सीरिया के फ़ूआ और कफ़रिया इलाक़े की एक माँ-बेटी, मोहर्रम के दिनों में ईरान के टीवी चैनल-3 के मोअल्ला प्रोग्राम में शरीक हुईं। मां ने यह आरज़ू ज़ाहिर की थी कि उनकी गुमशुदा बेटियां मिल जाएं और आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से उनकी मुलाक़ात हो जाए।
16 अगस्त 2023 को दोनों ने, टीवी प्रोग्राम की टीम के साथ इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
वेबसाइट KHAMENEI.IR इस संबंध में फ़ूआ और कफ़रिया में आतंकवादी क़ैदियों और उस इलाक़े में नाकाबंदी में घिरे लोगों के तबादले के दिन होने वाली भयानक घटना के बारे में एक संक्षिप्त रिपोर्ट पेश कर रही है।
दाइश के सिर उभारने से लेकर उसके विनाश तक सीरिया के संकट में ऐसे बेशुमार भयानक जुर्म नज़र आए जिन्हें दाइश और दूसरे तकफ़ीरी गुटों ने अंजाम दिया है। बड़ी तादाद में इलाक़े के बेक़ुसूर अवाम, तकफ़ीरी चरमपंथ की भेंट चढ़े। उन्हीं भयानक जुर्मों में से एक अर्राशेदीन नामी इलाक़े में बेगुनाह लोगों का क़त्ले आम भी है। अर्राशेदीन, हलब के पश्चिम में स्थित एक इलाक़ा है जो एक ओर सीरीयाई फ़ौज और उसकी घटक फ़ोर्सेज़ और दूसरी ओर अलन्नुसरा फ़्रंट की अगुवाई में तकफ़ीरी आतंकवादियों के बीच जंग की फ़्रंट लाइन समझा जाता था।
अप्रैल 2017 में दोनों पक्षों में आतंकी क़ैदियों और नाकाबंदी में घिरे परिवारों के तबादले पर सहमति बनी। फ़ूआ और कफ़रिया नामी कालोनियों के मज़लूम और बेक़ुसूर लोग दो साल से पूरी तरह घेराबंदी में थे और बड़ी तादाद में औरतें, बच्चे और बूढ़े जो प्रतिरोध कर रहे थे, उस इलाक़े में मौजूद थे। दोनों कालोनियों के मर्दों ने, जो चारों ओर से घिरे हुए थे, तकफ़ीरी गुटों के हमलों का बहादुरी से मुक़ाबला किया। सिर्फ़ हवाई रास्ते से इन कालोनियों के लोगों के लिए खाने पीने की चीज़ें, दवाएं और ज़रूरी सामान भेजा जा सकता था और कभी कभी तो तेज़ हवाओं की वजह से हवाई जहाज़ से फेंकी गयी चीज़ें, आतंकी गुटों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में पहुंच जाती थीं।
15 अप्रैल 2017 को तय पाया था कि कुछ आतंकियों की रिहाई के बदले में, जिन्हें अन्नुस्रह फ़्रंट रिहा करवाना चाहता था, फ़ूआ और कफ़रिया कालोनियों के क़रीब पांच हज़ार लोगों को, जिनमें औरतें, बच्चे और बूढ़े शामिल थे, नाकाबंदी से आज़ाद किया जाए। इस तबादले में वो मर्द शामिल नहीं थे जो कालोनियों में रह कर डिफ़ेन्स कर रहे थे।
बसों का एक बड़ा कारवां तैयार हुआ और उन पांच हज़ार औरतों, बच्चों और बुज़ुर्गों को लेकर फ़ूआ और कफ़रिया से बाहर निकला और अर्राशेदीन के इलाक़े तक आया। यहाँ एक चेकपोस्ट थी जो अन्नुस्रा फ्रंट के कंट्रोल में थी। अगर बसों का वह कारवां उस चेकपोस्ट से गुज़र जाता तो उन सुरक्षित इलाक़ों में पहुंच जाता जो सीरियाई सरकार के कंट्रोल में थे।
75 बसों के कारवां की सभी बसें पूरी तरह भरी हुयी थीं और सीटों के अलावा, सीटों के बीच की जगहें भी भरी हुयी थीं ताकि इन 5000 लोगों को दूसरी जगह भेजा जा सके। जब बसों का यह कारवां अर्राशेदीन की चेकपोस्ट पर पहुंचा तो वहाँ उसे रोक दिया गया ताकि तबादले के बाक़ी बचे काम अंजाम पा सकें और यह कारवां सीरियाई सरकार के कंट्रोल वाले इलाक़ों में जा सके। वहाँ इस कारवां को कई घंटे रोके रखा गया और फिर एक बहुत ही दर्दनाक घटना घटी। विस्फोटक पदार्थ से लदी एक पिक-अप वहाँ पहुंची और उस बड़े कारवां में शामिल हो गयी। उसमें बड़ी मेक़दार में चिप्स, चाकलेट और मिठाइयां थीं जिनके बच्चे शौक़ीन होते हैं। पिक-अप के पिछले हिस्से में ये चीज़ें लदी हुयी थीं और जब वह वहाँ पहुंची तो लाउडस्पीकर से एलान किया गया कि बच्चे आकर मुफ़्त में ये चीज़ें ले सकते हैं। घंटों पहले फ़ूआ और कफ़रिया से निकले हुए और उस इलाक़े में इंतेज़ार करते करते थक चुके बच्चे, बसों से नीचे उतरे और उस पिक-अप के पास पहुंच गए। वहाँ बच्चों की एक भीड़ लग गयी और उसी वक़्त तकफ़ीरी आत्मघाती बमबार ने अपनी गाड़ी को धमाके से उड़ा दिया। दिल दहला देने वाला दृष्य सामने था। इस घटना में छोटे बड़े 150 बच्चे शहीद जबकि 250 घायल हुए।
यह बहुत तल्ख़ वाक़ेया था लेकिन इससे भी ज़्यादा तल्ख़ एक दूसरा वाक़ेया हुआ। सिर्फ़ छोटे-बड़े बच्चों के शहीद और घायल होने की बात नहीं थी बल्कि धमाके के बाद के उस हंगामे में बड़ी तादाद में बच्चों, ख़ास तौर पर लड़कियों को अग़वा कर लिया गया और तकफ़ीरियों ने यह दूसरी दरिंदगी कर दी।
अर्राशेदीन का इलाक़ा हलब के पश्चिम में और तुर्किये के क़रीब है इसी वजह से बहुत से घायलों को तुर्किये के अस्पतालों में भर्ती कर दिया गया जहाँ वे कुछ मुद्दत तक रहे। इसके बाद जो संपर्क हुए और ख़ुद इस्लामी गणराज्य ईरान ने सीरिया और तुर्किये की सरकारों के बीच मध्यस्थ की हैसियत से उन घायलों और गुमशुदा बच्चों के सिलसिले में जो क़दम उठाए, उनकी वजह से कुछ घायल बच्चों को उनके घरवालों के पास पहुंचाया जा सका लेकिन अफ़सोस कि उस तारीख़ से लेकर आज तक यानी छह साल से ज़्यादा मुद्दत में बड़ी तादाद में छोटी बड़ी लड़कियां अब भी लापता हैं और यह सीरिया में घटने वाली सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक है।
अफ़सोस की बात है कि उनके बारे में कुछ मालूमात नहीं है और किसी को भी यह नहीं पता है कि ये लड़कियां कहाँ हैं? वो सीरिया की सरज़मीन में और आतंकी गुटों के कंट्रोल वाले इलाक़ों में हैं या उन्हें तुर्किये पहुंचा दिया गया है और वहाँ उनके साथ अप्रिय घटना पेश आयी है?
यह बात उनके घर वालों के दिल में एक नासूर बन कर रह गयी है। जब कोई इंसान शहीद होता है तो उसे दफ़्न करने की कुछ मुद्दत बाद उसके घरवालों को क़रार आ जाता है लेकिन जब किसी घर का कोई व्यक्ति लापता हो जाए और अगर वह लड़की हो तो यह किसी भी फ़ैमिली के लिए बहुत ही दर्दनाक बात होती है और उसे अपनी पूरी उम्र उसी दर्द में गुज़ारनी पड़ती है और उसका कोई इलाज और कोई चारा भी नहीं होता।
सीरिया के उन्ही दुखी घरानों में, एक माँ बेटी भी हैं। इस घर का मर्द शहीद हो चुका है और दो बेटियां लापता हैं। इस फ़ैमिली की माँ को उसकी बेटी के साथ इस साल मोहर्रम में “हुसैनिए मोअल्ला” नामी प्रोग्राम में दावत दी गयी थी, जहाँ दोनों ने अपनी दर्दनाक दास्तान सुनाई। प्रोग्राम के आख़िर में दोनों माँ बेटी ने कहा कि उनकी आरज़ू है कि वो इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मिलें। उनकी इस दरख़ास्त को क़ुबूल कर लिया गया और दोनों को एक बार फिर दावत दी गयी और वो सीरिया से ईरान पहुंचीं ताकि आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मिल सकें। यह मुलाक़ात 16 अगस्त 2023 को हुयी और आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने उनकी बातें सुनीं और उनके हक़ में दुआ की।