इस ज़ालिम हुकुमत ने फ़िलिस्तीनी औरतों, मर्दों, बच्चों, बूढ़ों पर रहम नहीं किया, मस्जिदुल अक़्सा के सम्मान का ख़्याल नहीं रखा, उसने ज़ायोनी कालोनियों में रहने वालों को पागल कुत्तों की तरह फ़िलिस्तीनियों पर छोड़ दिया, नमाज़ियों को पैरों तले रौंदा गया, तो इतने ज़ुल्म और अपराधों के मुक़ाबले में एक क़ौम क्या करे?

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