सवालः अरबईन के मौक़े पर चूंकि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े में दाख़िल होना और कभी कभी दोनों रौज़ों (इमाम हुसैन और हज़रत अब्बास के रौज़ों) के बीच में बहुत ज़्यादा भीड़ होने की वजह से रौज़ों में दाख़िल होना बहुत दुशवार होता है और कुछ लोगों के लिए तो क़रीब क़रीब नामुमकिन हो जाता है और कभी कभी दूसरों को तकलीफ़ होने का सबब बन जाता है, ऐसी स्थिति में क्या रौज़े के चारों ओर ख़ास दायरे में किसी जगह से ज़ियारत पढ़ लेना काफ़ी है?

जवाबः ऐसी स्थिति में (रौज़े के चारों ओर ख़ास दायरे में) ज़ियारत पढ़ लेना काफ़ी है।