाली सरकार के लगातार ज़ुल्म, जुर्म और बर्बरता है जो झूठ बोलकर और ख़ुद को मज़लूम ज़ाहिर करके ग़ज़्ज़ा पर हमले और ग़ज़्ज़ा के क़त्ले आम में अपने बर्बर शैतानी चहरे को नहीं छिपा सकती और अपनी बकवास से फ़िलिस्तीनी जवानों की बहादुरी और उनकी सूझबूझ से भरी योजना को ग़ैर फ़िलिस्तीनियो का काम नहीं बता सकती।
उन्होंने फ़िलिस्तीन में हालिया बेमिसाल घटनाओं की ओर इशारा करते हुए इस अहम राजनैतिक व सैन्य मसले में मुल्क के अधिकारियों के स्टैंड को सराहा और कहा की इस मामले में पूरी दुनिया, ज़ायोनी सरकार की शिकस्त को मान रही है और फ़ौजी व इंटेलिजेन्स की नज़र से यह शिकस्त ऐसी है जिसकी भरपाई नामुमकिन और यह शिकस्त तबाही लाने वाले ज़लज़ले की तरह है और बहुत मुश्किल है कि क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार, पश्चिम की हर तरह की मदद के बावजूद, इस घटना से अपनी हुक्मरानी की बुनियादों में लगे घाव को भर पाए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बल दिया कि ज़ायोनी सरकार शनिवार 7 अक्तूबर को अंजाम पाने वाले फ़िलिस्तीनी जवानों के बहादुरी से भरे कारनामे के बाद पहले जैसी ज़ायोनी सरकार नहीं रह पाएगी और इस बड़ी बला की वजह ख़ुद ज़ायोनियों की करतूतें हैं क्योंकि जब आप दरिंदगी और बर्बरता की हद पार कर जाते हैं तो फिर आपको तूफ़ान के लिए तैयार रहना चाहिए।
उन्होंने फ़िलिस्तीनी जियालों के बहादुरी से भरे क़दम को, क़ाबिज़ सरकार के बरसों से जारी जुर्म और हालिया महीनों में उनमें आई शिद्दत का जवाब बताया और कहा कि इस मामले में क़ुसूरवार क़ाबिज़ सरकार के अधिकारी हैं जिन्होंने मज़लूम फ़िलिस्तीनी क़ौम के ख़िलाफ़, जितनी मुमकिन थी बर्बरता दिखाई।
उन्होंने क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की घटिया हरकतों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस ज़माने में किसी भी मुसलमान क़ौम को ज़ायोनी सरकार जैसे किसी दूसरे बेहया व बेरहम दुश्मन का सामना नहीं रहा और फ़िलिस्तीनी क़ौम जितना किसी भी क़ौम ने दबाव, नाकाबंदी और हर तरह के संसाधन की कमी का सामना नहीं किया है, इसी के साथ अमरीका और ब्रिटेन ने भी इस नाजायज़ सरकार जितना, दूसरी किसी ज़ालिम सरकार का सपोर्ट नहीं किया है।
आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि फ़िलिस्तीनी बच्चों, औरतों, मर्दों और बूढ़े लोगों का क़त्ले आम, नमाज़ियों को पैरों से कुचलना और ज़ायोनी सेटलर्ज़ को फ़िलिस्तीनी अवाम पर हमले की खुली छूट देना, ज़ायोनी सरकार के जुर्मों के कुछ नमूने हैं और क्या फ़िलिस्तीन की ग़ैरतमंद क़ौम के सामने इतने ज़ुल्म व जुर्म के मुक़ाबले में, तूफ़ान ख़ड़ा करने के अलावा कोई और रास्ता था?
उन्होंने दुष्ट ज़ायोनी सरकार की ओर से ख़ुद को मज़लूम दिखाने की कोशिश और दुनिया के साम्राज्यवादी मीडिया की ओर से इस बात को जनमत में फैलाने के लिए की जा रही मदद की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह ख़ुद को मज़लूम दिखाना, सौ फ़ीसदी हक़ीक़त के ख़िलाफ़ और झूठ है और कोई भी इस निर्दयी राक्षस को मज़लूम ज़ाहिर नहीं कर सकता।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि ज़ायोनी सरकार की ओर से ख़ुद को मज़लूम दिखाने का मक़सद, ग़ज़्ज़ा पर जारी उसके हमलों और इस इलाक़े के मज़लूम अवाम के क़त्ले आम का औचित्य पेश करना है। उन्होंने कहा कि इस मसले में भी क़ाबिज़ हुकूमत और उसके समर्थकों के कैल्कुलेशन ग़लत हैं और ज़ायोनी सरकार के अधिकारियों और फ़ैसला लेने वालों तथा उसके समर्थकों को जान लेना चाहिए कि इस तरह के काम, उन पर ज़्यादा बड़ी बला नाज़िल करेंगे और फ़िलिस्तीनी क़ौम ज़्यादा ठोस इरादे के साथ इन जुर्मों पर रिएक्शन में उनके घिनौने चेहरे पर और ज़्यादा ज़ोरदार थप्पड़ रसीद करेगी।
उन्होंने हालिया घटनाओं में ईरान सहित ग़ैर फ़िलिस्तीनियों का हाथ होने पर आधारित कुछ ज़ायोनी अधिकारियों और उनके समर्थकों की बकवास के बारे में कहा कि हम फ़िलिस्तीनी जवानों और समझदार फ़िलिस्तीनी रणनीतिकारों का माथा व बाज़ू चूमते हैं और उन पर फ़ख़्र करते हैं और उन लोगों की यह बातें बेबुनियाद व ग़लत कैल्कुलेशन पर आधारित हैं जो यह कह रहे हैं कि फ़िलिस्तीनियों का यह वार ग़ैर फ़िलिस्तीनियों की ओर से है, उन्होंने महान फ़िलिस्तीनी क़ौम को पहचाना नहीं है और उसके बारे में ग़लत कैल्कुलेशन किया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ज़ायोनियों के अपराध के मुक़ाबले में इस्लामी जगत के रिएक्शन को ज़रूरी बताते हुए कहा कि निश्चित तौर पर पूरे इस्लामी जगत का फ़र्ज़ है कि वह फ़िलिस्तीनी क़ौम का सपोर्ट करे, लेकिन यह ज़बरदस्त कारनामा, फ़िलिस्तीन के समझदार रणनीतिकारों और जान हथेली पर रखकर आगे बढ़ने वाले जवानों का काम था और इंशाअल्लाह यह महाकारनामा, फ़िलिस्तीनियों की मुक्ति की राह में बड़ा क़दम साबित होगा।
उन्होंने इसी तरह इस प्रोग्राम में अपनी स्पीच के आग़ाज़ में आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के काम को एक बड़ा कारमाना और देश का संचालन करने में सबसे अहम व मूल कामों में से एक बताया। उन्होंने सुरक्षा बलों को सुरक्षा, इज़्ज़त और क़ौमी पहचान का क़िला बताया और कहा कि क़ौमी सुरक्षा, उन सभी सॉफ़्टवेयर्ज़ का बुनियादी ढांचा है जिनका मुल्क की तरक़्क़ी में किरदार है, क्योंकि अगर सुरक्षा न हो तो कुछ भी नहीं होगा।
आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर ने 8 बरस तक थोपी गयी जंग को सही मानी में विश्व युद्ध बताया और कहा कि उस कठिन इम्तेहान में आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने मुल्क की एक इंच ज़मीन और इस्लाम की सत्ता की रक्षा की और हमलावर सद्दाम के सपोर्ट में पूर्वी व पश्चिमी साम्राज्यावदियों की सामूहिक साज़िश को नाकाम बना दिया।
उन्होंने दाइश के फ़ितने को अब तक आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के इम्तेहान का आख़िरी मैदान बताया और कहा कि अमरीका ने एक शैतानी योजना के तहत दाइश को वजूद दिया ताकि इलाक़े की स्थिरता को ख़त्म कर दे और उस साज़िश का आख़िरी टार्गेट इस्लामी गणराज्य था लेकिन हमारी आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने कुछ दूसरे मुल्कों की फ़ोर्सेज़ के साथ मिलकर इस फ़ितने को भी धूल चटा दी।
इस प्रोग्राम में ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के जनरल स्टाफ़ के चीफ़ जनरल मोहम्मद बाक़ेरी ने फ़िलिस्तीनी मुजाहिदों को “अलअक़सा तूफ़ान” की मुबारकबाद देते हुए अध्यात्मिक, राजनैतिक सूझबूझ, सैन्य व डिफ़ेन्स की सलाहियत व आत्मनिर्भरता को बढ़ाने, इंटेलिजेन्स का दायरा बढ़ाने और मज़बूत बनाने के साथ ही इंक़ेलाबी सूझबूझ को मुल्क की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की सरगर्मियों का दायरा बताया।
इस प्रोग्राम में इसी तरह इमाम अली अलैहिस्सलाम आर्मी ऑफ़ीसर युनिवर्सिटी के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली महदवी, इमाम हसन आर्मी ऑफ़ीसर युनिवर्सिटी के कमांडर जनरल परवेज़ आही और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम आर्मी ऑफ़ीसर युनिवर्सिटी के कमांडर ब्रिगेडियर नोमान ग़ुलामी ने इन यूनिवर्सिटियों के काम और ट्रेनिंग प्रोग्रामों के बारे में रिपोर्टें पेश कीं।