इस मुलाक़ात में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इन इलाक़ों के मोमिन अवाम और शिया-सुन्नी ओलमा की ओर से मुल्क का लगातार साथ दिए जाने की सराहना करते हुए, बड़े बदलाव के दौरान क़ौमों और मुख़्तलिफ़ मुल्कों के अधिकारियों के चौकन्ना व सावधान रहने पर बल दिया। उन्होंने ईरान में संकट पैदा करने वाले मामलों को हवा देने की दुश्मन की साज़िश की ओर इशारा करते हुए कहा कि क़ौमी एकता को बिगाड़ना और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमज़ोर बनाना, उनके दो मुख्य गंभीर लक्ष्य हैं लेकिन हम भी दुश्मन के मुक़ाबले में पूरी तरह गंभीर हैं और हमें यक़ीन है कि अगर क़ौम और अधिकारियों की निगरानी, जागरूकता और होशियारी रहे तो ईरान के दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 18वीं सदी में भारतीय उपमहाद्वीप सहित एशिया के अहम इलाक़ों पर ब्रितानी साम्राज्य के क़ब्ज़े और पहले विश्व युद्ध के बाद पश्चिमी एशिया के बहुत से इलाक़ों पर पश्चिमी मुल्कों के क़ब्ज़े को, इन इलाक़ों की क़ौमों और सरकारों की ग़फ़लत का नतीजा क़रार दिया और कहा कि उक्त इलाक़ों की क़ौमों ने बाद में साम्राज्यवादियों के क़ब्ज़े से आज़ादी के लिए बहुत ज़्यादा तकलीफ़ें झेलीं।

उन्होंने मौजूदा दुनिया को भी बदलाव के मुहाने पर और कई पहलुओं से बदलती हुयी बताया और साम्राज्यवादी ताक़तों के कमज़ोर होने और क्षेत्रीय तथा विश्वस्तरीय ताक़तों के उभरकर सामने आने को इस बड़े बदलाव की दो बड़ी विशेषताएं क़रार दिया।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कुछ पश्चिमी स्रोतों का हवाला देते हुए, आर्थिक मैदान सहित ज़्यादातर मैदानों में अमरीका की ताक़त के इंडेक्स को गिरता हुआ बताया और कहा कि हुकूमतों को बदलने के सिलसिले में भी अमरीका की ताक़त में काफ़ी कमी आयी है।

उन्होंने इसी सिलसिले में कहा कि कभी अमरीका अपने एक एजेंट को पैसों से भरे ब्रीफ़केस के साथ ईरान भेजकर 19 अगस्त की बग़ावत करा देता था लेकिन आज किसी भी मुल्क में उसके पास ऐसी ताक़त दिखाने का दमख़म नहीं है और इसी वजह से उसने महंगी हाइब्रिड वॉर को अपनाया है लेकिन वह इसमें भी नाकाम हो गया है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने सीरिया में नाकामी और अफ़ग़ानिस्तान से अपमानजनक हालत में फ़रार को अमरीका की ताक़त के गिरने के दो साफ़ नमूने बताया और कहा कि दूसरे साम्राज्यवादी मुल्क भी इसी चीज़ का शिकार हो चुके हैं, जैसा कि इन दिनों अफ़्रीक़ा के मुख़्तलिफ़ मुल्कों में इस महाद्वीप के पुराने साम्राज्यवादी देश की हैसियत से फ़्रांस के ख़िलाफ़ भी अभियान चल रहे हैं और लोग भी इन अभियानों का साथ दे रहे हैं।

उन्होंने इसी के साथ कहा कि यह जो हम कहते हैं कि दुश्मन कमज़ोर हो रहा है तो इसका मतलब धोखा, मक्कारी, साज़िश तैयार करने और चोट पहुंचाने में उसकी अक्षमता नहीं है, इसलिए हमें यानी अवाम और अधिकारियों को पूरी तरह चौकन्ना व जागरूक रहना चाहिए।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि अमरीका की साज़िशों का दायरा सिर्फ़ ईरान तक सीमित नहीं है बल्कि आज वह क्षेत्र में इराक़, सीरिया, लेबनान, यमन, अफ़ग़ानिस्तान यहाँ तक कि फ़ार्स की खाड़ी के तटवर्ती मुल्कों के ख़िलाफ़ भी साज़िशें तैयार कर रहा है जो उसके पुराने व पारंपरिक दोस्त हैं।

उन्होंने अमरीका की साज़िश पर रौशनी डालते हुए कहा कि हमारे पास जो जानकारियां हैं, उनसे पता चलता है कि अमरीकी सरकार ने संकट पैदा करने वाले गुट के नाम से एक टीम तैयार की है जिसका काम ईरान सहित दूसरे मुल्कों में संकट का कारण बनने वाले मामलों को तलाश करना और उन्हें हवा देना है।

उन्होंने कहा कि उनकी नज़र में क़ौमी व मज़हबी मतभेद तथा औरतों का मसला ऐसे मामले हैं जिनसे ईरान में संकट पैदा किया जा सकता है और वो उन्हें हवा देकर हमारे प्यारे मुल्क को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं लेकिन यह उनका वहम है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ईरान में सीरिया और यमन जैसी स्थिति पैदा करने पर आधारित कुछ अमरीकियों के साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में दिए गए बयानों का ज़िक्र करते हुए कहा कि यक़ीनी तौर पर वो ऐसा नहीं कर पाएंगे इस शर्त के साथ कि हम चौकन्ना व जागरूक रहें, ग़लत राह पर न चलें, सत्य और असत्य के फ़र्क़ को अच्छी तरह समझें, दुश्मन के हथकंडों को पहचानें, अपनी किसी भी बात, काम और क़दम से दुश्मन की मदद न करें और ग़फ़लत की नींद का शिकार न हों, क्योंकि नींद की हालत में एक बच्चा भी आपको नुक़सान पहुंचा सकता है, सशस्त्र और हमले के लिए तैयार दुश्मन की तो बात ही अलग है।

उन्होंने ईरानी क़ौम की ओर से इमाम ख़ुमैनी के निर्देशों पर अमल के नतीजे में चालीस-पैंतालीस साल से दुश्मनों की नाकामी की तरफ़ इशारा करते हुए इमाम ख़ुमैनी के स्टैंड और इशारों को, ईरानी क़ौम की कामयाबी जारी रहने के लिए एक अहम काम बताया और कहा कि दुश्मन ने ईरानियों की क़ौमी एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे दो बुनियादी मामलों को निशाना बना रखा है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि अल्लाह की कृपा से हमारी क़ौम जागरूक है और मैं क़ौम की इस जागरूकता की ओर से पुरउम्मीद हूं और यह सिर्फ़ नारा और ललकार नहीं है बल्कि पिछले चालीस-पैंतालीस बरस के तजुर्बे और मुआयने का नतीजा और जवानों की सलाहियत, मोहब्बत, वफ़ादारी, ख़ुलूस और इस साल अरबईन सहित अवाम की ज़बरदस्त मौजूदगी जैसी नुमायां और उम्मीद पैदा करने वाली निशानियों की वजह से है।

उन्होंने अपने ख़िताब के आख़िरी हिस्से में अरबईन के प्रोग्राम में ईरानी क़ौम की ज़बरदस्त शिरकत की ओर इशारा किया और अपने पूरे वजूद से अरबईन के 2 करोड़ 20 लाख ज़ायरों की मेहमाननवाज़ी करने पर इराक़ी क़ौम का दिल से शुक्रिया अदा किया और इसी तरह इस अज़ीम प्रोग्राम की सुरक्षा को निश्चित बनाने पर इराक़ी सरकार, पुलिस फ़ोर्स और ख़ास तौर पर स्वयंसेवी बल हशदुश शाबी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि हम अपनी पुलिस फ़ोर्स का भी दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करते हैं जिसने सरहदों से लोगों की आवाजाही के सिलसिले में दिन रात वाक़ई बेहतरीन काम किया और हमें मुख़्तलिफ़ विभागों में इन बलिदानी और अच्छे नौजवान पुलिस कर्मियों की क़द्रदानी करनी चाहिए।